Book Title: Vajsaney Samhita Uttar Vinshati
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir / / कोबातीर्थमंडन श्री महावीरस्वामिने नमः / / / / गणधर भगवंत श्री सुधर्मास्वामिने नमः / / / / अनंतलब्धिनिधान श्री गौतमस्वामिने नमः / / / / योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरेभ्यो नमः / / ॥चारित्रचूडामणि आचार्य श्रीमद् कैलाससागरसूरीश्वरेभ्यो नमः / / आचार्य श्री कैलाससागरसूरिज्ञानमंदिर पुनितप्रेरणा व आशीर्वाद राष्ट्रसंत श्रुतोद्धारक आचार्यदेव श्रीमत् पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. जैन मुद्रित ग्रंथ स्केनिंग प्रकल्प ग्रंथांक : 1 जैन आराधना इना केन्द्र महावीर कोबा. अमतंक बा तु विद्या श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा, गांधीनगर-३८२००७ (गुजरात) (079) 23276252, 23276204 फेक्स : 23276249 Websit: www.kobatirth.org Email : Kendra@kobatirth.org आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर शहर शाखा आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर त्रण बंगला, टोलकनगर परिवार डाइनिंग हॉल की गली में पालडी, अहमदाबाद - 380007 (079)26582355 For Private And Personal Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www xchat.org Acharya Shri K a arsen Gyarmandi Fat Private And Persona Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // अथ श्रीवाजसनेयसंहिताउत्तरविंशतिप्रारंभः // For Private And Personal Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir In श्रीगणेशायनमः // अनुवाकसूत्रम् // इमम्मेसमिद्धोअग्निरेकादशको उ.अ. वसंतेनऋतुनाषझौतायक्षत्समिधानिंद्वादशाश्विनौछागस्यसप्तदेवंबर्हिश्चतु ईशषडेकषष्टिः // हरिः ॐ हमम्मै / वरुणश्रुधीहवमुद्याचमृडय // त्वाम॑वस्युराचके // 1 // तत्त्वा / यामब्रह्मणाबन्दमानुस्तदाशास्तेय जमानोहविभिः // अहेडमानोवरुणेहबोद्धयरुश समान आयुरप्रमों षी // 2 // त्वन्नः // त्वन्नोऽअग्नेबरुणस्यविद्वान्देवस्युहेडोऽअवयासि सीष्ठाः // यजिष्ठोवन्हितमत्शोशुचानोविश्वेषांसिप्प्रमुमुग्ध्यस्म्मत | Jan // सत्वम् // सत्वन्नोऽअन्नेवमोभवोतीनेदिष्ठोअस्याऽउषसोव्यष्टो॥ For Private And Personal Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir अवयवश्वनोबरुणराणोबीहिमृडीकसुहवोन एधि // 4 // मुहीमूषु / / मातरं सुचतानामृतस्य॒पत्नीमव॑सेहुवेम // तुविक्षत्रामुजरन्तीमुरूची सुशाणमदिति सुप्पणीतिम् // 5 // सुत्रामाणम्पृथिवीम् // सुत्रामाण स्पृथिवीन्द्यामनेहसं सुशाणुमर्दितिसुप्पणीतिम् // दैवीन्नावस्व / रित्रामागसमस्रवन्तीमारुहेमास्व॒स्तये // 6 // सुनावमारुहेयम् // सुना। वमारुहेयमस्रवन्तीमनोगसम् // शतारित्रास्वस्तये // 7 // आन॥ आनौमित्रावरुणाघृतैर्गव्यूतिमुक्षतम् // महारजासिसुऋतू // 8 // प्रवाहा / सिमृतञ्जीवसेनऽआनोगव्य॒तिमुक्षतङ्कृतेन // आमाजनैश्श्रवय For Private And Personal Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir उ.अ. तंटयुवानाश्श्रुतम्ममित्रावरुणाहवेमा // 9 // शन्नः // शन्नोभवन्तुबा / जिनोहवेंषुदेवतातामितवत्स्वार // जम्भयन्तोहिंवृहरक्षासिसने 21 म्यस्म्मधुयवन्नमीवाद // 10 // बाजेवाजेवत / वाजिनोनोधनेषु विप्पाऽअमृताऽऋतज्ञा // अस्यमद्ध-पिवतमादयद्धन्तृप्तायांतपुथि : भिर्देवयान // 11 // समिद्धोऽअग्निः / समिधासुसमिद्धोवरेण्य // गायत्री च्छन्द इन्द्रियन्त्र्यविौत्रयोदधुः // 12 // तनूनपाच्छुचिंबत // तनून / पाच्छुचिचतस्तनूपाश्चसरस्वती // उष्ष्णिहाच्छन्दऽइन्द्रियन्दित्यवागी योदधुः // 13 // इडाभिरग्निः // इडाभिरग्निरीड्डयत्सोमौदेवोऽअमर्त्य // For Private And Personal Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ACCASAMANARSA महशोशुंचानोविश्चाद्वेषांसिप्प्रमुमुग्ध्यस्म्मत्॥३॥ सत्वम्॥ सत्वन्नोऽअग्नेवमोभवोतीनेदिष्ठोअस्याऽउषसोध्यष्टो॥अवयवश्व / / नोबरुणतरराणोब्बीहिमृडीकन्सुहवोन एधि // 4 // महीमषु / / मातरम्सुब्बतानामृतस्युपत्नीमर्वसेहुवेम // तुविक्षत्रामजन्ती / / मुरूचीसुशौणमदितिसुष्प्रणीतिम् // 5 // सुत्रामाणम्प्ट / थिवीम् // सुत्रामाणम्पृथिवीन्द्यामनेहसं सुशाणमदितिन्सुर प्रणीतिम् // दैवीन्नावखरित्रामागसमस्रवन्तीमारुहेमास्व / / For Private And Personal Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir संहि उ. अ. // 21 // स्तये // 6 // सुनावमारुहेयम् // सुनावमारुहेयमस्रवन्तीमना | गसम् // शतारित्रास्वस्तये ॥७॥आनः॥आनौमित्रावरुणा घृतैर्गच्यूतिमुक्षतम् // मद्धारजासिसुऋतू॥८॥प्रबाहवा / सिस् / तञ्जीवसैनऽआनोगच्यूतिमुक्षतङ्कृतेन ॥आमाजनैश्रवयतंय्युवा नाश्रुतम्ममित्रावरुणाहवेमा ॥९॥शनः // शन्नोभवन्तुबाजि / नोहवेपुदेवातामितवत्स्वा // जुम्भयन्तोहिंवृकठरक्षासि / सनम्म्यस्म्मधुयवन्नमीवा // 10 // बाजैवाजेवत। वाजिनोनो 56RREGREACHER For Private And Personal Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir साऊAECSCECAREERCई धनेषुविष्प्राऽअमृताऽऋतज्ञाः॥अस्यमद्धे पिवतमादयद्धन्तृप्ता यतिथिभिर्देव॒यानैः // 11 // समिद्धोऽअग्निः // सुमिधासुस / / मिद्धोवरेण्य // गायत्रीच्छन्दऽइन्द्रियन्त्र्यविौर्बयोदधुः॥१२॥ तनूनपाच्छुचिवत: // तनुनपाच्छुचिन्वतस्तनूपाच्चसरखती // उष्णिहाच्छन्देऽइन्द्रियन्दित्यवागौवयौदधुः // 13 // इडाभि रग्निः // इडाभिरग्निरीड्डयुत्सोमौदेवोऽअमर्त्यत॥ अनुष्टुप्प्छन्द इन्द्रियम्पञ्चाविग्र्गोईयोदधुः॥१४॥ सुबर्हिरग्निः। पूषण्ण्वान्त्स्ती / / SHRINCI8BREASE For Private And Personal Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir साह. -RSAGARRANGA र्णबर्हिरमर्त्यः // बृहुतीच्छन्देऽइन्द्रियन्त्रिवत्सोगौर्बयोदधुः // उ. अ. // 15 // दुरौदेवीः॥ दुरौदेवीदिशोमुहीमादेवोबृहस्पतिः // 21 // पङ्क्तिश्छन्दहुहेन्द्रियन्तुर्य्यवाडौर्बयोदधुदं // 16 // उपेयह्वीसु शंसाविश्वेदेवाऽअसा // त्रिष्टुप्प्छन्दऽइहेन्द्रियम्पष्टुवागौर्व योदधुः ॥१७॥दैच्याहोतारा / भिषजेन्द्रेणसयुजायुजा॥जग। तीच्छन्दइन्द्रियमनडान्गौर्बयोदधुः ॥१८॥तिस्रऽइडो॥तिस्रऽ। इडासरखतीभारतीमरुतोविशः॥ विराटुन्दऽडुहेन्द्रियन्धेनुग्र्गों For Private And Personal Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri piepgarsuri Gyanmandir SHOOSHASHASHIO**** नवयौदधुः // 19 // त्वष्टातुरीपः // त्वष्टातुरीपोऽअद्भुतऽइन्द्रा / / हनीपुष्टुिवर्द्धना॥ द्विपदाच्छन्दऽइन्द्रियमुक्षागौनवयौदधुला२० शमितानः॥ शुमितानोबनस्पतिः सविताप्सुकन्भर्गम्॥ कुकु / प्च्छन्देऽइहेन्द्रियंवशाबेहवयौदधुः // 21 // वाहायुझं / वरु र णत्सुक्षुत्रोभैषजङ्करत् // अतिच्छन्दाऽइन्द्रियम्बृहदृषभोगौर्बयो / दधुः // 22 // [11] वसन्तेनऽऋतु।। दुवावसवस्तिवृतास्तुता॥ रथन्तरेणतेजसाहुविरिन्द्रेवयोंदधुः // 23 // ग्रीष्म्मेणऽऋतुना / / For Private And Personal Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 21 // BORRERASHUSHOGAISAIPICHIG है देवारुद्रापञ्चदुशेस्तुताः॥बृहतायशंसाबल हुविरिन्द्रेश्वयौदधुः / उ.अ. // 24 // वर्षाभिनादित्यास्तोमेसप्तदशेस्तुता? // वैरूपेणवि / शौजसाहविरिन्द्रेव्वयौदधुः // 25 // शारदेनऽऋतुना / देवाएं कवित्शऋभवस्तुता // वैराजेनश्श्रियाश्श्रियहुविरिन्द्रेश्वयोद। धुः // 26 // हेमन्तेनऽऋतुना / देवास्त्रिणवेमरुतस्तुता // बले / नशक्करील्सहोहविरिन्द्रेश्वयोदधुः // 27 // शैशिरेणऽऋतुना / " देवास्त्रयस्त्रिशेमृतास्तुता? // सत्येनरेवतीक्षत्रम्हविरिन्द्रेश्वयो / 6 For Private And Personal Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhane Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir KARONICAGRICROGRECRUICROM दधुः॥ 28 // [6] होतायक्षत्॥ होतोयक्षत्समिधाग्निमिडस्प्प 3 देश्चिनेन्द्रुङ्सरखतीमुजोधूम्म्रोनगोधूमैल्कुलै पुजम्मधुश / प्पैनतेजऽइन्द्रियम्पयत्सोम परिस्रुताघुतम्मधुध्यन्त्वाज्यस्य / होतयंज // 29 // होतायक्षत्तनूनपात्सरखतीम् // होतायक्षत्त / / नूनपात्सरखतीमविर्मेपोनभैषजम्पथामधुमताभरनश्चिनेन्द्रा यवीर्य्यम्बदरैरुपुवाकाभिर्भेषजन्तोक्मभित्पयत्सोम परिस्र / / तांघृतम्मधुध्यन्त्वाज्यस्य॒होतर्यज॥३० // होतायक्षनराशा For Private And Personal Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Krishsagarsuri Gyanmandie संहि. 21 // CARRIGAKKARRAOKARN सन्न। नग्नहुम्पति सुरैयाभेषजम्मेषश्सरखतीभिषग्ग्रथोनचन्द्रय / वैश्विनौxपा ऽइन्द्रस्यवीर्युम्बदरैरुपवाकाभिर्भेषजन्तोक्मभिल्प / यस्सोम परिस्राघृतम्मधुच्यन्त्वाज्यस्युहोतयंज // 31 // हो / / तायक्षदुिडेडितः॥होतायक्षदुिडेडितऽआजुह्वानुत्सरखतीमिन्द्र / म्बलैनवर्द्धय॑न्नृषभेणगवैन्द्रियमुश्चिनेन्द्रायभेषजंय्यवैल्कुर्कन्धु | भिर्मधुलाजैनमासरम्पयत्सोमः परिस्रुताघृतम्मधुध्यन्त्वाज्य / / स्यहोतुर्यज ॥३२॥होतायक्षहर्हिरूणम्म्रदा॥ होतोयक्षद्व For Private And Personal Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir AGRAMMEGAON हिरूणम्प्रदाभिषनासत्याभिषजाश्चिनाश्चाशिशुमतीभिषग्ग्धे / नुश्सरखतीभिषग्ग्दुहऽ इन्द्रायभेषजम्पयुत्सोमः परिस्रुताघृत / म्मधुध्यन्त्वाज्यस्यहोतयंज।३३होतायक्षदुरोदिश:कवष्ष्यो नव्यचखतीरश्चिब्भ्यानदुरोदिशऽइन्द्रोनरोदसीदुघेदुहेधेनुश्सर | खत्युश्चिनेन्द्रीयभेषजशुक्रनज्योतिरिन्द्रियम्पयुत्सोमः परि / सुताघृतम्मधुच्यन्त्वाज्यस्यहोतर्यजं // 34 // होतायक्षत्सु पेशे / सोपेनन्दिवाश्चिनासमजातेसरखत्यात्विषिमिन्द्रेनौ / For Private And Personal Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 21 // HARIUSAURABAR पजश्येनोनरजसाहुदाश्रियानमासरम्पयत्सोमःपरिस्रुता तम्मधुच्यन्त्वाज्यस्यहोतयंज॥३५॥होतायक्षुदैव्याहोतारा।। है भिषजाश्चिनेन्द्रन्नजागृविदिवानन्नभैषजै? शुषहसरखतीभिष। क्रूसीसैनदुहऽइन्द्रियम्पयुत्सोम परिस्रुताघृतम्मधुच्यन्त्वाज्य: स्यहोतुर्यज॥३६॥होतोयक्षत्तिस्रोदेवी // होतोयक्षत्तिस्रो / देवीनभैषजन्त्रयस्त्रिधातवोपसौरूपमिन्द्रेहिरण्यय॑मुश्चिनेडान / / भारतीवाचासरखतीमहुऽ इन्द्रोयदुहइन्द्रियम्पयुसोम परिस्र। *39*39*39*39************* For Private And Personal Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir ***USASLARI KIRANA34064 ताघृतम्मधुच्यन्त्वाज्यस्यहोतर्यजं ॥३७॥होतायक्षत्सुरेन्स मृषभम् // होतायक्षत्सुरेतसमृषभन्नापसन्त्वष्टारमिन्द्रमश्चि / / नाभिषजन्नसरखतीमोजोनजूतिरिन्द्रियंबृकोन!भुसोभिषग्य | शुल्सुरैयाभेषजश्रियानमासरम्पयत्सोमः परिस्रुताघृतम्मधु च्यन्त्वाज्यस्यहोतयंज // 38 // होतायावनस्पति शमिता / / रैम् // होतायक्षवनस्पतिशमिता शतऋतुम्भीमन्नमुन्न्यु। राजानंध्याग्घ्रन्नमसाश्चिनाभामह सरखतीभिषगिन्द्रायदुहऽ इ म यस्यहोतयंजनमासम्पयन्सोमानरंभसोभिषयमा For Private And Personal Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shife g arsuri Gyanmandir // 7 // // 21 // न्द्रियम्पयुत्सोम परिस्राघृतम्मधुच्यन्त्वाज्यस्यहोतयंज // उ. अ. // 39 // होतायक्षदुग्निवाहा // होतायक्षदुनिखाहाज्यस्य / / स्तोकानाखाहामेदसाम्पृथक्खाहाच्छागमश्चिब्भ्याखाहा मेषसरखत्यैखाहेऽऋषभमिन्द्रायसिव्हायसहसऽइन्द्रियम्खा हाग्निर्नभैषजवाहासोममिन्द्रियहखाहेन्द्रसुत्रार्माणस वितारंवरुणम्भुिषजाम्पतिथ्खाहावनस्पतिम्प्रियम्पाथोनभैष / जखाहादेवाऽआज्यपार्जुषाणोऽ अग्निब्र्भेषजम्पयुत्सोमः // 7 // For Private And Personal Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir परिस्रुताघृतम्मधुच्यन्त्वाज्यस्यहोतयंज // 40 // [12] होता दुश्चिनौछागस्य / बुपायामेदसोजुषेताहविर्होतयंज // हो तायात्सरखतीम्मेषस्यवपायामेदसोजुषताहविर्होतयं // होतोयादिन्द्रमृषभस्यवपायामेदसोजुषताहविर्होतयं // 3 In41 // होतायक्षदुश्चिनौसरखतीम् // होतायक्षदुश्चिनौसरख / तीमिन्द्रसुत्राणिमिमेसोमाह सुरामाणश्छागैर्नमेषैषभैसु / ताशष्ष्पैनतोक्र्मभि जैर्महखन्तोमदामासरेणपरिष्कृताशा SEPARADORES D E For Private And Personal Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. // 21 // SCHOGAUCHOCHOCHOSOCORRO काश्पयखन्तोमृता प्रस्त्थितावोमधुश्चुतस्तानश्चिनासरस्वती / / न्द्र’ सुत्रामावृत्रहाजुषन्ता सोम्म्यम्मधुपिर्वन्तुमर्दन्तुच्यन्तु / होतयंज // 42 // होतायक्षदुश्चिनौछार्गस्य / हुविषऽआत्ताम: धर्मयुतोमेदुऽउद्धृतम्पुराद्वेषोभ्य पुरापौरुपेय्यागृभोघस्तान्नून / वासेऽअज्ज्राणांय्यवसप्पथमाना सुमत्राणाशतरुद्रिया / णामग्निष्ष्वात्तानाम्पीवौपवसनानाम्पार्श्वत? श्रोणित? शिताम // तउत्सादुतोङ्गादडादवत्तानाङ्करतऽएवाश्चिाजुषेताहविहीं / R For Private And Personal Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir MROSAGA945455 तर्यज॥ 43 // होतायक्षत्सरखतीम्मेषस्यहविषऽआवयदुद्ध्य / मद्युतोमेदुऽउद्धृतम्पुरावेषोऽभ्यह पुरापौरुपेय्यागुभोघसन्नूनङ्घा है। सेऽअज्ज्राणांय्यवसप्पथमानासुमक्षराणाशतरुद्रियाणाम / ग्निष्ष्वात्तानाम्पीवोपवसनानाम्पाचँत? श्रोणितः शितामतऽउ / सादुतोङ्गादणादवत्तानाङ्करदेवल्सरखतीजुपता हविर्होतयं / ज॥४४॥होतायक्षदिन्द्रमृषभस्यहविषऽआवयदुधमातोमेदुऽ उद्धृतम्पुराद्वेषोभ्य पुरापौरपेय्यागुभोघसन्नुनखासेऽ अज्जा / For Private And Personal Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. Bणांय्यवसपथमाना सुमाराणा शतरुद्रियाणामग्निष्ष्वा / त्तानाम्पीवोपवसनानाम्पार्श्वत:श्रोणित? शितामतउत्सादुतोगा / // 21 // दङ्गादवत्तानाङ्करदेवमिन्द्रौजुषताहविर्होतयं // 45 // हो / तायक्षवनस्पतिमभि / हिपिष्टतमयारभिष्ठयारशनयाधित // यत्राश्चिनो छागस्यहविष प्पियाधामानियत्रसरखत्यामुषस्य / हविष प्पियाधामानियवेन्द्रस्यऽऋषभस्यहविष: प्रियाधामा / नियत्राग्ने प्पियाधामानियत्रुसोम॑स्यप्पियाधामानियत्रेन्द्रस्यसु / For Private And Personal Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 4- SUSASUSASOAISO86 *sc त्राम्म्णप्पियाधामानियत्रसवितुप्रियाधामानियवरुणस्य प्रियाधामानियवनस्पतेतप्रियापाथासियदेवानामाज्य पानाम्प्रियाधामानियत्राग्ने)तु:प्पियाधामानितत्रैतान्प्रस्तुत्यै वोपस्तुत्यैवोपावस्राभीयसऽ इवकृत्वीकरदेवन्देवोबनस्पति र्जुषताहविर्होतयंज // 46 // होतायक्षदुनिखिष्टकृतम् // होतायक्षदग्नि खिष्टकृतमयोडग्निराश्विनो छार्गस्यहविषः प्पि याधामान्ययारेखत्यामुपस्यहविप : प्पियाधामान्ययाडिन्द्र 5 +5+4+5+5 4-4-4-4-43 For Private And Personal Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandi उ. अ. 10n // 21 // RECASSACCASILASS स्यऽऋषभस्यह विष प्रियाधामान्ययोडुग्नेप्पियाधामान्यया सोमस्यप्पियाधामान्न्ययाडिन्द्रस्यसुत्राम्म्णप्पियाधामान्या सवितु? प्पियाधामान्ययाडरुणस्यप्पियाधामान्ययाइनस्प्पते प्पियापाथास्यया ड्वेवानामाज्यपानाम्प्रियाधामानियक्षेदुग्ने) तु: प्पियाधामानियक्षत्वम्महिमानमायजतामेज्याऽइषः कृ णोतुसोऽद्धराजातवेदाजुपताहुवि)तुर्य // 47 // [7]] देवम्बर्हिसरखतीसुदेवमिन्द्रेऽअश्विना // तेजोनचक्षुरक्क्ष्योई SASARASAGAR For Private And Personal Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CAUGHISAICAOCAO6testosteochotesty हिषादधुरिन्द्रियंवसुवनवसुधेयस्यध्यन्तुयजे॥४८॥ देवीरः॥३ देवीरोऽअश्चिनाभिषजेन्द्रेसरखती // प्राणन्नवीय॑न्नसिद्वारों दधुरिन्द्रियंवसुवनेश्वसुधेयस्यध्यन्तुयज // 49 // देवीऽउषासौ // देवीऽउपासांवश्चिनांसुत्रामेन्द्रेसरखती // बलन्नवाचास्य उषा भ्यान्दधुरिन्द्रियंवसुवने वसुधेयस्यच्यन्तुयजे // 50 // देवीजो। ष्ट्री॥ देवीजोष्टीसरखत्यश्चिनेन्द्रमवर्द्धयन् ॥श्रोत्रन्नकणयोर्य्य शोजोष्ट्रीब्भ्यान्दधुरिन्द्रियव्वसुवनैवसुधेयस्यव्यन्तुयज // 51 // For Private And Personal Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandit // 21 // // 11 // SAGAAAAAAAAAAKAL देवीऽऊर्जाहुती॥देवीऽऊर्जाहुतीदुर्धेसुदुघेन्द्रेसरखत्युश्चिनाभि उ.अ. पजावतः॥शुक्रन्नज्योतिस्तनयोराहुतीधत्तऽइन्द्रियम्वसुवनेवसु / धेयस्यध्यन्तुयज॥५२॥ देवादेवानाम् // देवादेवानांम्भिषजा / / होताराविन्द्रमश्चिना // वषट्कारै”सरखतीत्विपिन्नहृदयमतिका होतृभ्यान्दधुरिन्द्रियंवसुवने वसुधेयस्यध्यन्तुयज // 53 // देवी , स्तिस्रः॥ देवीस्तिस्रस्तिस्रोदेवीरश्चिनेडासरखती // शूपन्नमये / / नाब्भ्यामिन्द्रायदधुरिन्द्रियंवसुवनैवसुधेयस्यध्यन्तुयज // 54 // // 11 // For Private And Personal Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ B Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir BUAHAHAHA ***ISRACASSA देवऽइन्द्रः // देवऽइन्द्रोनराशसस्विरूथरसरखत्याश्चिब्भ्या मीयतेरथः॥रेतोनरूपममृतञ्जनित्रमिन्द्रीयुत्वष्टादधदिन्द्रिया / हणिवसुवनैवसुधेयस्यध्यन्तुयज॥५५॥देवोदेवैः // देवोर्दुवैवनस्प्प / तिर्हिरण्यपर्णोऽअश्विब्भ्यासरखत्यासुपिप्पलऽइन्द्रायपच्य तेमधु / ओजोनजूतिऽऋषभोनभामुंबनस्पतिर्नोदधदिन्द्रिया णिवसुवनेवसुधेयस्यव्यन्तुयज // 56 // देवम्बर्हिः॥ देवम्बहिर्वा रितीनामछरेस्तीर्णमुश्विभ्यामूर्णंम्म्रदात्सरखत्यास्योनमि For Private And Personal Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kaishsagarsuri Gyanmandit संहि. उ.अ. // 12 // // 21 // HOAXHOSAISOSTOGOS न्द्रितेसदः // ईशायैमुन्युटराजानम्बर्हिषादधुरिन्द्रियंव्वसुवनैव / / सुधेयस्यध्यन्तुयजे // 57 // देवोऽअग्निखिष्टुकद्देवान्यक्षद्यथा / " यथ होताराविन्द्रमुश्चिनावाचाबाच सरखतीमग्नि सोम खिष्टकृत्खिष्टुऽइन्द्रःसुत्रामासवितावरुणोभिषगिष्टोदेवोवनस्प्प / तिस्विष्टादेवाऽआज्यपाखिष्टोऽअग्निरग्निनाहोताहोत्रेखिष्टक 3 यशोनदधदिन्द्रियमूर्जमपंचितिस्वधांवसुवनेवसुधेयस्यध्यन्तु / यज॥५८॥ अग्निमुद्यहोतारमवृणीतायंय्यजमानुपचन्न्पती / / // 12 // For Private And Personal Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir Popustentorto r पचन्पुरोडाशान्बुध्नन्नश्चिब्भ्याञ्छागल्सरखत्यैमेषमिन्द्रायऽ ऋषभ सुन्वन्नुश्विब्भ्यासरखत्याऽइन्द्रायसुत्राम्म्णेसुरासोमा / न्सूपुस्त्थाऽअद्य // 59 // सूपस्त्थाऽअद्यदेवोवनस्पतिरभवदु श्चिब्भ्याञ्छागैनुसरखत्यमेषेणेन्द्रायऽऋषभेणाऑस्तान्मैदस्तः / प्रतिपचताऍभीषतावीवृधन्तपुरोडाशैरपुरश्चिनासरस्वतीन्द्र सुत्रामासुरासोमांस्त्वामुद्य // 60 // त्वामद्यऽऋषऽआर्षेय ऋषी / णान्नपादवृणीतायंय्यज॑मानोबहुब्भ्यऽ आसङ्गतेब्भ्याएष देवे / / For Private And Personal Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ.अ. // 22 // CRACKASHAN षुवसुबाOयक्ष्यत इतितायादेवादेवदानान्न्यदुस्तान्न्यस्म्माऽ आचशाखा गुरखेपितञ्चहोतरसिभठ्ठवाच्यायुप्रेषितोमानुपा सूक्तवाकार्यसूक्ता हि // 61 // इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांएक विंशोऽध्यायः // 21 // श्रीवेदपुरुषायनमः // अनुवाकसूत्रम् तेजोसिपंचाग्नयएकाहिंकारायद्वेतत्सवितुर्दशविभूर्मात्रैकाकाय द्वेआब्रस्त्रयोदशशेषादेकैकोनविशतिच्चतुस्त्रिशत् // हरिः। // 13 // तेजोसिशुक्रममृतमायुष्प्पाऽआयुर्मेपाहिं // देवस्यत्वासवि : For Private And Personal Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SCALCACACCORK तुप्पसवेऽश्चिनोर्बाहुब्भ्याम्पुष्ष्णोहस्ताब्भ्यामादंदे // 1 // इमा | मगृभ्णन् / इमामगृभ्णन्त्रशुनामृतस्यपूर्व आयुषिविदथेषुक / च्या // सानोऽअस्म्मिन्त्सुतऽआबभूवऽऋतस्यसामन्त्सरमारप न्ती // 2 // अभिधाऽसि // अभिधाऽअसिभुवनमसियन्तासि / धर्ती ॥सत्वमग्निवैश्वानरसप्पथसङ्गच्छखाहाकृतः॥ 3 // स्व / गात्वा / देवेभ्य:प्प्रजापतयेवमुन्नश्वम्भन्त्स्यामिदेवेभ्य:प्प जापतयेतेनराड्यासम्॥ तम्बंधानदेवेभ्यःप्रजापतयेतेनराध्नु For Private And Personal C Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ.अ. // 14 // // 22 // हि॥४॥प्रजापतयेत्वा॥प्रजापतयेत्वाजुष्टम्प्रोक्षामीन्द्राग्निब्भ्यो / न्वाजुष्टम्प्रोक्षामिवायवैत्वाजुष्टुम्पोक्षामिविश्चैब्भ्यस्त्वादेवे / भ्योजुष्टम्प्रोक्षामिसबैभ्यस्त्वादेवेभ्योजुष्टम्प्रोक्षामि॥ योऽअ वन्तञ्जिघासतितमब्भ्यमीतिबरुणल्परोमतःपुरश्चा // 5 // [5] अग्नयेखाहो // अग्नयेखाहासोमायस्वाहापाम्मोदायखाहो सवित्रेखाहाब्वायवेवाहाविष्णवेखाहेन्द्रायखाहाबृहस्पतये // 14 // स्वाहामित्रायखाहावरुणायुखाहा॥६॥[१] हिङ्करायुखाहो // For Private And Personal Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir LACHIAUGHORASHASSAGEEG हिङ्कुरायुखाहाहिङ्कृतायुखाहाक्रन्दतेखाहावऋन्दायुखाहाप्पो थतेखाहाप्रपोथायुखाहागन्धायुखाहाग्घ्रातायखाहानिविष्टा यखाहोपविष्टायखाहासन्दितायखाहाबल्गतेखाहासीनायुखा हाशयांनायुखाहाखपतेखाहाजाग्य़तेखाहाकूजतेखाहाप्पबुद्धा यस्वाहाविज्रम्भमाणायस्वाहाबित्तायस्वाहासम्हानायुस्वा | होपस्त्थितायस्वाहायनायस्वाहामायणायस्वाहा // 7 // यते / / स्वाहा // युतेस्वाहाधावत॒स्वाहोंठ्ठावाय॒स्वाहोर्युतायस्वाहाशूका For Private And Personal Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAMRAGAR संहि रायुस्वाहाशूकताय॒स्वाहानिषण्णायुस्वाहोत्थितायुस्वाहाजवाया | उ. अ. // 15 // स्वाहाबलायस्वाविवर्तमानाय॒स्वाहाविवृत्तायुस्वाहाविधूच्या 22 // नायुस्वाहाविधूतायुस्वाहाशुश्रूषमाणायस्वाहाशृण्वतेस्वाहेक्ष / माणायस्वाहेक्षितायस्वाहाबीक्षितायुस्वाहानिमेषायस्वाहायद त्तितस्म्मैखाहायत्पितितसम्मैखाहायन्मूत्रथैरोतितम्मैखाहाँ / कुर्वतेस्वाहाकृतायस्वाहा॥८॥[२]तत्सवितुः // तत्सवितुर्वरेण्य ... म्भग्र्गोदेवस्य॑धीमहि // धियोयोन: प्रचोदयात् // 9 // हिर॑ण्ण्यं / / H // 15 // 4543+ For Private And Personal Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir AAAAAAAX ...... जयामह / गायिधातृभिर्होतायजि / ष्ठाऽअद्धरेष्वीड्य ॥यममवानोभृगवोविरुरुचुर्वनैपुचित्रंश्विभ्वं / विशेविशे॥१५॥अस्यप्प्रत्नाम् // अस्,प्रत्नामनुद्युत शुक्र न्दुदुन्हेऽअन्हयतापर्यः सहस्रसामृपिम्॥१६॥ तनूपाऽअग्नोसित / न्वम्मेपाह्यायुर्दाऽअग्नेस्यायुम्र्मेदेहिबर्बोदाऽअग्नेसिबोंमेदेहि / // अग्नेयन्मैतन्वाऽऊनन्तन्मऽआपण ॥१७॥इन्धानास्त्वा। शत हिमाद्युमन्तठसमिधीमहि॥वयस्वन्तोवयस्कृतसहस्वन्त For Private And Personal Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandit सहि . पू.अ. // 16 // // 3 // 21561561562562-56056 सहस्कृतम् // अग्नेसपत्नदम्भनुमदब्धासोऽअदाब्भ्यम् // चित्री | वसोस्वस्तितेपारमशीय॥१८॥ सन्त्वम्.॥ सन्त्वमग्नेसूय॑स्य / वर्चसागथासमृषीणास्तुतेनं // सम्मियेणुधाम्नासमहमायु / / पासंवर्चसासम्प्र॒जयासहरायस्प्पोषणग्मिपीय // 19 // अन्ध है। स्त्थ // अन्धस्त्थान्धौवोभक्षीयमहस्थग्रहोवोभक्षीयोर्जुस्त्थो / / जबोभक्षीयरायस्प्पोपस्त्थरायस्प्पोषोभक्षीय // 20 // रेवती / / शाहमस्म्मिन्योनावरिन्मन्नगोष्तुस्म्मिल्लोकेस्म्मि / / For Private And Personal Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मान्पुष्टिवर्द्धन // अग्नेपुरी याभिद्युम्नमभिर // 40 // [4] गृहामा। बिभीतमावैपद्धमूर्जम्बिका जम्बिभ्रवसुमनाह सुमेधागृहानैमिमनसामो येषामद्धयेति। प्रवसन्न्येपुसौमनसोबहुः ॥गृहानुपर जानन्तुजानतः॥४२॥ उपहूताऽइह / गावऽउपहू यः॥ अथोऽअन्नस्यकीलालऽउपहूतोगृहेपुन // लेमा न्त्यैप्रपद्येशिवशुग्म शंथ्योश्शुय्योः // 43 // [3] प्रघा. For Private And Personal Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. हवामहे ।मुरुतचरिशादसा ॥करम्भेणसजोषसह // 44 / ड्रामे ॥यबामेयदरण्येयत्सभायांय्यदिन्द्रिये // यदेनश्च यमिदन्तदवयजामहेखाहा // 45 // मोपूर्ण’ ॥मो' पृत्सुदेवैरस्तिहिष्म्मातेशुष्म्मिन्नवुया॥महश्चिद्य ध्याहुविष्म्मतोमरुतोवन्दतेगी // 46 // अन्न सहवाचार्मयोभुवा // देवेभ्यत्कर्मकृत्त्वास्त. En47 // अवभृथनिचुम्पुण।नि चेरुरंसिनिचुम्पुणः For Private And Personal Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir युत्साविश्वकर्मासाविश्वधाया // इन्द्रस्यत्त्वाभागसोमे | नातनच्मिविष्ण्णोहव्य-रक्ष // 4 // [3] अग्नेबतपते। तञ्चरि / प्ष्यामितच्छकेयन्तन्मेराद्धयताम् // इदमहमनृतात्सत्यमुपैमि / / * // 5 // कस्त्वा / युनक्तिसत्त्वायुनक्तिकस्म्मैत्वायुनक्तितस्म्मैत्वा / युनक्ति // कर्मणेवांवपायवाम् ॥६॥प्रत्युष्टरक्षः // प्रत्युष्ट / * रक्षप्रत्युष्टाऽअरातयोनिष्टेप्सहरक्षोनिष्टुप्ताऽअरातय: // छन्तरिक्षमन्वेमि // 7 // धूरसि / धूर्वव॑न्तंधूवतंय्योम्मान्धूर्व / For Private And Personal Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पृ. अ. AAMALAM तितंर्ध्वयंवयन्धूर्वाम // देवानामसिबहितमुत्सनितमम्पप्रित मञ्जुष्टतमन्देवहूतमम् // 8 // अन्हुतमसि / हविर्द्धानन्दृम्हस्वमा " ह्वातैियज्ञपतिीित्॥ विष्ष्णुस्त्वाक्रमतामुरुवातायाफ्हतः रक्षोयच्छन्ताम्पञ्च॥९॥देवस्यत्वा।सवितुरप्पसवेश्चिनोर्बाहुभ्यो पुष्ष्णोहस्ताब्भ्याम् // अग्नयेजुष्ट्रगृह्णाम्युग्नीषोमाभ्याञ्जुष्टङ्ग / हामि॥१०॥भूताय॑त्वा // भूतायत्वानारातयेस्वरभिविख्येपन्द हन्तान्दुप्रिथिव्यामुव॒न्तरिक्षमन्वैमिपृथिव्यास्त्वानाभौं / AKASCIRSCIRCISAXASARAKASA // 2 // For Private And Personal Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सादयाम्म्यदित्याऽउपस्त्थेग्नै नहरक्ष॥११॥[७]पवित्रस्थाई पवित्रैस्त्थोवैष्ष्णच्यौसवितुर्व-प्प्रसवऽउत्पुनाम्म्यच्छिद्रेणपवित्रे / / णसूय॑स्यरश्म्मिभिः // देवीरापोऽअग्ग्रेगुवोऽअग्ग्रेपुवोग्ग्रेऽइ / ममद्ययज्ञन्नयताग्ग्रेयज्ञपतिहसुगनेय्यज्ञपतिन्देवयुवम् // 12 // माऽइन्द्रः॥ युष्म्माऽइन्द्रोथ तिवृत्रतूयैयुयमिन्द्रमवृणी , तूर्येप्प्रोक्षितास्त्थ // अग्नयैत्त्वाजुष्टुम्म्प्रोक्षाम्म्युग्नीषो भ्यान्त्वाजुष्टम्प्रोक्षामि // दैघ्यायकर्मणेशुंधद्धन्देवयज्ज्या For Private And Personal Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir . न. 5ARRC शुद्धात्पराजुम्भुरिदंव्वस्तच्छुन्धामि // 13 // [2] शम्मा / // शर्मास्यवधूतहरक्षोवधूताऽअरौतयोदित्यास्त्वर्गसिप्रति / दितिर्वेत्तु॥अद्रिरसिव्वानस्प्पत्य गवासिपृथुबुध्नपतित्वादि। त्यास्त्वग्ग्वेत्तु॥१४॥ अग्नेस्तनू? .. अग्नेस्तनूरसिव्वाचोविसर्जन / / न्देवीतयेत्वागृह्णामिबृहवासिवानस्प्पत्त्यश्सऽइदन्दुवेभ्यो / हविश्शमीष्ष्वसुशमिशमीष्व॥ हविष्कृदहिहविष्कृदेहि॥१५॥ कुक्कुटोसि // कुक्कुटोसिमधुजिह पमूर्जमावदुत्वयोव्वयम्सङ्घात | // 3 // For Private And Personal Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CROCOMC-19-5 सङ्घातञ्जेष्म्मवर्षवृद्धमसिप्पतित्वावर्षवृद्धव्वेत्तुपरापूतहराउंप रापूताऽअरातयोपहत रक्षौव्वायुविविनक्तुदेवावः सविताहिर / ण्यपाणिप्प्रतिगृभ्णात्वच्छिद्रेणपाणिना // 16 // [3] वृष्टिरसि॥ ष्ट्रिरस्याग्नेऽअग्निमामादजहिनिष्कृच्यादसेधादेवयजेबह॥ ध्रुवमंसिपृथिवीन्द्र हब्रह्मवनित 'जातवन्युपंदधामि / भ्रातृध्यस्यवधाय॥१७॥अग्नेबह ष्ष्वधरुणमस्यन्तरि / / क्षन्हबमवनित्त्वाक्षत्रवनिर मिभ्रातृध्यस्य -04-04-4 For Private And Personal Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. प्र.अ. CAMERAMASALAM वधायधिव॑मंसिदिवेन्दृष्हबर, .नैसजातवन्युपद धामिभ्रातृभ्यस्यव्वधाय॥ विश्वा (भ्युऽउपदधामिचि है। इतस्त्थोर्द्धचितोभृगूणामङ्गिरसान्त द्वम्॥१८॥[२]शम सि // शर्मास्यवधूतहरक्षोवधूताऽअरौतयोदित्यास्त्वर्गसिप्पति त्वादितिर्वेत्तु // धिषणासिपतीप्पतित्वादित्यास्त्वग्ग्वैत्तुदिव म्भनीरसिधिषणासिपावतेयी प्रतित्वापळतीवेत्तुधान्यमसि॥१९ धान्यमसि। धिनुहिदेवान्प्राणायत्त्वोदानाय॑त्वाध्यानायत्वा HAUCAUSANSACRECACANCER For Private And Personal Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shy Klasagarsuri Gyanmandit दीग्र्घामनुप्रसितिमायुपेधान्देवोव सविताहिरण्यपााणहप्पति | 'गृभ्णात्वच्छिद्रेणपाणिनाचक्षुषेत्वामहीनाम्पयोसि // 20 // [3] 3 देवस्यत्वा / सवितुप्पसवेश्चिनौर्बाहुब्भ्याम्पूष्ण्णोहस्ताब्भ्याम्॥ संबंपामिसमापुऽओषधीभिल्समोषधयोरसैन // स रेवतीर्जग तीभिपच्यन्तासम्मधुमतीमधुमतीभिपृच्च्यन्ताम् // 21 // जनयत्यैत्त्वा // जनयत्त्यैत्त्वासंय्यौमीदमुग्नेरिदमुग्नीपोमयो है रिपेत्वाघम्मोसिव्विश्वायुरुरुप्पथाऽरुप्पथस्वोरुतैयज्ञप॑तिहप्पथ NAARAASHARRAIANS For Private And Personal Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir www.kcbatrth.org पू.अ. तामग्निष्ोत्त्वचम्माहिहसीडेवस्त्वासविताश्रपयतुवर्षिष्ठेधिनाकै / // 22 // माभै // माभासंबिक्थाऽअतमेरुर्यज्ञोतमेरुयं / // 1 // जमानस्य प्रजाभूयात्रितायत्वावितायत्वैकुतायत्वा // 23 // [3] देवस्यत्वा। सवितु प्रसवेश्विनौर्बाहुब्भ्याम्पूष्ष्णोहस्ताभ्याम् / / आददेद्धरकृतन्देवेभ्यऽइन्द्रस्यबाहुरसिदक्षिणसहस्रभृष्टिश ततेजावायुरसितिग्मतेजाविपतोब्बुधः // 24 // पृथिविदेवय // 5 // जनि // पृथिविदेवयजन्योपद्धयास्तेमूलम्माहि सिपंजङ्गच्छ For Private And Personal Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandir गोष्ठानवर्षतुतेद्यौर्बधानदेवसवितत्परमस्याम्पृथिच्याशतेनुपा शैर्योस्स्मान्द्वेष्टियञ्चव्यन्द्रुिष्म्मस्तमतोमामौक् // 25 // अपा हररुम् // अपाररुम्पृथिव्यैदेवयजनावद्यासंबुजङ्गच्छगोष्ठानवर्षतु तेद्यौर्बधानदेवसवितत्परमस्याम्पृथिच्याशतेनुपाशैोस्म्मा 3 न्द्वेष्टियञ्चवयन्द्विष्म्मस्तमतोमामौक्॥अररोदिव्वम्मापप्तोट्ठप्प्स स्तेद्याम्मास्कन्द्रजङ्गच्छगोष्ठानवर्षतुतेद्यौर्बधानदेवसवितत्परम स्याम्पृथिच्याशतेनुपाशैयोसम्मान्द्वेष्टि यञ्चव्यन्द्रुिष्म्मस्तम / For Private And Personal Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir ******-***** तोमामौक् // 26 // गायत्रेणत्वा // गायत्रेणत्वाच्छन्दसापरिग / पू. अ. हामित्रैष्टुभेनत्वाच्छन्दसापरिगृह्णामिजागतेनत्वाच्छन्दसापरि / // 1 // गृह्णामि // सुक्ष्म्माचासिशिवाचासिस्योनाचासिसुपदाचास्यूर्ज है। खतीचासिपयखतीच॥२७॥पुराङ्करस्य।विसृपौविरप्पिशन्नुदादा है। यपृथिवीजीवदानुम् ॥यामैरयश्चन्द्रमसिस्वधामिस्तामुधीरासोऽहै। अनुदिश्ययजन्ते॥प्रोक्षणीरासादयविषुतोवधोसि॥२८॥[५]प्र॥ त्युष्टुरक्ष’ // प्रत्युष्टुरक्षप्रत्युष्टाअरातयोनिष्टैप्सुरलोनिष्ट * * ** For Private And Personal Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairthorg www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir हप्ताअरातयः // अनिशितोसिसपत्नक्षिद्वाजिनेन्त्वाबाजेद्धयायै सम्मामि // प्रत्युष्टुरक्षल्प्प्रत्त्युष्टाऽअरातयोनिष्टृप्तरक्षोनिष्ट प्तिाऽअरातयः // अनिशितासिसपत्नक्षिद्धाजिनीन्त्वाबाजेद्धया यैसम्मामि // 29 // अदित्यैराना / सिविष्णोर्बुष्प्पोस्यूर्जे / त्वादब्धेनत्वाचक्षुषावपश्यामि // अग्नेर्जिह्वासिसुहूढेवेभ्योधा / म्नेधाम्नेमेभवयर्जुषेयजुपे ॥३०॥सुवितुस्त्वा / प्रसुवऽउत्पुना / म्यच्छिद्रेणपवित्रेणसूर्य्यस्यरश्म्मिभिः॥सवितुर्व:प्प्रसवऽउत्यु For Private And Personal Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. // 7 // // 2 // नाम्म्यच्छिद्रेणपवित्रेणसूर्यस्यरश्मिभिः // तेजोसिशुक्रमस्य मृतमसिधामनामासिप्पियन्देवानामनाधृष्टुन्देवयजनमसि // // 31 // [3] इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांप्रथमोऽध्यायः॥१॥३] श्रीवेदपुरुषाय नमः // अनुवाकसूत्रम् // कृष्णोसिषड, नेवाज / जित्तिस्रो, मयीद, मग्नीपोमयोःपंचका, वग्नेदब्धायोचतस्रः, संवर्चसापंचा, नयेकव्यवाहनायषट्, सप्तचतुस्त्रिशत् // हरिः / ॐ कृष्णोसि // कृष्णौस्याखरेष्ठोग्नयत्वाजुष्टुम्प्रोक्षामिवेदिर For Private And Personal Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सिबर्हित्वाजु C ANCERS अदित्युष्योभपतयेखा सिर्हिषेत्वाजुष्टुम्प्रोक्षामिबर्हिरसिझुग्ग्डभ्यस्त्वाजुष्टुम्प्रोक्षाम्म्य / दित्यैच्युन्दनम् // 1 // अदित्यच्युन्दनमसिविष्णोस्तुपोस्यूर्णम्म्र / / दसन्त्वास्तृणामिखासुस्त्थान्देवेभ्योभूपतयेखाहाभुवनपतये | खाहाभूतानाम्पतयेखाहा // 2 // गन्धर्वस्त्वा / विश्वावसुल्परि * दधातुविश्वस्यारिष्ट्येयजमानस्यपरिधिरस्य॒ग्निरिडऽईडित // इ. न्द्रिस्यबारसिदक्षिणोविश्वस्यारिट्वेयजमानस्यपरिधिरस्य॒ग्निरि / डऽईडित? // मित्रावरुणोत्त्वोत्तरतश्परिधत्तान्ध्रुवेणुधम्मणावि सुपरि। For Private And Personal Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पृ. अ. संहि. श्वस्यारिष्ट्रयैयजमानस्यपरिधिरस्य॒ग्निरिडईडितः ॥३॥वीति / / होत्रन्त्वा / कवेद्युमन्त समिधीमहि // अग्नेबुहन्तमद्धरे॥४॥ // 2 // / समिदसि॥सुमिदसिसूर्यस्त्वापुरस्तात्पातुकस्याश्चिदभिशस्त्यै // सवितुर्बाहूस्त्थुऽऊर्णम्म्रदसन्त्वास्तृणामिखासस्थन्देवेभ्य आ है त्वावसवोरुद्राऽआदित्यासदन्तु // 5 // घृताच्यसि / जुहूर्ना | म्नासेदम्पियेणधाम्नाप्पियन्सदुऽआसीदघृताच्यस्युपभृन्नाम्ना // सेदम्पियेणधाम्नाप्पियन्सदुऽआसीदघृताच्यसिडुवानाम्नासेद TERRECORMALA * For Private And Personal Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir AAMANARDASCCCC प्रियेणधाम्नाप्रिय सदुऽआसीदप्रियेणधाम्नाप्रिय सदुऽआ सीद // ध्रुवाऽअसदन्नृतस्युयोनौताविष्ष्णोपाहिपाहियज्ञम्पा हियज्ञपतिपाहिमांय्यजन्न्यम् // 6 // [6] अग्नेवाजजित् // अ ग्वाजजिहाजन्त्वासरिष्यन्तंबाजजित सम्मार्जिम्म // नमोडे वेभ्य: स्वधापितृब्भ्य:सुयमैमेभूयास्तमस्कन्नमद्य // 7 // अ स्कन्नमा / देवेभ्युऽआज्यसम्ध्रियासमनिणाविष्ष्णोमात्वाव है। ऋमिपंवसुमतीमग्रनेतेच्छायामुपस्त्थेविष्ष्णोस्त्थानमसीतऽइ 12-RTICICIACALIGADCASONICAIGANA For Private And Personal Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. 394 // 2 // न्द्रोविर्य्यमकृणोदृोहरऽआस्त्यात् // 8 // अग्ग्नेवे // अग्ग्ने / बर्होत्रंबे त्युमतान्त्वान्द्यावापृथिवीऽअवत्वन्द्यावापृथिवीखिष्ट कद्देवेभ्यऽइन्द्रऽआज्यैनहुविषाभूत्स्वाहासज्योतिषाज्योतिः // 9 // [3] मयीदम् // मयीदमिन्द्रेऽइन्द्रियन्दधात्वस्मा / बायोमघवानल्सचन्ताम् // अस्माकै सन्त्वाशिष:सत्यान:स : न्त्वाशिषऽउपहूतापृथिवीमातोपुमाम्पृथिवीमाताह्वयतामग्रिन || // 9 // राग्नीद्वात्खाहो // 10 // उपहूतोद्यौः // उपहूतोद्यौष्प्पुितोप / For Private And Personal Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarri Gyan ang COMLOCALCOME क्षये // इहैवस्तुमापंगात् // 21 // सहितासि ।विश्वरूप्यूर्जा' माविशगौपत्त्येन // उपत्त्वाग्नेदिवेदिवेदोषावस्तर्द्धियावयम्' मोभरन्तु एमसि // 22 // राजन्तमद्धराणाङ्गोपामृतर विम् // बर्द्धमान खेदमे // 23 // सनः // सन:पि सूपायनोभव // सचखानस्वस्तये॥२४॥अग्नत्त्व नोअन्तमऽउतत्राताशिवोभवावरूत्थ्यः॥वर च्छानक्षिधुमत्तमहर यिन्दाडं // 25 // त For Private And Personal Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandie // 17 // संहिः / दीदिवऽसुम्नायनूनमीमहेसखिभ्यऽ // रुष्प्याणोऽअघायतसमम्मात् // 26 // इ९ दितऽएहिकाम्म्याऽएत॥मयिवऽकामधरणम्भूया सोमानखरणम् / कृणुहिब्रह्मणस्प्पते // कुक्षीवन्तं जय॥२८॥योरेवान्॥योरेवान्योऽअमीवहावसुवित्पुष्टिव सन सिषक्तुयस्तुर॥२९॥मान॥मानुशहसोऽअररुपोकू प्पणमय॑स्य // रक्षाणोबरह्मणस्प्पते॥३०॥ महिंत्रीणाम्॥माह For Private And Personal Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandit PROGRAMAS ARASAA*9 तरञ्चप्प्रयंत्स्वः॥६॥ अन्तश्चरति ।रोचनास्यप्पाणादपानती है ॥ध्यक्ख्यन्महिषोदिक्म्॥७॥ त्रिशद्धाम // त्रिशद्धामविराज / / तिवापतङ्गायधीयते॥प्रतिवस्तोरहद्युभिः॥८॥[४]अग्निज्यो / तिः // अग्निज्योतिज्योतिरग्निश्वाहासूर्योज्योतिज्योति / सूर्युल्स्वाहा // अग्निवर्होज्योतिर्वर्चुलस्वाहासूर्योबहॊज्योति / / वर्चस्वाहा // ज्योतिसूर्यसूर्योज्योतित्स्वाहा // 9 // सर्दै / न।सवित्रासजूरात्र्येन्द्रवत्या॥ जुपाणोऽअग्निवॆतुस्वाहा।सजू / / For Private And Personal Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 15 // 3 // / हेवेनसवित्रासजूरुषसेन्द्रवत्या॥जुषाणमूर्योवेत्तुस्वाहा // 10 // पू.अ. EI[२]उपप्प्रयन्तोऽअङ्करम्॥ उपप्प्रयन्तोऽअद्धरम्मन्बोचेमागये। आरेऽअस्म्मेचशृण्वते॥११॥ अग्निर्मुर्दा / दिवश्ककुत्पतिः पृथि / घ्याऽअयम्॥अपारेतासिजिन्वति॥१२॥उभावाम्॥उभावा / मिन्द्राग्नीऽआवद्धयोऽउभाराधसत्सहमादयधै // उभादातारा / विषारयीणामुभावाजस्यसातयेहुवेवाम्॥१३॥अयन्तै॥अयन्ते / / योनिर्ऋत्वियोयतोजातोऽअरोचथा॥तञ्जानन्नग्न आरोहाथानो // 15 // For Private And Personal Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kishsagarsuri Gyanmandit पाणिमुतये / सवितारमुपह्वये // सचेत्तौदेवापदम् // 10 // देव / / इस्युचेततः // देवस्युचेततोमहीम्प्रसवितुर्हवामहे॥ सुमति सत्य राधसम् // 11 // सुष्टुतिसुमतीवृधः // सुष्टुतिसुमतीवृधौरा / ति-सवितुरीमहे // प्रदेवाय॑मतीविदे // 12 // रातिसत्प॑तिम्॥ राति सत्पतिम्महेसवितारमुपच्हये ॥आसवन्देववीतये॥१३॥ देवस्यसवितुः // देवस्यसवितुर्मतिमासवंविश्वदेव्यम् // धियाभ गम्मनामहे // 14 // अग्निस्तोमैन / बोधयसमिधानोऽअमर्त्य / / CACANCAMCALCACANC I ESCRE For Private And Personal Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 22 // संहि. म् // हुच्यादेवेनोदधत्॥१५॥ सहव्यवाट् // सहच्युवाडमर्त्य उ. अ. // 16 // उशिग्दूतश्चनौहित॥ अग्निर्दियासमृण्वति॥१६॥ अग्निन्दा तम्पुरोदधेहव्यवाहमुप॑ब्रुवे // देवाँरआसादयादुिह॥१७॥अजी जनोहिपर्वमानसूर्यविधारेशमनापर्यः॥गोजीरयारन्हमाणः / पुरन्ध्या // 18 // [9] विभूमांत्रा। प्प्प्रभूपत्राश्चौसिहयोस्य त्यौसिमयोस्यासिसप्तिरसिव्वाज्यसिबृपासिनमणोऽअसि॥ययु / / हर्नामासिशिशु मास्यादित्यानाम्पत्वान्विहिदेवोऽआशापाला AAGREGAGAGANGANAGAR For Private And Personal Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ACADCAKASGANISARGAMGAGACANC sएतन्देवेभ्योश्चम्मेधायुप्पोक्षितरिक्षतेहरन्तिरिहरमतामिहर तिरिहस्वतित्स्वाहा॥१९[२]कायस्वाहाकायस्वाहाकस्म्मै / / स्वाहाकतुमसम्मैस्वाहास्वाहाधिमाधीतायस्वाहामन:प्रजापत / येखााचित्तविज्ञातायादित्यैखाहादित्यमयैस्वाहादित्यैसुमृडी / कायैखाहासरखत्यैखाहासरखत्यैपावकायैखाहासरखत्यैबृह त्यैखाहापुष्ष्णेखाापूष्णेप्प्रपथ्यायखाहापूष्णेनरन्धिपायखा हात्वष्टेखाहात्वष्ट्रेतुरीपायुखाहत्वष्ट्रपुरुरूपायखाहाविष्णवेखा है। For Private And Personal Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 17 // 22 // हाविष्णवेनिभूयपायस्वाहाविष्णवेशिपिविष्टायस्वाहा // 20 // विश्वौदेवस्य। नेतुर्मत्तौबुरीतसख्यम्॥ विश्चौरायऽइपुयतिद्युम्नं 3 वृणीतपुष्ष्यसेवाहा // 21 // [1] आबहमन् // आबहमन्बाहम / णोबमवर्चसीजायतामाराष्ट्रराजन्युहशूरऽइषच्योतिघ्याधीम। हारथोजायतान्दोग्ध्रीधेनुर्बोढानडानाशु सप्तित्पुरन्धिर्योषा: जिष्ष्णूरथेष्ठाश्सभेयोयुवास्ययजमानस्यवीरोजायतानिकामनि // 17 // कामेनपर्जन्यौवर्षतुफलवत्योनऽओषधयत्पच्यन्तांय्योगक्षेमो 3 For Private And Personal Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shikashangprsuri Gyanmandit PHICSPRAAKSAAMOCHO*SKOG न कल्प्पताम् // 22 // [1] प्राणायुखाहा / पानायखाहाच्या नायुवाहाचक्षुषेखाहाश्रोत्रायखाहाबाचेखाहामनसेखाहा // // 23 // [1] प्राच्यदिशे। वाहाच्यदिशेखाहादक्षिणायैदि / शेखाहार्वाच्यैदिशेखाहोप्प्रतीच्यदिशेस्वाहार्बाच्यदिशेस्वाहो | दीच्यैदिशेस्वाहार्वाच्यदिशेस्वाहोर्डायैदिशेस्वाहार्बाच्यदिशे है स्वाहावाच्यैदिशेस्वाहार्वाच्यदिशेस्वाहा // 24 // [1] अयश्स्वा | हावाद्यश्खाहोदुकायखाहातिष्ठन्तीब्भ्यत्स्वाहास्रवन्तीब्भ्यः For Private And Personal Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. Sunter // 18 // // 22 // स्वाहास्यन्दमानाब्भ्यत्स्वाहाकुप्प्याब्भ्यत्स्वाहासूद्याब्भ्यस्खा हाधाऱ्यांब्भ्यत्स्वाहाणवायस्वाहासमुद्रायस्वाहासरिरायुस्वा हो // 25 // [1] वातायुस्वाहा / धूमायस्वाहाब्भ्रायस्वाहामेघा यस्वाहाविद्योतमानायस्वाहास्तुनयतेस्वाहावस्फूर्जतेस्वाहावर्ष तेस्वाहाववतुस्वाहोग्वषतेस्वाहाशीग्ध्रुवर्षतेस्वाहौगृह्नतेस्वा होगृहीतायुस्वाहाप्पुष्ष्णतेस्वाहाशीकायतेस्वाहाप्पुष्ष्पाब्भ्य 15 // 18 // स्वाहाहादुनीभ्यत्स्वाहानीहारायस्वाहा // 26 // [1 For Private And Personal Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir tontonRRORROHONAN स्वाहा // अग्नयेस्वाहासोमायुस्वाहेन्द्रीयस्वाहापृथिव्यैस्वाहान्त / / रिक्षायस्वाहादिवेस्वाहादिग्भ्यश्स्वाहाशाब्भ्यस्वाहोयदिशे / स्वाहार्वाच्यदिशेस्वाहा // 27 // [1] नक्षत्रेभ्यस्वाहा // नक्ष त्रियभ्युस्खाहाहोरात्रेभ्यस्खाहार्द्धमासेऽभ्यु स्वाहामासैब्भ्यः / खाहेऽऋतुब्भ्यस्खाहार्तुवेब्भ्यस्खाहासंवत्सरायखाहाद्यावापृथि / वीब्भ्याखाहाचन्द्रायखाहासूख्यखाहारश्म्मिब्भ्य स्वाहा वसुब्भ्यस्खाहारुद्रेब्भ्यस्खाहादित्येभ्यस्खाहामुरुध खाहाबि / For Private And Personal Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. // 19 // // 22 // __संहि. श्वेभ्योदेवेभ्यस्खाहामूलैब्भ्यस्वाहाशाखाब्भ्यत्स्वाहावन स्पतिब्भ्युह वाहापुष्ष्पेभ्युह वाहाफलैब्भ्य: खाहौषधीभ्यता खाहो // 28 // [1] शतम् 1300 पृथिव्यैखाहो // पृथिव्यैखा / हान्तरिक्षायखाहादिवेखाहासूझ्यवाहाचन्द्रायखाहानक्षत्रे, ब्भ्यस्वाहाद्यवाहौषधीभ्य खाहाबनस्पतिब्भ्य खाहापरि / प्लवेभ्यस्खाहाचराचुरेब्भ्यस्खाहासरीसृपेभ्यस्खाहो // 29 // // 19 // MALA] असंवेखाहो // असंवेखाहावसंवेखाहाविभुवेखाहाविवख। +ECAUSLA5636934530 For Private And Personal Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir COCACACANCSCRECAC+ तेखाागणश्श्रियेखाहागणपतयेखाहाभिभुवेखाहाधिपतयेखा हाशूषायुखाहास सर्पायुखाहाचन्द्रायुखाहाज्योतिषेखाहाम / लिम्म्लुचायखाहादिवापतयतेखाहो // 30 // [1] मधवेखाह॥ मधवेखाहामाधवायुखाहाशुक्रायुवाहाशुचयेखाहानभसेखा है होनभस्यायुखाहेषायुखाहोर्जायुखाहासहसेखाहासहस्यायुखाई हातपसेखाहातपस्यायखाहाहसस्प्पतयेखाहा // 31 // [1] बाजायखाहो / प्रसुवायुवाहापिजायखाहाकतवेखाहाखुःखा For Private And Personal Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. // 20 // // 22 // nnnnntArt / हामध्येखाहाच्यन्नुविनेखाहान्त्यायुस्खाहान्त्यायभौवनायखा हाभुवनस्युपतयेखाहाधिपतयेखाहाप्प्रजापतयेखाहा // 32 // [1] आयुर्यज्ञेन / कल्प्पता/स्वाहाप्राणोयज्ञेनकल्प्पताखा होपानोयज्ञेनेकल्प्पता/स्वाहाच्यानोयुज्ञेनकल्प्पता/स्वाहोदा नोयुज्ञे कल्प्पता/स्वाहासमानोयुजेनकल्प्पता/स्वाहाचक्षु / य॑ज्ञेनेकल्प्पता/खाहाश्श्रोत्रंय्यज्ञेनकल्प्पता/खाहाबाग्ग्यज्ञे // 20 // नकल्प्पता/स्वाहामनौयुज्ञेनकल्प्पता/स्वाहात्क्मायज्ञेनक BHARAHASABHASABHA For Private And Personal Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir NOTICICORICALCOHARASRA ल्प्पता/स्वाहाब्रहमायुज्ञेनकल्प्पता/स्वाहाज्योतिय॑ज्ञेनक ल्प्पता/स्वाहावयंशेनकल्प्पतास्वाहापृष्ठय्यज्ञेनकल्प्पता स्वाहायज्ञोयुज्ञेनकल्प्पता/स्वाहा // 33 // एकस्म्मैस्वाहाद्वा भ्याएंखाहाशतायुस्खाहैकशतायुखाहाध्युष्टथैखाहाखुर्गायुखा ह॥३४॥[१] इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांद्वाविंशोऽध्यायः॥२२॥ श्रीवेदपुरुषायनमः॥ अनुवाकसूत्रम् // हिरण्यगर्भोयःप्राणतोद्वि है। कौयुंजत्यष्टौवायुष्वापंचप्राणायतिस्रउत्सक्थ्याद्वादशगायत्रीक For Private And Personal Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. स्त्वाषट्रोकःखिदष्टौकाखिद्दशसुभूःस्वयंभूस्तिस्रएकादशपंचप उ. अ. ष्टिः॥ हरिःॐहिरण्ण्यगर्भसम् // हिरण्यगर्भश्समवर्तुताग्ने // 23 // भूतस्यजातश्पतिरेकऽआसीत्।साधारपृथिवीन्द्यामुतेमाङ्कस्म्मै / देवायहविषाविधेम // 1 // उपयामगृहीतोसि / प्प्रजापतयेत्वा / / जुष्टङ्गलाम्म्येषतेयोनित्सूय॑स्तेमहिमा // यस्तेहेन्त्संवत्सरेम हिमासम्बभूवयस्तैबायावन्तरिक्षेमहिमासम्बभूवयस्तैदिविसूयें है। महिमासम्बभूवतस्म्मैतमहिम्नेष्वजापतयेखाहादेवेभ्यः // 2 // . // 21 // For Private And Personal Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir [2] यहोणतो। निमिपुतोमहित्वैकऽइद्राजाजगतोबभूव // यऽईशैऽअस्यद्विपदश्चतुष्प्पदकस्म्मैदेवायहुविषाविधेम // 3 // उपयामगृहीतोसि / प्रजापतयेत्वाजुष्टङ्गुलाम्म्येपतेयोनिचन्द्र मास्तमहिमा // यस्तेरात्रौसंवत्सरेमहिमासम्बभूवयस्तैपृथिच्या मग्नौमहिमासम्बभूवयस्तुनक्षत्रेषचन्द्रमसिमहिमासम्बभूवत स्म्मैतेमहिम्म्नेप्प्रजापतयेदेवेभ्यल्खाहो // 4 // [2] युञ्जन्तिव नमरुपञ्चर॑न्तम्परितस्त्थुपः॥रोचन्तेरोचनादिवि ॥५॥यु DEU54ॐ-SAMSUCHAR For Private And Personal Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir www.kobatirth.org संहि. // 22 // // 23 // 96AICHIHUACACHACHOSHUAIAH इन्त्यस्य // युञ्जन्त्यस्यकाम्म्याहरीविपक्षसारथै // शोणाधृष्ष्णून . उ. अ. वाहसा // 6 // यद्वातः // यद्वातोऽअपोऽअर्गनीगन्मियामिन्द्र स्यतन्वम्॥ एतस्तोतरनेनपुथापुनरश्चमावर्त्तयासिन // 7 // बसवस्त्वा / जन्तुगायत्रेणुच्छन्दसारुद्रास्त्वाञ्जन्तुत्रैष्टुभेनुच्छ / न्दसादित्यास्त्वाञ्जन्तुजागतेनुच्छन्दसा॥ भूर्भुवस्खाजी 3/ छाची 3 न्यध्येगध्य एतदन्नमत्तदेवाऽएतदन्नमद्धिप्प्रजापते // // 8 // काखित् // काखिदेकाकीचरतिकऽउखिज्जायतेपुनः // // 22 // For Private And Personal Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir HASSANASSA ASSHOHTAISIAIS किखिद्धिमस्यभेषजङ्किम्म्वावनिम्महत् // 9 // सूर्यऽएका / की। चरतिचन्द्रमांजायतेपुनः॥ अग्निर्हिमस्यभेषजम्भूमिरा / वनम्महत् // 10 // काखित् // काबिंदासीत्पूर्वचित्तिलकिला खिदासीहवयः // काखिदासीपिलिपिलाकाखिदासीत्पिश हैङ्गिला॥११॥ द्यौरासीत् // द्यौरासीत्पूर्वचित्तिरश्चऽआसीद्हव / य’ // अविरासीत्पिलिप्पिलारात्रिरासीत्पिशङ्गिला // 12 // [8] वायुष्वा / पचुतैवत्वर्सितग्ग्रीव छागैर्युग्योधश्चमसैशम्म For Private And Personal Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 23 // // 23 // है लिवूया // एपस्यरात्थ्योवृषापुनिश्चतुभिरेदंगन्माष्ष्णश्च / नोवतुनमोग्नयै // 13 // समशितोरश्म्मिना। रथुत्समशितोर रिम्मनाहयः॥ सशितोऽअप्प्स्वप्प्सुजाबमासोमपुरोगवः॥ ॥१४॥स्वयंवाजिन् // स्वयंवाजिस्तन्वङ्कल्प्पयखस्वयंय्यजख / स्वयञ्जुषख // महिमातेन्येनुनसन्नशै ॥१५॥नवै // नवाऽऽए / तन्नियसेनरिष्ष्यसिदेवाँ 2 ऽइदेपिपुथिभिसुगेभिः // यत्रास / // 23 // है तेसुकृतोयत्रतेयुयुस्तत्रत्वादेवश्सवितादधातु॥१६॥अग्निपुशुः॥ For Private And Personal Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir नायजयसिपिवताऽअप ARRESTRE अग्निपशुरासीत्तेनायजन्तुसऽ एतंल्लोकमजयद्यस्म्मिन्नग्निश्स / तेलोकोभविष्ष्यतितज्जेष्ष्यसिपिवैताऽअप? // वायुश्पशुरासीत्ते / / नायजन्तुसऽएतल्लोकमजयद्यस्मिन्वायुसतेलोकोभविष्ष्यति / तञ्जेष्ष्यसिपिबैताऽअप? // सूयं पशुरासीत्तेनायजन्तुसऽएतं / / लोकमजयद्यस्म्मिन्त्सूर्युल्सतैलोकोभविष्ष्यतितज्जैष्ष्यसिपिच 3 / ताऽअपः ॥१७॥प्राणायखाहा / पानायखाहाच्यानायुखाहो // अम्बेऽअम्बिकेम्बालिकेनमानयतिकच्चन // ससस्त्यश्चकासुभ तैलोकोभविष्याध्यानायखाहो // For Private And Personal Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ.अ. // 24 // // 23 // AROORKERSARKARI द्रिकाङ्काम्पीलवासिनीम् // 18 // गणानान्त्वा / गुणपतिन्हवा / / महेप्पियाणान्त्वाप्पियपति हवामहेनिधीनान्त्वानिधिपतिः / हवामहेबसोमम॥आहमजानिगर्भधमात्वमजासिगर्भधम् 19/ ताऽउभौ / चतुर:पदासम्प्रसारयावस्वगर्गेलोकेप्प्रोण्णूवाथांवृषो / बाजीरेतोधारेतौदधातु // 20 // [3] उत्संक्थ्याऽअवगुदन्धैहिस / समञ्जिञ्चारयावृषन् // यस्त्रीणाञ्जीवभोजन // 21 // यकासकौ / // 24 // शकुन्तिकाहलगितिबञ्चति / आहन्तिगभेपसोनिगल्गलीतिधार For Private And Personal Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir + S ACSCG+ का ॥२२॥यकोसकौ / शकुन्तकऽआहलुगितिवञ्चति // विवक्ष, तऽइवतेमुखमद्रोमानुस्त्वमभिभाषथा॥२३॥ माताच ।ते , पिताचतेग्यवृक्षस्यरोहतः // प्रतिलामीततेपितागुभेमुष्टिमतम्स / यत्॥२४॥माताचे।तेपिताचतेग्रोवृक्षस्य॑क्रीडत॥ विवक्षतऽइ / वितेमुखम्बहमन्मात्वंवदोबहु ॥२५॥ऊर्धामैनाम् ॥ऊ मैना / / मुच्छापयगिरौभारव्हरनिव॥अथास्यैमद्यमेधताशीतेवातेपुन / निव॥२६॥ऊर्द्धमेनम्॥ऊर्द्धमैनुमुच्छ्रयताद्गिरौभारव्हरन्निव॥ For Private And Personal Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. संहि. // 23 // // 25 // RASHERRERA अर्थास्यमधमेजतुशीतेबातेपुननिव॥२७॥यदस्या:॥यदस्याऽ। अन्हुभेद्यात्कृधुस्थूलमुपातसत्॥ मुष्काविदस्याऽएजतोगोशुफे / शकुलाविव॥२८॥यद्देवासः॥ यद्देवासौलुलामगुम्प्रविष्टीमिन / माविषुः॥ सक्थ्नादेदिश्यतेनारीसत्यस्याक्षिभुवोयथा // 29 // यद्धरिण॥ यद्धरिणोयवमत्तिनपुष्टम्पुशुमन्यते॥शूद्रायदयं जारानपोपायधनायति // 30 // यद्धरिणोयवुमत्तिनपुष्टम्बहुम // 25 न्यते / शूद्रोयदर्थ्यांपैजारोनपोषमनुमन्यते // 31 // धिक्का For Private And Personal Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir व्णोऽअकारिपञ्जिष्णोऽरश्वस्यवाजिनः ॥सुरभिनोमुखाकरत्म / णऽआयूषितारिपत्॥ 32 // [12] गायत्रीत्रिष्टुप् // गायत्री | त्रिष्टुब्ब्जगत्यनुष्टुप्पतयासह // बहुत्युष्णिहाँकुकुप्प्सूचीभिःश मम्यन्तुत्वा॥३३॥ द्विपदाया? // द्विपदायाच्चतुष्ष्पदात्रिपदा / याश्चुपट्टेदा॥ विच्छन्दायाच्चसच्छन्दात्सूचीभि शम्म्यन्तु / त्वा॥३४॥ महानाम्न्योरेवत्यः // महानाम्न्योरेवत्योविश्वाऽ आशाटप्प्रभूवरी ॥मैघीर्विद्युतोवाचःसूचीभि शम्म्यन्तुत्वा // For Private And Personal Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ.अ. // 26 // 23 // // 35 // नार्यस्तुपत्नयोलोमविचिन्वन्तुमनीषया // देवानाम्प क्योदिश सूचीभि शम्म्यन्तुत्वा॥३६॥ रजताहरिणी / सी / सायुजोयुज्यन्तेकर्मभिः॥अश्वस्यवाजिनस्त्वचिसिमात्शम्म्य न्तुशम्य॑न्ती॥ 37 // कुविदुङ्ग / यवमन्तोयवञ्चिद्यथादान्त्य इनुपूर्ववियूर्य // इहेहैषाकृणुहिभोजनानियेबर्हिषोनमऽउक्तिय्य / जन्ति // 38 // [8] कस्त्वा // कस्त्वाछयतिकस्त्वाविशास्ति / कस्तेगात्राणिशम्म्यति // कउतेशमिताकविः // 39 // ऋतर्व CAMESSACREASECONCLUS RAHASASARAKASHASABS* // 26 // For Private And Personal Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ S Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir आच्छर्यन्तशा अडच॑व / स्त्वा॥ 42 // द्यौस्ते। ARALASAHASRAECREE स्ते // ऋतवस्तऽऋतुथापशमितारोविशासतु // संवत्सरस्यते साशमीम शम्म्यन्तुत्वा॥४०॥ अर्द्धमासापरूपितमासा / आच्छयन्तुशम्म्यन्त // अहोरात्राणिमरुतोविलिष्टसूदयन्तु ते॥४१॥ दैयाऽअद्भुर्य्यव / स्त्वाछयन्तुबिचशासतु ॥गात्राणि पर्वशस्तेसिमाकृण्ण्वन्तुशम्म्यन्ती॥४२॥ द्यौस्ते। पृथिव्युन्त / रिक्षंवायुश्छिद्रंणातुते ॥सूय॑स्तेनक्षत्रै सहलोकङ्कणोतुसाधुया है। // 43 // शन्ते ॥शन्तेपरेब्भ्योगात्रेभ्युशमुस्त्ववरेब्भ्यः॥शम . For Private And Personal Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kahagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 27 // स्त्थब्भ्योमुजब्भ्युत्शम्म्वस्तुतन्वैतव // 44 // [6] काखित् // काखिदेकाकीचरतिकऽउंखिज्जायतेपुन: // किसिद्धिमस्यभे " पजकिम्वावपनम्महत्॥४५॥ सूर्य एकाकी। चरतिचन्द्रमा / जायतेपुनः // अग्निर्हिमस्यभेषजम्भूमिसुवपनम्महत् // 46 // किखित् // कि खित्सूर्यसमज्योतिकि समुद्रसमत्सरः॥ किखित्पृथिव्यैवर्षीयुत्कस्युमात्रानविद्यते ॥४७॥ब्रह्मसूर्य / / समम् // ब्रह्मसूर्यसमज्योतिसमुद्रसमसरः ॥इन्द्र पृथि / / // 27 // For Private And Personal Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir MICROSAGALANCHAR ध्यैवर्षीयान्गोस्तुमात्रानविद्यते // 48 // पृच्छामित्वा। चितये / / देवसखयदुित्वमत्रमनसाजगन्थ // येषुश्विष्ष्णुस्विषुपदेष्ष्वेष्टस्ते / पुविश्वम्भुवनमाविवेश // 49 // अपितेषु / त्रिषुपदेष्ष्वस्म्मिये / / विश्वम्भुवनमाविवेश // सद्यापयमिपृथिवीमुतद्यामेकेनाङ्गैन दिवोऽअस्यपृष्टम् ॥५०॥केष्ष्वन्तः। पुरुषऽआविवेशतान्न्यन्तः पुरुषेऽअपितानि॥ एतमन्नुपंवल्हामसित्वाकि खिन्नप्पति / वोचास्यत्र // 51 // पञ्चस्वन्तः / पुरुषऽआविवेशतान्यन्तःपुरु / For Private And Personal Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. संहि. // 28 // ASGANGAEBCAKACKGANGANAGAR पेऽअपितानि // एतत्वा–प्प्रतिमन्यानोऽअस्म्मिनमाययाभव / स्युत्तरोमत् // 52 // [8] कास्वित् ॥कास्विदासीत्पूर्वचित्तिः / किस्विदासीहद्वयः॥कास्विदासीपिलिप्पिलाकास्विदासी त्पिशङ्गिला // 53 // द्यौरासीत्॥ द्यौरासीत्पूर्वचित्तिरश्चऽआसी। बृहद्वयः॥अविरासीपिलिप्पिलारात्रिरासीप्पिशङ्गिला // 54 // काऽईंम्॥ काऽईमरेपिशङ्गिलाकाऽईङ्कुरुपिशङ्गिला // कऽईमा / स्कन्दमर्पतिकऽहम्पन्थांविसर्पति॥५५॥ अजारे। पिशङ्गिला // 28 // For Private And Personal Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAMACHARACANCALCANCE श्वावित्कुरुपिशङ्गिला // शुशऽआस्कन्दमर्पत्यहिपन्थांविसर्प इति // 56 // कत्यस्य / विष्ठाश्कत्यक्षराणिकतिहोमासत्कतिधा / समिद्धः // यज्ञस्य॑त्वाविदथापृच्छमत्रकतिहोतारऽऋतुशोयज है न्ति // 57 // पडस्य / विष्ठाश्शतमक्षराण्ण्यशीति)मल्सिमिधो / है हतिस्रः॥ यज्ञस्यतेविदथाप्रबवीमिसप्तहोतारऽऋतुशोयजन्ति / // ५८॥कोऽअस्य / श्वेभुवनस्युनाभिङ्कोद्यावापृथिवीऽअन्तरि / / क्षम् // कसूर्यस्यत्वेदबृहतोजनित्रकोव्वदचन्द्रमसंय्यतोजा॥ For Private And Personal Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalahogarsur Gyanmandir संहि. // 29 // // 23 // // 59 // वेदाहम् // वेदाहमस्यभुवनस्यनाभिंबेदुद्यावापृथिवीऽ / अन्तरिक्षम् // वेदुसूर्य्यस्यबृहतोजनित्रमथोवेदचन्द्रमसंय्यतो जा॥६०॥ पृच्छामित्वा॥ पृच्छामित्वापरमन्तम्पृथिध्यापृ / / च्छामियन्त्रभुवनस्यनाभिः॥पृच्छामित्वावृष्ष्णोऽअश्वस्युरेत। पृच्छामिवाचश्परमंथ्योम // 61 // इयंवेदि’ // इयंक्वेदिपरोऽ अन्तः पृथिध्याऽअयंय्यज्ञोभुवनस्यनाभिः // अयम्सोमोव // 29 // ष्णोऽअश्वस्युरेतौबुमायंबाचःपरमंध्योम // 62 // [10] सुभू For Private And Personal Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir Strony खयम्भू / प्रथमोन्तर्महत्यर्णवे // दुधेहगर्भमृत्वियुय्यतो / जातप्रजापतिः // 63 // होतायक्षत् // होतोयक्षत्प्रजापतिः / सोम॑स्यमहिम्नः // जुषताम्पिबतुसोमहोतर्यज // 64 // प्रजा / पतेन। त्वदेतान्यन्योविश्वारूपाणिपरिताबभूव // यत्कामास्तेजु हुमस्तन्नोऽअस्तुव्वयस्यामुपतयोरयीणाम् // 65 // [3] इतिश्री / वाजसनेयसंहितायांत्रयोविंशोऽध्यायः // 23 // श्रीवेदपुरुषाय | नमः॥अनुवाकसूत्रम् // अश्वस्तूपरोधूम्रान्वसंतायसमुद्रायशि For Private And Personal Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit उ. अ. // 24 // // 30 // GKASS+264645265 शुमारान्मयुःप्राजापत्योदशकाश्चत्वारश्चत्वारि शत् // हरिःॐ अश्वस्तूपरः // अश्वस्तूपुरोगोमुगस्तेप्प्राजापत्याश्कृष्ष्णग्नीवs आग्नेयोरराटेपुरस्तात्सारस्वतीमेष्ष्यधस्ताद्धन्वौराश्विनावधोरा, मौबाह्वोरसौमापौष्ष्णश्यामोनाब्भ्यो सौर्ययामौश्वेतच्चक / ष्ष्णच्चपार्श्वयोस्त्वाष्ट्रौलोमशसक्थौसुक्थ्योबीययः श्वेतश्पु / च्छऽइन्द्रायखपुस्यायव्येहद्वैष्ष्णवोवामनः // 1 // रोहितोधूम्न रोहितः॥ कुर्वन्धुरोहितस्तेसौम्म्यावन्भ्रर्ररुणबभ्रुशुकबभ्रुस्ते / BARBAR मौवा पायोस्त्वाष्ट्रोलाणवोवामनः // // 30 // शुकबन्झुस्त / For Private And Personal Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir PARTNERS वारुणाशितिरन्ध्रोन्यतः शितिरन्ध्रल्समन्तशितिरन्ध्रस्तेसावि नाशितिबाहुरन्न्यतः शितिबाहु समुन्तशितिवाहुस्तेबार्हस्प्प त्याश्पृषतीक्षुद्रपृषतीस्त्थूलपृषतीतामैत्रावरुण्ण्यः॥२॥शुद्धा लत्सर्वशुद्धवालोमणिवालस्तऽआश्चिना श्येत श्येताक्षोरुणस्ते / रुद्रायपशुपतयेकण्र्णायामाऽ अवलिप्तारौद्रानभौरूपा पार्ज / च्या?॥३॥ पृश्निस्तिरश्च्चीनपृश्निः // पृश्निस्तिरच्चीनपृश्निरूद्ध | पृश्निस्तेमारुताफल्गूलॊहितोीपलक्षीताश्सारस्वत्यः प्लीहाक For Private And Personal Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kelashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 24 // ण:शुण्ण्ठाको झ्यालोहकर्णस्तत्वाष्ट्राश्कृष्ष्णग्ग्रीवलशितिक / क्षौजिसक्थस्तऽऐन्द्राग्नाश्कृष्ष्णाञ्जिरल्प्पाजिर्महाञ्जिस्तऽउप / / स्याः॥४॥ शिल्प्पावैश्वदेव्यः॥ शिल्प्पावैश्वदेच्योरोहिण्य 3 स्यवयोवाचेविज्ञाताऽ अदित्यैसरूपाधात्रेवत्सतर्योदेवानाम्प 2 नीब्भ्य॥५॥ कृष्ष्णग्ग्रीवाआग्नेया। शितिभ्रवोवसूना रोहितारुद्राणश्वेताऽअवरोकिणऽ आदित्यानान्नभौरूपाल्पा - // 31 // जन्न्याः // 6 // उन्नतऽऋषभ: // उन्नतऽऋषभोवामुनस्तऽऐन्द्रा For Private And Personal Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir वैष्ष्णवाऽउन्नतशितिबाहु? शितिपृष्ठस्तऽऐन्द्राबार्हस्पत्याश्शु करूपावाजिनाश्कुल्म्मापाऽआग्निमारुताऽश्यामापौष्ष्णा // // ७॥एतोऽऐन्द्राग्नाः // एताऽऐन्द्राग्नाविरूपाऽअग्नीषोमी यौवामनाऽअनडाहऽ आग्नावैष्ष्णवावशामैत्रावरुण्योन्यतेऽए न्योमैत्र्यः॥८॥ कृष्णग्ग्रीवाऽआग्नेया॥ कृष्णग्ग्रीवाऽआ ग्नेयाबुभ्रवः सौम्म्याश्वेताबायध्याऽ अविज्ञाताऽअदित्यैसरू पाधात्रेवत्सतर्योदेवानाम्पत्नीभ्यः // 9 // कृष्णाभौमा३ // For Private And Personal Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ.अ. // 32 // SAHARANASAGAR कृष्ष्णाभौमाधूम्म्राआन्तरिक्षाबृहन्तौदिघ्या? शुबलावैधुतासि / ध्मास्तारकाः // 10 // [10] धुम्म्रान्वसन्तायै // धूम्म्रान्त्वंस न्तायालभतेश्वेतान्ग्रीष्ष्मायकृष्ष्णान्वर्षाग्भ्योरुणाञ्छरदुपृष | तोहेमन्तायपिशङ्गाञ्छिशिराय॥११॥त्र्यवयोगायत्र्यै / पञ्चा है। वयस्त्रिष्टुभदित्युवाहोजगत्यैत्रिवत्साऽअनुष्टुभेतुर्य्यवाहऽष्ष्णि हे // 12 // पृष्ठुवाहोविराजे॥ पुष्टुवाहोविराजऽउक्षाणोबृहत्याऽ // 2 // प्रभाश्ककुभैनड्डाह-पतयैधेनवोतिच्छन्दसे // 13 // कृष्ष्णग्ग्री For Private And Personal Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir www.kobatirth.org वाऽआग्नेयाः // कृष्णग्ग्रीवाऽआग्नेयाबुभ्रवः सौम्म्याऽउपद्ध) स्ताश्सावित्रावत्सतर्यःसारस्वत्य: श्यामापौष्ष्णाश्पृश्नयोमा 3 रुताबहुरूपावैश्वदेवाबशाद्यावापृथिवीया // 14 // उक्ताश्सञ्च राय॥ उक्ताश्सञ्चराऽएाऽऐन्द्राग्नाश्कृष्ष्णाबारुणाश्पृश्नयोमा / / रुताश्कायास्तूपराय॥१५॥ अग्नयेनीकवते / प्रथमजानालभ / / तेमुरुय-सान्तपनेब्भ्यः सात्यान्मरुयोगृहमेधिब्भ्योबष्किहा न्मरुज्यं वीडिब्भ्य: सह-सृष्टान्मरुयुत्खतवयोनुसृष्टान् // 16 // For Private And Personal Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 33 // // 24 // / उक्ताश्सेञ्चरा॥उक्ताश्संञ्चराऽएतोऐन्द्राग्नाप्पाशृङ्गामाहेन्द्रा : उ. अ. बहुरूपावैश्वकर्मणाः // 17 // धूम्म्राबभ्रुनीकाशा। पितृणा सोमवताम्बभ्रवोधूम्म्रनीकाशापितॄणांबर्हिपदाकृष्ष्णाबभ्रुनी / काशापितॄणामग्निष्ष्वात्तानाकृष्ष्णाश्र्पन्तस्त्रैयम्बका॥१८॥ उक्ताश्सञ्चरा? // उक्ताश्संञ्चराऽएता शुनासीरीया श्वेताबाय , व्याश्वेताश्सौऱ्या॥१९॥ वसन्तायकपिजेलान् ॥बसन्ताय // 33 // कपिञ्जलानालभतेग्ग्रीष्म्मायकलुविंकावर्षाब्भ्यस्तितिरीञ्छर ANSALSAMASALAM For Private And Personal Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ना देवर्तिकाहेमन्तायुककराञ्छिशिरायविककरान् // 20 // [10] | समुद्रायशिशुमारान् // समुद्रायशिशुमारानालभतेपर्जन्यायम हैण्ण्डूकानुयोमत्स्यौन्मित्रायकुलीपयान्वरुणायनाकान् // 21 // सोमायसान् // सोमायसानालभतेवायवैवलाकोऽइन्द्रा / ग्निब्भ्याङ्कुञ्चान्मिन्त्रायमद्न्वरुणायचक्रवाकान् // 22 // अग्नये / / कुटरून् // अग्नयैकुटरूनालभतेवनस्पतिभ्यऽउलूकानुग्नीषो / माब्भ्याञ्चापानश्चिब्भ्याम्मयूरोन्मित्रावरुणाब्भ्याङ्कुपोतान् // ALLLLLSARASWACES CASS5343434800 For Private And Personal Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ.अ. // 34 // है। // 24 // संहि-६॥२३॥सोमायलुबान् // सोमायलुबानालभर्तृत्वष्ट्रकौलीकान्गो / "पादीहेवानाम्पनीब्भ्यस्कुलीकादेवजामिभ्योग्नयैगृहपतयेपारु / प्ष्णान् // 24 // अन्हेपारावतान्॥अन्हेपारावतानालभतेरात्र्यैसी चापूरहोरात्रयो सन्धिब्भ्योजतूसैिब्भ्योदात्यौहान्त्संवत्सरा / यमहुतश्सुपर्णान् // 25 // भूम्म्योऽआखून् // भूम्म्याऽआखूना लभतेन्तरिक्षायपामान्दुिवेकशान्दुिग्ग्भ्योनकुलान्बब् कानवा // 34 // अन्तरदिशाब्भ्यः // 26 // वसुब्भ्यऽऋश्यान् // वसुब्भ्यऽऋश्र KHESARSUALSASARAMAGRA For Private And Personal Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir KASGANGANAGARIKONKAK नालभतेरुद्वेभ्योरुरूनादित्येभ्योन्यङ्कन्विश्वेभ्योदेवेभ्य: पृषतान्त्साद्येभ्य कुलुङ्गान् ॥२७॥ईशानायुपरेखत॥ईशाना ई युपरखतऽआलभतेमिनायगौरावरुणायमहिपान्बृहस्पतयेगा। वयाँस्त्वष्टुऽउष्ट्रान् // 28 // प्रजापतयेपुरुषान् // प्रजापतयेपुरु / / पान्हस्तिनऽआलभतेवाचेप्प्लुपाँच्चक्षुषेमशकान्छोत्रीयभृङ्गाः। ॥२९॥शतम्॥१४००॥प्रजापतयेच। वायवैचगोमृगोबरुणायार / ण्योमेषोयुमायुकृष्णौमनुष्ष्यराजायमुर्कट शार्दुलायरोहिद्द For Private And Personal Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kishsagarsuri Gyanmandit उ. अ. ******* // 24 // COMGANGACCIACANCE+ षभायगवयीक्षिप्पश्येनायवर्तिकानीलङ्गोलक्रिमि-समुद्रायशि शुमारोहिमवतेहुस्ती // 30 // [10] मयुरप्पाजापत्यः॥ मयु? प्राजापत्यऽउलोहलिक्ष्ण्णोवृषदु शस्तेधानेदिशाङ्कोधुसाग्ने / यीकलुविकोलोहिताहिरपुष्ष्करसादस्तत्वाष्ट्राबाचेक्रुञ्च’ // 31 // सोमायकुलुङ्गः // सोमायकुलुङ्गऽआरण्ण्योजोनकुलश्शकातेपौ / ष्ष्णाकौष्टामायोरिन्द्रस्यगौरमृगपिट्ठोन्न्यङ’ कक्कुटस्तेनुमत्यै // 35 // प्रतिश्श्रुत्कार्यचक्रवाकः // 32 // सौरीबलाको / शार्ग,सृजयः **** For Private And Personal Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SACROSSANGA शयाण्ण्डकस्तेमैत्रासरखत्यैशारिः पुरुषवाक्श्चाविभौमीशा / / लोबूकल्पदाकुस्तमन्न्यवेसरखतेशुक पुरुषवाक् ॥३३॥सुपर्ण पार्जन्न्यासुपर्णपार्जन्यऽआतिर्वाहसोदविदातेवायवेबृहस्प्प / / तयेवाचस्प्पतयेपैङ्गराजोलुजऽआन्तरिक्षः प्लुवोमुद्गुर्मत्स्य॒स्तेन / दीपुतयैद्यावापृथिवीय कूर्म? // 34 // पुरुषमृगश्चन्द्रमसह // * पुरुषमृगच्चन्द्रमसोगोधाकालकादा घाटस्तेवनस्पतीनाङ्कक वाकु सावित्रोहसोबातस्यनाक्रोमकरस्कुलीपयुस्तेकूपारस्यन्हि For Private And Personal Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ.अ. संहि. // 36 // // 24 // BCADCALEGACASCALCAS1501र यैशल्यकः // 35 // एण्ण्यन्ह // एण्ण्यन्होमण्ण्डूकोमूर्षिकाति त्तिरिस्तेसाणांल्लोपाशऽआश्विन कृष्ष्णोरात्र्याऽऋक्षौजतूसु पिलीकातऽईतरजनानाजहंकावैष्ष्णवी // 36 // अन्न्यवापोर्द्धमा / सानाम् // अन्यवापोर्द्धमासानामृश्योमयूर सुपर्णस्तेर्गन्धर्वा णामुपामुद्रोमासाङ्कश्यपोरोहित्कुंकृण्णाचींगोलत्तिकातेप्प्सुरसा / / मृत्यवेसितः // 37 // वर्षाहूतूनाम् // वर्षाहूर्ऋतूनामाखुश्क | // 36 // शोमान्थालस्तेपितृणाम्बलायाजगुरोवसूनाङ्गुपिजल कुपोतुऽउ For Private And Personal Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir हलूकल्शशस्तेनित्यैवरुणायारण्योमेषः // 38 // चित्रऽआदित्या / नाम् // श्वित्रऽआदित्यानामुष्टोघृणीवान्न्वार्धीनसस्तेमुत्याऽअर | ण्यायसृमरोरुरूरौद्रक्वयि कुटरुझैत्यौहस्तेबाजिनाङ्कामायपि / कर // 39 // खुगोवैश्वदेवः / श्वाकृष्ष्णश्कर्णोगईभस्तरक्षुस्तेरक्ष / सामिन्द्रायसूकरसिहोमारुत? केकलासपिप्पकाशकुनिस्तेश / व्यायविश्वैपान्देवानाम्पृषतः // 40 // [4] इतिश्रीवाजसनेय, ||संहितायांचतुर्विंशोऽध्यायः॥२४॥ श्रीवेदपुरुषायनमः // अनु For Private And Personal Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kishsagarsuri Gyanmandit उ.अ. // 24 // वाक्सूत्रम् // शादंदद्भिर्नवैकैकाहिरण्यगर्भश्चतस्रआनोदशमा / नोमित्रोयदश्वस्याष्टकौयत्तेषडिमानुकंद्वेपंचदशसप्तचत्वारिश त् // हरिःॐशादेन्दुद्भिः // शादन्दुभिरवकान्दन्तमूलैर्मृदुम्ब / / खैस्तुगान्दछष्ट्राभ्या सरखत्याऽअग्पजिलुजिह्वायाऽउत्साद / मवऋन्देनतालुवाजहनुब्भ्यामुपऽआस्येनवृषणमाण्ण्डाब्भ्यो / मादित्याँश्म्मश्श्रुभिरूपन्थानम्भ्रूभ्यान्द्यावापृथिवीवौभ्यांवि // 37 // दद्युतकनीनकाब्भ्याशुक्लायुवाहाकृष्ष्णायखाहापाऱ्यांणिप For Private And Personal Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandit 053434345 क्ष्माण्यवाऽिइक्षवौवा-णिपक्षम्माणिपाऱ्यांऽइक्षवः // 1 // [१]बातम्प्राणेन।बातम्प्राणेनोपानेनुनासिकेऽउपयाममधरेणौष्ठे / नसदुत्तरेणप्रकाशेनान्तरमनकाशेनबाह्यन्निवेष्ष्पम्मू स्तनयि नुनिर्वाधेनाशनिम्मस्तिष्कैणव्विद्युतकनीनकाब्भ्याङ्कर्णाब्भ्याए / श्रोत्र/श्रोत्राभ्याङ्कोतेदुनीमधरकण्ण्ठेनापाशुष्ककण्ठेनचि / तम्मन्न्याभिरदिति शीषर्णानितिनिर्जर्जल्येनशीष्र्णासङ्को / शैप्पाणान्चेष्म्माण स्तुपेन // 2 // [1] मुशकान्केशै // मश *XHOSAURERIAISASARASHTRA For Private And Personal Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि उ.अ. // 24 // RRRRRRR केशैरिन्द्रखपसाबहेनबृहस्पति शकुनिसादे कूर्माञ्छ / है। फैराक्रमण स्त्थूराब्भ्यामक्षलाभित्कपिञ्जलाञ्जवञ्जङ्घाब्भ्या मानम्बाहुब्भ्याजाम्बीलेनारगण्यमग्निमतिरुग्ग्भ्याम्पूषणन्दो | Dमुश्चिनाव साब्भ्यारुद्रोराभ्याम्॥३॥ [1] अग्नेश्पा / / क्षति? // अग्नेश्पक्षतिर्वायोर्निपैक्षतिरिन्द्रस्यतृतीयासोमस्यचतु / टुंदित्यैपञ्चमीन्द्राण्यैषष्ठीमुरुतासप्तमीबृहस्पतेरष्टुम्म्य य॑म्म्णोनवमीधातुर्दशमीन्द्रस्यैकादुशीवरुणस्यद्वादशीयुमस्य // 38 // For Private And Personal Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir NCERASACRORESARI त्रयोदशी॥४॥[१] इन्द्राग्न्योश्पक्षतिश्सरस्वत्यैनिपक्षतिमि त्रस्यतृतीयापाञ्चतुर्थीनित्यैपञ्चम्म्युग्नीपोमयो पृष्ठीसाणां / / सप्तमीविष्ष्णोरष्टुमीपूष्ष्णोनवमीत्वष्टुंईशमीन्द्रस्यैकादशीव रुणस्यवादशीयुम्म्यैत्रयोदशीद्यावापृथियोईक्षिणम्पार्श्वविश्चै | पान्देवानामुत्तरम्॥५॥[१] मुरुतास्कन्धा॥मुरुतोस्कन्धा / विश्वेषान्देवानाम्प्रथमाकीकसारुद्राणान्वितीयादित्यानान्तृती योबायोपुच्छमग्नीषोमयोर्भासदौकुञ्चौ श्रोणिब्भ्यामिन्द्रा For Private And Personal Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि उ. अ. // 25 // // 39 // HERABASIA*** हस्पतीऽ ऊरुभ्याम्मित्रावरुणावुल्गाभ्योमाक्रमण स्त्थूला भ्याम्बलङ्कष्टाभ्याम् // 6 // [1] पुषणंबनिष्टुनान्धाहीन्स्थूलगु / दयासान्न्गुदाभिर्विहुत ऽआन्त्रैरपोव्वस्तिनावृषणमाण्डाब्भ्यां / वाजिनशेपेनप्प्रजाठरेतसाचापान्पित्ते प्रदुरान्पायुनाकुश्म्मा छकपिण्डै // 7 // [1] इन्द्रस्यऋोड // इन्द्रस्यकोडोदित्यैपा / जस्यन्दिशा त्रवोदित्येभसज्जीमूतान्हृदयौपशेनान्तरिक्षम्पु // 39 // रीततानभ ऽउदुhणचक्रवाकौमतस्नाब्भ्यान्दिवंबुक्काब्भ्याङ्गि / FARHARNAGARREARS For Private And Personal Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir AGRICAICTIONAGACANNECK रीन्लाशिभिरुपलान्लीन्हाबल्म्मीकान्लोमभिग्ग्लौंभिर्गुल्म्मा | हिराभित्रवन्तीर्हदान्कुक्षिब्भ्या समुद्रमुदरेणवैश्वानरम्भ है स्म्मना // 8 // [1] विधुतिन्नाभ्या / घृतदरसेनापोयुष्ष्णामरीची / विष्णुड़िीहारमूष्म्मणाशीनंबसयाप्पुष्ष्वाऽ अश्श्रुभिन्दुनी पीकाभिरस्नारक्षा सिचित्राण्यङ्गैनक्षेत्राणिरूपेणपृथिवीन्त्व चार्जुम्बकायखाहो // 9 // [1] हिरण्ण्यगर्भसम्॥हिरण्यगर्भ समवर्त्तताग्नेभूतस्य॑जातश्पतिरेकऽआसीत्॥साधारथिवीन्द्या For Private And Personal Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. 50 // 25 // मुतेमाङ्कस्म्मैदेवायह विपाविधेम ॥१०॥यप्राणतः॥ या णतोनिमिपुतोमहित्वैकुऽइद्राजाजगतोबभूव ॥यऽईशेऽअस्यहि पदुश्चतुष्ष्पदुत्कस्म्मैदेवायहविषाविधेम ॥११॥यस्येमे। हि मवन्तोमहित्वायस्यसमुद्रसयासहाहुः // यस्येमाश्प्पदिशो। यस्यवाहूकस्म्मैदेवायहविपाविधेम॥१२॥यऽआत्मदा॥या। आत्मदाबलुदायस्यविश्वऽउपासतेप्प्रशिपय्यस्यदेवा // यस्य // 10 // इच्छायामृतय्यस्यमृत्युश्कस्म्मैदेवायहुविविधेम // 13 // [4] CHOCALLECRUSHKAMAGRAM For Private And Personal Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CMOUSANGACAMACANCELCAMG+ आनः॥ आनौभद्राश्ऋतवोयन्तुविश्वतोदब्धासोऽअपरीतासऽ उद्भिदः॥देवानोयथासमिद्धेऽअसन्नायुवोरक्षितारौदुिवेदि / वे // 14 // देवानाम्भद्रा / सुमति;जूयतान्देवानरातिरभि / नोनिवर्त्तताम् // देवान सक्ख्यमुपसेदिमावयन्देवानऽआयुः / प्रतिरन्तुजीवसे // 15 // तान्पूर्वयानिविदाहूमहेवयम्भगम्मित्र मदितिन्दःमस्रिधम् // अर्य्यमणंवरुणसोममश्विनासरखती | नत्सुभगामयस्वरत् // 16 // तन्नः // तन्नोवातौमयोभुवातुभेष है। For Private And Personal Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir / मंहि उ.अ. AURANGALOREGAONSORDERS जन्तन्मातापृथिवीतत्पिताधौर // तद्रावणसोमसुतौमयोभुव / / हूँ स्तदश्विनाशृणुतन्धिष्ण्यायुवम् // 17 // तमीशानम्॥ तमीशा / / नञ्जगतस्तस्त्थुपस्प्पर्तिन्धियञ्जिन्न्वमवसेहूमहेव्यम् // पूपानोय / थावेदसामसद्वृधेरैक्षितापायुरदद्धत्स्वस्तये // १८॥स्वस्तिनः॥ खुस्तिनुऽइन्द्रौवृद्धश्रवाल्खुस्तिन:पूपाविश्ववेदाह॥खुस्तिनस्ता 3 क्ष्योऽअरिष्टनेमिल्खुस्तिनोबृहस्पतिर्दधातु // 19 // पृषदश्चाम // 1 // रुतः॥पृषदश्वांमुरुतत्पृश्निमातरशुभंय्यावानोविदथेषुजग्ग्म For Private And Personal Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kasagarsuri Gyanmandir MASURRECRUCINEMORE यह // अग्निजिह्वामनवल्सूरचक्षसोविश्चैनोदेवाऽअवसागमनिह / // 20 // भद्रकणेभिशृणुयामदेवाभद्रम्पश्येमाक्षभिर्यजत्राः॥ स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवासस्तनूभिर्घ्यशेमहिदेवहितंय्यदायुः // 21 // शतमित् // शतमिनुशरदोऽअन्तिदेवायत्रोनचक्काजरसन्तनू नाम् // पुत्रासोयत्रपितरोभवन्तिमानौमुद्यारीरिषतायुर्गन्तो // २२॥अदितिौरदितिरन्तरिक्षमदितितासपितासपुत्रः॥ विश्वेदेवाऽअदिति पञ्चजनाऽअदितिर्जातमदितिर्जनित्वम् // 3 For Private And Personal Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ.अ. // 42 // TRACTICISCARRORISAHARSS // 23 // [10] मानः॥ मानौमित्रोवरुणोऽअर्य्यमायुरिन्द्रऽऋ भुक्षामरुतल्परिक्ख्यन्॥यवाजिनौदेवजातस्युसप्प्सेप्प्रवक्ष्यामो विदथैवीर्याणि ॥२४॥यनिर्णिजा ॥यनिर्णिजारेक्णसाप्पा तस्यरातिङ्ग्रभीताम्मुखतोनयन्ति // सुप्पाङ्गजोमेम्म्यविश्वरूपऽ इन्द्रापूष्ष्णोप्पियमप्प्यतिपार्थः॥२५॥ एषछार्ग’। पुरोऽअ चैनवाजिनापूष्ष्णोभागोनीयतेविश्वदेव्य: // अभिप्रियंय्यत्पु रोडाशमवतात्वष्टेदैनन् सौश्रवसायजिन्वति॥२६॥ यद्धविष // 42 // For Private And Personal Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir म् // यद्धविष्ष्यमृतुशोदेवयानन्त्रिानुपाल्पयंश्चन्नयन्ति // अत्रापूष्णप्प्रथमोभागऽएतियुशन्देवेभ्य: प्रतिवेदयनजर // ॥२७॥होताद्धर्म्युः॥होताद्ध[रावयाऽअग्निमिन्धोग्यावग्या / भऽउतशस्तासुविष्मः॥ ते यज्ञेनखरतेनखिष्टेनवक्षणाऽआ है। पृणद्धम् ॥२८॥यूपस्काऽउत / येयूपवाहाचपालँय्येऽअश्च यूपायतक्षति॥येचावतेपचन सम्भरन्त्युतोतेषामभिगूर्तिनऽइ. इन्वतु // 29 // उपप्प // उपप्पागात्सुमन्मैधायिमन्मदेवानामा +USACROSAROSASURES For Private And Personal Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 25 // शाऽउपवीतपृष्ठ: // अन्वेनविप्पाऽऋपयोमदन्तिदेवानाम्पुष्टेच उ. अ. // 43 // कृमासुबन्धुम् ॥३०॥यवाजिनः॥यवाजिनोदामसुन्दानमा / तोयाशीर्षण्यारशनारज्जुरस्य // यहाघास्यप्प्रभृतमास्येतृण सर्वा / तातेऽअपिदेवेष्ष्वस्तु॥३१॥[८] यदश्वस्यऋविषोम / क्षिकाशय / / हाखरौखधितौरिप्तमस्ति // यद्धस्तयोत्शमितुर्य्यनखेषुसर्वाता तेऽअपिदेवेष्ष्वस्तु // 32 // यदूर्वयम् // यदुवंयमुदरस्यापुवाति // 43 // यऽआमस्यऋविपौगुन्धोऽअस्ति // सुकृतातच्छंमितार कृष्ण्वन्तु / / 64640CROCACANC2364562540 For Private And Personal Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 655 5 +MASTER तमेधशृतपाकम्पचन्तुं // 33 // यत्ते // यत्तेगात्रादुग्निनापुच्य / / मानादुभिशूलन्निहतस्यावुधावति // मातभृम्म्यामाश्रिषन्मात / णेपुदेवेभ्यस्तदुशद्योगतमस्तु॥३४॥ येवाजिनम् // येवाजिन / परिपश्यन्तिपुय्यऽईमाहुश्सुरभिनिर्हरेति // येचावतोमा सभिक्षामुपासतऽउतोतेषामभिर्तिनऽइन्वतु // 35 // यन्नीक्ष णम् // यन्नीक्षणम्मॉस्प्पचन्याऽउखायायापात्राणियुष्ष्ण आसे / / नानि॥ ऊष्म्मण्ण्यापिधानाचरूणामुङ्काश्सुनाश्परिभूषन्त्यश्च / For Private And Personal Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ( . // 44 // // 25 // CALCULASALCHURCULA म् ॥३६॥मात्वा ॥मात्वाग्निर्द्वनयीद्धूमगन्धिम्र्मोखाब्भ्राजन्त्य , उ. अ. भिविऋजग्घ्रिः // इष्टुंबीतमभिगूर्तवपटतन्तन्देवासुरप्रतिग। भ्णन्त्यश्चम् // 37 // निक्रमणन्निपदनम् // निक्रमणन्निपदनं / विवर्तन्यच्चपड्डीशमतः // यच्चपपौयचंघासिञ्जघाससर्वातातेs अपिदेवेष्ष्वस्तु॥३८॥यदश्चोय // यदश्चोयुवासऽउपस्तृणन्त्य / धीवासंय्याहिरण्यान्यस्म्मै // सन्दानमन्तम्पडीशम्प्रियादेवे | // 4 // ष्ष्वामियन्ति॥३९॥[८] यत्तै। सादेमहेसाशूकृतस्युपाष्ष्यों For Private And Personal Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 9CDOEGORMAS5555 वाकर्शयावातुतोदे // चेवताहुविषोऽअद्भुरेपुसर्वातातेबह्मणा सूदयामि॥४०॥ चतुस्त्रिदशहाजिनः॥ चतुत्रिशहाजिनौदे / / वबन्धोडीरश्चस्युखधितित्समैति॥अच्छिद्रागात्राव्युनाकृणो / तुपरुष्ष्परुरनुघुष्ष्याविशस्त // 41 // एकस्त्वष्टुंः॥ एकस्त्वष्टुर / श्वस्याविशस्ताद्वायन्तारीभवतुस्तथऽऋतु? // यातेगात्राणामृतु / थाकृणोमितातापिण्डानाम्प्रजुहोम्म्युग्नौ // 42 // मात्वातपत्मि। यऽआत्मापियन्तुम्माखधितिस्तुन्छ ऽआतिष्टिपत्ते // मातेगृध्नु For Private And Personal Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shop pagarsuri Gyanmandir * उ. अ. हा // 25 // // 45 // हरविशस्तातिहायच्छिद्रागात्राण्यसिनामिथूकः॥४३॥नवै ॥न / वाऽऽऽएतनियसेनरिष्प्यसिदेवाँर इदेषिपथिभिः सुगेभिः // हरीतेयुञापतीऽअभूतामुपास्त्थाबाजीधुरिरासंभस्य // 44 // 3 सुगध्यन्न॥सुगध्यन्नोबाजीखव्यम्पुसापुत्राँउतविश्वापुष रयिम् // अनागास्त्वन्नोऽअदितिस्कृणोतुक्षत्रन्नोऽअश्चौबनता हुविष्म्मान् // 45 // [6] इमानु। कुम्भुवनासीपधामेन्द्रञ्चवि // 15 // श्वेचदेवा // आदित्यैरिन्द्रल्सगणोमरुद्भिरस्म्मब्भ्यम्भेषजाक * * * *** For Private And Personal Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandit KAASAIGALICACAMASTARAK रत्॥ यज्ञञ्चनस्तन्न्वञ्चप्प्रजाञ्चादित्यैरिन्द्र सहीपधाति॥४६॥ अग्नेत्वन्नोऽअन्त / मऽउतत्राताशिवोभवावरूथ्यः॥ वसुरग्नि सुश्श्रवाऽअच्छानक्षिद्युमत्तमयिन्दार // तन्त्वाशोचिष्टदी है। दिवल्सुम्नार्यनूनमीमहेसखिभ्य: // 47 // [2] इतिश्रीवाजसने / यसंहितायांपंचविंशोऽध्यायः // 25 // श्रीवेदपुरुषायनमः // [15] अनुवाक्सूत्रम् // अग्निश्चपंचदशोच्चातएकादशद्वौषड्डि शतिः॥ हरिःॐअग्निश्च / पृथिवीचसन्नतेतेमेसन्नमतामुदोब्बा है। For Private And Personal Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 46 // RABARBARIBAGAGAING+ युश्चान्तरिक्षञ्चसन्नतेतेमेसन्नमतामदऽ आदित्यच्चद्यौश्चसन्नतेते / मेसन्नमतामदऽआपञ्चवरुणच्चसन्नतेतेमेसन्नमतामदः // सुप्त / // 26 // सहसदोऽअष्टमीभूतसाधनी // सकामाँरअद्धनस्कुरुसंज्ञानमस्तु / मेमुना॥१॥यथेमाम्॥यथेमांबाचङ्कल्ल्याणीमावदानिजनैब्भ्यः॥ ब्रह्मराजन्याब्भ्याशूद्रायुचाऱ्यांयचखायचारणायच // प्पि / योदेवानान्दक्षिणायैदातुरिहर्भूयासमयम्मेकामह समृद्यतामुप मादोनमतु ॥२॥बृहस्प्पतेऽअति // बृहस्प्पतेऽअतियदुर्योऽअ // 46 // For Private And Personal Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CCUSALMALUSALAMSUSAX हाँधुमद्विभातिऋतुमजनेषु // यहीदयुच्छवसऽऋतप्रजाततदु स्म्मासुद्रविणन्धेहिचित्रम् // उपयामगृहीतोसिबृहस्पतयेत्वैष / तेयोनिर्वृहस्पतयेत्वा॥३॥इन्द्रुगोमन् // इन्द्रगोमनिहायाहि / / पिबासोमशतक्रतो // विद्यघिभित्सुतम् // उपयामगृही 2 तोसीन्द्रीयत्वागोमंतऽएषतेयोनिरिन्द्रायत्त्वागोमते॥४॥इन्द्रा। याहि // इन्द्रायोहित्रहम्पिबासोमशतक्रतो॥ गोमड्डिाव 3 मित्सुतम्॥उपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्वागोमतऽएपतेयोनिरिन्द्रा For Private And Personal Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 47 // - संहि. यत्वागोम॑ते ॥५॥ऋतावानंवैश्वानुरम् // ऋतावानंवैश्वानरमृत है उ. हास्यज्योतिपुस्प्पतिम् // अजस्रङ्घममीमहे // उपयामगृहीतोसि वैश्वानरायत्वैपतेयोनिश्चानुरायत्वा ॥६॥वैश्वानरस्य॑सुमतौ / / स्यामराजाहिकम्भुवनानामभिश्श्रीः॥इतोजातोविश्वमिदंविच / ष्ट्रेश्वैश्वानरोयततेसूर्येण // उपयामगृहीतोसिवैश्वानरायत्वैपते / योनिव्वैश्वानरायत्वा॥७॥ वैश्वानरोन’ // वैश्वानरोनऽऊतयऽ // 47 // आप्प्रयातुपरावतः // अग्निरुक्क्थेन वाहसा // उपयामगृहीतोसि KAKKARACKAGE For Private And Personal Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir KHOAAAAA96** HOCHOROGATHA वैश्वानुरायत्वैपतेयोनिर्वैश्वानरायत्वा // 8 // अग्निक्रपि’ ॥अ ग्निर्ऋषिपर्वमानल्पाञ्चजन्य पुरोहित // तीमहेमहागयम् // उपयामगृहीतोस्युग्नयत्वावर्चसऽएपतेयोनिग्नयत्वावर्चसे // ॥९॥महाँ२ऽइन्द्रः // महाँ२ऽइन्द्रोबज्रहस्तस्पोडशीशर्मयच्छ / तु॥ हन्तुपाप्प्मानुय्योस्म्मान्द्वेष्टि // उपयामगृहीतोसिमहेन्द्रा है। इयत्वैपतेयोनिमहेन्द्रायत्वा // 10 // तंवः // तंबौदुस्म्ममृतीप हंबसौर्मन्दानमन्धसः॥अभिवत्सन्नखसंरेषुधेनवऽइन्द्रङ्गीभि For Private And Persons Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 26 // KANGANAGANAGAR नवामहे॥११॥यद्वाहिष्टुम् ॥यवाहिष्ठन्तदुग्नयेबृहदचब्विभाव उ.अ. सो॥ महिषीवत्वगुयिस्त्वद्वाजाऽउदीरते॥१२॥ एहि // एहयु / पुबाणितेग्नंऽइत्थेतरागिरः॥ एभि सऽइन्दुभिः॥ 13 // ऋतवस्ते // ऋतवस्तेयुवितन्वन्तुमासारक्षन्तुतेहविः // संवत्स रस्तैय॒ज्ञन्दधातुनहप्पुजाञ्चपरिपातुन॥१४॥ उपढरेगिरिणाम्॥ उपह्वरेगिरीणासङ्गमेचनदीनाम्॥धियाविप्रोऽअजायत॥१५॥ [15] उच्चाते // उच्चातैजातमन्धसोदिविसद्भुम्म्यादंदे॥ उग्ग्रा // 48 // For Private And Personal Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SUMARRECCASUALS शर्ममहिश्श्रवः // 16 // सनः // सनुऽइन्द्रायुयज्यवेवरुणाय मुरुद्धयः // वरिवोवित्परिस्रव ॥१७॥एनाविश्वानि // एनावि श्वान्युर्यऽआद्युम्नानिमानुषाणाम्॥सिपासन्तोवनामहे // 18 // अनुवीरे? // अनुवीरैरनुपुष्प्यास्म्मगोभिरन्न्वश्वैरनुसर्वेणपुष्टै // 3 अनुद्द्विपदानुचतुष्प्पदावयन्देवानौयज्ञमृतुथानयन्तु॥१९॥ ग्ग्नेपत्नी // अग्नेपत्कीरिहावहदेवानामुशतीरुप // त्वष्टारसो 3 मपीतये // 20 // अभियज्ञम् // अभियज्ञङ्गृणीहिनोग्नावोनेष्टु For Private And Personal Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. // 49 // // 26 // संहि. पि4ऽऋतुना // त्वहिरत्नुधाऽअसि ॥२१॥विणोदापिपीप इति / जुहोतप्पचतिष्ठत // नेष्ट्राद्दुतुभिरिष्ष्यत॥२२॥तवायम्॥ तवायब्सोमस्त्वमेार्वाईश्वत्तमसुमनाऽअस्यपाहि // अस्म्मि / न्यज्ञेबुर्हिष्ष्यानिषद्यादधिष्ष्वेमञ्जठरऽइन्दुमिन्द्र // 23 // अमे वन॥ अमेवनस्सुहवाऽआहिगन्तनुनिबर्हिर्पिसदतनारणिष्ठन // अामन्दखजुजुषाणोऽअन्धसुस्त्वष्टईवेभिर्जनिमित्सुमणा // 49 २४॥स्वादिष्ठयामदिष्ठया॥ खादिष्टयामदिष्ठयापर्वखसोमधा / TAMAC554545455 // For Private And Personal Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir च्यंत्वाज्यस्यहोतयं // 5 // होतोयक्षदुषेऽइन्द्रस्य / धेनूसुद् घेमातरामही॥ सवातरौनतेजसाबुत्समिन्द्रमवर्द्धतांबीतामाज्य / स्यहोतर्यज॥६॥होतोयक्षुदैव्याहोतारा / भिषजासखायाह / विषेन्द्रम्भिषज्यतः // कुवीदेवौप्प्रचेतसाविन्द्रीयधत्तऽइन्द्रियं / / बीतामाज्यस्यहोतुर्यज॥७॥ होतायक्षत्तिस्रोदेवी? // होता / यक्षत्तिस्रोदेवीनभैषजन्त्रयस्त्रिधातवोपसऽ इडासरखतीभारती है। मही? // इन्द्रपत्नीह॒विष्म्मतीय॑न्त्वाज्यस्यहोतयंज // 8 // For Private And Personal Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit उ. अ. // 28 // // 57 // होत्यक्षत्वष्टारमिन्द्रम् // होतायक्षुत्वष्टारमिन्द्रन्देवम्भुिषज सुयजङ्कृतश्रियम् // पुरुरूपन्सुरेतसम्मघोनमिन्द्रीयुत्वष्टादधा / दिन्द्रियाणिवेत्वाज्यस्यहोतयंज // 9 // होतायावनस्पति शमितारम्॥होतायावनस्पति शमिता शतऋतुन्धियोजो / शिष्टारमिन्द्रियम् // महासमञ्जन्पथिभिःसुगेभिल्खदातियज्ञम्म धुनाघृतेनुक्वेत्वाज्यस्यहोतयंज // 10 // होतायादिन्द्रखा / / हो // होत्यादिन्द्रुष्ठंखाहाज्यस्युखाहामेदसत्खाहास्तोका // 57 // For Private And Personal Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir नाखाहाखाहाकृतीना/खााहध्यसूक्तीनाम् // खाादेवाऽ आज्यपार्जुपाणाऽइन्द्रऽआज्यस्यध्यन्तुहोतयंज॥११॥[११] / देवम्बहिरिन्द्र सुदेवन्दुवै:रवस्तीर्णवेद्यामवर्द्धयत् // वस्तोव॒त / / म्प्राक्तो तन्शयावर्हिष्म्मतोत्य॑गावसुवनेश्वसुधेयस्यवेतुयज // // 12 // देवीद्वारः // देवीरऽइन्द्रसङ्घातबीड्डी-मन्नवर्द्ध / यन् ॥आवत्सेनतरुणेनकुमारेणचमीवुतापाटण रेणुककाटन्नुद। न्तांबसुवनैवसुधेयस्यध्यन्तुयजे // 13 // देवीऽउपासानक्ता // दे / For Private And Personal Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. संहि. // 58 // // 28 // KOSROCIRONMENUGRES वीऽउपासानक्तेन्द्रय्यज्ञेप्रयत्यह्वेताम्॥दैवीविशल्प्रायोसिष्ठा सुप्तीतसुधितवसुवनैवसुधेयस्यबीतांव्यज // 14 // देवीजोष्टी // देवीजोष्टीवसुधितीदेवमिन्द्रमवद्धताम् // अर्याध्यन्न्याघाद्वेषा स्यान्न्यावक्षद्वसुवाऱ्यांणियजमानायशिक्षितेर्वसुवनेवसुधेयस्यवी / तांय्यजे // 15 // देवीऽऊर्जाहुती॥ देवीऽऊर्जाहुतीदुघेसुदुघेप / यसेन्द्रमवर्द्धताम् // इषमूर्जमन्न्यावक्षत्सग्ग्धिहसपीतिमुन्यानवे नपूर्वन्दर्यमानेपुराणेनुनवमातामूर्जमुर्जाहुतीऽऊर्जयमानेवसु / // 58 // For Private And Personal Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir GR O वाऱ्यांणियजमानायशिक्षितेवसुवनेवसुधेयस्यबीतांय्यज॥१६॥ देवादैच्या // देवादैच्याहोतारादेवमिन्द्रमवर्द्धताम् // हुताघश सावाभीष्टीवसुवााणियजमानायशिक्षितौवसुवनैवसुधेयस्य | बीतांय्यजे // 17 // देवीस्तिस्रः // देवीस्तिस्रस्तिस्रोदेवीश्पति / मिन्द्रेमवर्द्धयन् // अस्पृक्षद्भारतीदिवरुद्वैर्यान्सरखतीडाब। सुमतीगृहान्वसुवनेवसुधेयस्यच्यन्तुयजे॥१८॥ देवऽइन्द्रः॥ देवऽइन्द्रोनराशन्सस्त्रिवरूथस्त्रिबन्धुरोदेवमिन्द्रमवर्द्धयत् ॥शु HS** * * For Private And Personal Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kishsagarsuri Gyanmandit उ. अ. // 28 // NAGARICICROGRUARCLICROGRICKAGA शितिपृष्ठानामाहितत्सहस्रेण प्रवर्त्ततेमित्रावरुणेदश्यहोत्रम हतोबृहस्पतिस्तोत्रमश्विनाद्भर्यवंश्वसुवने वसुधेयस्यव्वेतुयज // // 19 // देवोदेवैः // देवोदेवैर्वनस्पतिर्हिर॑ण्ण्यपर्णोमधुशाखल्सु पिप्पुलोदेवमिन्द्रेमवर्द्धयत् // दिवमग्ग्रेणास्पृक्षदान्तरिक्षम्पृथि वीमव्हीवसुवने वसुधेयस्यत्वेतुयजे॥२०॥ देवम्बर्हिः // देवम्ब / / हिर्वारितीनान्देवमिन्द्रमवर्द्धयत्॥स्वासस्त्थमिन्द्रेणासन्नमन्न्या / / बहीष्यभ्यभूवसुवनैवसुधेयस्यत्वेतुयज॥ 21 // देवोऽअग्निशा| For Private And Personal Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir FACEKACHARACK देवोऽअग्निविष्टकृहेवमिन्द्रमवर्द्धयत् // विष्टङ्कुर्वन्त्सिष्टकृत्खि / / टमद्यकरोतुनोवसुवनवसुधेयस्यवेतुयज // 22 // अग्निमुद्यहोता / रमवृणीतायंय्यजमानरूपचन्पक्ती पचन्पुरोडाशम्बध्नन्निन्द्राय / च्छागम् // सूपस्त्थाऽअद्यदेवोबनस्पतिरभवदिन्द्रायच्छागेन। अघुतम्मेदस्तश्प्प्रतिपचताग्ग्रंभीदवीवृधत्पुरोडाशैन // त्वामुद्यऽ ऋपे // 23 // [12] होतायक्षत् // होतायक्षत्समिधानम्महद्य शुल्सुसमिद्धंवरेण्यमग्निमिन्द्रंबयोधसम्॥गायत्रीञ्छन्दऽइन्द्रिय For Private And Personal Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir उ. अ. संहि. // 60 // // 28 // LONDOLA545454 व्यविङ्गांवयोदधद्वेत्वाज्यस्यहोतयंज // 24 // होतायक्षत्तनू / नपातमुद्भिदम् // होतायक्षत्तनुनपातमुद्भिदंय्यङ्ग मदितिर्दधे / शुचिमिन्द्रंबयोधसम् // उष्णिहुञ्छन्दऽइन्द्रियन्दित्युवाहङ्गा / वयोदधवेत्वाज्यस्यहोतयंज॥२५॥होतायक्षदीडेन्यमीडितम्॥ 3 होतायक्षदीडेन्यमीडितंवृत्रहन्तममिडाभिरीडयट सहत्सोमा / मिन्द्रवयोधसम् // अनुष्टुभञ्छन्दऽइन्द्रियम्पञ्चाविङ्गांवयोदध : वत्वाज्यस्युहोतयंज // 26 // होतायक्षत्सुबर्हिपम्पूषण्वन्तम् // For Private And Personal Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir Wonostotn होतायक्षत्सुवर्हिपम्पूषण्वन्तममर्त्यव्सीदन्तम्बर्हिषिष्प्रियेमृते इन्द्रंबयोधसम्।।बृहतीञ्छन्दऽइन्द्रियत्रिवत्सङ्गांबयोदधवेत्वाज्य / / स्यहोतयंज ॥२७॥होतायक्षद्वयचखतीत्सुप्मायणा॥होता / यक्षद्वयचखतीसुप्पायुणाऽऋतावृधोद्वारौदेवीहिरण्ययीव॒हमा / श्णमिन्द्रंबयोधसम् // पङ्क्तिञ्छन्दऽइहेन्द्रियन्तुर्य्यवाहुङ्गांबयोद / अधयन्त्वाज्यस्यहोतर्यजं // 28 // होतोयक्षत्सुपेशसासुशिल्प्पे / बहुतीऽउभेनकोषासानदर्शतेविश्वुमिन्द्रंवयोधसम्॥त्रुिष्टुभुञ्छ। oterten For Private And Personal Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. // 28 // न्देऽ इहेन्द्रियम्पष्टुवाहङ्गांबयोदधङीतामाज्यस्यहोतयं // // 29 // होतायक्षत्प्रचेतसादेवानामुत्तमंय्यशोहोतारादैाकवी / सयुजेन्द्रंबयोधसम् // जगतीञ्छन्दऽइन्द्रियमनबाहङ्गाबयोद धवीतामाज्यस्यहोतयंज॥३०॥होत्यक्षुत्पेशंखतीस्तिस्र॥ होतोयक्षपेशंखतीस्तिस्रोदेवीहिरण्ण्ययीऔरतीहतीर्मही पतिमिन्द्रंबयोधसम् ॥विराजञ्छन्दऽइहेन्द्रियन्धेनुङ्गानवयोदा।। धद्वयन्त्वाज्यस्युहोतयंज // 31 // होतायक्षत्सुरेतसन्त्वष्टारम्॥ For Private And Personal Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir होतोयक्षत्सुरेतसन्त्वष्टारम्पुष्टिवर्द्धन रूपाणिबिभ्रतुम्पृथुक्पु / Eष्टिमिन्द्रंबयोधसम् // द्विपदुञ्छन्दऽइन्द्रियमुक्षाणुङ्गानवयोदध है। वत्वाज्यस्यहोतर्यज॥३२॥होतायावनस्पतिशमितारम्।। होतायावनस्पति शमितारशतऋतुहिरण्ण्यपर्णमुक्त्थि नहरशनाम्बिभ्रतंबशिम्भगमिन्द्रंबयोधसम् // ककुभञ्छन्द इहेन्द्रियंवशांबेहतङ्गांबयोदधुवेत्वाज्यस्यहोतुर्यजे ॥३३॥हो / तायक्षत्साहाकृतीरग्निम् // होतायक्षुत्वाहाकृतीरग्निङ्गुहप॑तिम् / / SH+SHRSS For Private And Personal Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit उ. अ. // 28 // संहि. थुग्ग्वरुणम्भेषजङ्कुवित्रत्रमिन्द्रंबयोधसम् // अतिच्छन्दसञ्छ| // 62 // न्देऽइन्द्रियम्बृहदृषभङ्गांबयोदधद्वयन्त्वाज्यस्यहोतुर्य्यज।३४। [11] देवम्बर्हिः // देवम्बर्हिवयोधसन्देवमिन्द्रमवर्द्धयन् ॥गा / यत्र्याच्छन्दसेन्द्रियञ्चक्षुरिन्द्रेश्वयोदधद्वसुवनेवसुधेयस्यव्वेतुयजे // 35 // देवीरः // देवीवारोबयोधसम्शुचिमिन्द्रमवर्द्धयन्॥ उष्ष्णिहाच्छन्दसेन्द्रियम्प्राणमिन्द्रेवयोदधवसुवनैवसुधेयस्यध्य // 2 // न्तुयजं // 36 // देवीऽउपासानता। देवमिन्द्रंबोधसन्देवीदे OCALGAOCALCALCUCUMMONDO For Private And Personal Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir KASAMA X894%*%*%*KOR वर्मबर्द्धताम् // अनुष्टुभाच्छन्दसेन्द्रुियम्बलमिन्द्रेवयोदधद्वसुव नेवसुधेयस्यबीतांय्यज // 37 // देवीजोष्टी // देवीजोष्टीवसुधि / तीदेवमिन्द्रवयोधसन्देवीदेवमवर्द्धताम् // बृहत्याच्छन्दसेन्द्रि / यश्रोत्रमिन्द्रेवोदधवसुवनैवसुधेयस्यबीतांय्यज॥३८॥देवी ऊर्जाहुती॥ देवीऽऊर्जाहुतीदुघेसुदुघेपयुसेन्द्रम्वोधसन्देवीदे वर्मवर्द्धताम् // पतयाच्छन्दसेन्द्रिय शुक्रमिन्द्रेवयोदधवसुवने / वसुधेयस्यबीतांय्यज // 39 // देवादैयाँ // दुवादैच्याहोतारादेव / / For Private And Personal Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. m // 63 // // 28 // RECORRUC5554 मिन्द्रं वयोधसन्देवौदेवमवर्द्धताम्॥त्रिष्टभाच्छन्दसेन्द्रियविपि / मिन्द्रेश्वोदधद्वसुवनवसुधेयस्यबीतांय्यज॥४०॥ देवीस्तिस्रः // देवीस्तिस्रस्तिस्रोदेवीवयोधसम्पतिमिन्द्रमवर्द्धयन्॥जगत्याच्छ / न्दसेन्द्रिय शूपमिन्द्रेवयोदधद्वसुवनेवसुधेयस्यध्यन्तुयज / 41 // देवोनराशसः // देवोनराशम्सौदेवमिन्द्रं वयोधसन्देवोदेवमेव / / ईयत् // विराजाच्छन्दसेन्द्रियरूपमिन्द्रेवयोदधद्वसुवनैवसुधे हैं। यस्यत्वेतुयजे॥४२॥ देवोवनस्पतिः // देवोवनस्प्पतिवमिन्द्रव / For Private And Personal Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir SORTORDERA योधसन्देवोदेवमवर्द्धयत्॥ द्विपदाच्छन्दसेन्द्रियम्भगमिन्द्रेवयो दधद्वसुवनेवसुधेयस्यबेतुयजे // 43 // देवम्बर्हिः॥ देवम्बहिर्वारिती / नान्देवमिन्द्रंबयोधसन्देवन्देवमंवर्द्धयत् // ककुभाच्छन्दसेन्द्रि है। यंय्यशऽइन्द्रेवयोदधद्वसुवनेवसुधेयस्यवेतुयज // 44 // देवोऽआ निखिष्टकृद्देवमिन्द्रंबयोधसन्देवोदेवमवर्द्धयत् // अतिच्छन्द / साच्छन्दसेन्द्रियङ्क्षत्रमिन्द्रेवयोदधवसुवनेवसुधेयस्यव्वेतुयजे // // 45 // अग्निमुद्यहोतारमवृणीतायंय्यजमानुपचुन्न्पहील्पच / / For Private And Personal Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandi उ. अ. संहि. // 6 // 36 SECREOSOTSHOSHO***** न्पुरोडाशम्बध्नन्निन्द्रायवयोधसेच्छागम् // सूपस्त्थाऽअद्यदेवो / नस्पतिरभवदिन्द्रायवयोधसेच्छागेन // अघतम्मैदस्त प्रतिप // 29 // चताग्भीदवीवृधत्पुरोडाशैन॥त्वामुद्यऽऋषे॥४६॥[१२] // 4 // इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांऽअष्टाविंशोऽध्यायः॥२८॥ श्रीवेद / पुरुषायनमः // अनुवाक्सूत्रम् // समिद्धोअंजन्नेकादशयदक्रंदन योदशसमिद्धोअद्यद्वादशकेतुंकृण्वंश्चतुर्विशतिश्चत्वारःपष्टिः // 6 // 64 हरिःॐसमिद्धोऽअञ्जन् // समिद्धोऽअञ्जकृदरम्मतीनाङ्कृतमग्ने For Private And Personal Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandi ARTISTICICICISGARLS मधुमत्पिन्व॑मानः ॥बाजीबहन्न्वाजिनञ्जातवेदोदेवानांवक्षिप्ति यासुधस्त्थम् // 1 // घृतेनाजन् // घृतेनाञ्जन्त्सम्पथोदेवयाना : प्रजानन्याज्यप्प्यैतुदेवान् // अनुत्वासप्प्लेप्प्रदिशः सचन्ता खुधामस्म्मैयजमानायधेहि॥२॥ ईड्डयश्च // ईड्डयुच्चासिवन्ध चवाजिन्नाशुश्चासिमेयच्चसप्ते // अग्निष्ट्वादेवैर्वसुभिल्सजो पाहप्पीतंबन्हिबहतुजातवेदाः // 3 // स्तीर्णम्बर्हिसुष्टरीमाजु पाणोरुपृथुप्पथमानम्पृथिव्याम्॥ देवेभिर्युक्तमदिति सजोषाः WHATHRASEARS For Private And Personal Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ.अ. // 65 // // 29 // CACIRCRACTICAIGANGANICALCRIGAN स्योनःण्वानासुवितेदधातु॥४॥ एताऽउवह / सुभगाविश्वरूपा विपक्षोभित्श्रयमाणाऽउदातै // ऋष्ष्वासतीश्वपशुम्भमा नाहारौदेवीसुप्पायणाभवंतु॥५॥ अन्तरामित्रावरुणा ॥अन्त / रामित्रावरुणाचरन्तीमुर्खय्यज्ञानामभिसंविदाने॥उपासावा सुहिरण्ण्येसुशिल्प्पेऽऋतस्युयोनाविहादयामि॥६॥ प्रथमावा म् // प्रथमावासरथिनासुवर्णादेवौपश्यन्तौभुवनानिविश्वा॥ अपिंप्रयुञ्चोदनावाम्मिमानाहोताराज्योति:प्रदिशादिशन्ता PUHASHISHS+ORCHISHAAG For Private And Personal Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandie // 7 // आदित्यैन’ // आदित्यै!भारतीवष्टुयज्ञन्सरखतीसह रुदैन्न आवीत् // इडोपहूतावसुभित्सजोषायज्ञन्नौदेवीरमृतेषुध ! त्ति॥ 8 // त्वष्टावीरम् // त्वष्टावीरन्देवकामञ्जजानुत्वष्टराजाय / तऽआशुरवः // त्वष्टेदंबिश्वम्भुवनञ्जजानबहोश्कर्तारमिहयक्षि / होता // 9 // अश्चौघृतेनुत्मन्न्यासमक्तऽउपदेवाँ२ऽऋतुशपाथऽ / एतु // बनस्पतिर्देवलोकम्प्रजानन्नग्निाच्याखेदितानिवक्षत् // 10 // प्रजापतेस्तपसा। वावृधानसुद्योजातोदधिषेयुज्ञमग्ने // For Private And Personal Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 66 // MUSALMASSAMAGR555 खाहाकृतेनहुविापुरोगायाहिसाध्याहुविरदन्तुदेवा // 11 // [11] यदन्द। प्रथमञ्जायमानऽउद्यन्त्समुद्रादुतवापुरीपा / त् // श्येनस्यपक्षाहरिणस्यवाहूऽउपस्तुत्युम्महिजातन्तेऽअर्बन ॥१२॥युमे दत्तम् ॥यमे दत्तन्त्रितऽएनमायुनुगिन्द्रऽएणम्प / थमोऽअद्यतिष्ठत् // गन्धर्वोऽअस्यरशनामगृभ्णात्सूरादश्चैवसवो / / निरंतष्ट // 13 // असियमः ॥असियमोऽअस्यादित्योऽअर्बनर्सि त्रितोगुह्येनतेन // असिसोमेनसमयावितऽआहुस्तुत्रीणिदि / For Private And Personal Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir **** विबन्धनानि // 14 // त्रीणिते ॥त्रीणितऽआहुर्दिविबन्धनानि त्रीण्यप्प्सुत्रीण्यंतसमुद्रे // उतेवमेवरुणश्छन्त्स्यर्वन्यत्रातऽआ है, हुपरमञ्जनित्रम्॥१५॥इमातैवाजिन्नवमार्जनानीमाशुफान सनितुर्निधाना // अतिभद्रारशनाऽअपश्यमृतस्ययाऽअभिर क्षन्तिगोपा // 16 // आत्मानन्ते // आत्मानन्तेमनसारादेजा है। नामवोदुिवापुतयन्तम्पतङ्गम् // शिरोऽअपश्यन्पथिमि सुगेभि ररेणुभिर्जेहमानम्पतत्रि॥१७॥ अत्राते।रूपमुत्तममपश्यञ्जि **** For Private And Personal Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 67 // गौषमाणमिषऽआपदेगोर॥ युदात्मनॊऽअनुभोगमानडादिद्ग्र सिष्टुऽओषधीरजीगढ॥१८॥अनुत्वा ॥अनुत्वारथोऽअनुमोऽ/ अन्ननुगावोनुभग कुनीनाम्॥ अनुजातासस्तवसक्ख्यमीयुरनु देवाममिरेब्बीर्य्यन्ते॥१९॥ हिर॑ण्ण्यशृङ्गोयः॥ हिरण्ण्यशृङ्गो योऽअस्यपादामनोजवाऽअवरऽइन्द्रआसीत् // देवाऽइदस्यहवि / / रद्यमायन्योऽअव॑न्तम्प्रथमोऽअद्ध्यतिष्ठत् // 20 // ईन्तिोसला // 7 // सिलिंकमध्यमासह // ईन्तिोसलसिलिकमद्यमासुसम्शूर्पणा For Private And Personal Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir HASANSARASS सोदिच्यासोऽअत्यहि // हुत्साऽईवश्श्रेणिशोयतन्तेयदाक्षिपुर्दि ध्यमज्म्ममश्चौ // 21 // तवशरीरम् // तवशरीरम्पतयिष्ष्ण्वई , न्तचित्तंबातऽइबुद्धजीमान् // तवशृङ्गाणिविष्टुितापुरुत्रारण्येषु / जर्भुराणाचरन्ति // 22 // उपप्प // उपप्पागाच्छसनंबाज्यवाद / वगीचामनसादीद्यान // अजयपुरोनीयतेनाभिरस्या पश्चात्क। वयोयन्तिरेभा॥२३॥ उपप्प ॥उपप्पागात्परमंय्यत्सधस्त्थुम / वरिऽअच्छोपितरम्मातरञ्च // अद्यादेवाजुष्टुंतमोहिगम्म्याऽऽ For Private And Personal Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. // 29 // संहि.थाशास्तेदाशुषेवाऱ्यांणि // 24 // [13] समिद्धोऽअद्य। मनुषो / // 68 // दुरोणेदेवोदेवान्यजसिजातवेदः॥ आचवहमित्रमहश्चिकृित्वा / इन्त्वन्दूतश्कविरसिप्पचैताः // 25 // तनूनपात्पुथः // तनूनपात्प थऽऋतस्ययानान्मौसमञ्जन्त्वदयासुजिह्व // मन्मानिधीभि / रुतयज्ञमृन्धन्दैवत्राचकृणुह्य रन्नः // 26 // नराशसस्यमहि / मानम् // नराशसस्यमहिमानमेपामुपस्तोपामयजतस्ययज्ञैः॥ // 6 // येसुक्रतवत्शुचयोधियन्धाश्वदन्तिदेवाऽभयांनिहच्या॥२७॥ SAMOSAGARMACLEROCEDGk For Private And Personal Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir आजुह्वान ईड्यः॥आजुह्वानुऽईडयोबन्धश्चायाहयग्नेवसुभिः / सजोषाः // त्वन्देवानामसियतहोतासऽएतान्यक्षीपितोयजीया / न्॥२८॥प्राचीनम्बर्हि? / प्रदिशापृथिव्यावस्तौरस्थावज्यते अग्ग्रेऽअन्हाम् // व्युप्प्रथतेवितरंबरीयोदेवेभ्योऽअदितयेस्योन। म् // 29 // घ्यचखतीरुर्विया। विश्रयन्ताम्पतिभ्योनजनयः / शुम्भमानाः // देवीवारोबृहतीविश्वमिन्न्वादेवेभ्योभवतसुप्पा / यणा॥३०॥ आसुष्ष्वयन्ती। यजतेऽउपाकेऽउपासानक्तांसद For Private And Personal Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. संहितान्नियोनौ // दिध्येयोपणेबृहतीसुरुक्मेऽअधिश्श्रियन्शुऋपिशा // 690 इन्दधाने // 31 // दैच्याहोतारा। प्रथमासुवाचामिमानायज्ञम्म / नुषोयजये // प्रचोदयन्ताविदथेषुकारूप्पाचीनज्योति प्रदि / शादिशन्ता // 32 // आनः॥ आनौयज्ञम्भारतीतूयमेविडोम / / नुष्ष्वदिहचेतयन्ती॥ तिस्रोदेवीवहिरेदस्योन सरखतीखप / / सहसदन्तु // 33 // यडुमे / द्यावापृथिवीजनित्रीरुपैरपिशड // 19 // वनानिविश्वा // तमुद्यौतरिषितोयजीयान्देवन्त्वष्टारमिहयक्षि / ACANCCCCC015 For Private And Personal Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CONNOIDANGALORECARRACK विद्वान् // 34 // उपावसृजत्मन्यो / समञ्जन्देवानाम्पार्थऽऋतु / थाहुवीपि // वनस्पति शमितादेवोऽअग्निश्वदन्तुहुध्यम्मधु / नाघृतेन // 35 // सद्योजात? // सद्योजातोध्यमिमीतयज्ञमग्नि / हेवानामभवत्पुरोगांशाअस्यहोतु:प्पदिश्यतस्यबाचिस्खााकृत हुविरदन्तुदेवाय // 36 // [12] केतुङ्कण्वन् केतुकृण्वन्नकेतवे / / पेशोमाऽअपेशसै // समुषद्भिरजायथा ॥३७॥जीमूतस्येव / / भवति॥जीमूतस्येवभवतिप्प्रतीकंय्यद्गुर्मीयातिसुमदामुपस्त्थे। / / For Private And Personal Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. // 29 // संहि. अनाविद्धयातन्वाजयत्वसत्वावम॑णोमहिमापिपर्तु॥ 38 // // 7 // धन्वनागा // धन्वनागाधन्वनाजिञ्जयेमधन्वनातीबारसमदौ / *जयेम ॥धनुत्शत्रौरपकामकृणोतिधन्वनासाहप्पदिशौजयेम है। ॥३९॥वक्ष्यन्तीवेत् ॥बुक्ष्यन्तीवेदागनीगन्तिकणम्पियन्सखा / यम्परिषखजाना॥ योवशिङ्केवितताधिधन्वयाऽइयसमैने / पारयन्ती॥४०॥ तेऽआचरन्ती॥ तेऽआचरन्तीसमनवयोषामा 2 // 70 // तेवपुत्रम्बिभृतामुपस्त्यै। अपशत्रून्विद्यतासंविदानेऽआत्नी For Private And Personal Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 1964 toto KOSTOSOGATORIO इमेविष्प्पुरन्तीऽअमित्रान् // 41 // बबीनाम्पिता / बहुरस्यपुत्र / श्चुिच्चाकृणोतिसमनागत्य // इषुधिल्सङ्कास्पृतनाच्चसर्वोत्प लेनिनखोजयतिप्प्रसूतः // 42 // रथेतिष्ठन् // रथेतिष्ठन्नयतिवा / जिन पुरोयत्र यत्रकामयतेसुषारथिः ॥अभीशूनाम्महिमानम्प नायतमन:पश्चाद यच्छन्तिरश्म्मयः॥४३॥ तीबान्घोषाना तीबायोपान्कृण्ण्वतेवृषपाणुयोश्वारथैभित्सुहब्वाजयन्त // अव / कामन्तहप्पपदैरमित्रोन्क्षुिणन्तिश१रनपध्ययन्त // 44 // For Private And Personal Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 6 - उ. अ. साह. // 7 // // 29 // SAMSUGAMACHALSANGALOG रथवाहणहविः // रथवाहणहुविरेस्यनामयत्रायुधन्निहितम स्यब्वमतत्रारथमुपशग्मध्सदेमविश्वाहाव्य सुमनुस्यमानाः | // 45 // स्वादुषसद पितरः॥स्वादुपुत्सद पितरौबयोधायक छेश्श्रितस्शक्तीवन्तोगभीरा // चित्रसेनाऽइपुंबलाऽअमृद्धास / तोवीराऽरवौवातसाहा // 46 // ब्राह्मणासहपितरः // ब्राहम णासपितरत्सोम्म्यासशिवेनोद्यावापृथिवीऽअनेहसा॥ पूषान पातुदुरितादृतावृधोरक्षामाकिन्नॊऽअघम्सि ईशत॥४७॥सुप / / For Private And Personal Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandir ISASSAGARRANGAL ण्णवस्ते। मृगोऽअस्यादन्तोगोभिल्सन्नद्धापततिप्प्रसूता॥यत्रान / / रहसञ्चविचंद्रवन्तितत्रासम्मन्भ्यमिवशर्मयम् संन् // 48 // ऋजीतेपरि / वृङिनोरम्मभिवतुनस्तनू? ॥सोमोऽअधिबवीतुनो। दितित्शर्मयच्छतु॥४९॥ आजवन्ति // आजवन्तिसान्वैपा / अघनाँउपजिग्नते // अश्चाजनिष्प्रचेतसोश्चान्त्समत्सुचोदय ॥५०॥अहिरिवभोगैः। पयतिबाहुज्यायाहेतिम्परिबाधमाना हस्तुग्नोबिश्वबियुनानिविद्वान्पुमान्पुमा सम्परिपातुविश्वतः For Private And Personal Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 72 // . . . . . // 29 // AACAROSAMACRECAUSA5645453 // 51 // वनस्प्पतेबीडङ्ग // बनस्पतेबीडङ्गोहिभूयाऽअस्म्मत्स। खाप्प्रतरणसुवीरः॥गोभिल्सन्नद्धोऽअसिबीडयखास्त्थातातैज / यतुजेत्वानि ॥५२॥दिवश्पृथिव्या? // दिवश्पृथिच्याश्पर्योजक उद्धृतंबनस्पतिब्भ्यत्पर्य्याभूत सहः // अपामोज्म्मानम्परिगो भिरावृतमिन्द्रस्युवज्रम्हविषारथंय्यज॥५३॥इन्द्रस्युबज्रः॥ इन्द्रस्यत्वज्ञौमुरुतामनीकंमित्रस्युग वरुणस्यनाभिः // से मान्नौहध्याति पाणोदेवरथष्पतिहघ्याभाय॥५४॥उपश्चा For Private And Personal Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir HOPOCHISHO सय / पृथिवीमुतद्याम्पुरुत्रातैमनुतांविष्ठितञ्जगत् // सर्दुन्दुभेस जूरिन्द्रेणदुवैईरादवीयोऽअसेधुशत्रून् // 55 // आऋन्दय // आई न्दयबलमोजोनुऽआधानिष्ट्रनिहिदुरिताबाधमानः // अपप्पो थदुन्दुभेदुच्छुनाऽइतऽइन्द्रस्यमुष्टिरेसिवीडयस्व ॥५६॥आमू॥ आमूरजप्प्रत्त्यावर्त्तयेमाश्कैतुमदुन्दुभिावदीति // समश्चपर्णा चरन्तिनोनरोस्म्माकमिन्द्रथिनौजयन्तु // 57 // आग्नेयश्क / इष्ष्णग्ग्रीव: / सारस्वतीमेपीबभ्रुश्सौम्म्यापौष्ष्णश्श्यामशिति For Private And Personal Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandit उ. अ. // 73 // // 29 // पृष्ठोबार्हस्प्पत्यशिल्प्पोवैश्वदेवऽऐन्द्रोरुणोमारुतश्कल्म्माषऽऐ / हिन्द्राग्नस हितोधोरमसावित्रोवारुण कृष्णऽएकशितिपात्ये / / त्वः // 58 // अग्नयेनीकवते // अग्नयेनीकवतुरोहिताञ्जिरनड्डा / नधो मौसावित्रौपौष्ष्णौरजतनाभीवैश्वदेवौपिशङ्गौतूपरौमारु तश्कुलम्माषऽआग्नेयश्कृष्ष्णोज सारस्वतीमेपीबारुणपेत्वः // // 59 // अग्नयेगायुत्राय / त्रिवृतेरार्थन्तरायाष्टाकपालऽइन्द्राय: // 73 // त्रैष्टुभायपञ्चदुशायबार्हतायैकादशकपालोविश्चैब्भ्योदुवेब्भ्यो BAB5454A For Private And Personal Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir * **** राडजायतविराजोऽअधिपूरुषः // सजातोऽअत्यरिच्यतपश्चाद्धू मिमथौपुर? // 5 // तस्माद्यज्ञात् // तस्माद्यज्ञात्सङ्घहुतत्सम्भृत सम्पृषदाज्यम्॥पुरा॒स्ताँश्चकेवायच्यानारण्ण्याग्ग्राम्म्याच्चये // 6 // तस्म्माधुज्ञात् // तस्माद्यज्ञात्सर्बहुतऽऋचत्सामानिजज्ञिरे // छन्दासिजज्ञिरेतस्म्माद्यजुस्तम्मादजायत // 7 // तस्म्माद श्वा ॥तस्मादश्वोऽअजायन्तयेकेचोभयादतः // गावौहजज्ञिरे / तस्मात्तस्माजाताऽअंजावयः // 8 // तंव्यज्ञम् // तंव्यज्ञम्ब * **** For Private And Personal Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir हिषिप्रौक्षन्पुरुषञ्जातम॑ग्यतः // ते देवाऽअयजन्तसायाऽऋप है यच्चये // 9 // यत्पुरुषम् ॥यत्पुरुषध्यदधुल्कतिधाध्यकल्प्पयन्॥ मुखङ्किमस्यासीत्किम्बाहूकिमूरूपादोऽउच्च्येते // 10 // ब्राहम णोस्य॥ब्राहमणोस्युमुखमासीद्वाहूराजन्य कृतः॥ऊरूतदस्य यद्वैश्य:पया शूद्रोऽअजायत // 11 // चन्द्रमामनस // च इन्द्रमामनसोजातश्चक्षोत्सूर्योऽअजायत॥श्रोत्राद्वायुच्चप्पा णञ्चमुखोदुग्निरजायत ॥१२॥नाब्भ्योऽआसीत् // नाब्भ्योऽ 4BCLOSSADANACADAAGRICX // 8 // For Private And Personal Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir HOROSKOSHUSHA आसीदुन्तरिक्षशीष्र्णोद्यौरसमवर्त्तत॥पञ्याम्भूमिर्दिशत्श्रोत्रा त्तिथालोकाँ२ऽअकल्प्पयन् // 13 // यत्पुरुषेण / हुविषादेवायज्ञ मतन्वत // वसन्तोस्यासीदाज्यङ्ग्रीष्म्मडुध्मशरद्धविः॥१४॥ सप्तास्यासन् // सप्तास्यासन्परिधयस्त्रिसप्तसमिधः कृताशादेवा यद्यज्ञन्तन्वानाऽअबभन्पुरुषम्पशुम् // 15 // यज्ञेनयज्ञम् // यज्ञे नयज्ञमयजन्तदेवास्तानिधर्माणिप्प्रथमान्यांसन्॥तेहुनाकम्म हिमान:सचन्तयत्रुपूर्वसाध्याश्सन्तिदेवा // 16 // [16] अन्य -COMSAUKRICC *****0973 teen AND For Private And Personal Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि-सम्भृतह। पृथिध्यैरसांचविश्वकर्मणल्समवर्त्तताग्ने॥तस्त्वष्टा / विदधद्रूपमैतितन्मय॑स्यदेवत्वमाजानुमग्ग्रे॥१७॥ वेदाहम् // वेदाहमेतम्पुरुषम्महान्तमादित्यवर्णन्तमसत्पुरस्तात् // तमेव / विदित्वातिमृत्युमैतिनान्यपन्थाविद्यतेयनाय ॥१८॥प्रजापति / चरति // प्रजापतिश्चरतिगर्भअन्तरजायमानोबहुधाविजाय / ते ॥तस्युयोनिम्परिपश्यन्तिधीरास्तस्म्मिन्हतस्त्थुर्भुवनानिवि / चौ // 19 // योदेवेभ्यः // योदेवेभ्य॑ऽआतपतियोदेवानाम्पु OCALCOMMC554534560 For Private And Personal Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ***ICA COSMOCASS*%*%* रोहितः॥पूर्बोयोदेवेभ्योजातोनमौरुचायवाहमये ॥२०॥रुच | हैम्बाहमम् // रुचम्बाहमञ्जनयन्तोदेवाऽअग्ग्रेतदेब्रुवन् // यस्त्वैव ब्राहमणोविद्यात्तस्यदेवाऽअसन्न्वशै // 21 // श्रीश्च // श्रीचते हैं। लक्ष्मीच्चपन्यांवहोरात्रेपार्जुनक्षेत्राणिरूपमश्विनौच्यात्तम् // इष्ष्णन्निपाणामुम्मऽइपाणसर्वलोकम्मऽइपाण // 22 // [6] // 2 // इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांएकत्रिंशोऽध्यायः // 31 // श्रीवेदपु / रुषायनमः // अनुवाकसूत्रम् // तदेवसप्तवेनस्तन्नवद्वौषोडश For Private And Personal Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir H साद उ. अ. // 82 // // 32 // OSTEOAXHX4O******* हरिःॐतदेव॥तदेवाग्निस्तदादित्यस्तवायुस्तदुचन्द्रमा // तदेव / शुक्रन्तब्रहमताऽआपल्सप्प्रजापतिः॥१॥सर्बेनिमेपा॥ सर्बेनि मेपार्जज्ञिरेविद्युतत्पुरुषादधि // नैनमूर्धन्नतिय॑ञ्चन्नमद्यपरिज / ग्ग्रभत् ॥२॥नतस्य / प्रतिमाऽअस्तियस्युनाममहद्यशः॥हिर पण्यगर्भऽइत्येपमामाहिसीदित्येपायम्मान्नजातऽइत्येप? // // 3 // एषोह। देवश्मृदिशोनुसर्वाश्पूर्बोहजातत्सऽगर्भेऽअन्तः॥ सऽएवजातसनिष्ष्यमाणहप्प्रत्यङ्गनास्तिष्ठतिसर्वतोमुखत॥४॥ AARAKHARSHA // 82 // For Private And Personal Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ F Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ACRACKAIRATIONAKAIRANG यसम्माजातम् // यस्म्माजातन्नपुराकिञ्चनैवयऽआबभूवभुवना निविश्च // प्रजापतित्प्पूजयासरराणस्त्रीणिज्योतीपिसच / तेसपौडशी॥५॥ येनद्यौर॥ येनद्यौरुग्नापृथिवीचदृढायेनस्व / हस्तभितंय्येनुनाकः ॥योऽअन्तरिक्षेरजसोविमानल्कस्म्मैदेवाय / / हुविविधेम // 6 // यत्रन्दसी // यऋन्दसीऽअवसातस्तभानेऽ अभ्यैक्षेताम्मनसारेजमाने॥ यत्राधिसरऽउदितोविभातिकस्म्मै / देवायहविषाविधेम // आपोहयदृहुतीयंश्चिदार्पः॥७॥[७] #itft ASSAXUDAICHISHASAMA For Private And Personal Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Svi Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 32 // KAROKARKAKACACANSAL बेनस्तत्॥नस्तत्पश्यन्निहितङ्गुहासद्यविश्वम्भवत्येकनीडम्॥ उ. अ तस्मिन्निद सञ्चविचैतिसदसऽओतप्रोतश्चबिभूप्प्रजासु // // 8 // प्रतत् // प्रतवोचेदुमृतन्नुविद्वान्गन्धर्वाधामभृितहास है। त् // त्रीणिपदानिनिहितागुहास्युयस्तानिबेदुसपितुपतासत् // // 9 // सनः॥ सनोबन्धुजनितासबिधाताधामानिवेदुभुवनानि / / विश्वायत्रदेवाऽअमृतमानशानास्तृतीयेधामन्नद्यैरयन्त॥१०॥ परीत्यंभूतानि / परीत्यलोकान्पुरीत्साहप्पदिशोदिशश्च // For Private And Personal Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उपस्त्थायप्प्रथमजामृतस्यात्क्मनात्क्मानमुभिसंविवेश॥११॥ परिद्यावापृथिवी / सुद्यऽइत्वापरिलोकान्परिदिशुल्परिख ॥ऋत / / स्यतन्तुंविततंबित्युतदंपश्यत्तदभवत्तदासीत् // 12 // सदसुस्प्प / / तिम् // सदसुस्प्पतिमद्भुतम्प्रियमिन्द्रस्यकाम्म्यम् ॥सनिम्मेधाम / / यासिपखाहो // 13 // याम्मेधाम् // याम्मेधान्देवगणापित / चोपासते ॥तयामामुद्यमेधयाग्नेमेधाविनकुरुवाहा // 14 // मेधाम्मै // मेधाम्मेवरुणोददातुमेधामग्निश्प्रजापतिः॥मेधामि For Private And Personal Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ.अ. // 33 // 64GDCARBONES न्द्रश्चवायुश्चमेधान्धाताददातुमेखा // 15 // इदम्मे // इद / / म्मेबहर्मचक्षत्रञ्चोभेश्श्रियमश्नुताम् ॥मर्यिदेवादधतुश्श्रियमुत्त / मांत्तस्यैतेखाहो // 16 // [9] // 2 // इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांद्वा / त्रिंशोऽध्यायः॥३२॥ श्रीवेदपुरुषायनमः // अनुवाकसूत्रम् // अस्याजरासः सप्तदशापश्चित्द्वादशविभ्राट्चतुर्दशप्रवावृजएका / दशपवायुप्रवीरयापंचदशकावानस्त्रयोदशसप्तसप्तनवतिः ॥हरिः ॐ अस्याजरासह // अस्याजरांसोदुमारित्राऽअर्चर्दूमासोऽअग्न / S // 84 // For Private And Personal Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir **** * HOT206434874034 य: पावकाशश्चितीचय:श्वात्रासोभुरण्ण्योवनर्पदोवायवोनसो / माई // 1 // हर॑योधूमकैतव ॥हर्रयोधूमकेतवोव्वातजूताऽउपद्य / वियतन्तेबृथगुग्नयः॥ 2 // यजानः // यजानोमित्रावरुणा / / यादेवाँरऋतम्बृहत् // अग्नेयक्षिखन्दमम् // 3 // युक्क्ष्वाहि। 3 देवहूतमाँअश्चारअग्नेस्थीरिव ॥निहोतापूर्घ्यश्सदह॥४॥ववि रूपे। चरतत्वत्थेऽअन्न्यान्यावत्समुफ्धापयेते॥हरिरन्यस्याम्भ वतिस्वधावाञ्छुक्रोऽअन्न्यस्यान्ददृशेसुवर्चील॥५॥शतम्१७०० For Private And Personal Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandit संहि. उ. अ. HASHRESTHA अयमिह / प्रथमोधायिधातृभिर्होतायजिष्ठोऽअङ्करेष्ष्वीड्यः॥ यमभवानोभृगवोबिरुरुचुर्वनेषुचित्रंविश्वविशेविशे॥६॥त्रीणि // 33 // शता। त्रीसहस्राण्यग्नित्रिशचंदेवानवचासपर्यन् // औक्षन्ध / / तैरस्तृणन्बुर्हिरेस्म्माऽआदिद्धोतारन्न्यसादयन्त // 7 // मुख़्नन्दुि / व // मूर्द्धानन्दुिवोऽअतिम्पृथिव्यावैश्वानरमृतऽआजातमग्नि / म् // कुविन्सुम्राजमतिथिजनानामासन्नापात्रञ्जनयन्तदेवा // 3 // 5 // in८॥अग्निवत्राणि / जङ्घनद्रविणस्युविपन्न्यया॥समिद्धशुक्र For Private And Personal Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandir आहुत // 9 // विश्वैभित्सोम्म्यम् // विश्वेभिल्सोम्म्यम्मदग्नऽ / इन्द्रेणवायुना // पिबामित्रस्यधामभिः // 10 // आयत् // आय : दिपेनृपतिन्तेजऽआनचिरेतोनिपिक्चन्द्यौरभीकै // अग्निश्शर्द्ध / मनवाय्युवानस्वाद्धयञ्जनयत्सूदयच्च ॥११॥अग्नेशर्छ / मह / तेसौभगायतवद्युम्नान्युत्तुमानिसन्तु // सञ्जास्प्पत्यसुयममा / कृणुष्ष्वशत्रूयतामभितिष्ठामहासि॥१२॥ त्वाहि / मन्द्र, तममर्कोकैर्वमहेमहिनश्रोष्ष्य॑ग्ने // इन्द्वन्नत्वाशव॑सादेवता For Private And Personal Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. संहि. // 86 // 06****** वायुम्घृणन्तिराधसानृतमा // 13 // त्वेऽअग्ने ।खाहुतष्प्रियास सन्तुसूरयः॥ यन्तारोयेमघवानोजनानामूर्वान्दयन्तगोनाम् // // 14 // श्रुधिश्रुत्कर्ण // श्रुधि श्रुत्कर्णबन्हिभिर्देवैरैग्नेसया / भि: // आसीदन्तुबर्हिपिमित्रोऽअर्य्यमाप्रतिव्वाणोऽअङ्कर / म् // 15 // विश्वेषामदिति // विश्चैषामदितिर्थ्यज्ञियानांविश्वेषा / मतिथिआनुषाणाम् // अग्निर्देवानामवऽआवृणानसमृडीकोभ / वतुजातवैदा॥१६॥महोऽअग्नेशसमिधानस्युशमण्यनागा // 86 // *ISTOSOS G For Private And Personal Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir GANGARGARSHANSA1-% मित्रेबरुणेस्वस्तये // श्रेष्ठेस्यामसवितुश्सवीमनितद्देवानामवोऽअ यावृणीमहे॥१७॥ [१७]आपञ्चित्॥आपश्चित्पिप्युस्तर्यो / नगावोनक्षन्नृतञ्जरितारस्तऽइन्द्र ॥याहिबायुननियुतौनोऽअच्छा / त्व हिधीभिर्दयसेविवाजान्॥१८॥गावऽउप ॥गावऽउपावता वृतम्महीयज्ञस्यरप्प्सुदा // उभाकण्णां हिरण्यया // 19 // यदुद्य। सूरऽउदितेनागामित्रोऽअर्युमा // सुवातिसविताभगः॥२०॥ आसुतेसिञ्चतुश्श्रियुष्ठरोदस्योरभिश्रियम् // रसादधीतवृषभम्॥ RRAR-95ARSAARCHIRAIL For Private And Personal Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ** संहि. उ.अ. // 87 // // 33 // ********** तम्प्रत्कथायबेन? // 21 // आतिष्ठन्तम्परि॥आतिष्ठन्तम्परिवि श्वेऽअभूषञ्छ्यिोबानश्च्चरतिखरौचि // महतदृष्ष्णोऽअसुर स्युनामाविश्वरूपोऽअमृतानितस्त्थौ॥२२॥प्रवः॥प्रवोमुहेम , न्दमानायान्धसोर्चाविश्वानरायविश्चाभुवै // इन्द्रस्ययस्यसुम / खल्सहोमहिश्श्रवोनृम्म्णञ्चरोदसीसपर्यतः॥२३॥बृहनित्॥ बृहनिदिध्मऽएषाम्भूरिशस्तम्पथुश्खरुः // येषामिन्द्रोयुवास / खा॥२४॥ इन्द्रेहि // इन्द्रेहिमत्स्यन्धसोविश्वेभिल्सोमपर्वभिः॥ For Private And Personal Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir महाँ२ऽअभिष्ट्रिरोजसा // 25 // इन्द्रोवृत्रम् // इन्द्रौवृत्रमवृणो / छर्द्धनीतिहप्पमायिनाममिनावर्पणीति // अहन्व्यसमुशध | ग्वनैष्ष्वाविद्धेनाऽअकृणोद्वाम्म्याणाम् // 26 // कुतस्त्वम्॥ कुत / स्त्वमिन्द्रमाहिंनुसन्नेकोयासिसत्पतेकिन्तऽइत्था // सम्पृच्छसे / समराणशूभानैर्बोचेस्तन्नौहरिवोयत्तेऽअस्म्मे // महाँ२ऽइन्द्रो / यऽओज॑साकदाचुनस्तुरीरैसिकदाचनप्प्रयुच्छसि॥२७॥ आत तऽइन्द्रायवः / पनन्ताभियऽऊर्ध्वङ्गोमन्तन्तितृत्सान् // सक For Private And Personal Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kishsagarsuri Gyanmandit उ. अ. साह // तमुत्सवेच सभाहत् // विमा भिरक्षतित्वमना मन्दवं SCINARECCALSCREE RECRUAGRACTICAN त्खंय्येपुरुपुत्राम्मही सुहस्रधाराम्बृहतीन्दुदुक्षन्॥२८॥इमा / न्त // इमान्तेधियम्प्रभैरेमहोमहीमस्यस्तोत्रेधिषणायत्तऽआन " जे // तमुत्सवेचप्रसवेचसासहिमिन्द्रन्देवासत्शवसामदुन्ननु // // 29 // [12] बिभ्राबृहत् // बिभ्राहत्पिबतुसोम्म्यम्मद्वायु धंद्यज्ञप॑तावविन्हुतम्॥वातजूतोजोऽअभिरक्षतिक्मनाप्पुजा / पुपोषपुरुधाबिराजति // 30 // उदुत्यम् // उदुत्यञ्जातवेदसन्दुवं / // 8 // वहन्तिकेतवः // दृशेविश्वायुसूर्यम्॥३१॥येनोपावक॥ येना। For Private And Personal Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandir IRKALACHICKROACCASICALC पावकुचक्षसाभुरण्ण्यन्तुञ्जनाँ२ऽअनु॥ त्वंवरुणपश्यसि // 32 // दैव्यावहयूं // दैव्यावद्ध!ऽआगतहरथेनुसूयंत्वचा // मद्धा / यज्ञब्समञ्जाथे।तम्प्रत्नथायंवेनश्चित्रन्देवानाम्॥३३॥आनः। आनुऽइडाभिर्विदथेसुशस्तिविश्वानरत्सवितादेवऽएतु // अपिय / थायुवानोमत्सथानोविश्चञ्जगदभिपित्वेमनीषा॥३४॥यदुद्य।क। चवृत्रहन्नुदगाऽअभिसूर्य्य॥सर्व्वन्तदिन्द्रतेवशै॥३५॥तरणिव॑िश्च / दर्शतः // तरणिर्विश्वदर्शतोज्योतिष्कृदसिसूर्य्य॥ विश्चमाासि / For Private And Personal Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. रोचनम् // 36 // तत्सूर्यस्य / देवत्वन्तन्महित्वम्मयाकर्लोबि, ततहसज्जेभार॥यदेदयुक्तहरितःसधस्त्थादाद्रात्रीवासस्तनुतेसि / / मस्म्मै ॥३७॥तन्मित्रस्य॑ // तन्मित्रस्यवरुणस्याभिचक्षेसूर्यो / रूपवृणुतेद्योरुपस्थै // अनन्तमुन्न्यदृशदस्युपाजे कृष्ष्णमुन्यद्ध / रितसम्भरन्ति॥३८॥बण्ण्महान्॥बण्ण्महाँ२ऽअसिसूर्य्यबडा र दित्यमहाँ२ऽअसि॥महस्तैसुतोमहिमापनस्यतेद्धादेवमहाँ२ऽ // 89 // सि // 39 // बसूर्यश्रवसामुहाँ२ऽअसिसत्रादेवमहाँअसि॥ For Private And Personal Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir न्हादेवानामसुर्य्य:पुरोहितोविभुज्योतिरदाब्भ्यम्॥४०॥श्राय न्तऽइवसूयं ॥श्रार्यन्तऽइवसूयविश्वेदिन्द्रस्यभक्षत // वसूनि / जातेजनमानऽओजसाप्प्रतिभागन्नदीधिम॥४१॥ अद्यादेवा॥ अद्यादेवाऽउदितासूर्यस्यनिरम्हसरूपिपृतानिवद्यात् // तन्नौ मित्रोवरुणोमामहन्तामदितिलसिन्धुपृथिवीऽउतद्यौर // 42 // आकृष्णेन ॥आकृष्ष्णेनुरजेसावर्तमानोनिवेशयन्नमृतम्मय॑ञ्च॥ हिरण्ययेनसवितारथेनादेवोयातिभुवनानिपश्यन्॥४३॥[१४] NAGARGCNERASA-964959 For Private And Personal Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. संहि. // 9 // // 33 // प्रावृजे। सुप्प्रयाबर्हिरेपामाविश्प्पतीवबीरिटऽइयाते॥विशाम / तोरुषस:पूर्वहूतौवायुश्पूषास्वस्तयैनियुत्वान् // 44 // इन्द्रवा / यूबृहस्पतिम् // इन्द्रवायूबृहस्पतिम्मित्राग्निम्पूषणम्भगम् // आदित्यान्मारुतगुणम् ॥४५॥वरुणहप्पाविता। वन्मित्रोवि श्चिाभिरूतिभिः॥करतानसुराधसः॥४६॥अधिनः॥अधिनऽ इन्द्रैषांविष्ष्णोसजात्यानाम् // इतामरुतोऽअश्विना॥ तम्प्रत्नथा // 90 // यवेनोयेदेवासुऽआनऽइडाभिर्विश्वेभि सोम्म्यम्मछोमासश्चर्ष BASEASESSIRSA For Private And Personal Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SHABANASANCRECASSACRACT णीकृतः॥४७॥ अग्नुऽइन्छ / बरुणमित्रदेवाशर्द्धप्प्रयन्तमारु तोतविष्ष्णो // उभानासत्यारुद्रोऽअधुग्नाश्पूषाभगुल्सरखतीजु, पन्त॥४८॥ इन्द्राग्नीमित्रावरुणा॥ इन्द्राग्नीमित्रावरुणादिति स्व:पृथिवीन्द्याम्मरुतपर्वताँरअप // हुवेविष्ण्णुम्पूषणम्ब्रम : णस्पतिम्भगनुशन्सब्सवितारमूतये // 49 // अस्म्मेरुद्राः // अस्म्मेरुद्रामेहनापर्वतासोबृत्रहत्येभरहूतौसजोषा // यशस / तेस्तुवतेधायिपुज्ज्रऽइन्द्रज्येष्ठाऽअस्म्माँअवन्तुदेवाय // 50 // CAREERSECR55 For Private And Personal Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. 33 // संहि. अर्वाञ्चोऽअद्य ॥अर्वाञ्चोऽअद्याभवतायजत्राऽआवोहार्दिभयमा नोव्ययेयम् // त्राद्धन्नोदेवानिजुरोवृकस्यत्राङ्गुि देवपदोयज त्रा // 51 // विश्वेऽअद्य / मुरुतोविश्वऽऊतीविश्वैभवन्त्वग्नयः / समिद्धाः // विश्वनोदेवाअवसागमन्तुविश्चमस्तुद्रविणंबाजोऽअ स्म्मे // 52 // विश्वेदेवा / शृणुतेमहर्वम्मेयेऽअन्तरिक्षयऽउप द्यविष्ठ॥येऽअग्निजिह्वाऽउतवायजत्राऽआसद्यारिम्मन्बर्हिषिमा 1 // 9 // दयहम् // 53 // दुवेब्भ्योहि / प्रथमंय्युज्ञियेभ्योमृतत्वसुव / For Private And Personal Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir AGRICCCCCCACACANCAR सिंभागमुत्तमम् // आदिहामानक्सवितुर्वृणुषेनूचीनाजीविता / मानुषेभ्यः // 54 // [11] प्रवायुम् // प्रवायुमच्छाबृहतीमनी / पाबृहयिविश्ववारदरथप्पाम् // द्युतामानियुतत्पत्यमानल्क / विश्कविमियक्षसिप्प्रयुज्यो॥५५॥ इन्द्रवायूऽइमे / सुताऽउप प्रयोभिरागतम् // इन्द्रवोवामुशन्तिहि // 56 // मित्र हुवे / पूतदक्षंवरुणञ्चरिशादसम्॥ धियकृताचीसाधन्ता॥५७॥ दस्रा / युवाकवहीसुतानासत्याबृक्तबर्हिषः॥आयात रुद्रवर्त्तनी॥तम्प्र SHOSHXHIBISHARA*** For Private And Personal Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. // 92 // // 33 // AAAAAAGARIKAON नथायबेन? // 58 // विदद्यदि॥ विदद्यदीसरमौरुग्णमद्वेम पार्थ पूर्घ्य सध्यक्कर // अग्ग्रनयत्सुपद्यक्षराणामच्छारवम्प्रथ। माजानतीगात् // 59 // नहिस्प्पशम् // नहिस्प्पशमविदन्नन्यम / सम्माद्वैश्वानरात्पुरऽएतारमुग्ने? // एमैनमवृधन्नमृताऽअमय॑वे / श्वानुरक्षैत्रजित्यायदेवा // 60 // उग्याबिघुनिना // उग्याबिघ / निनामृधेऽइन्द्राग्नीहवामहे // तानौमृडात ईदृशे // 61 // उपा // 12 // स्म्मै। गायतानरापर्वमानायेन्दवे॥अभिदुवाँ२ऽइयक्षते // 62 // For Private And Personal Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir HORSEASR45*5*962HARA येत्वा / हिहत्यैमघवन्नवर्द्धन्न्येशाम्बुरेहरिवायेगविष्टौ // येत्वानू नमनुमदन्तिविपातपिबैन्द्रुसोमध्सगणोमरुद्भिः // 63 // जनि / ष्ठाऽग्यश्सहसेतुरायमुन्द्रऽओजिष्ठोबहुलाभिमान ॥अवर्द्धन्नि / न्द्रम्मरुतंश्चिदमातायवीरन्दुधनद्धनिष्ठा॥६४॥आतु॥आतू / / नऽइन्द्रवृत्रहन्नम्माकमुर्द्धमार्गहि // महान्महीभिरूतिभिः॥ // 65 // त्वमिन्द्र // त्वमिन्द्रप्प्रतूर्तिष्ष्वभिविश्वाऽअसिस्पृधः॥ अशस्तिहाजनिताविश्वतूरसित्वन्तूय॑तरुष्ष्यतः॥६६॥ अनुते॥ BARBARABARRIGANGA For Private And Personal Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 93 // अनुतेशुष्म॑न्तुरयन्तमीयतुल्लोणीशिशुन्नमातरा॥विश्चास्तुस्ट | उ.अ. धनथयन्तमन्यवेवृत्रंय्यदिन्द्रतूवसि॥६७॥ यज्ञोदेवानाम्॥ यज्ञोदेवानाम्प्रत्यतिसुम्नमादित्यासोभवतामृडयन्तः // आवो / र्वाचीसुमतिवृत्यादुव्होश्चिद्यावरिवोवित्तरासत् // 68 // अद / / धभित्सवितह / पायुभिष्व शिवेभिरद्यपरिपाहिनोगर्यम् // हि | राण्यजिह्वल्सुवितायनध्यसेरक्षामाकिन्र्नोऽअघम्सि ईशत // En69 // [15] प्रवीरया। शुचयोददिरेवामहर्युभिर्मधुमन्तत्सु // 93 // For Private And Personal Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SECLICAUSNEHEARSSCREE तासः॥ वहवायोनियुतौयायच्छापिवासुतस्यान्धसोमदाय // // 70 ॥गावऽउप // गावुऽउपोवतावृतम्महीयुज्ञस्यरप्प्सुदा॥3 भाकण्णाहिरण्ण्यया ॥७१॥काययोराजानेषु॥काध्ययोराजा / / / नेषुक्रत्वादक्षस्यदुरोणे // रिशादसासुधस्त्थऽआ॥ 72 // दैया र विद्धयूं // दैयौवद्ध!ऽआर्गतहरथेनुसूयंत्वचा // मद्धायज्ञ समञ्जाथे // तम्प्रत्कथायंवेनः // 73 // तिरश्चीनोविततः॥ति र रश्च्चीनोविततोरश्मिरैषामधखिदासी३ दुपरिखिदासी३त् // REG545454555 4-15 For Private And Personal Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit संहि. | उ. अ. // 14 // // 33 // AUCRACANCAUSAMACADEMY हरतोधाऽआसन्न्महिमानऽआसन्त्सुधाऽअवस्तात्पयतित्पुरस्तात् / / // 74 // आरोदसी। अपृणुदासमहज्जातंय्यदेनमपसोऽअधा / रियन् ॥सोऽअद्धरायपरिणीयतेकविरत्योन वाजसातयेचनौहितः / // 75 // उष्क्वेभिर्वृत्रहन्तमा // उष्क्वेभिर्वृत्रहन्तमायामन्दाना चिदागिरा // आङ्गुपैराविवासतः // 76 // उपनद / सूनवोगिरे। शृण्ण्वन्त्व॒मृतस्युये // सुमृडीकाभवन्तुनः॥७७॥ब्राणिमे||३|॥९४ // मतयश-सुतासहशुष्मऽइयर्तुिष्प्रभृतोमेऽअद्भिः॥आशासते / For Private And Personal Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir HOSTESSOSIASASKA प्रतिहर्यन्त्युष्क्वेमाहरीबहतुस्तानोऽअच्छे // 78 // अनुत्तमा ते। मघवन्नकि नत्वावा२ऽअस्तिदेवताविदानः // नजायमानो / नर्शतेनजातोयानिकरिष्ष्याकृणुहिप्रवृद्ध // 79 // तदित् ॥तदि। दोसभुवनेषुज्येष्टुंय्यतोजज्ञऽउग्रस्त्वेपनम्म्णः॥सुद्योजज्ञानोनि रिणातिशत्रूननुयंविश्वेमदुन्त्यूमा // 80 // इमाऽउत्वा / पुरूव।। सोगिरौबर्द्धन्तुयामम॥पावकवर्णाशुचयोविपश्चितोभिस्तोमै / / रनूषत // 81 // यस्यायम् // यस्यायंविश्व॒ऽआर्योदास शेवधि : For Private And Personal Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. 6 . . उ. अ. पाऽअरि॥ तिरश्चिदुर्येरुशमेपवीरवितुभ्येत्सोऽअंज्यतेरयिः / / // 82 // अयसहस्रम्॥ अयन्सहसमृपिभित्सहस्कृतत्समुद्रऽ // 33 // / ईवपप्पथे॥ सत्यश्सोऽअस्यमहिमागृणेशवौयुज्ञेपुविष्प्रराज्यै // // 83 // अदब्धेभिल्सवितः / पायुभिष्व शिवेभिरद्यपरिपाहिनो / गर्यम्॥हिरण्ण्यजिबल्सुवितायनव्य॑सेरक्षामाकिन्नॊऽअपशब्स / ईशत // 84 // [15] आनः // आनौयज्ञन्दिविस्पृशंक्वायोयाहि / / सुमन्मभिः // अन्तश्पवित्रऽपरिश्श्रीणानोयशुकोऽअयामि For Private And Personal Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ASTORATIONER ते॥८५॥ इन्द्रवायूसुसुन्दृशा / सुहवेहहवामहे // यानुसऽ / इज्जनोनमीवरसङ्गमैसुमनाऽअसत्॥८६॥ ऋगित्था। समय शशुमेदेवतातये ॥योनूनम्मित्रावरुणावभिष्ट्रयऽआचकेहच्यदा है। तये ॥८॥आयातम् ॥आयातमुपभूषतम्म पिबतमश्विना॥ दुग्धम्पयोवृषणाजेन्न्यावसुमानौमर्दिष्टमार्गतम् // 88 // पैतु // प्रेतुब्रह्मणस्पतित्प्प्रदुध्येतुसूनृता ॥अच्छौबीरन्नय॑म्पतिराधस / न्दुवायुज्ञन्नयन्तुनः॥ ८९॥चन्द्रमाऽअप्प्सु // चन्द्रमाऽअप्व For Private And Personal Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandie संहि. उ. अ. // 96 // // 33 // CASSAGAURAHARASH+5 न्तरासुपर्णोधावतेदिवि // रयिम्पिशङ्गम्बहुलम्पुरुस्पृहुम्हरिरे तिकनिक्रदत्॥९०॥ देवन्दैवंब // देवन्देवंबोवसेदेवन्दैवमुभि / ष्टये॥देवन्देवन्हुवेमुवाजसातयेगृणन्तोदेच्याधिया॥९१॥दि / विपृष्टः॥ दिविपृष्टोऽअरोचताग्निर्वैश्वानरोबृहन्॥क्ष्मयावृधान ओजसाचनौहितोज्योतिपाबाधतेतमः॥९२॥ इन्द्राग्नीऽअपा त्॥ इन्द्राग्नीऽअपादियम्पूर्वागात्पद्वतीब्भ्यः // हित्वीशिरोजि / हयावावदुच्चरत्रिशत्पदान्यक्रमीत् // 93 // देवासोहिष्म्मा / // 96 // For Private And Personal Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir +900CACANCRECA490400 मनवेसम॑न्न्यवोविश्वैसाकसरातयः // तेनोऽअद्यतेऽअपरन्तुचे / तुनोभवन्तुवरिवोविदः॥९४॥अपाधमत्॥ अधिमदुभिशस्ती रशस्तिहाथेन्द्रौद्युम्न्याभवत् // देवास्तऽइन्द्रसक्ख्याययेमिरे / हद्भानोमरुद्गण // 95 // प्रवः // प्रवऽइन्द्रायबृहतेमरुतोबा / र्चत॥७त्रम्हेनतिवृत्रहाशुतऋतुर्वज्जेणशुतपर्वणा॥९६॥अस्ये / त् ॥अस्येदिन्द्रौवावृधवृष्ष्ण्यदशवोमदेसुतस्युविष्ष्णवि // अद्या / तमस्यमहिमानमायवोनुष्टुवन्तिपूर्वथा // इमाऽउत्वायस्यायम For Private And Personal Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kishsagarsuri Gyanmandit 17 // संहि.यसहस्रमूर्द्धऽऊपुणः // 97 // [13] इतिश्रीवाजसनेयसंहिता उ. अ. यांत्रयस्त्रिंशोऽध्यायः // 33 // श्रीवेदपुरुषायनमः॥अनुवाक्सूत्र // 34 // म्॥यजाग्रतःपंचनद्यःसोमोधेनुमाकृष्ष्णेनपूर्फतवदशकानतदष्टौ , पडष्टापंचाशत् // हरिःॐयजाग्ग्रतः // यजाग्ग्रतोदूरमुदैतिदै / / वन्तसुप्तस्यतथैवैति // दूरङ्गमञ्ज्योतिपाङ्योतिरेकन्तन्मेमनः / / शिवसङ्कल्प्पमस्तु // 1 // येनुकम्माणि // येनुकाण्ण्यपसौम / नीषिोयुज्ञेकृण्वन्तिविदथेषुधीरां // यदपूर्वय्यक्षमन्तपूजा KAROGANGACASSR45 // 97 // For Private And Personal Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir **444RASRAKASHA नान्तन्मेमन:शिवसङ्कल्प्पमस्तु // 2 // यत्प्रज्ञानम् // यत्प्रज्ञा / नमुतचेतोधृति चयज्योतिरन्तरमृतम्प्रजासु // यस्म्मानऽऋते / किञ्चनकर्मक्रियतेतन्मेमन शिवसङ्कल्प्पमस्तु॥३॥ येनेदम्॥ येनेदम्भूतम्भुवनम्भविष्ष्यत्परिगृहीतममृतेनुसव॑म् // येनयज्ञ स्तायतैसुप्तहौतातन्मेमन:शिवसङ्कल्प्पमस्तु // 4 // यस्म्मिन्न / / चः॥ यस्म्मिन्नचत्सामयजूंपियस्म्मिन्प्रतिष्ठितारथनाभावि / वारा॥यस्मिश्चित्तसर्चमोतम्प्रजानान्तन्मेमनः शिवसङ्कल्प्प SRISHNASABHAKAR For Private And Personal Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ.अ. // 34 // मस्तु ॥५॥सुपारथिरश्चानिव // सुपारथिरश्वानिवयन्मनुष्ष्या // 98 // नेनीयतेभीशुभिर्वाजिनऽइव॥ हृत्प्रतिष्ठन्य्यदजिरञ्जविष्ठन्तन्मे / मन:शिवसङ्कल्प्पमस्तु // 6 // पितुन्न / स्तोपम्महोधुणिन्तवि। पीम् // यस्यत्रितोच्योजसावृत्रंबिपर्वमईयत् // 7 // अन्वित् // अन्विदनुमतेत्वम्मन्यांसैशञ्चनस्कृधिक्रित्वेदक्षायनोहिनुप्पण आयूषितारिप // 8 // शतम् 1800 अनुन ॥अनुनोद्यानुम // 18 // तिर्य्यज्ञन्दुवे'मन्न्यताम्॥ अग्निश्चहच्युवाहनोभवतन्दाशुषेम / For Private And Personal Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir RRIAGAR AHASHASHRSHACHA- यः॥९॥सिनीवालिपृथुष्टुके // सिनीवालिपृथुष्टुकेयादेवानाम सिखसा॥ जुपखहध्यमाहृतम्प्रजान्देविदिदिडिन॥१०॥[१०] / पञ्चनद्यः॥पञ्चनद्यः सरखतीमपियन्तिसस्रोतसा॥ सरखतीतु / पञ्चधासोदेशेभवत्सरित् // 11 // त्वम॑ग्ने / प्रथमोऽअङ्गिराऽ पिवोदेवानामभवलशिवसखा // तन्वतेकवयौविनापुसोजा / यन्तमरुतोभ्राज॑दृष्टयः // 12 // त्वन्नः // त्वन्नोऽअग्नेतर्वदेवपा / युभिमघोनौरक्षतन्यच्चवन्द्य // त्रातातोकस्यतनयेगामस्यनि For Private And Personal Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. संहि. // 19 // मेषतरक्षमाणस्तर्ववते॥१३॥ उत्तानायामव। भराचिकित्वान्स / याप्पीताम्रपणञ्जजान ॥अरुपस्तूपोरुशदस्युपाजऽइडायास्प्पु // 34 // त्रोवयुनैजनिष्ट // 14 // इडायास्त्वा / पदेवयन्नाभापृथिव्याऽ धि // जातवेदोनिधीमहयग्नेहध्यायबोढवे ॥१५॥प्रमन्महे। शव सानायशूपमाङ्ग्रपङ्गिवणसेऽअङ्गिरखत् // सुवृक्तिभिस्तुवतऽ ग्मियाया मार्कन्नरेविश्रुताय॥१६॥ प्रवः॥प्रवोमुहेमहिन / मौभरद्धमाङ्गुष्ष्यब्शवसानायसाम॥येनानुत्पूर्वैपितर:पदुज्ञाऽ For Private And Personal Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir BARASAGARAXNXRs अर्धन्तोऽअङ्गिरसोगाऽअविन्दन्॥१७॥ इच्छन्तित्वा ।सोम्म्या सत्सखायत्सुन्वन्तिसोमन्दधतिप्पयासि // तितिक्षन्तेऽअभि / / शस्तुिञ्जनानामिन्द्रत्वदाकञ्चनहिप्प्रंकेत? ॥१८॥नते / दूरेप / रमाचिगजास्यातुप्पयाहिहरिवोहरिब्भ्याम्॥स्त्थिरायवृष्ष्णेस वनाकृतेमायुक्ताग्यावाणसमिधानेऽअग्नौ ॥१९॥अपढ़िय्युत्सु पृतनासुपप्पिस्वर्षामप्प्सांबृजनस्यगोपाम् // भरेषुजासुक्षि तिसुश्रवसञ्जयन्तन्त्वामर्नुमदेमसोम // 20 // [10] सोमो / For Private And Personal Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 10 // HOCIECRUAGACASSACCALCOCAL धेनुम् // सोमोधेनु सोमोऽअन्तमाशुम्सोमोवीरङ्कर्मण्यन्द दाति ॥सादुन्यंविदुत्थ्यसभेयम्पित श्रवणुय्योददाशदस्म्मै // // 21 // त्वमिमा // त्वमिमाऽओषधील्सोमविश्वास्त्वमपोऽ जनयस्त्वङ्गाः // त्वमातिन्थोङ्घन्तरिक्षन्त्वज्योतिपावितमौवव / / थ॥२२॥देवेनन॥देवेननोमनसादेवसोमरायोभागसहसा / / वनभियुध // मात्वातनदीशिषेवीर्य्यस्योभयेभ्यल्पचिकित्सा // 10 // गविष्टौ // 23 // अष्टौवि॥अष्टौच्यख्यत्ककुभ पृथिच्यास्त्रीधन्य 15545455ॐॐ For Private And Personal Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyarmandie SHAHAHARASOS S * योजनासुप्तसिन्धून् / हिरण्याक्षसवितादेवऽआगादधद्रत्ना दाशुषेवा-णि // 24 // हिर॑ण्ण्यपाणिल्सविता / विचर्षणिरुभे द्यावापृथिवीऽअन्तरीयते // अपामीवाम्बाधतेवेतिसूय॑मभिक ष्ष्णेनुरजसाद्यामृणोति ॥२५॥हिर॑ण्ण्यहस्तोऽअसुर। सुनीथः / सुमृडीकरखवायात्वर्वाङ्॥अपसेधन्वक्षसोयातुधानानस्थाद्देवा / प्प्रतिदोषङ्गणानः // 26 // येते॥ येतेपन्थात्सवितत्पूर्ध्यासौरेण वत्सुकृताऽअन्तरिक्षे॥ तेभिन्नॊऽअद्यपथिभिःसुगेभीरक्षाचनोऽ * OCIAUX For Private And Personal Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobirth.org Acharya Shri Kaishsagarsuri Gyanmandie उ. अ. // 32 // संहि. 1 अधिचबूहिदेव // 27 // उभावितम् // उभापिबतमश्विनोभा / / // 109 // नत्शर्मयच्छतम् // अविट्ठियाभिरुतिभिः॥२८॥अप्नखती मश्चिना // अप्नखतीमश्चिनाबाचमुस्म्मेकृतन्नौदस्रावृषणामनी पाम् // अद्यूत्येवंसेनिह्वयेवांवृधेचनोभवतवासातौ // 29 // द्यु / भिरक्तुभिः॥ द्युभिरक्तुभित्परिपातमस्म्मानरिष्ट्रेभिरश्विनासौ भगेभिः // तन्नौमित्रोवरुणोमामहन्तामदितितसिन्धुपृथिवीs उतद्यौः॥३०॥[१०]आकृष्णेन / रजसावत्र्तमानोनिवेशय॑न / SION ROSAROSAGARMACROCOM For Private And Personal Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir +CARBARUNACHAR मृतुम्मर्त्यञ्च // हिरण्ण्ययनसवितारथेनादेवोयोतिभुवनानिपश्य / / न // 31 // आरात्रि। पार्थिवटरज-पितुरप्पायिधार्मभिः॥ दिव। सदासिबृहतीवितिष्ठसऽआत्त्वेपंवर्त्ततेतमः॥३२॥ उपस्तत्॥ उपस्तच्चित्रमाभरास्म्मभ्यवाजिनीवति ॥येनतोकञ्चतनयञ्चधा महे॥३३॥ प्रातरग्निम् ॥पातरग्निम्प्रातरिन्द्र हवामहेप्पातमि / त्रावरुणाप्पातरश्चिना // प्रातर्भगम्पूपणम्ब्रह्मणस्पतिम्प्रातः / सोममुतरुद्र हुवेम ॥३४॥प्रातर्जितम्भगम् // प्रातर्जितम्भग / / For Private And Personal Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. // 34 // संहि. मुग्ग्रहुवेमव्यम्पुत्रमदितेयोंबिधुर्ता॥आइच्चिद्यम्मन्न्यमान // 10 // स्तुरश्चिद्राजाचिद्यम्भगम्भक्षीत्याहे // 35 // भगप्पणेतः॥भग / / प्प्रणेतुर्भगसत्यराधोभगेमान्धियमुदवाददन्न // भगप्पनौजन / युगोभिरश्वैर्भगप्प्रनृभिर्तृवन्त: स्याम ॥३६॥उतेदानीम् ॥उते / / इदानीम्भगवन्तस्यामोतप्पपित्वऽउतमद्येऽअन्हाम् // उतोदिता मघवन्त्सूर्यस्यव्वयन्देवानासुमतौस्याम ॥३७॥भग एव / भगवाँ२ऽअस्तुदेवास्तेनवयम्भगवन्तस्याम // तन्त्वाभगसर्वऽइ 4DCALCUSSACR45645 // 102 // For Private And Personal Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir जौहवीतिसनोभगपुरऽएताभवेह // 38 // समंडराय॥ समद्धरा / योषसोनमन्तदधिक्कावैवशुचयेपदार्य // अर्वाचीनं_सुविदुम्भग / / नोरथमिवाश्चाबाजिनु आवहन्तु ॥३९॥अश्चावतीग्र्गोमती॥ अश्चावतीग्र्गोमतीनऽउषासौवीरवतील्सदमुच्छन्तुभद्राय // घृत इन्दुहानाविश्चतहप्पपीतायुयंपातस्वस्तिभिल्सदान॥४०॥[१०]] पूषन्तव। तेवयन्नरिष्ष्येमकदाचन // स्तोतारस्तऽहम्मसि // // 41 // पुथस्प्पथल्परिपतिम् // पृथस्प्पथल्परिपतंवचुस्याकामें ANGACASACRECASHARANG For Private And Personal Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri p arsuri Gyanmandir // 34 // नकृतोऽअब्भ्यानडुकम् // सनौरासच्छुरुधश्चन्द्राग्ग्राधियन्धि उ. अ. // 103 // यम्सीपधातिप्प्रपूषा // 42 // त्रीणिपदाविचक्रमविष्ष्णुगोपाऽ अदाब्भ्यः // अतोधर्माणिधारयन् ॥४३॥तविप्पासह // तति / प्रासोबिपन्यवोजागृवात्सल्समिन्धते // विष्ष्णोर्टात्परमम्पद / म् ॥४४॥घृतवतीभुवनानाम् // घृतवतीभुवनानामभिश्श्रियो / :पृथ्वीमधुदुघेसुपेशंसा // द्यावापृथिवीवरुणस्यधर्मणाविष्क | // 103 // भितेअजरेभूरिरेतसा ॥४५॥येन सपत्नाऽअपुतेभवन्त्विन्द्रा KHAYA* *3*3*3*3 HOME For Private And Personal Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CROCCASANGARCANCY ग्निब्भ्यामवंबाधामहेतान् // बसवोरुद्राऽआदित्याऽउपरिस्पृश म्मोग्यञ्चत्तारमधिराजमऋन् // 46 // आनासत्या। त्रिभिरेका / दुशैरिहदेवेभिर्यातम्मधुपेय॑मश्विना॥ प्रायुस्तारिष्टुन्नीरपासि / मृक्षतत्सेधतन्द्वेपोभवत सचाभुवा // 47 // एपर्व’ // एषवस्तो / मौमरुतऽइयङ्गीर्मादाय्यस्यमान्यस्यकारो? // एपयासिष्टतन्वे / बयांविद्यामेषबृजनञ्जीरदानुम्॥४८॥सहस्तोमात्सहच्छन्दसहा / सहस्तौमात्सहच्छन्दसऽआवृतः सहप्तमाऽऋपयत्सप्तदैयार॥ For Private And Personal Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ.अ. ___ संहि. पूर्वेपाम्पन्थामनुदृश्यधीराऽअन्न्यालेभिरेरत्थ्योनरश्म्मीन्॥४९॥ // 10 // आयुष्ष्यंबर्चस्यम् // आयुष्ष्यंबर्चस्यब्राियस्प्पोषमौद्भिदम् // इद हिरण्ण्यंवर्चस्वज्जैत्रायाविशतादुमाम् // 50 // नतत् ॥नत / द्रक्षासिनपिशाचास्तरन्तिदेवानामोज:प्रथमजह्येतत् // योबित्तिदाक्षायण हिरण्ण्यत्सदेवेषुकृणुतेदीर्घमायुह समनु / / ष्ष्येषुकृणुतेदीर्घमायुः॥५१॥ यदाबंधनन् // यदाबंधन्दाक्षा | // 10 // यणाहिर॑ण्ण्यशतानीकायसुमनस्यमाना ॥तन्मऽआबध्नामि SELCASTLSACCALCALCUSAGAUR For Private And Personal Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir AUGUAROSSS453 शतशारदायायुष्ष्माङ्गुरदष्ट्रियथासम् // 52 // उतनः // उतर नोहिर्बुध्न्य शृणोत्वजऽएकपात्पृथिवीसमुद्र // विश्वेदेवाऽ तावृधौहुवानास्तुतामन्त्राल्कविशुस्ताऽअवन्तु // 53 // इमागि // इमागिरऽआदित्येभ्योघृतस्नूसनाद्राजब्भ्योजुह्वाजुहो / मि॥ शृणोतुमित्रोऽअर्यमाभगौनस्तुविजातोबरुणोदक्षोऽअ. श’ // 54 // सप्तऽऋषय: // सुप्तऽऋषयप्रतिहितात्शरीरेस प्सरक्षन्तिसदुमप्रमादम् // सुप्तापल्खपतोलोकर्मीयुस्त–जाय / For Private And Personal Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir // 105 // संहितोऽअखप्नजौसत्रसदौचदेवौ // 55 // उत्तिष्टुब्रह्मणस्प्पतेदेवय / उ. अ. न्तस्त्वेमहे // उपप्पयन्तुमरुतःसुदानवऽइन्द्रप्पाशूर्भवासा // 3 // ॥५६॥प्रनूनम्॥पनूनम्ब्रह्मणस्पतिर्मन्त्रंबदत्युक्त्थम्॥यस्म्मि / निन्द्रोबरुणोमित्रोऽअर्यमादेवाऽओकासिचक्रिरे // 57 // ब्रह्मणस्प्पते॥ब्रह्मणस्प्पते॒त्वमस्ययन्तासूक्तस्यबोधितनयञ्चजि / व // विश्चन्तद्भु,य्यदवन्तिदेवावृहदेमविदथेसुवीरा // यs: // 105 // इमाविश्चाविश्वकर्मायोन पितानपतेन्नस्यनोदेहि // 58 // For Private And Personal Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsur Gyanmandir KARSARKASGANGACASKAR इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांचतुस्त्रिंशोऽध्यायः // 34 // श्रीवेद * पुरुषायनमः॥अनुवाकसूत्रम् // अपेतोदशापाचंद्वादशद्वौद्वाबिक / शतिः ॥हरिःॐअपेतः॥ अपेतोय॑न्तुपणयोसुम्नादेवपीयवः॥ अस्यलोकसुतावत // द्युभिरहोभिरक्तुभिर्व्यय्यमोददात्वव / सानमरम्मै॥१॥सविताते // सवितातेशरीरेभ्यत्पृथिच्याँल्लोक मिच्छतु // तस्म्मैयुज्यन्तामुनिया // 2 // वायुश्पुनातु / सवि / / ताप्नात्वग्नेजिंसासूर्यस्यवर्चसा // विमुच्यन्तामुनिया // For Private And Personal Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 106 // // 35 // GROGRECTORAGARCANCLCBGANGA // 3 // अश्वत्थेवः ॥अश्वत्थेवोनिषद॑नम्पुर्णेवोवसतिष्कृता // गोभाजऽइकिलासथयत्सनथुपूरुपम्॥४॥ सविताते।शरीरा णिमातुरुपस्त्थऽआवपतु॥तस्म्मैपृथिविशम्भव ॥५॥प्रजापतौ त्वा / देवतायामुपौदकेलोकेनिदधाम्म्यसौ // अपनशोशुंचदुघ / म् ॥६॥परम्मृत्यो॥ परम्मृत्योऽअनुपरहिपन्थांय्यस्तैऽअन्य। इतरोदेवयानात् // चक्षुष्म्मतेशृण्वतेतेबवीमिमान:प्रजाजरी 3 // 106 // रिषोमोतबीरान्॥७॥ शंबात / शहितेणिक्शन्तैभवन्त्वि For Private And Personal Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAKSCRIGRICRORSCIRRIGANGA Rष्टकाः॥शन्तैभवन्त्वग्नयल्पास्थिवासोमात्वाभिशूशुचन् // 8 // कल्प्पन्तान्ते। दिशस्तुब्भ्यमाप-शिवतमास्तुभ्यम्भवन्तुसिन्ध / वह // अन्तरिक्ष शिवन्तुब्भ्यङ्कल्प्पन्तान्तेदिशल्सी // 9 // अ. इम्मवतीरीयतेसरभङ्घमुत्तिष्ठतप्पतरतासखाय: // अनाजही है। मोशिवायेऽअसञ्छिवान्वयमुत्तरेमाभिवाजान् // 10 // अपाघ / म् ॥अपाघमपकिल्विषमर्पकृत्यामपोरपः॥ अपामार्गत्वमस्म्म दपदुहष्वम्यव्सुव // 11 // सुमित्रियानः // सुमिश्रियानुऽआप For Private And Personal Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. ओषधयत्सन्तुदुम्मित्रियास्तसम्मैसन्तुयोस्म्मान्द्वेष्टियञ्चबयन्द्वि / ॥१०७म्म // 12 // अनड्डाहमुन्न्वारेभामहेसौरभेयस्वस्तये॥ सन। इन्द्रेऽइवदेवेभ्योबहिःसन्तारणोभव // 13 // उवयम्॥उद्द्यन्त / / 2 मंसुस्प्परिख पश्यन्तऽउत्तरम् // देवन्देवत्रासूर्युमगन्मज्यो / तिरुत्तमम् // 14 // इमञ्जीवेभ्यः / परिधिन्दधामिमैषान्नुगाद / परोऽअर्थमेतम् // शुतञ्जीवन्तुशरद-पुरूचीरन्तर्मृत्युन्दधता / / पर्वतेन॥१५॥ अग्नुऽआयूळपि / पवसऽआसुवोर्जमिपञ्चनः॥ 1107 For Private And Personal Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir आरेबोधखदुच्छुनाम् // 16 // आयुष्म्मानग्ने। विषावधानो तप्पतीकोघृतयोनिरेधि // घृतम्पीत्वामधुचारुगध्यम्पितेवपुत्रम / / भिरक्षतादिमान्त्वाहा // 17 // परीमे / गामनेषतपर्य्यग्निमंह। पत॥देवेष्ष्वक्रतुश्रवल्कऽइमाँ२ऽआदधर्षति ॥१८॥ऋच्याद मग्निम् // ऋच्यादमग्निम्प्रहिणोमिदूरंय्यमराज्यङ्गच्छतुरिप्प्रवा / ह? // इहैवायमितरोजातवेदादेवेभ्योहुव्यंबहतुप्प्रजानन्॥१९॥ बहवपाम् // बहेपाञ्जातवेदापितृभ्योयनान्वेत्थुनिहितान्प For Private And Personal Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir संहि. उ. अ. // 108 // BARRIAGEANGRAPRABHASHA राके // मेदसहकुल्ल्याऽउपुतान्त्स्रवन्तुसत्याऽ एषामाशिषल्सन्न / मंताखाहा // 20 // स्योनापृथिवि / नोभवानृक्षरानिवेशनी॥ यच्छानुशमसुप्पा // अपनत्शोशुचदुघम् // 21 // अस्म्मा त्वम् // अस्म्मात्त्वमधिजातोसित्त्वदुयञ्जायताम्पुनः॥ असौस्व / यलोकायुस्खाहा // 22 // इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांपञ्चत्रिं / / शोऽध्यायः॥ 35 // श्रीवेदपुरुषायनमः // अनुवाक्सूत्रम्॥ ऋ॥१८॥ चंवाच षोडशद्यौःशान्तिरष्टौद्वौचतुर्विशतिः // हरिःॐऋचं For Private And Personal Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir MSRONMOREG545CA* वाचम्॥ऋचंबाचम्प्रपद्येमनोयजुत्प्प्रपद्येसामप्प्राणम्प्रपद्येचक्षुः / / श्रोत्रम्पपद्ये // वागोज सहौजोमयिप्राणापानौ // 1 // यन्मे / / छिद्रञ्चक्षुषोहृदयस्युमनसोबातितृण्णम्बृहस्पतिम्र्मेतद्दधातु // शन्नोभवतुभुवनस्ययस्प्पतिः॥२॥ भूर्भुवः॥भूर्भुवस्व तत्स। वितुर्वरेण्यम्भर्गोदेवस्यधीमहि धियोयोन:प्रचोदयात्॥३॥कयो / न॥ कोनश्चित्रऽआभुवदूतीसुदाधस्सखा // कयाशचिष्टया / / ता॥४॥कस्त्वा / सुत्योमानाम्म हिष्टोमत्सुदन्धसह // टुढाचि / / For Private And Personal Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. संहि. दारुजेवसु॥५॥अभीषण। सखीनामवितारितृणाम् ॥शुतम्भ / // 109 // वास्यूतिभिः॥६॥ कयात्वम् // कयात्वन्नऽऊत्याभिप्प्रमन्दसेवा पन्॥कयोस्तोतृभ्यऽआभर॥७॥इन्द्रोविश्वस्यराजति।शन्नोऽ स्तुद्द्विपदेशञ्चतुष्प्पदे॥८॥शनौमित्रशंवरुणशन्नोभवत्वर्युमा। शन्नऽइन्द्रोबृहस्पतित्शनोविष्ष्णुरुरुकुम॥९॥शन्नोबात पवार ताशन्नस्तपतुसूयं // शन्नत्कनिक्रददेवश्पर्जन्योऽअभिवर्षतु // ॥१०॥अहानिशम् // अहानिशम्भवन्तुनत्यरात्रीपतिधीय / 98062545454545940AM // 109 // For Private And Personal Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ताम्॥शन इन्द्राग्नीभवतामोभित्शन्नऽइन्द्रावरुणारातहच्या॥ शन्नऽइन्द्रापूषणाबाजसातौशमिन्द्रासोमासुवितायशंय्यौ // // 11 // शन्नः ॥शन्नौदेवीरभिष्ट्यऽआपौभवन्तुपीतये // शंय्यो / / रभिस्रवन्तुनः॥१२॥स्योनापृथिवि। नोभवानक्षरानिवेशनी॥ यच्छोनशर्मसुप्रथा // 13 // आपोहि / ष्ठामयोभुवस्तान ऊर्जेदधातन // महेरायचक्षसे // 14 // योवः। शिवतमोरस / स्तस्य॑भाजयतेहनः॥ उशतीरिवमातरः // 15 // तस्म्माऽअर For Private And Personal Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. म्॥तस्म्माऽअरङ्गमामवोयस्युक्षयायजिन्वथ // आपोजनयथा / उ. अ. // 110 // चनः // 16 // [16] द्यौरशान्तिः // द्यौरशान्तिरन्तरिक्षत्शा 3 // 36 // न्तिः पृथिवीशान्तिरापशान्तिरोषधयुत्शान्तिः ॥वनस्प्पतयः / / शान्तिर्विश्वेदेवाश्शान्तिब्रह्मशान्तिः सर्वदशातित्शान्तिरेवशा / तिल्सामाशान्तिरेधि // 17 // दृतेदृहमामित्रस्यमाचक्षुषास वाणिभूतानिसमीक्षन्ताम् // मित्रस्याहञ्चक्षुषासर्वाणिभूतानिस मीक्षे॥ मित्रस्युचक्षुषासमीक्षामहे // 18 // दृतेदृहमा // ज्यो ANASAHARANG / // 110 // For Private And Personal Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SSADORECALCASSASSICAL उत्क्लेसुन्दृशिजीच्यासज्योत्क्लेसन्दृशिजीच्यासम् // 19 // नमस्ते हरसेशोचिनमस्तेऽअस्त्वर्चि // अन्न्याँस्तेऽअस्म्मत्तपन्तुहेत / है ये पावकोऽअस्म्मब्भ्य"शिवोभव // 20 // नमस्ते। अस्तुविद्यु / नमस्तेस्तनयित्नवै॥नमस्तेभगवन्नस्तुयतत्स्वःसुमीहसे॥२१॥ यतौयतत्समीहसेततोनोऽअभयङ्कुरु // शन कुरुप्फुजाभ्योभय नत्पशुब्भ्यः // 22 // सुमित्रियान॥सुमित्रियान आपऽओषध यसन्तुदुम्मित्रियास्तस्म्मैसन्तुयोस्म्मान्द्वेष्टियञ्चवुयन्गुिष्म्म For Private And Personal Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. 6 // 23 // तच्चक्षुः॥ तच्चक्षुर्देवहितम्पुरस्ताच्छुक्रमुच्चरत् // पश्ये : उ. अ. मशरदःशुतजीवेमशरदः शतशृणुयामशरदः शतम्प्रबवाम। // 36 // शरदःशुतमदीनात्स्यामशरदः शतम्भूयश्चशरदःशुतात्।२४|| [8] इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांपदिशोऽध्यायः॥३६॥श्रीवेदा / पुरुषायनमः॥ अनुवाकसूत्रम् // देवस्यत्वादशयमायत्वैकादश द्वावेकविशतिः॥हरिःदेवस्यत्वा / सवितुरप्रसवेश्चिनोहु / उभ्याम्पूष्ष्णोहस्ताब्भ्याम् // आददुनारिरसि // 1 // युञ्जतेमनः॥ // 11 // For Private And Personal Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ROSSAUROROCROSS HEH36 scale युञ्जतेमनऽतयुञ्जतेधियोबिप्पावितस्यबृहुतोविपश्चितः॥वि होत्रादधेवयुनाविदेकऽइन्महीदेवस्यसवितुश्परिष्टुतिः॥२॥ देवी द्यावापृथिवी। मुखस्यवामद्यशिरोरायासन्देवयजनेपृथिव्याः // / मखाय॑त्वामुखस्यत्वाशीणें ॥३॥देच्यौवम्भ्यः ॥देच्यौवम्झयो भूतस्य॑प्रथमजामुखस्यवोद्यशिरोराध्यासन्देवयजनेपृथिव्या? // मखाय॑त्वामुखस्यत्वाशीषणे ॥४॥शतम् 1900 // इयत्यग्ग्रे॥ इयत्यग्ग्रेऽआसीन्मखस्यतेद्यशिरोराध्यासन्देवयजनेपृथिच्या२॥ DHARASHRSSNEHAAN-525 भूतस्यपथमजास्यत्वाशीणे॥रायासन्देवयन्तः // 2 // देवी, For Private And Personal Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 112 // // 37 // SEEDSOCUSTOSTEDOCUCk मखाय॑त्वामुखस्यत्वाशीणें // 5 // इन्द्रस्यौजः // इन्द्रस्यौज / स्त्थमखस्यवोद्यशिरोरायासन्देवयजनेपृथिव्याः॥ मुखाय॑त्वा / / मखस्यत्वाशीणे // मुखायत्वामखस्यत्वाशीणे // मखायत्वा / मखस्यत्वाशीणे ॥६॥तु / ब्रह्मणस्प्पतिप्प्रदुध्येतुसूनृता // अच्छाबीरन्नय॑म्पतिरोधसन्देवायज्ञन्नयन्तुनः // मखायत्वाम खस्यत्वाशीष्र्णे // मुखायत्वामुखस्यत्वाशीणे // मुखायत्वाम // 12 // खस्यत्वाशीणे॥७॥मुखस्युशिरः॥मुखस्युशिरोसि // मुखा For Private And Personal Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir AGROGRASSAGALISONGAA% यत्वामुखस्यत्वाशीणें // मखस्यशिरोसि // मखाय॑त्वामुखस्य त्वाशीष्र्णे // मुखस्यशिरोसि // मखाय॑त्वामुखस्यत्वाशीष्र्णे॥ मखायत्वामुखस्यत्वाशीष्र्णे॥ मुखायत्वामुखस्य॑त्वाशीष्र्णे॥ मखाय॑त्वामुखस्यत्वाशीणें ॥८॥अश्वस्यत्वा / वृष्ण शक्का धूपयामिदेवयजनेथिच्या॥ मुखाय॑त्वामुखस्यत्वाशीष्र्णे // अश्वस्यत्वावृष्ष्ण-शुकाधूपयामिदेवयजनेपृथिच्या? // मुखाय त्वामुखस्य॑त्वाशीष्णे // अश्व॑स्यत्वावृष्ष्ण-शुकाधूपयामिदेवय / For Private And Personal Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 113 // // 37 // 44540AOSAUKAS0404046 जनेपृथिच्या॥ मुखायत्वामुखस्यत्वाशीणे॥ मुखार्यत्वामुख / स्यत्वाशीष्र्णे // मखायत्वामखस्यत्वाशीष्र्णे ॥मखायत्वामुख है। स्यत्वाशीणे ॥९॥ऋजवैत्वा / साधवैत्वासुक्षित्यैत्वा // मुखा / यत्वामखस्यत्वाशीणे ॥मुखायत्वामखस्यत्वाशीणे // मुखा , यत्वामखस्यत्वाशीष्र्णे // 10 // [10] यमायत्वा / मखायत्वा सूय॑स्यत्वातपसे // देवस्त्वासवितामद्धानक्तुप्रथिच्याश्स/स्पृश / स्प्पाहि // अर्चिरसिशोचिरसुितपोसि // 11 // अनाधृष्टापुरस्ता SRAERREARREARRASHTRA // 113 // For Private And Personal Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir त् // अनाधृष्टापुरस्तादुग्नेराधिपत्युऽआयुम्मदात्पुत्रवतीदक्षिण / तऽइन्द्रस्याधिपत्येप्प्रजाम्मेदार सुखदापुच्चाहेवस्यसवितुराधिप / त्येचक्षुम्र्मेदाऽआश्रुतिरुत्तरतोधातुराधिपत्येरायस्प्पोषम्मेदाता विधृतिरुपरिष्वाइहस्पतेराधिपत्यऽ ओजोमेदाविश्वाग्भ्योमाना / ष्ट्राब्भ्यस्प्पाहिमनोरश्वासि // 12 // खाहामुरुद्भिः / परिश्श्रीय खदिवासुस्पृशस्प्पाहि॥मधुमधुमधु॥१३॥गौदेवानाम्॥ गर्भादेवानाम्पितामतीनाम्पतिःप्रजानाम् // सन्देवोदुवेनस For Private And Personal Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. संहि. // 11 // 34 // 37 // ********* वित्रागंतुससूर्येणरोचते // 14 // समग्निः ॥समग्निरग्निनांगत सन्दैवैनसवित्रासब्सूर्येणारोचिष्ट // वाहासमग्निस्तपसागतस / न्दैव्येनसवित्रासहसूयेणारूरुचत॥१५॥धुर्तादिवः॥धुर्तादि / वोबिभौतितपंसस्पृथिध्यान्धर्तीदेवोदेवानाममर्त्यस्तपोजाावा / चमुस्म्मेनियच्छदेवायुवम् // 16 // अपश्यङ्गोपाम् ॥अपश्यङ्गो / पामनिपद्यमानमाचपरांचपथिभिश्चरन्तम् // ससुद्रीचील्सवि / पूंची-सानुऽआवरीवर्तिभुवनेष्ष्वन्तः // 17 // विश्वासाम्भुवाम्॥ // 114 // * For Private And Personal Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 36 HUGHUSHUSHOTS विश्वासाम्भुवाम्पतेविश्वस्यमनसस्प्पतविश्वस्यवचसस्प्पतेसव॑स्य / वचसस्प्पते // देवश्रुत्वन्देवधर्मदेवोदेवान्पाहयत्रुप्पाचीरनुवा / इन्दुववीतये // मधुमाछीब्भ्याम्मधुमाधूचीब्भ्याम् // 18 // हृदे / त्वा / मनसेत्वादिवेत्वासूझ्यत्वा // ऊोऽअद्धरन्दुिविदेवेषुधे / हि ॥१९॥पितानः॥पितानौसिपितानोबोधिनमस्तेऽअस्तुमा माहिब्सी // त्वष्ट्रमन्तस्त्वासपेमपुत्रान्पशून्मर्यिधेहिप्प्रजाम / / स्म्मासुधेह्यरिष्ठाह सहपत्याभूयासम् // 20 // अह केतुना / 30** For Private And Personal Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kishsagarsuri Gyanmandit उ, अ. // 115 // AUGUNAKAR+S+ SSSC जुषतासुज्योतिज्योतिषाखाहा // रात्रि केतुनाजुषतासु / उ. ज्योतिज्योतिषाखाहा // 21 // [11] इतिश्रीवाजसनेयसंहिता // 38 // यांसप्तत्रिंशोऽध्यायः॥३७॥श्रीवेदपुरुषायनमः॥अनुवाकसूत्रम्॥ देवस्यत्वाष्टौयमायत्वाक्षत्रस्यत्वादशकौत्रयोष्टाविशतिः॥ हरिः / देवस्य॑त्वादेवस्य॑त्वासवितुश्यसवेश्चिनोर्बाहुब्भ्यांपुष्ष्णोहस्ता / भ्याम् ॥आदुदेदित्यैरास्नासि ॥१॥इड एहि // इडएहयदित एहिसरस्वत्येहि॥ असावेह्यावेह्रयसावेहि॥२॥अदित्यैरास्नासी / // 115 // For Private And Personal Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir KESHREENERAHASRAKASH AMANN न्द्राण्याऽउष्ष्णीपः॥पूषासिघायदीष्ष्व॥३॥अश्विब्भ्याम्पि न्वस्वसरखत्यैपिन्न्वखेन्द्रायपिन्वख॥खाहेन्द्रवत्खाहेन्द्रवत्वा / हेन्द्रवत्॥४॥ यस्ते।स्तन शशयोयोमयोभूर्योरत्नधाबसुविद्यः सुदनः॥येनविश्वापुष्ष्यसिवााणिसरखतितमिहधातवेकह। उर्छन्तरिक्षमन्वैमि // 5 // गायत्रच्छन्दः // गायत्रज्छन्दौसि / त्रैष्टुभञ्छन्दौसिद्यावापृथिवीभ्यान्त्वापरिगृह्णाम्म्यन्तरिक्षेणोप / यच्छामि // इन्द्राश्विनामधुनस्सारघस्य॑घुर्मम्पात वसवोयर्जत / / For Private And Personal Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. // 116 // PROCESCALCULOADCASSAMHD / बाट् ॥वाहासूय॑स्यरश्मयवृष्टिवनये ॥६॥समुद्रायत्वा / वा / तायुस्वाहासरिराय॑त्वाबातायस्वाहा // अनाधृष्ष्यायत्वाबाताय / / स्वाहाप्प्रतिधृष्ष्यायत्वाबातायस्वाहा // अवस्यवैत्वाबातायखा है। हाशिमिदायत्वाबातायखाहो // 7 // इन्द्रीयत्ा / वसुमतेरुद्रवे / तेखाहेन्द्रीयत्वादित्यवतेखाहेन्द्रीयत्वाभिमातिग्नेखाहा ॥सवि / त्रेत्वेऽ ऋभुमतैविभुमतेवाजवतेखाहाबृहस्पतयेत्वाविश्वदेच्या वतेखाहो // 8 // [8] युमायुत्वाङ्गिरखतेपितृमतेखाहो // खाही / // 116 // For Private And Personal Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ASNLOA5555र घायुस्खाहाघमपत्रे // 9 // विश्वाऽआशा // विश्वाऽआशा दक्षिणसद्द्विश्चान्देवानयोडिह // खााकृतस्यघुर्मास्युमधौलपिब तमश्विना॥१०॥ दुिविधा दुिविधाऽइमंय्यज्ञमिमंय्यज्ञन्दुि / विधा ॥खाहाग्नयैयज्ञियायुशय्य ब्य॑ // 11 // अश्विनाघ, मम्॥अश्विनाधर्मम्पातहहार्दीनमहर्दिवाभिरूतिभिमातन्त्रा / यिणेनमोद्यावापृथिवीभ्याम् // 12 // अपातामश्चिना / धर्म / मनुद्यावापृथिवीऽअमसाताम् // इहैवरातयःसन्तु // 13 // इषे For Private And Personal Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 1544 उ. अ. // 38 // // 117 // संहि. पिन्वख॥ इषेपिन्वस्वोर्जेपिन्वस्वबहह्मणेपिन्वखात्रायपिन्वतु / / द्यावापृथिवीभ्यापिन्वख ॥धर्मासिसुधौमेन्यस्म्मेनृम्णानि / धारयुबमधारयक्षत्रन्धारयविशन्धारय // 14 // खाहापूष्ष्णे। शरसेखाहाग्ग्रावब्भ्यस्खाप्प्रतिरवेभ्यः ॥खाहापितृब्भ्यऽऊ बर्हिब्भ्योघमपावभ्यस्खाहाद्यावापृथिवीब्भ्याखाहाविश्वे 3 ब्भ्योदेवेभ्यः ॥१५॥खाहारुद्राय / रुद्रहूतयेखाहासज्योति / / पाज्योतिः॥ अह-केतुनाजुषतासुज्योतिज्योतिषाखाहा // 54545454554 // 117 // For Private And Personal Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandie ROCCASCRIGANGACANARASIK रात्रि केतुनाजुपतासुज्योतिज्योतिपाखाहो // मधुहुतमि न्द्रतमेऽ अग्नावश्यामतेदेवधर्मनमस्तेऽ अस्तुमामाहिसी // ॥१६॥अभीमम्॥ अभीमम्महिमादिविप्प्रोबभूवसुष्प्रथा // उतश्श्रवसाथिवी सन्सीदखमहाँ२ असिरोचस्वदेववीतमः॥ विधूमम॑ग्नेऽअरुपम्मियेध्यसृजप्रशस्तदर्शतम् // 17 // याते / धर्मदिच्याशुग्ग्यागायत्र्याहविर्भाने // सातऽआप्प्यायतान्नि / ष्टयोयतान्तस्यैतेस्वाहा // यातैघन्तिरिक्षेशुग्ग्यात्रिष्टुब्भ्या For Private And Personal Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 118 // संहि. इनीधे ॥सातऽआप्प्यायतान्निष्टायतान्तस्यैतेस्वाहा ॥यातैघर्म / पृथिच्याशुग्ग्याजगत्या सदस्या॥सातऽआप्प्योयतानिष्टया / यतान्तस्यैतेस्वाहा // 18 // [10] क्षुत्रस्यत्वा। परस्पायुब्रह्मण है। स्तन्वम्पाहि // विशस्त्वाधर्मणाबयमनुक्रामामसुवितायनव्य॑से / / // 19 // चतु:स्रक्तिाभिः॥चतु:स्रक्तिर्नाभिर्ऋतस्य॑सप्प्रथाः सनौविश्वायुःसप्प्रथाल्सन:सर्वायु सप्पथा॥ अपद्वेषोऽअपह्व / रोन्न्यवतस्यसश्चिम // 20 // धम्मैतत् // घम्मैतत्तेपुरीपन्तेनुब SAMANESAMAMALAMA // 118 // For Private And Personal Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CACADAININGACAGALGAON ईस्वचाचप्प्यायख // बुर्द्धिषीमहिंचव्वयमाचप्प्यासिषीमहि // ॥२१॥अचिक्रदुद्वषाहरिर्महामित्रोनदर्शतः॥ सन्सूय्यैणदि द्युतदुदुधिनिधी // 22 // सुमित्रियानः // सुमित्रियानऽआपऽ / ओषधयह सन्तुदुम्मित्रियास्तस्म्मैसन्तुयोस्मान्द्वेष्टियञ्चव्यन्हि / / धम्मः॥ 23 // उडेयम् // उद्द्यन्तमसस्प्परिखल्पश्यन्तऽउत्तर / / म् // देवन्दैवत्रासूर्यमगन्मज्योतिरुत्तमम् // 24 // एधौसि // एधौस्येधिषीमहिंसमिदसितेजोसितेजोमयिधेहि // 25 // यावं For Private And Personal Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandit संहि. उ.अ. // 119 // // 38 // ACTORAGICARRORSCALAM / तीद्यावापृथिवी / यावच्चसप्तसिन्धवोबितस्त्थिरे॥ तावन्तमिन्द्र है। तेग्ग्रहमूर्जागृह्णाम्म्यक्षितम्मयिगृह्णाम्म्यक्षितम् ॥२६॥मयित्य / / त् // मयित्यदिन्द्रियम्बृहन्मयिदक्षोमयिक्रतु:॥धर्मास्त्रिशुग्ग्यि / / राजतिविराजाज्ज्योतिषासहब्रह्मणातेजसासह // 27 // पय॑सो / रतः॥पयसोरेतऽआभृतन्तस्युदोहेमशीमुहयुत्तरामुत्तराईसमा / म्॥त्विषःसंवृक्तत्वेदक्षस्यतेसुषुम्म्णस्यतेसुषुम्म्णाग्निहुतः // इन्द्र / / पीतस्यप्प्रजापतिभक्षितस्युमधुमतऽ उपहूतऽउपहूतस्यभक्षया // 119 // For Private And Personal Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तिश्रीवाजसनेयसंहितायांअष्टत्रिंशोऽध्यायः पायनमः // अनुवाक्सूत्रम्॥ खाहापाणेभ्यः इश ॥हरिः स्वाहाप्पाणेभ्यः॥स्वाहाप्पा हब्भ्यस् // पृथिव्यै स्वाहाग्नयेखाहान्तरिक्षाय ॥दिवेखाहासूर्य्यायखाहा॥१॥दिग्भ्याखा नक्षत्रेभ्यत्स्वाहायश्वाहावरुणायुवाहा // रस्वाहा // 2 // वाचेखाहो / प्राणायखाहाप्पा : For Private And Personal Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 39 // (षेखाहाचक्षुषेखाहाश्रोत्रायखाहाश्श्रोत्राय : उ. अ. सुल्कामम् // मनसुकाममाकूतिवाचसुत्यम / / रूपमन्नस्यरसोयशश्रीश्यताम्मयुिवाहा // सम्भ्रियमाणसम्म्राट्सम्भृतोवैश्वदेवासब्सन्नो / उद्यतऽआश्चिनः पयस्थानीयमानेपौष्ष्णोवि / क्लथन्।मैत्रशरसिसन्ताय्याने वाययोन्हि // 20 // मिानोबाग्घुतः ॥५॥सविताप्पथमे / हन्नग्नि / For Private And Personal Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पञ्चमऽऋतुःषष्टेम ...वमेव गोदशमऽइन्द्रऽएका : // 6 // उग्यश्च। भीमच्चद्धान्तश्चधुनिश्च।। ग्वाचविक्षिपल्खाहो // 7 // अग्नि हृदयेन॥ नै हृदयाग्ग्रेणपशुपतिङ्कृत्स्नुहृदयेनभवंय्य बाब्भ्यामीशानम्मन्युनामहादेवमन्तत्पर्शध्ये बिसिष्ठहनुलशिङ्गीनिकोश्याब्भ्याम् // 8 1ACC5543184555 For Private And Personal Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. // 39 // सौबत्येनरुवन्दौवत्येनेन्द्रम्प्प्रक्रीडेनमरुतो / // भवस्यकण्ठयब्रुवस्यान्तपाय॑म्म॒हा 3 अनिष्टुःपशुपतेहपुरीतत् // 9 // लोमभ्यत्वा / / त्वचेखाहात्वचेखाहालोहितायखाहालोहि / खाहामेदोभ्युत्खाहोमासेब्भ्यत्वाहा / / स्नान भ्यहवाहास्त्थभ्यः ! // 121 // उभ्यस्वाहा // रेत // For Private And Personal Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तेचतस्रो, वस्त्यसितिस्र, एपतेद्वे,शुक्रत्वाचतस्रो,दित्यास्त्वगष्टौ, / दशसप्तत्रिशत्॥१०॥हरिःॐ एदम् // एदमंगन्मदेवयजनम् / / थिव्यायत्रदेवासोऽअर्जुपन्तुविश्वे ॥ऋक्सामाग्भ्यासन्तरन्तो / / यजुर्भीरायस्प्पोपेणसमिपामदेम॥इमाऽआपल्शमुमेसन्तुदेवी | रोपंधेत्रायस्वखधितमैनहिसी॥१॥आपोऽअस्मान् // आपोऽ अस्म्मान्मातरःशुन्धयन्तुघृतेननोवृतप्प्व:पुनन्तु॥विश्वहिरि प्रम् वहन्तिदेवीरुदिदाभ्यांशुचिरापुतऽऐमि // दीक्षातपसौस्त / MAKAALCHANDAUCAMGAOSX For Private And Personal Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. // 22 // *OSAASTALAR SOROSKOSMOSOS नरसितान्त्वाशिवाशग्ग्माम्परिदधेभुड़व्वर्णम्पुष्ष्यन्॥२॥[२] महीनाम्पयः॥ महीनाम्पोसिबक़दाऽसिबच्चोंमेदेहि // बुत्र / स्यासिकनीनकश्चक्षुर्दाऽअसिचक्षुम्मैदेहि // ३॥चित्पतिर्मा, चित्पतिर्मापुनातुबाक्पतिर्मापुनातुदेवोमासविताप्नात्वच्छि द्रेणपुवित्रेणुसूय॑स्य रश्मिभिः ॥तस्यतेपवित्रपतेपवित्रपूतस्यय कामऽपुनेतच्छकेयम् // 4 // आव: // आवौदेवासऽईमहेवाम म्यत्यद्धरे // आवौदेवासऽआशिषौयज्ञियासोहवामहे // 5 BRAHARAHARANASAHASRAER // 22 // For Private And Personal Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir RECTORGANGACASSAMACADCALG खाहायज्ञम् // खायज्ञमनसखाहोरोरन्तरिक्षात्स्वाहाद्यावाष्प / थिवीभ्याएखाहाबातादारभेखाहा 6[4] आकृत्यैप्प्रयुजे॥आ। कूत्यैप्प्रयुजेग्नयेखाहामेधायैमनसेग्नयेखाादीक्षायैतपसेग्नये / खाहासरखत्यैपूष्ष्णेग्नयेखाहो // आपोदेवीव्हतीविश्वशम्भुवो द्यावापृथिवीऽउरोऽअन्तरिक्ष // बृहस्पतयेहुविषाविधेमुखाहाँ / // 7 // विश्वौदेवस्य॑ // विश्वोदेवस्यनेतुमौबुरीतसख्यम् // वि / श्वोरायऽईपुद्धयतिद्युम्नंवृणीतपुष्ष्यसेखाहा॥८॥[२] अक्ख्सा For Private And Personal Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit // 23 // मयोऽशिल्प्पे॥ऋक्ख्सामयोऽशिल्प्पैस्त्थस्तेवामारंभेतेमापातमा / है स्ययज्ञस्योदृचः॥शासि शर्ममेयच्छनमस्तेऽअस्तुमामाहि / / सीडे॥९॥ऊर्गसि॥ऊर्गस्याङ्गिरस्यूर्णम्म्रदाऽऊ मर्यिधेहि।सोम / / स्यनीविरसिविष्ष्णोऽशम्मासिशर्मयजमानस्येन्द्रस्ययोनिरसि | सुसस्या? कृपीस्कृधि॥ उच्छृयखवनस्पतऽऊोमापायासऽ / आस्ययज्ञस्योदृचः // 10 // [2] तङ्कणुत।तङ्क्णुताग्निब्रह्मा // 23 // ग्नि[ज्ञोव्बनस्प्पर्तिर्युज्ञियः // दैवीन्धिय॑म्मनामहेसुमृडीका / / For Private And Personal Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra A www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CACANCINCRENCHARACANCY मभिष्टयेवोंधाय्यज्ञाहससुतीर्थानोऽअसद्दशै // येदेवामनो / जातामनोयुजोदर्शकतवस्तेनोवन्तुतेन:पांतुतेभ्यत्स्वाहा॥११॥ श्वानापीता ॥श्वात्राश्पीताभवतयूयमापोऽअम्माकमन्तरुदरे सुशेवाः॥ताऽअस्म्मभ्यमयुक्ष्म्माऽअनमीवाऽअनागसत्वदन्तु देवीरमृतोऽऋतावृधः॥१२॥ इयन्तै। यज्ञियातनूरपोमुञ्चामि / नप्प्रजाम् // अहोमुचत्खाहाकृताऽपृथिवीमाविशतपृथिव्यास म्भव॥१३॥अग्नेत्वम्॥अग्नेत्वहसुजागृहिव्यहसुमंन्दिपीमहि॥ SCHOCOCONCEPSECLARESS For Private And Personal Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. // 24 // ॐ40--SECONGRESS रक्षाणोऽअप्पयुच्छन्अबुधेनत्पुनस्कृधि // 14 // पुनर्मनः॥ पुन / मनपुनरायुमऽआगन्पुन:प्पाण?पुनरात्त्मामऽआगन्पुनश्च / / क्षुपुनश्रोत्रम्मऽआर्गन्॥ वैश्वानरोऽअर्दधस्तनूपाऽअग्निनः / पातुदुरितादेव॒द्यात्॥१५॥ त्वम॑ग्ने ।तपाऽअसिदेवऽआमत्ये / ष्ष्वा॥ त्वंय्यज्ञेष्ष्वीडयः॥राखेयत्सोमाभूयोभरदेवोन: सविता / वसोर्दाताबर्खदात् // 16 // [6] एपातेशुक्रतनरेतवर्चस्तयास | म्भवभ्राज॑ङ्गच्छ॥जूरसिधृतामनसाजुष्टाविष्णवे // 17 // तस्या // 24 // For Private And Personal Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir स्ते / सत्त्यसवसहप्प्रसवेतन्वोयन्त्रमशीयवाहा // शुक्रमसिच इन्द्रमस्यमृतमसिवैश्वदेवमसि // 18 // चिदसि / मुनासिधीरसि / दक्षिणासिक्षुत्रियोसियज्ञियास्यदितिरस्युभयतशीष्ण्र्णी // सा नत्सुप्पांचीसुप्प्रतीच्येधिमित्रस्त्वापुदिनीताम्पूपाईनस्प्पा विन्द्रायाद्धयक्षाय // 19 // अनुत्वामातामन्यतामनुपितानुब्भ्रा तासगब्र्योनुसखासयूत्थ्यह॥सादेविदेवमच्छेहीन्द्रायसोमहरुद्र स्त्वावर्तयतुस्वस्तिसोम॑सखापुनरेहि ॥२०॥[४]वस्थ्यसि॥वस्थ्य है। S+SAMACOCALCUCRICKASS For Private And Personal Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir माह ५.अ. // 4 // स्यदितिरस्यादुित्त्यासिरुद्रासिचुन्द्रासि // बृहस्प्पतिष्ट्वासुम्म्नेर / म्म्णातुरुद्रोवसुभिराचके॥२१॥ अदित्यास्त्वा।मुर्द्धन्नाजिघमि है देवयजनेपृथिध्याऽइडायास्पदमसिघृतवत्स्वाहा॥अस्म्मेरेमस्वा / सम्मेतेबन्धुस्त्वेरायोमेरायोमाबय रायस्प्पोपेणुवियौष्म्मतोतो। रायः॥२२॥समक्ख्य। देव्याधियासन्दक्षिणयोरुचक्षसा॥मा / मआयुरप्प्रमोपीर्मोऽअहन्तववीरविदेयतर्वदेविसन्डशि // 23 // // 25 // [३]एपते / गायत्रोभागऽइतिमेसोमायब्रूतादेपतत्रैष्टुंभोभागऽइ For Private And Personal Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir तिमेसोमायब्रूतादेपतेजागतोभागऽइतिमेसोमायब्रूताच्छन्दोना है। मानासाम्म्राज्यङ्गच्छेतिमेसोमायबूतादाम्माकोसिशुक्रस्तु / ग्ग्रहयौविचितस्त्वाविचिन्वन्तु॥२४॥अभित्त्यम् // अभित्त्यन्दु वहसवितारमोण्यो कविक्रतुम मिसत्त्यसवहरत्नधामभिष्पि यम्मतिविम् // ऊज्रयस्यामतिर्भाऽअदिद्युतत्त्सवीमनिहिरण्य / / पाणिरमिमीतसुक्रतुःकृपाखः॥प्रजाभ्यस्त्वाप्प्रजास्त्वानुपाण हैं न्तुप्प्रजास्त्वम॑नुपाणिहि॥२५॥ [2] शुक्रन्त्वा / शुक्रेणकीणा है। For Private And Personal Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir bo अ. : मिचन्द्रञ्चन्द्रेणामृतममृतेन // सुग्ग्मतेगोरस्म्मेतैचन्द्राणितपस // 23 // स्तनूरसिप्प्रजापतेर्वण: परमेणपशुक्रिीयसेसहस्रपोषम्पुषेय / / म्॥२६॥ मित्रोनः॥मित्रोन एहिसुमित्रधऽइन्द्रस्योरुमावि / शुदक्षिणमुशन्नुशन्तस्योनास्योनम् // खानब्भ्राजाङ्घारेबम्भी रेहस्तसुहस्तकृशानवेतेवः सोमक्रयणास्ताव्रक्षछम्मावौदभन् // २७॥परिमा। ग्ग्नेदुश्चरिताद्वा५खामासुचरितेभज॥ उदायुषा स्वायुषोदेस्त्थाममृताँऽ२अनु॥२८॥प्रतिपन्थाम्॥प्रतिपन्थामप RECENGALORECRUARMACOCON For Private And Personal Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir AARASSANAKA अहिखस्तुिगामनेहसम्॥ येनविश्वाल्परिद्विपोवृणक्तिब्विन्दते॒वसु / ॥२९॥[४]अदित्यास्त्वक् ॥अदित्यास्त्वगुस्यदित्त्यसदुऽआसी द॥अस्तब्भ्नाद्यांपभोऽअन्तरिक्षममिमीतव्वरिमाणम्पृथिच्या? आसीदविश्वाभुवनानिसम्म्राड्डिश्वेत्तानिवरुणस्यतानि॥३०॥ बनैपुचि // बनैपुष्यन्तरिक्षन्ततानवाजमव॑त्सुपर्यऽस्रियासु // हृत्सुक्रतुंवरुणोविक्क्ष्व॒ग्निन्दुिविसूर्य्यमदधात्सोममौ // 31 // सूर्यस्यचक्षुः॥ सूर्य्यस्युचक्षुरारोहाग्नेरक्ष्णकुनीनकम् // यत्रै 12542-ARASHARA For Private And Personal Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir // 4 // संहि. तशेभिरीयसेब्भ्राजमानोविपश्चिता // 32 // उस्रावेतम्॥ उस्रा / / वेतन्धू हौयुज्येथामनुश्रूऽअवीरहणौब्रह्मचोदनौ // स्वस्तिय / जमानस्यगृहान्गच्छतम् ॥३३॥भद्रोमे। सिप्प्रच्यवखभुवस्प्प / तेव्विश्चान्यभिधामानि॥मात्त्वोपरिपुरिणौबिदुन्न्मात्वोपरिपन्थि / नोव्विदुन्मात्वाकाऽअघायवोबिदन्॥श्येनोभूत्वापरापतयजमा है नस्यगृहान्गच्छतन्नौसँस्कृतम्॥३४॥नमोमित्रस्यानमौमित्रस्युव // 27 // रुणस्यचक्षसेमहोदेवायतदृतसपर्य्यत॥दूरे दृशेदेवजातायकेतवे / For Private And Personal Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kasagarri Gyanmandir दिवस्प्पुत्रायसूर्य्यायशसत॥३५॥वरुणस्योत्तम्भनम्॥वरुणस्यो / त्तम्भनमसिवरुणस्यस्कम्भसर्जनीस्त्थोबरुणस्य ऋतसदन्न्यसिब है। रुणस्य ऋतसदनमसिवरुणस्यऽऋतसदनमासीद॥३६॥याताया। तेधामानिहविपायजेन्तितातेविश्वोपरिभूरस्तुयज्ञम्॥गयस्प्फान है। प्रतरणसुवीरोवीरहाप्पचरासोमदु-न् // 37 // [8] इतिश्री / / वाजसनेयसंहितायांचतुर्थोऽध्यायः ॥४॥श्रीवेदपुरुषायनमः॥ अनुवाकसूत्रम् अग्नेस्तनू , रापतयेचतुष्को, तप्तायनीद्वे, इन्द्रघो For Private And Personal Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि पू.अ. // 28 // पस्तिस्रो, युंजतेष्टौ, देवस्यत्वाचतस्रो,देवस्यत्वापंच,विभूरसिचत / स्रो,ज्योतिरसिपडुरुविष्णोतिस्रो,दशत्रिचत्वारिशत्॥हरिः / अग्नेस्तनूः॥अग्नेस्तनूरैसिविष्णवेत्त्वासोमस्यतनूरसिविष्णवे / / त्त्वातिथेरातित्थ्यमसिविष्णवेत्त्वाश्येनायत्त्वासोमभृतेविष्णवे / हत्त्वाग्नयत्त्वारायस्प्पोषदेविष्णवेत्त्वा॥१॥अग्नेर्जनित्रम्॥अग्ने र्जनित्रमसिवृषणौस्त्थऽउर्वश्यस्यायुरेसिपुरूरवाऽअसि॥गायत्रे // णत्त्वाच्छन्दसामन्थामित्रैष्टुनत्त्वाच्छन्दसामन्थामिजागतेन / SHARMACROCESUCCCC // 28 // For Private And Personal Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir GACAGRICANAMICROGRA M त्त्वाच्छन्दसामन्थामि॥२॥भवतन्नड॥भवतन्न समनसौसचेतसा वरेपसौ॥मायज्ञाहिसिष्टुम्मायज्ञपतिञ्जातवेदसौशिवौभवतम धनः॥३॥ अग्नावग्निः॥अग्नावग्निश्चरतिप्पविष्टुऽऋषीणाम्पु / त्रोऽअभिशस्तिपावा ॥सन:स्योनसुयजायजेहदेवेभ्योहच्या सदुमप्प्युच्छन्त्स्वाहा // 4 // [4] आपतयेत्त्वा॥आपतयेत्त्वापरि पतयेगृह्णामितनूनप्प्त्रैशावरायशवनऽओजिष्ठाय // अनाधृष्टम 2 स्यनाधृष्ष्यन्देवानामोजोनभिशस्त्यभिशस्तिपाऽअनभिशस्ते For Private And Personal Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 29 // न्यमजेसासत्त्यमुपंगेपस्वितेमांधा॥५॥अग्नेबतपाड॥अग्ग्नेछ / पू. अ. तपास्त्वेतपायातवतरिय सामयियोमर्मतनूरेपासात्वयि ॥स, हनौबतपते तान्य मेदीक्षान्दीक्षापतिर्मन्यतामनुतपुस्तफ्स्प्प है। ति॥६॥अशुर शुष्टे। देवसोमाप्प्यायतामिन्द्रायैकधनविदे // आतुब्भ्यमिन्द्रप्प्याय॑तामात्त्वमिन्द्रायप्प्यायख॥आप्प्यायया / स्म्मान्त्सखीन्त्सन्यामेधास्वस्तितेदेवसोमसुत्त्यामशीय॥एष्टा // 29 // रायप्प्रेषेभगायऽऋतमृतवादिग्भ्योनमोद्यावापृथिवीभ्याम्। For Private And Personal Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir ARCANCCCCCALCANCIENCES यातयातेऽअग्नेयत्शुयातनूवर्षिष्ठागह्वरेष्ठा // उग्ग्रंबचोऽअपाव धीत्त्वेषंवोऽअपविधीत्स्वाहा // यातेऽअग्नेरजलशयातनूर्वपिष्ठा है। गह्वरेष्ठा ॥उग्ग्रंबचोऽअपविधीत्त्वेपंवोऽअवधीत्वा ॥याते | ऽअग्नेहरिशयातनूर्वर्षिष्ठागह्वरेष्ठा // उग्ग्रंबचोऽअावधीत्त्वेषंव है चोऽअपावधीत्वाहा॥८॥ [४]तप्तायनीमे॥तुप्प्तायनीमेऽसिवि / / त्तायनीमेस्यवतान्मानाथितादवतान्माध्यथितात्॥ विदेदुग्निन्न / भोनामाग्नेऽअङ्गिरऽआयुनानाम्नेहियोस्याम्पृथिच्यामसियत्ते / / For Private And Personal Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir माह पू.अ. // 30 // 364656*3=20$*SOASIS** नाष्टुन्नामयज्ञियन्तेनुत्त्वादधेविदेदुग्ग्निनभोनामाग्नेऽअङ्गिरऽ आयुनानाम्नेहियोद्वितीयस्याम्पृथिध्यामसियत्तेनाधृष्टुन्नामय | ज्ञियन्तेनुत्त्वादधेविदेदुग्निनभोनामाग्ग्नेऽअङ्गिरऽआयुनाना | म्नेहियस्तृतीयस्याम्पृथिव्यामसियत्तेनाधृष्टुन्नामयज्ञियन्तेन त्त्विादधे // अनुत्वादेवीतये // 9 // सिहयसि / सपत्नसाही देवेभ्य: कल्प्पखसिध्यसिसपत्नसाहीदेब्भ्यःशुन्धखसि सिसपत्नसाहीदेवेब्भ्य:शुम्भख॥१०॥[२] इन्द्रघोपस्त्वा For Private And Personal Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ACANCY इन्द्रघोषस्त्वावसुभिस्पुरस्तात्पातुप्रचेतास्त्वारुढै?पश्चात्पातुम / नोजवास्त्वापितृभिर्दक्षिणतःपातुविश्वकर्मात्त्वादित्त्यैरुत्तर तपात्विदमहन्तप्तंबाहि यज्ञान्निश्सृजामि // 11 // सि हसि // सिह्यसिखाहासिह्यस्यादित्युवनिखाहासिलुह्यसि / बमुवनिःक्षत्रुवनिल्खाहासिह्यसिसुप्पजावनीरायस्प्पोपव निस्वाहासिास्यावहदेवान्न्यजमानायखाहाभूतेब्भ्यस्त्वा ॥१२॥ध्रुवोसि।पृथिवीन्हढुवक्षिदस्यन्तरिक्षन्दृष्टहाच्युतक्षि For Private And Personal Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kashgar Granmandir // 31 // दसिदिवन्दृाग्नेश्पुरीपमसि॥१३॥[३]युञ्जतेमनः॥युञ्जतेम / पू. अ. नऽउतयुञ्जतेधियोविश्विप्नस्यबृहतोविपश्चितः॥बिहोत्रादधेव // 5 // युनाविदेकइन्महीदे॒वस्य॑सवितुपरिष्टुतित्स्वाहा ॥१४॥इदंवि / 5ष्णुः॥इदंविष्ष्णुर्विचक्रमेत्रेधानिदधेपुदम् // समूढमस्यपासुई रेखाहा॥१५॥इरावतीधेनुमती // इरावतीधेनुमतीहि तहसूयव / सिनीमनवेदशस्या॥ध्यस्कम्ब्नारोदसीविष्ष्णवेतेदाधर्थपृथिवी // 31 // मभितोमयूखैल्खाहा॥१६॥देवश्रुतौदेवेषु // देवश्रुतौदेवेष्ष्वा / For Private And Personal Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir FASTEREST घोपतुम्पाचीप्रेतमद्धरङ्कल्प्पयन्तीऽऊर्द्धय्यज्ञन्नयतम्मार्जिह्व रतम् // खङ्गोष्ठमावदतन्देवीदुर्थेऽआयुआनिर्धादिष्टम् जाम्मा है। निर्वादिष्टुमत्ररमेथांबम्मन्पृथिव्याः // 17 // विष्ष्णोर्नु / Oणिप्प्रोचंय्यपार्थिवानिविममेरजासि // योऽअस्कभा / यदुत्तर सुधस्थविचक्रमाणस्नेधोरुगायोबिष्णवेत्वा ॥१८॥दि। वोवा। विष्ष्णऽउतापथिच्यामहोवाविष्ष्णऽउरोरन्तरिक्षात्॥ भाहिहस्ताबसुनापृणखाप्प्रयच्छदक्षिणादोतसुध्याविष्ष्णवेत्त्वा SCAISHIATSHISHISAIHAOSHOKO For Private And Personal Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 32 // // १९॥प्रतत् // प्रतविष्ष्णुस्तवतेव्वीhणमृगोनभीमकुचुरोगि पू.अ. हारिष्टाः // यस्योरुषुत्रिषुविक्रर्मणेष्ष्वधिक्षियन्तिभुवनानिविश्वा / // 20 // विष्ष्णोरराटम् // विष्ष्णोरराटमसिविष्ष्णोनप्प्त्रेस्थो / विष्ष्णोत्स्यूरैसिविष्ष्णो?बोसि // वैष्ष्णुवमसुिविष्णवेत्त्वा / 21 // [8] देवस्यत्त्वा।सवितुप्पसवश्विनौर्बाहुब्भ्याम्पूष्ष्णो स्ताब्भ्याम्॥आद॑दे॒नाय॑सीदमह रक्षसाङ्ग्रीवाऽअपिकृन्तामि॥ // 32 // बृहनसिबृहवाबृहतीमिन्द्रायवाचंबद // 22 // रुक्षोहणवलगह / For Private And Personal Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SHISAIRA U SAHAHAHAHA नम्॥रोहणवलगृह वैष्ष्णवीमिदमुहन्तवलुगमुत्किरामियम्मे / निष्ट्योयममात्यौनिचुखानेदमहन्तंबलगमुत्किरामियम्मैसमानो यमसमानोनिचुखानेदमहन्तवलुगमुत्किरामियम्मेसबंधुर्यम | संबन्धुनिचुखानेदमहन्तवलुगमुत्किरामियम्मैसजातोयमसजा तोनिचुखानोत्कृत्याङ्किरामि // 23 // स्वराडसि / सपत्नुहासत्ररा / / डस्यभिमातिहाजनुराडंसिरोहासङ्घराडस्यमित्रहा॥२४॥रक्षोह | णोवह // रक्षोहोवोबलगृहनुहप्पोक्षामिवैष्ष्णुवाब्रोहणोवोचला / For Private And Personal Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. // 33 // गहनोवनयामिवैष्ष्णुवान्नक्षोहणौवोबलगहनोवस्तृणामिवैष्ष्ण वाव्रक्षोहणौवांवलगहनाऽउपदधामिवैष्णवीरक्षोहणौवांबलगह / / नौपयूहामिवैष्ष्णवीवैष्णवमसिवैष्णवास्त्थ॥२५॥[४] देवस्य / त्त्वा / सवितुप्प्रेसवेश्विनौर्वाहुब्भ्याम्पूष्ष्णोहस्ताव्याम् // आ | ददुनाय॑सीदमह रक्षसाचीवाऽअपिकृन्तामि // यवोसियवया / स्म्मढेपौयवयारांतीदिवेत्त्वान्तरिक्षायत्त्वापृथिव्यैत्त्वाशुन्धन्ताँ // 33 // लोकापितृपदनापितृपदनमसि // 26 // उद्दिवम् // उद्दिवस्त / For Private And Personal Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CARRCANCCaM भानान्तरिक्षम्पृणुदृहखपृथिच्यान्द्युतानस्त्वामारुतोमिनोतुमि / त्रावरुणौडुवेणुधर्मणा ॥ब्रह्मवनित्त्वाक्षत्रवनिरायस्प्पोषुवनिप / यूँहामि॥ब्रह्मदृहक्षुत्रन्दृव्हायुई हप्पजान्दृह ॥२७॥ध्रु॥ वासि / ध्रुवोयंय्यजमानोस्म्मिन्नायतनेप्प्रजयोपशुभिर्भूयात् // घृतेनद्यावापृथिवीपूhथामिन्द्रस्यच्छदिरॅसिविश्वजनस्य॑च्छाया है। // 28 // परित्त्वा / गिर्वणोगिरऽइमाभवन्तुष्विश्चतः ॥बुद्धायुम | नुवृद्धयोजुष्टाभवन्तुजुष्टयह // २९॥इन्द्रस्यस्यू? // इन्द्रस्य॒स्यूर। For Private And Personal Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir www.kobatirth.org 99*** . संहि. सीन्द्रस्यडुवोसि॥ऐन्द्रमसिवैश्वदेवमसि // 30 // [5] विभूरसि। // 34 // प्रवाहणोबन्हिरसिहव्यवाहनावात्रोसिप्पचैतास्तुथोसिविश्ववै दाऽशिगसि॥३१॥ उशिगसि / कुविरवारिरसिबम्भारिरवस्यूर। सिदुवैखाञ्छुन्ध्यूरसिमार्जालीय सम्म्राउंसिकुशानु-परिषद्यो / सिपर्वमानोनभौसिप्पतक्कामष्टोसिहच्यसूदनऽऋतामासिस्व। ज्योतिऽसमुद्रोसि॥३२॥ समुद्रोसि। विश्चर्यचाऽअजोस्येकपा // 34 // दहिरसिबुभ्यो वागस्यैन्द्रमसिसदोस्तस्यद्वारौमामासन्ताप्तुम। ***** * * * * For Private And Personal Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir ईनामद्धपतेप्रमातिरस्वस्तिमेम्मिन्पथिदेवयानेभूयान्मित्रस्य / मा॥३३॥मित्रस्यमा। चक्षुषेक्षद्धमग्नेयड्सगराउंसगरास्त्थुसगरे णनाम्नारौद्रेणानीकेनपातमाग्नयहपिपृतमाग्नयोगोपायतमान / मोवोस्तुमामाहिसिष्ट॥३४॥[४]ज्योतिरसिाविश्वरूपविश्वेषान्दे / वान समित् // त्वब्सौमतनूकृयोद्वेषोभ्योन्यकृतेभ्यऽरुय / न्तासिवरूथखाहौजुषाणोऽअप्सुराज्यस्यत्वेतुखाहा॥३५॥शत / म्२००॥अग्नेनय। सुपथारायेऽअस्म्मान्विश्वानिदेववयुनानिवि / / For Private And Personal Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallashsagarsuri Gyanmandit संहि. अ. SANSANCHALA द्वान् // युयोद्धयस्म्म हुराणमेनोभूयिष्ठान्तेनमऽउत्रिविधेम / // 36 // अयन्नः // अयन्नोऽअग्निवरिवस्कृणोत्त्वयम्मृधःपुर तुप्पभिन्दन् // अयंबाजाञ्जयतुबाजेसाताव्यशत्रूञ्जयतुज«षा है णवाहा॥३७॥ उरुविष्ष्णोविक्रमस्वोरुक्षयायनस्कृधि // घृतं / घृतयोनेपिबप्प्रप्रयज्ञप॑तिन्तिरवाहा // 38 // देवसवित // दे / वसवितरेपतेसोमस्तक्षस्वमात्वादभन् // एतत्वन्देवसोमदेवो / देवाँ२ऽउपागाऽइदमहम्मनुष्प्यन्त्सुिहरायस्प्पोषेणखाहानिरु || For Private And Personal Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit णस्य॒पाशोन्मुच्च्ये ॥३९॥अग्नैबतपाई॥अग्नैत्रतपास्त्वेन्वतपाया तवंतनूर्मय्यभूदेपासात्वयियोमर्मतनस्त्वय्यभूदियसामयि // यथायथन्नौबतपते तान्यनुमेदीक्षान्दीक्षापतिरमस्तानुतपुस्त / पस्पति॥४०॥[६] उरुविष्ष्णो॥उरुचिष्ष्णोविक्रमस्वोरुक्षयो / यनस्कृधि॥ घृतङ्घतयोनेपिबप्पप्रयज्ञपतिन्तरवाहा॥४१॥ त्यन्न्यान्॥अत्यन्याँ२ऽअगन्नान्न्याँ२ऽउपागामाक्त्वापरेऽभ्यो / विदम्परोवरेब्भ्य // तन्त्वाजुपामहेदेववनस्पतेदेवयज्यायैदेवा For Private And Personal Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir -24604 पू. अ. // 6 // स्त्वादेवयज्यायैजुषन्तांविष्णवेत्त्वा ॥ओषधेत्रायस्वखधितेमै / // 36 // नाहिसी // 42 // द्याम्मा॥द्याम्मालेखीरन्तरिक्षम्माहि सीप र थिच्यासम्भव // अयाहित्त्वावधितिस्तेतिजानप्पणिनायमह / तेसौभगाय // अतस्त्वन्दैववनस्पतेशतवल्शोविरोहसहस्रवत् / शाविवयहरहेम // 43 // [3] 10 // इतिश्रीवाजसनेयसंहिता : यांपंचमोऽध्यायः॥५॥ श्रीवेदपुरुषायनमः // अनुवाकसूत्रम् / देवस्यत्त्वाषडुपावीरसिपंचमाहिःपसंतेतिस्रःसमुद्रंगच्छहविष्मा // 36 // 5645464 For Private And Personal Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SHAHAHARA** तीढेिकौहृदेत्वापंचदेवस्यत्वाष्टौसप्तत्रिशत्॥हरिःॐदेवस्य॑त्वा।। सवितुप्प्रेसवेश्चिनौर्वाहुब्भ्याम्पूष्ष्णोहस्ताब्भ्याम्॥आददुनायें / सीदमहारक्षसाङ्ग्रीवाऽअपिकृन्तामि।यवौसियवयास्म्मद्वेषोयव / यारातीदिवेत्त्वान्तरिक्षायत्त्वाप्पृथिव्यैत्त्वाशुन्धन्तॉल्लोकापितृप / / दनापितृपदनमसि // 1 // अग्ग्रेणीरसि। स्वावेशऽउन्नेतृणामे॒तस्य वित्तादधित्वास्त्थास्यतिदेवस्त्वासवितामानक्तुसुपिप्पलाभ्य। स्त्वौपंधीभ्यत॥धामग्ग्रेणास्पृक्षऽआन्तरिक्षम्मद्धयेनाप्पाल्पृथि *****50-52-5-22 * For Private And Personal Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit संहि. // 37 // वीमुपरेणादृष्ही ॥२॥याते॥यातेधामान्युश्म्मसिगमद्धथैयन्त्र / गावोभूरिशृङ्गाअयासः // अनाहुतदुरुगायस्युविष्ष्णोत्परमम्प / दमवभारिभूरि // ब्रह्मवनित्त्वाक्षत्रवनिरायस्प्पोपुवनिपयूहा / मि // ब्रह्मदृष्हात्रन्दृव्हायुई हप्प जान्देह // 3 // विष्ष्णोः / कम्माणि / पश्यतयतो तानिपस्पशे॥इन्द्रस्ययुज्यत्सखा // 4 // तद्विष्ष्णोई / परमम्पद सापश्यन्तिसूरयः // दिवीवचक्षुरातत। म्॥५॥ परिवीरसि॥ परिवीरसिपरित्त्वादैवीर्बिशोध्य यन्ताम्परी // 37 // For Private And Personal Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CAMERASACASSA मंय्यजमानहरायोमनुष्ष्याणाम् // दुिवासूनुरस्येषतैपृथिव्याँल्लो कऽआरण्यस्तैपशुः // 6 // [6] उपावीरसि // उपावीरस्युपदेवा / न्दैवीव॑िशल्पागुरुशिजोक्वन्हितमान् // देवत्वष्टुर्वसुरमहच्यातेख दन्ताम् // 7 // रेवतीरमद्धम् // रेवतीरमद्रुम्बृहस्प्पतेधारयावसू नि॥ ऋतस्यत्त्वादेवहवित्पाशेनप्रतिमुञ्चामिधर्षामानुप: // 8 // देवस्यत्त्वा। सवितुप्पसवेश्चिनोर्बाहुब्भ्याम्पूष्णोहस्ताभ्याम् // अग्नीषोमाभ्याञ्जुष्टुन्नियुनज्मि // अयस्त्वौषधीब्भ्योनुत्त्वा / CROR For Private And Personal Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू.अ. // 38 // संहि. मातामन्यतामनुपितानुभ्रातासगुब्भ्यॊनुसखासयूत्थ्यह // अ ग्नीषोमाभ्यान्त्वाजुष्टम्प्रोक्षामि॥९॥ अपाम्पेरुः // अपाम्पेरु / / रस्यापौदेवीश्वदन्तुस्वातञ्चित्सद्देवहुविः // सन्तप्प्राणोबातेनग / च्छता/समानियजत्रैसंय्यज्ञपतिराशिपा॥१०॥ घृतेनाक्तौ / / / पशृंखोयेथा रेवतियजमानेप्रियन्धाऽआविंश॥उरोरन्तरक्षा त्स वेनवातेनास्यहविपुस्त्मनायजसमस्यतन्वाभव ॥वर्षावर्षी 2 // 38 // यसियज्ञेयज्ञपतिन्धाहवाहादेवेभ्योदेवेभ्यस्वाहा // 11 // [5] CONOCALSCRECORRECCAMCENE For Private And Personal Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kies garsuri Gyanmandir माहिः॥माहिqापदाकुनमस्तऽआतानानुर्वाप्प्रेहि॥ घुतस्य / कुल्ल्याऽउपऽऋतस्यपत्थ्याऽअनु // 12 // देवीरापर्छ / शुद्धांबोड्ड / सुपरिविष्टादेवेषुसुपरिविष्टावयम्परिवेष्टारोभूयासम्म॥१३॥वा / चन्ते॥वाचन्तेशुन्धामिप्राणन्तैशुन्धामिचक्षुस्तेशुन्धामिश्रोत्र / न्तेशुन्धामिनाभिन्तेशुन्धामिमेइन्ते शुन्धामिपायुन्तैशुन्धामि / चरिौस्तेशुन्धामि // 14 // मनस्ते // मनस्तऽआप्प्यायतांबा | ऽआप्प्यायताम्प्राणस्तऽआप्प्यायताञ्चक्षुस्तऽआप्प्यायता A R For Private And Personal Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 39 // HAMASANCHAROGAMGAO श्रोत्रन्तऽआप्प्यायताम्॥ यत्तैक्रूरंयदास्थितन्तत्तऽआप्प्यायता / पू.अ. निष्ट्यायतान्तत्तशुद्धयतुशमहोब्भ्य: ॥ओषधेत्रायस्वखधितमैन / // 6 // हिसी // 15 // रक्षसाम्भागः॥रक्षसाम्भागोसिनिरस्तुरक्ष। इदमहहरक्षोभितिष्ठामीदमहहरक्षोवैवाधाइदमहहरक्षोधमन्त | मौनयामि॥घृतेनद्यावापृथिवीप्पोर्तुवाथांबायोबेस्तोकानामग्नि / राज्यस्यव्वेतुस्खाहाखाहाकृतेऽऊर्द्धनभसम्मारुतङ्गच्छतम्॥१६॥ // 39 // इदमापह॥ इदमापुरप्प्रवहतावद्यञ्चमलंचयत्॥याभिदुद्रोहा For Private And Personal Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तय्यच्चशेपेऽअभीरुणम् ॥आपोमातस्म्मादेनसुल्पव॑मानञ्चमुञ्च / तु ॥१७॥[६]सन्तै॥ सन्तुमनोमनसासम्प्राण प्राणेनगच्छता / म् // रेडस्यग्निष्टोत्रीणात्वास्त्विासमरिणवातस्यत्वाद्राज्यपूर ष्ष्णोरह्योऽऊष्ष्मणोध्यथिषत्प्रयुतन्द्वेषः // 18 // घृतकृतपाई वान॥घृतङ्कृतपावानऽपिबतबसविसापावानपिवतान्तरिक्षस्य / / हविरसिखाहा॥ दिश:प्रदिशऽआदिशौविदिशऽउद्दिशोदिग्भ्य: खाहा // 19 // ऐन्द्रप्पाण॥ ऐन्द्रप्राणोऽअङ्गेऽअङ्गेनिदी / For Private And Personal Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kelashsagarsuri Gyanmandir पू. अ. संहि. // 40 // यदैन्द्रऽउदानोऽअङ्गेऽअङ्ग्रेनिधीत // देवत्वष्ट रितेसहसमे तुसलेक्षम्यायद्विपुरूपम्भवाति // देवत्रायन्तमर्वसेसखायो त्वा मातापितरौमदन्तु // 20 // [3] समुद्रङ्गच्छ // समुद्रङ्गच्छखा है। हान्तरिक्षङ्गच्छवाहादेवहसवितारङ्गच्छखाामित्रावरुणौगच्छ / खाहाहोरात्रेगच्छवाहाच्छन्दांसिगच्छवाहाद्याापृथिवीग च्छखाायज्ञङ्गच्छवाहासोमङ्गच्छवाहादुिध्यन्नभोगच्छखा है। मॅवैश्वानरङ्गच्छखाहामनौमेहार्दियच्छदिवन्तेधूमोगच 40 // साVि For Private And Personal Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir खर्कोति:पृथिवीम्भस्म्मनार्पणखाह॥२१॥माप॥मापोमौष / धीर्हिसीर्द्धाम्नौधाम्नोराजॅस्ततौव्वरुणनोमुञ्च // यदाहुरग्न्याऽ | इतिवरुणेतिशपामहेततोवरुणनोमुञ्च ॥सुमित्रियानऽआपऽओ / पंधयडसन्तुदुर्मित्रियास्तस्म्मैसन्तुयोसम्मान्द्वेष्टियञ्चव्यन्दुि / धम्म॥२२॥ [2] हविष्म्मतीरिमा॥हुविष्म्मतीरिमाऽआपो / हविष्म्माँ२ऽआविवासति // हविष्म्मान्दुवोऽद्धरोहविष्म्मोऽ अस्तुसूर्यः // 23 // अग्नेवैः // अ॒ग्नेर्बोपनगृहस्य॒सदसिसाद AAAAAAAAABCSAMRUCAMGAOG For Private And Personal Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 41 // // 6 // संहि. यामीन्द्राग्रन्योर्भागधेयास्त्थमित्रावरुणयोर्भागधेयास्त्थति। श्वेषान्देवानाम्भागधेयीस्त्थ // अमूर्जाऽउपसूयेयाभिर्वासूयं / सह॥तानोहिन्न्वन्त्वद्धरम् // 24 // [2] हृदेत्त्वामनसेत्त्वादि / वेत्त्वासूझ्यत्त्वा // ऊर्द्धमिमम॑द्धरन्दुिविदेवेषुहोत्रायच्छ // // 25 // सोमराजन् // सोमराजुन्न्विश्चास्त्वम्प्रजाऽऊपावरोहुवि / श्वास्त्वाम्प्रजाऽऽपावरोहन्तु॥शृणोत्वग्निश्समिधाहवम्मेशृण्ण्व / // 41 // न्त्वापोधिषणाश्चदेवी॥श्रोताग्ग्रावाणोव्विदुषोनयज्ञशृणोतुदै / CARRCOCOCALCALCSC For Private And Personal Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CARA*PASARASAASAASA वसविताहव॑म्मेखाह॥२६॥देवीरापः॥ देवीरापोऽअपानपाद्यो / ऽमिहँविष्ष्य इन्द्रियावान्मदिन्तम॥तन्दुवेभ्योदेवत्रादत्त / / शुक्रपेभ्योयेपम्भिागस्त्थस्वाहा // 27 // कार्पिरसि॥ कापिरसिस / मुद्रस्यत्त्वाक्षित्त्याऽउन्नयामि।।समापोऽअरिंग्ग्मतसमोषधीभि / रोषधी॥२८॥यमग्ने॥यम॑ग्नेपृत्सुमर्त्यमावाजैपुयञ्जुना॥ सयन्ताशश्चतीरिपल्खा // 29 // [5] देवस्य॑त्त्वा // देवस्य॑त्त्वा / सवितुश्प्प्रसुवेश्चिनौर्बाहुब्भ्याम्पुष्ष्णोहस्ताब्भ्याम्॥ आर्ददेरावा / For Private And Personal Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kasagarsur Gyanmandir संहि. प्र.अ. // 42 // सिगभीरमिममध्धरकृधीन्द्रायसुपूर्तमम् // उत्तमेनपविनोजख है। न्तम्मधुमन्तुम्पयखन्तंनिग्ग्राभ्यास्त्थदेवश्रुतस्तुर्पयतमामनौ मे // 30 // मनोमे ।तर्पयतबाचम्मतर्पयतप्पाणम्मतर्पयतच झुम्मतर्पयत श्रोत्रम्मेतर्पयतात्मानम्मेतर्पयतप्प्रजाम्मैतपय तपशून्न्मैतर्पयतगणान्मैतर्पयतगणामेमावितृषन्॥३१॥इन्द्रो / यत्त्वा॥इन्द्रायत्त्वावसुमतेरुद्रवतऽइन्द्रायत्त्वादुित्त्यवतऽइन्द्राय // 42 // त्त्वाभिमातिग्ने॥ श्येनार्यत्त्वासोमभृतेग्नयैत्त्वारायस्प्पोपदे // ********** For Private And Personal Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir // 32 // यत्तै। सोमदिविज्योतिर्यत्पृथिच्यांय्यदुरावन्तरिक्षे॥ ते नास्म्मैयजमानायोरुरायेकृद्धयधिदात्रेबोच ॥३३॥श्वात्रास्त्थ॥ श्वात्रास्त्थबूवतुरोराधौगूर्ताऽअमृतस्यपत्नी // तादेवीदेवत्रेमं / य्यज्ञन्नयुतोपहूताउंसोमस्यपिवत॥३४॥माझे ॥मा सिंवि। क्थाऽऊर्जन्धत्स्वधिपणेबीडीसतीबीडयेथामूर्जन्दधाथाम् // पा / माहुतोनसोमः॥३५॥प्रागाक्॥प्रागपागुदगधराक्सर्वतस्त्वा दिशुऽआधौवन्तु॥अम्बनिष्प्परसमरीविदाम्॥३६॥त्वमङ्ग॥त्वम - - - For Private And Personal Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू.अ. // 7 // संहि. हैङ्गप्प्रशसिपोदेवशविष्ठमय॑म् ॥नत्त्वदुन्योमघवन्नस्तिमर्द्धिते / / // 43 // न्द्रबीमितेवर्चः॥३७॥॥८॥इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांषष्ठोऽ ध्यायः।६।श्रीवेदपुरुपायनमः॥अनुवाकसूत्रम्।वाचस्पतयउपया मगृहीतोसित्रिकावावायोयंवाद्विकोयस्तएकाप्राणायतिस्रोमघव / इंद्राग्नीआगतमाद्यौमासश्चर्षणीकृतोविश्वेदेवासऽआगतेंद्रमरुत्वो मरुत्वंतंवृषभंमरुत्वांतौजसेसजोषाइंद्रमरुत्वाँरइंद्रमहाँ२इंद्रोम / // 43 // हाँ२इंद्रएकैकोदुत्यमष्टौपंचविशतिरष्टाचत्वारि शत्॥हरिःॐ| SELEASE For Private And Personal Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir SHRISHCORRECAGAGAR वाचस्प्पतये // वाचस्प्पतयेपवस्ववृष्ष्णोऽअशुब्भ्याङ्गभस्तिपू त॥ देवोदेवेभ्य: पवस्वयेषाम्भागोसि // 1 // मधुमतीन॥मधु / मतीनऽइपस्कृधियत्तेसोमादाभ्यन्नामजावितस्म्मैतेसोमसो मायखाहाखाहो तरिक्षमन्वैमिखा तोसि // 2 // खाकृतोसि / / विश्वेभ्य इन्द्रियेभ्योदिध्येभ्यापार्थिवेब्भ्योमनस्त्वाष्टुखा होत्त्वासुभवसूझ्यदेवेभ्यस्त्वामरीचिपेभ्योदेवाशीयस्म्मै / त्वेडेतत्सत्यमुपरिप्लुताभुङ्गेनहतोसौफमाणायत्त्वाच्यानायत्त्वा / For Private And Personal Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ R Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 7 // // 44 // संहि.॥३॥[३] उपयामगृहीतोसि // उपयामगृहीतोस्यन्तय॑च्छ पू. अ. मघवन्पाहिसोमम् // उरुष्प्यरायऽएषोयजख // 4 // अन्तस्ते // अन्तस्तुद्यावापृथिवीदधाम्म्यन्तर्दधाम्म्युच॑न्तरिक्षम् // सुजूईवे भिरवरैपरैश्चान्तर्यामेमघवन्मादयस्व // 5 // स्वाङ्कृतोसि॥ खाकृतोसिविश्वेभ्यऽइन्द्रियेभ्योदिव्येभ्यपार्थिवेभ्योम | नस्त्वाष्ट्रस्वाहात्वासुभवसूर्य्यायदेवेभ्यस्त्वामरीचिपेभ्य॑ऽउदा // 14 // नायत्त्वा // 6 // [3] आायो॥ आवायोभूषशुचिपाऽउपनऽसह / / ACCORDCROCOCCALCMC* For Private And Personal Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir स्रन्तेनियुतोविश्ववार // उपौतेऽअन्धोमधमयामियस्य॑देवदधि / पेपूर्वपेयवायवेत्त्वा // 7 // इन्द्रवायूऽइमे। सुताऽउपप्पयोभिरागे / तम्॥इन्दवोवामुशन्तिहि // उपयामगृहीतोसिवायवऽइन्द्रवायु / भ्यान्त्वैपयोनिसजोपोभ्यान्त्वा // 8 // [2] अयंाम् ॥अयं / / बाम्मित्रावरुणासुतसोमऽऋतावृधा॥ममेदिहश्श्रुतम्हवम्॥उप : यामगृहीतोसिमित्रावरुणाब्भ्यान्त्वा // 9 // रायावयम् ॥रायावर य-संसुवासोमदेमध्ये देवायसेनगावः॥तान्धेनुम्मित्राव - For Private And Personal Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandi संहि. // 45 // AGRAMGARH रुणायुवन्नौविश्वाहांधत्तमनपस्प्फुरन्तीमेपतेयोनिर्ऋतायुभ्यो नत्वा // 10 // [2] यावाम् ॥यााङ्कशामधुमत्त्यश्विनासूनृता / / वती॥ तयायज्ञम्मिमिक्षतम् // उपयामगृहीतोस्यश्विब्भ्यान्त्वै पतेयोनिद्धिीब्भ्यान्त्वा // 11 // [1] तम्प्रत्कथा / पूर्वथावि श्वथेमाज्येष्टुतातिम्बर्हिपदस्वर्विदम् // प्रतीचीनंबृजनन्दो हसेधुनिमाशुञ्जय॑न्तमनुयासुबर्द्धसे // उपयामगृहीतोसिशण्डाय वैषतेयोनि:राम्पाहयपमृष्टांशण्डौदेवास्त्वाशुपाङ्गप्प्रणय // 45 // For Private And Personal Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir न्त्वनाधृष्टासि // 12 // सुवीरोवीरान् // सुवीरोवीरान्मजनयन्परि / हयभिरायस्प्पोषेणुयजमानम् // सजग्मानोदुिवापृथिव्याशुक्र शुक्रशोचिपानिरस्तुशण्ड शुक्रस्याधिष्ठानमसि // 13 // अच्छि / नस्यते / देवसोमसुवीर्य्यस्यरायस्प्पोपस्यददितारः स्याम // सा प्रथमासंस्कृतिविश्ववारासप्रथमोबरुणोमित्रोऽअग्नि // 14 // सप्पथम // सप्रथमोबृहस्पतिचिकित्वाँस्तस्माऽइन्द्रायसुत मार्जुहोतखाहो // तृम्पन्तुहोत्रामडोयाख्रिष्टाया सुप्पीताऽसु / For Private And Personal Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू.अ. संहि. हुतायत्साहायोडग्नीत् // 15 // [4] अयंवेन // अयंवेनश्च्चोद / यत्पृश्निगर्भाज्योतिर्जरायूरज॑सोविमाने // इममुपासङ्गमेसू है। य॑स्य॒शिशुनविप्पामतिभीरिहन्ति // उपयामगृहीतोसिमाय / / त्वा॥१६॥ मनोन / येपुहर्वनेपुतिग्रमविपशच्याबनुथोद्रवन्ता॥ आयशऱ्यांभिस्तुविनम्म्णोऽअस्याश्रीणीतादिशुङ्गभस्तावेपते है। योनिःप्रजा पाह्यपमृष्टोमौदेवास्त्वामन्थिपाइप्प्रणयन्त्वना || // 46 // धृष्टासि // 17 // सुप्प्रजाप्प्रजाइप्प्रंजनयन्परीाभिरायस्प्पोषण For Private And Personal Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org यजमानम्॥सञ्जग्म्मानोदुिवापृथिच्यामन्थीमन्थिशोचिपानिर / स्तोमर्कोमन्थिनौधिष्ठानमसि // 18 // [3] येदेवास॥येदेवासो / दिध्येकादशस्त्थपृथिव्यामद्येकादशस्त्थ // अप्प्सुक्षितोमहिनै है। कोदशस्त्थतेदेवासोयज्ञमिम पद्धम् // 19 // उपयामगृहीतो है सि // उपयामगृहीतोस्याग्ग्रयणोसिस्वाग्ग्रयण // पाहियज्ञम्पा / हियुज्ञपतिविष्ष्णुस्त्वामिन्द्रियेणपातुविष्ष्णुन्त्वम्पाह्यभिसर्वना निपाहि // 20 // सोमः पवते॥ सोम-पवतेसोमः पवतेस्म्मैवहम है। ARCHRISSAGARAM For Private And Personal Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. प्र.अ. // 47 // RECRUCIAMOMSAMACROCESS णेस्म्मैक्षत्रायास्म्मैसुन्वतेयजमानायपवतऽइषऽऊर्जेपवतेद्भया / ओषधीभ्यांपवतेद्यावापृथिवीभ्याम्पवतेसुभूतायपवतेविश्चे उभ्यस्त्वादेवेभ्यऽएपतेयोनिर्विश्वेभ्यस्त्वादेवेभ्यः / 21 / [3] उपयामगृहीतोसि।उपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्वाबृहवतेवयखतऽउ / कथाव्यङ्ग्रह्णामि॥यतऽइन्द्रबृहवयस्तस्म्मैत्त्वाविष्णवेत्त्वैषतेयो निरुक्थेभ्यस्त्वादेवेभ्यस्त्वादेवाध्यय्यज्ञस्यायुषेगृह्णामिमित्राव रुणाब्भ्यान्त्वा // 22 // मित्रावरुणाब्भ्यान्त्वा / देवाध्यय्यज्ञस्या / / For Private And Personal Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir युगृह्णामीन्द्रीयत्वादेवाच्यंय्यज्ञस्यायुषेगृह्णामीन्द्राग्निब्भ्यो न्त्वादेवाच्यंय्यज्ञस्यायुपेगृह्णामीन्द्रावरुणाभ्यान्त्वादेवाच्यंग्य ज्ञस्यायुषगृह्णामीन्द्राबृहस्पतिभ्यान्त्वादेवाच्यंय्यज्ञस्यायुषेश लामीन्द्राविष्ष्णुब्भ्यान्त्वादेवाच्यंय्यज्ञस्यायुपेगृह्णामि // 23 // 2] मुनन्दुिव // मूर्धानन्दुिवोऽअरतिपृथिव्यावैश्वानरम / तऽआजातमुग्निम् // कविसम्म्राजमतिथिञ्जनानामासन्नापात्र : जनयन्तदेवाड़।२४।उपयामगृहीतोसिाडुवोसिडुवक्षितिर्दुवाणा | For Private And Personal Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. न्ध्रुवतमोच्युतानामच्युतक्षितमऽएपतेयोनिर्वैश्वानरायत्त्वा // . अ. ध्रुवन्ध्रुवेणुमनसावाचासोममवनयामि // अथान इन्द्रइद्विशौस // 7 // पत्काइसमनसस्करत्॥२५॥[२] यस्तै। द्रुप्प्सस्कन्दतियस्तैऽहै। शुवैच्युतोधिपणयोरुपस्थात्॥अहोर्खापरिवायऽपवित्रा त्तन्तैजुहोमिमनसावपटूतवाहादेवानामुत्क्रमणमसि॥२६॥ [१]प्राणायमे। वक़दावर्चसेपवखच्यानायमेव!दावर्चसेपवखो। दानायमेवक़दावर्चसेपवस्वाचेमेवक़दावर्चसेपवस्वक्रतुदी For Private And Personal Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www Robarth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandie JOAASASAKTAIRSOOS भ्याम्मेबोंदावर्चसेपवस्वश्श्रोत्रायमेवोंदावर्चसेपवस्वचक्षु ब्या॑म्मेवोंदसौवर्चसेपवेथामात्मनैमे॥ 27 // आत्क्मनैमे। वक़दावर्चसेपवखौजसेमेश्वक़दावर्चसेपवस्वायुपेमेबक़दावर्चसे है पवस्वविश्वाब्भ्योमेप्प्रजाभ्यौबच्चोंदसौवर्चसेपवेथाम्॥२८॥को सिकतमोसिकस्यासिकोनामांसि // यस्य॑तेनामामन्महियन्त्वा सोमेनातीतृपाम॥भूर्भुवस्वःसुप्प्रजाइप्प्रजाभिःस्यासुवीरो वीरै सुपोषल्पोपैला२९॥[३] उपयामगृहीतोसि ॥उपयामगृहीतो 904040404043494993426979023 For Private And Personal Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Krishsagarsuri Gyanmandir // 19 // सिमधवेत्त्वोपयामगृहीतोसिमाधवायत्त्वोपयामगृहीतोसिशुका है। यत्वोपयामगृहीतोसिशुचयेत्वोपामगृहीतोसिनभसेत्वोपयाम / गृहीतोसिनभुस्यायत्वोपयामगृहीतोसीपेत्वोपयामगृहीतोस्यूज त्वोपयामगृहीतोसिसहसेत्वोपयामगृहीतोसिसहस्यायत्वोपया मगृहीतोसितप॑सेत्वोपयामगृहीतोसितपस्यायत्वोपामगृहीतो स्य हसस्पतयेत्त्वा // 30 // [1] इन्द्राग्नीऽआगतम् // इन्द्रो // 19 // ग्ग्नीऽआगंतव्सुतडीभिन्नभोवरेण्यम् // अस्यपातन्धियेषिता॥ For Private And Personal Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उपयामगृहीतोसीन्द्राग्निब्भ्यान्त्वैषतेयोनिरिन्द्राग्निब्भ्यान्त्वा // 31 // [1] आघ ॥आघायेऽअग्निमिन्धतेस्तृणन्तिबर्हिरानुष / क्॥येपामिन्द्रोयुवासखा // उपयामगृहीतोस्यग्नीन्द्राब्भ्यान्त्वै पतेयोनिरग्नीन्द्राभ्यान्त्वा॥३२॥[१]ओमासश्चर्पणीधृतः॥ ओमासश्चर्षणीधृतोविश्वेदेवासुऽआर्गत // दाश्चासौदाशु पः सुतम् // उपयामगृहीतोसिव्विश्वेभ्यस्त्वादेब्भ्यऽएपढ्यो निर्विश्वेभ्यस्त्वादेवेभ्यः॥३३॥ [1] विश्वेदेवासः // विश्वे For Private And Personal Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. अ. / देवासऽआर्गतशृणुतामऽइम हवम् ॥एदम्बर्हिर्निषीदत // उपया / मगृहीतोसिविश्वब्भ्यस्त्वादेवेभ्य॑ऽएपतेयोनिर्विश्चैब्भ्यस्त्वादेवे // 7 // भ्यः // 34 // [1] इन्द्रमरुत्वः // इन्द्रमरुत्त्वऽइहपाहिसोमं / / इय्याशाऱ्यातेऽअपिबत्सुतस्य॥तवुप्पणीतीतवशूरशर्मन्नाविवा / सन्तिकवयः सुयज्ञाः॥ उपयामगृहीतोसीन्द्रायत्त्वामुरुत्वताए / पतेयोनिरिन्द्रीयत्त्वामुरुत्वते॥३५॥ [1] मुरुत्वन्तंवृषभंबावृधा // 50 // नमकवारिन्दुिव्यशासमिन्द्रम् // विश्वासाहुमवसेनूतनायो / ROCCACANCERMADAM For Private And Personal Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir MOREOGRECORMALARIAGEMOREON ग्रसहोदामिहतहुवेम // उपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्त्वामुरुत्त्व / ताएषतेयोनिरिन्द्रीयत्त्वामुरुत्त्वते // [1] उपयामगृहीतोसिमरु / तान्त्वौजसे // 36 // [1] सुजोषोऽइन्द्र // सजोषोऽइन्द्रसगणोम | रुद्भित्सोमम्पिबत्रहाशूरविद्वान् ॥जहिश 1 रपुमृधौनुदुखा है थाभयकृणुहिविश्वतोन // उपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्त्वामुरुत्त्व / तऽएपतेयोनिरिन्द्रीयत्वामुरुत्त्वते॥३७॥[१] मरुत्त्वा२ऽइन्द्रा / वृषभोरायपिवासोम॑मनुष्ष्वधम्मदाय // आसिञ्चखजुठरेमी है। For Private And Personal Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org www.kobaith.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. // 51 // // 7 // CARDAMANACOCAL ऽम्मिन्त्वराजासिष्पतिपत्सुतानाम् // उपयामगृहीतोसीन्द्रा / यत्त्वामरुत्त्वतऽएषतेयोनिरिन्द्रायत्त्वामरुत्त्वते॥३८॥[१] महाँ / इन्द्रे // महाँ२ऽइन्द्रौनृवदाचर्षणिप्पाऽउतद्द्विबींऽअमिन सहोभिः॥ अम्मन्ग्ग्वावृधेवीर्य्यायोरुडपृथु सुकृतस्कर्तृभि भूत्॥उपयामगृहीतोसिमहेन्द्रायत्वैपतेयोनिर्महेन्द्रायत्त्वा॥ // 39 // [1] महाँ२ऽइन्द्रः॥ महाँ२ इन्द्रोयऽओज॑सापर्जन्यो / वृष्टिमाँरऽईव॥ स्तोमैत्र्त्सस्य॑वावृधे॥उपयामगृहीतोसिमहेन्द्रा // 51 // For Private And Personal Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir * * ** AAAAAAAAAAAAAA इयत्त्वैपतेयोनिमहेन्द्रायत्त्वा // 40 // [1] उदुत्यम् // उदुत्यञ्जा तवैदसन्देवंबहन्तिकेतवः // दृशेविश्वायसूर्य स्वाहा // 41 // 3 // चित्रन्देवानाम् // चित्रन्देवानामुदंगादनीकञ्चक्षुम्मित्रस्यवरुण / स्याग्नेड // आप्पाद्यावापृथिवीऽअन्तरिक्षन्सूयंऽआत्क्माजगे / तस्तस्त्थुपच्चखाहा॥४२॥अग्नेनये / सुपारायेऽअम्मान्न्ति / / श्चानिदेवव्युनानिविद्वान् // युयोद्धयस्म्म हुराणमेनोभूयिष्ठा न्तुनमऽउक्लिंबिधेमुखाहो ॥४३॥अयनः॥ अयन्नौऽअग्निरि * ** For Private And Personal Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 7 // संहि. विस्कृणोत्वयम्मृधःपुरऽएतुप्पभिन्दन् ॥अयंबाजोञ्जयतुबाजेसा / / // 52 // तावुयशत्रूञ्जयतुजह॑षाणांसाहा // 44 // रूपेणव // रूपेण है। वोरूपमुब्भ्यागान्तुथोवौविश्ववेदाविभजतु // ऋतस्यपथाप्प्रेतच / / न्द्रदक्षिणाव्विस्वपश्यध्यन्तरिक्षंय्यत्तखसदुस्यैः॥४५॥ब्राहम है। णमद्या विदेयम्पितृमन्तम्पैतृमर्त्यमृर्षिमार्षय सुधातुदक्षिणम्॥ अस्म्मोतादेव॒त्रागच्छतप्प्रदातारमाविशत॥४६॥अग्नयैत्वा॥३॥५२ अग्नयेत्त्वामह्यंबरुणोददातुसोमृतत्त्वमशीयायुात्र एधिमयो ANSARASWARA For Private And Personal Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मह्यम्प्रतिग्ग्रहीबेरुद्रायत्त्वामावरुणोददातुसोमृतत्त्वमशीयप्पा णोदात्र एधिवयोमह्यम्प्रतिग्ग्रहीत्रेबृहस्प्पतयेत्त्वामावरुणोद / दातुसोमृतत्वमशीयत्त्वग्ग्दात्र एधिमयोमह्यम्प्रतिग्ग्रहीनेयमा / यत्त्वामावरुणोददातुसोमृतत्त्वमशीयहयोदात्रऽएधिवयोमह्य / म्प्रतिग्ग्रहीत्र॥४॥कौदात्॥कौदात्कस्म्माऽअदात्कामौदात्का / मायादात्॥कामौदाताकामप्रतिग्ग्रहीताकामैतत्तै॥४८॥[८] ॥२५॥इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांसप्तमोऽध्यायः॥७॥श्रीवेदपुरु / / *SCASSESAMERICACANCIALOCAL For Private And Personal Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mah Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू.अ. // 8 // पायनमः॥अनुवाकसूत्रम्॥उपयामगृहीतोस्यादित्येभ्यःपंचवाम | 53 // मद्यद्वेसुशर्मास्येकाबृहस्पतिसुतस्यद्वेहरिरसिचतस्रःसमिन्द्रणोष्टौ / माहिरेजतुदशमास्यःपंचकावातिष्ठयुक्ष्वाहींद्रमिदेकैकायस्मान्न | द्वेग्नेपवस्वोत्तिष्ठन्नऽदृश्रमुदुत्यमेकैकाजिघ्रद्वेविनइंद्रवाचस्पतिवि / श्वकर्मन्नेकैकाग्नयेत्वाचतस्रइहरतिस्तिस्रःपरमेष्ठीदशत्रयोविश / तिस्त्रिषष्टिः॥हरिःॐउपयामगृहीतोसि ॥उपयामगृहीतोस्यादि / // 53 // त्त्येब्भ्यस्त्वा // विष्णऽउरुगायैषतेसोमस्तरक्षस्वमात्त्वादभन् PRAKAKKARAN For Private And Personal Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 1 // कदाचन / स्तुरीरसिनेन्द्रसश्चसिदाशुषे॥ उपोपेन्नुमघव / भूयऽइन्नुतेदानन्देवस्यपृच्यतऽआदित्येभ्यस्त्वा // 2 // कदाच / नाप्प्रयुच्छस्युभेनिपासिजन्मनी ॥तुरीयादित्त्युसर्वनन्तऽइन्द्रि। यमातस्त्थावमृतन्दुिष्यादुित्त्येभ्यस्त्वा॥३॥यज्ञोदेवानाम्॥य / ज्ञोदेवानाम्पत्त्यैतिसुम्नमादित्यासोभवतामृडयन्तः॥आवोर्वा | चीसुमतिववृत्यादुव्होश्चिद्यावरिवोवित्तरासदादित्येभ्य॑स्त्वा / // 4 // विवखन्नादित्य॥विवखन्नादित्त्यैपतेसोमपीथस्तम्मिन्न्म For Private And Personal Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू. अ. // 54 // // 8 // RECECR5523 त्व॥श्रदेस्म्मैनरोवर्चसेदधातनुयदाशी दम्पतीवाममश्नुत पुमान्पुत्रोजायतेविन्दतेवखाविश्वाहा रुपऽएंधतेगृहे॥५॥ [1] वाममद्य / सवितर्वाममुश्चोदुिवेदिवेवाममुस्म्मभ्यहसावी॥वा / / मस्युहिक्षयस्यदेवभूरैरयाधियावामुभाज:स्याम॥६॥ उपया मगृहीतोसि।सावित्रोसिचनोधाचनोधाऽअसिचनोमयिधेहि // जिन्वयज्ञञ्जिन्वयज्ञपतिम्भगोयदेवायत्त्वासवित्रे // 7 // [2] शतम् // 300 // उपयामगृहीतोसि। सुशर्मासिसुष्प्रतिष्ठानोबृह // 54 // For Private And Personal Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir PRICARRIGACAXCCCIR-CA दुशायनमः॥विश्वेऽभ्यस्त्वादेवेभ्य॑ऽएपतेयोनिर्विश्चैब्भ्यस्त्वा / देवेभ्य:॥८॥[१] उपयामगृहीतोसि॥उपयामगृहीतोसिबृहस्प्प तिसुतस्यदेवसोमतऽइन्द्रोरिन्द्रियावतपत्नीवतोग्ग्रहौ२ ऽ यासम् // अहम्पुरस्तादुहमवस्ताद्यदुन्तरिक्षन्तर्दुमेपिताभूत् // अहसूर्यमुभयतौददर्शाहन्देवानाम्परमगुहायत् // 9 // अग्ग्नाँ / 3 ऽइपत्नीवन् // अग्नाँ 3 ऽइपत्नीवन्त्सतर्हेवेनुत्त्वष्वासोमम्पि बखाहा॥प्रजापतिवृषासिरेतोधारेतोमयिधेहिप्प्रजापतेस्तेवृष्णो CURRERNCR50-501045 For Private And Personal Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू. अ. // 8 // -SARDAUNCAMPSCk रेतोधसोरेतोधामशीय॥१०॥[२] उपयामगृहीतोसि // उपयाम गृहीतोसिहरिरसिहारियोजनोहरिभ्यान्त्वा // हो नास्त्थे / सहसोमाऽइन्द्राय॥११॥यस्तै / ऽअश्वसनिर्भक्षोयोगोसनिस्त स्यतऽइष्टयजुषस्तुतस्तोमस्यशस्तोकस्योपहूतस्योपहूतोभक्षयामि // 12 // देवकृतस्यैनसई॥ देवकृतस्यैनसोयजनमसिमनुष्ष्यकृत स्यैनसोवुयजनमसिपितृकृतस्यैनसोवुयज॑नमस्यात्नमतस्यैन / सोत्यज॑नमस्येनंसऽएनसोवयजनमसि // यच्चाहमेनोविहाँच्च // 55 // For Private And Personal Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir KAMASCARDAMORRORSCORE कारयच्चाविद्वाँस्तस्यस स्यैनसोव्यर्जनमसि // 13 // संवर्चसा // संवर्चसापय॑सासन्तनूभिरगन्महिमनसासहशिवेन // त्वष्टासुद / नोबिदधातुरायोनुमा तन्योयविलिष्टम् // 14 // [4] समिन्द्र / / णोमनसानेषिगोभिल्स सूरिभिर्मघवन्सस्वस्त्या // सम्त्र हमणादेवकृतंय्यदस्तिसन्देवानसुमतौयुज्ञियानाखाहो // // 15 // संबर्चसा // संबर्चसापयसासन्तनूभिरगन्महिमनसास शिवेनात्वष्टासुदन्त्रोविर्दधातुरायो माटुंतुन्योयविलिष्टम् // 16 // For Private And Personal Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalahagarsuri Gyanmandir संहि. // 8 // RECORRECAL धाताराति? / संवितेद पन्ताम्प्रजापतिनिधिपादेवोऽअग्निः // / त्वष्टाविष्ष्णु:प्पूजयासहरराणायजमानायबविणन्दधातुस्वाहा // 17 // सुगाव: // सुगावौदेवात्सदनाऽअकर्मयऽआजग्मेद सर्वनञ्जुषाणा? // भरमाणावहमानाहुवीष्यस्म्मेधत्तवसवोब है है सूनिखाहा॥१८॥याँ२ऽआवहतायाँरऽआवहऽउशुतोदेवदेवास्ता / न्प्रेरैयखेऽअग्नेसुधस्त्थे।जक्षिवास पपुिवा संचविश्वेसुङ्घ // 5 // र्मस्वरातिष्ठतानुसाहा // 19 // यहित्त्वाप्प्रयुतियज्ञेऽअ LELCOCCASS For Private And Personal Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ASTROADCACACROCAUS स्म्मिन्नग्नेहोतारमवृणीमहीह // ऋधगयाऽऋधगुताशमिष्ठात्म जानन्यज्ञमुपयाहिविद्वान्त्वाही॥२०॥देवोगातुविद॥देवागातु / विदोगातुंश्वित्त्वागातुमित॥ मनसस्प्पतऽडुमन्देवयज्ञखाहावा है। तेधा॥२१॥ यज्ञयज्ञम् // यज्ञयज्ञङ्गच्छयज्ञपतिङ्गच्छखांय्यो / निङ्गच्छवाहा // एपतैयज्ञोयज्ञपतेसहसूक्तवाकल्सवी रस्तब्रुष / स्वस्वाहा // 22 // [8] माहि ॥माहि आपदाकुरु हिरा / जावरुणश्चकारसूझ्युपन्थामन्वैतवाऽउँ // अपदेपादाप्रति / For Private And Personal Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 57 // धातवेकरुतापवताहेदयाविधश्चित् // नमोवरुणायाभिष्टितोब रुणस्यपाशः॥२३॥ अग्नेरनीकम् // अग्नेरनीकमपऽआविवे / शापानपात्प्रतिरक्षन्नसुर्यम्॥ दमैदमेसुमिधय्यक्ष्यग्ग्नेप्प्रतितेजि / / ह्वाघृतमुच्चरण्यत्स्वाहा // 24 // समुद्रेते ॥समुद्रेतेहृदयमप्सुन्तः / सन्त्वाविशन्त्वोपंधीस्तापः // यज्ञस्य॑त्त्वायज्ञपतेसूक्तोक्तौनमो / वाकेविधेमयत्वाहा॥२५॥देवीरापः // देवीरापऽएपवोग स्त सुप्पीतसुभृतम्बिभृत॥ देवसोमपतैलोकस्तस्म्मिञ्छञ्चवक्ष्वपरि / // 57 // For Private And Personal Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandir चवश्व // 26 // अवभृथनिचम्पुण / निचेरुरसिनिचम्पुण // अब / देवैर्दुवकृतमेनोयासिपुमवमत्यर्मय॑कृतम्पुरुराव्णोदेवरिपस्प्पा | हिदेवान समिदसि // 27 // [5] एजंतुदशेमास्यः॥ एजंतुदर्श मास्योगभौजरायुणासह // यथायंवायुरेजतियासमुद्र एज ति॥एवायन्दशमास्योऽअस्रजरायुणासह॥२८॥यस्यैते। यज्ञि योग यस्यैयोनिर्हिरण्ययी // अङ्गान्य हुतायस्यतम्मात्र मजीगमध्खाहा // 29 // पुरुढस्म्मोबिपुरूप // पुरुदरम्मोविपु / For Private And Personal Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. रूपऽइन्दुरन्तमहिमानमना धीरः // एकपदीन्द्विपदीन्त्रिप दीञ्चतुष्पदीमष्टापदीम्भुवनानुप्प्रथन्ताखाहा ॥३०॥मरुतोय स्य ॥मरुतोयस्यहिक्षयैपाथादिवोबिमहसह // ससुगोपातमोज | न:॥३१॥ महीद्यौ / पृथिवीचनऽइमंय्यज्ञम्मिमिक्षताम् // पि / पृतान्नोभरीमभित॥३२॥[५]आतिष्ठावृत्रहुन्नर्थय्युक्तातेबह्मणा / / हरी॥अर्वाचीनुसुतेमनोग्यावाकृणोतुबग्ग्गुना // उपयामगृहीतो // 58 // सीन्द्रीयत्त्वापोडशिनऽएषतेयोनिरिन्द्रीयत्त्वापोडशिनै॥३३॥ SANAUGARCA5 For Private And Personal Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org NE1] युक्क्ष्वाहि। केशिनाहरीवृषणाकक्क्ष्यप्पा॥अर्थानऽइन्द्रसो है। मपागिरामुप॑ श्रुतिञ्चर // उपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्त्वापोडशिन / एषतेयोनिरिन्द्रीयत्त्वापोडशिने // 34 // [1] इन्द्रुमित् // इन्द्र मिद्धरीबहुतोप्प्रतिवृष्टशवसम् // ऋपीणाञ्चस्तुतीरुपयज्ञञ्चमानु / पाणाम् // उपयामगृहीतोसीन्द्रायत्त्वापोडशिनऽएपतेयोनिरि / न्द्रिीयत्त्वापोडुशिने॥३५॥[१] यस्मान्न / जातश्परोऽअन्योऽअ स्तियऽआविवेशभुवनानिविश्वा // प्रजापतित्प्रजयासहरराण AAIGANGANGACANCRACSCRICALCAN For Private And Personal Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ___ संहि. प्र. अ. SECRECTELCCALCOME.COM स्त्रीणिज्योतीपिसचतेसषोडशी॥३६॥ इन्द्रश्च / सम्म्राडरुण चराजातौतेभक्षञ्चऋतुरग्ग्रऽएतम् // तयोरहम भक्षम्भक्षया मिबाग्ग्देवी पाणासोमस्यतृप्प्यतुसहप्प्राणेनखाहो // 37 // [2] अग्नेपर्वख // अग्ग्नेपर्वस्वखपाऽअस्म्मेवचः सुवीर्यम् // दर्धछ / यिम्मयिपोपम् // उपयामगृहीतोस्युग्नयेत्त्वावर्चसऽएपतेयोनि / रग्नयैत्त्वावर्चसे ॥अग्नेबर्चस्विन्वर्चस्वाँस्त्वन्देवेष्ष्वसिबर्चखान / / हम्मनुष्ष्येषुभूयासम् // 38 // [1] उत्तिष्ठन्नोर्जसा // उत्तिष्ठन्नोज / For Private And Personal Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir सासहपीत्वीशिप्प्रेऽअवेपयह // सोममिन्द्रचमूसुतम् // उपयाम गृहीतोसीन्द्रीयत्त्वौजसऽएपतेयोनिरिन्द्रायत्त्वौजसे // इन्द्रौजि ठौजिष्टस्त्वन्देवेष्ष्वस्योजिष्टोहम्मनुष्प्येपुभूयासम् // 39 // [1] अदृश्श्रमस्य / केतवोविरश्म्मयोजनॉ२ ऽअनु // भ्राज॑न्तोऽहै। ग्नियौयथा // उपयामगृहीतोसिसूर्य्यायत्त्वान्भ्राजायैपतेयोनिः / सूर्य्यायत्त्वाभ्राजाय // सूर्यभ्राजिष्टुब्भ्राजिष्ट्रस्त्वन्दुवेष्वसि / भ्राजिष्ठोहम्मनुष्ष्येषुभूयासम्॥४०॥ [1] उदुत्त्यम् // उदुत्त्य / / CROCODACOCALCU094 For Private And Personal Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir www.kobatirth.org 3. अ. // 8 // संहि. जातवेदसन्देवंवहन्तिकेतवः॥ दृशेविश्वायुसूय॑म् // उपयाम / / // 60 // गृहीतोसिसूख्यत्त्वाब्भ्राजायैषतेयोनित्सूख्यत्वाब्भ्राजाय / // 41 // [१]आजिग्घ्र // आजिग्नकलशम्मह्यात्वाविशन्त्विन्द / / वह // पुनरूर्जानिवर्तस्वसान:सहस्रन्धुक्क्ष्वोरुधारापर्यखतीपु / / नाविशतायि? // 42 // इडेरन्तै // इडेरन्तेहध्येकाम्म्येचन्द्र है ज्योतेदितिसरखतिमहि विश्श्रुति // एतातेऽअग्न्येनामानिदेवे / / भ्योमासुकृतम्ब्रूतात् // 43 // [2] बिन / ऽइन्द्रमृधौजहिनीचार्य CRORSCOCCC-59460525 For Private And Personal Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir च्छपृतन्न्यत? ॥योऽअम्माँ 2 ऽअभिदासुत्त्यधरङ्गमयातमः॥ उपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्त्वाविमृधऽएपतेयोनिरिन्द्रीयत्त्वाविम | #धै॥४४॥ [1] वाचस्पतिविश्वकर्माणमूतयैमनोजुवंबाजे है। ऽअद्याहुवेम // सनोविश्वानिहर्वनानिजोपहिश्वशम्भूरवसेसाधु कर्मा // उपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्त्वाविश्वकर्मणऽएपतेयोनि / रिन्द्रायत्त्वाविश्वकर्मणे // 45 // [1] विश्वकर्मन्हविषा // 3 // विश्वकर्मन्हविषावर्द्धनेनत्रातारमिन्द्रमकृणोरवयम् // तस्म्मै / For Private And Personal Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 61 // विशल्समैनमन्तपूर्वीरयमुग्नोबिहघ्योयथासत् // उपयामगृही| तोसीन्द्रीयत्त्वाविश्वकर्मणऽएपतेयोनिरिन्द्रीयत्वाविश्वकर्मा | णे॥४६॥[१]उपयामगृहीतोसि॥उपयामगृहीतोस्यग्नयैत्त्वागा। यत्रच्छन्दसंगृह्णामीन्द्रीयत्त्वात्रिष्टुप्प्छन्दसंगृह्णामिविश्वेभ्य स्त्वादेवेभ्योजगच्छन्दसंगृह्णाम्म्यनुष्टुप्तैभिगरः॥४७॥ धेशी 3 नान्त्वा॥वेशीनान्त्वापत्नमन्नाधूनोमिकुकूननानान्त्वापत्नमना / धूंनोमिभन्दानान्त्वापत्नमुन्नाधूनोमिमदिन्तमानान्त्वापत्नम // 61 // For Private And Personal Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir नाधूनोमिमधुन्तैमानान्त्वापत्रमन्नाधूनोमिशुक्वन्त्वाशुकआधु || नोम्म्यन्होरूपेसूर्य्यस्यरश्म्मि // 48 // कुकुभ रूपं / वृषभस्य / रोचतेव्हच्छुकशुक्रस्यपुरोगाश्सोमसोमस्यपुरोगा? // यत्तेसो / मादाभ्यन्नामजावितस्म्मैत्त्वागृह्णामितस्म्मैतेसोमसोमायखा हो // 49 // उशित्कम् // उशित्कन्देवसोमाग्नेशप्रियम्पाथोपीहि वशीत्वन्देवसोमेन्द्रस्यप्रियम्पाथोपीयुस्म्मत्सखात्वन्देवसोम विश्चैषान्देवानाम्प्रियम्पाथोपीहि // 50 // [4] इहरतिः॥इहरति / / For Private And Personal Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir A संहि. पू. अ. // 62 // CANCSCREDMCALCCCC रिहरमद्धमिहधृतिरिहस्त्रधृति वा / पुसृजन्धरुणम्मात्रेधुरु / णौमातरन्धयन्॥रायस्प्पोसम्मादीधरत्खाही।५१॥सत्रस्य / / ऽऋद्धिः ॥सत्रस्युऽऋद्धि रस्यगन्मज्योतिरमृतोऽअभूम।दिवम् / थिच्याऽअध्यारहामाबिदामतान्त्वज्योतिः॥५२॥युवन्तम्॥ युवन्तमिन्द्रापर्खतापुरोयुधायोनलन्यादपतन्तमिद्धतंव्वज्जे णतन्तमिद्धतम् // दूरेचत्तायच्छन्त्सदुहनय्यदिनक्षत् ॥अस्म्मा // 2 // कुशत्रुन्परिशूरविश्वतोदादीष्टविश्वतः॥भूर्भुवस्वःसुप्प / **%ANGACAKACANCE For Private And Personal Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir जाप्रजाभिःस्यामसुवीरावी?सुपोपाल्पोपैता५३[३]परमेष्ट्य भिधीतहप्प्रजापतिर्वाचिच्याहृतायामन्धोऽअच्छतः॥ सवितास है। न्यांविश्वकर्मादीक्षायाम्पूपासोमक्रयण्यामिन्द्रश्च ॥५४॥इन्द्र है। चामरुतश्चक्रयायोपोत्थितोसुरपण्यमानोमित्रत्रीतोबिष्णु शिपिविष्टऽऊरावासनोविष्णु रन्धिपहप्पोह्याण॥५५॥प्पो ह्याणल्सोमऽआगतोवरुणऽआसन्धामासन्नोग्निराग्नीद्दाइ इन्द्रोहविर्द्धानेथोपावन्हियमाणोविश्वेदेवाः॥५६॥विश्वेदेवा? REDICALCASSECRUS RAKCICIASANGRAHASRC2 For Private And Personal Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू.अ. // 63 // संहि. विश्वेदेवाऽअशुपुन्युप्लोबिष्ष्णुराप्पीतपाऽआप्प्याय्यमानोयुम / सूयमान विष्णु सम्भ्रियमाणोवायुश्पूयमानत्शुक्रःपूत?शु / ऋक्षीर"श्रीर्मन्थीसंत्तु श्रीविश्वेदेवा॥५७॥ विश्वेदेवाशाविश्वे / / देवाच्चमसेपून्नीतोसु)मायोद्यतोरुद्रोहयमानोवातोब्भ्यावृत्तोन / चक्षाप्रतिक्ख्यातोभक्षोभक्ष्यमाणपतरोनाराशुसाश्सुन्न / सिन्धुः॥५८॥ सन्नीसिन्धुरवभृथायोद्यतत्समुद्रोब्भ्यवन्हियमा / // 3 // णसलिलप्रप्लुतोययोरोजसास्कभितारजासिवीयेभिर्वीर KARNATAKA4% For Private And Personal Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandit ALANKARISAACALCOCOCCARECEM तमाशविष्टायापत्यैतेऽअप्प्रतीतासहौभिविष्ष्णूऽअगुवरुणापूर्व / हूतौ // 59 // देवान्दिवम् // देवान्दिवमगन्यज्ञस्ततोमाद्रविणमष्ट / मनुष्ष्यानुन्तरिक्षमगन्यज्ञस्ततोमाद्रविणमष्टुपितृपृथिवीमंग न्यज्ञस्ततोमाद्रविणमष्टुयङ्कञ्चलोकमगन्यज्ञस्ततोमेभद्रमभूत् | // 60 // चतुस्त्रिशत्तन्तवोयेवितत्किरेयऽडुमंय्यज्ञस्वधया / ददन्ते // तेषाञ्च्छिन्न सम्म्वेतर्दधामिखाहाघोऽअप्प्यैतुदे / वान् ॥६१॥यज्ञस्यदोहेः॥यज्ञस्यदोहोविततऽपुरुत्रासोऽअष्ट For Private And Personal Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू. अ. // 64 // धादिवमन्याततान॥सयज्ञधुक्क्ष्वमहिमेप्प्रजायरायस्पोवि श्वमायुरशीयवाहा // 62 // आपवस्व ॥आप॑वस्वहिरण्यवदश्वाव / त्सोमव्वीरवत् ॥वाजङ्गोमन्तमाभरखाहो // 63 // [10] // 23 // है। इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांअष्टमोऽध्यायः ॥८॥श्रीवेदपुरुषाय है। नमः॥अनुवाक्सूत्रम्॥ देवसवितश्चतस्रइंद्रस्यवज्रःपंचदेवस्याह / / दशापयेतिस्रोवाजस्येममष्टावग्निरेकाक्षरेणैषतेचतुष्कौसविताद्वे | // 64 // अष्टौचत्वारिशत्॥ हरिःॐदेवसवितः // देवसवितहप्प्रसुवयुज्ञ For Private And Personal Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir प्रसुवयज्ञपतिम्भगाय // दिच्योंर्गन्धर्वश्कतपूश्केतन्नत्पुनातुवा चस्प्पतिर्बाजन्नत्वदतुखाहा // 1 // ध्रुवसदन्त्वा। नृपदम्मनस / दमुपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्त्वाजुष्टुंगृह्णाम्म्येपतेयोनिरिन्द्रीयत्त्वा / जुष्टतमम्॥अप्प्सुपदन्त्वातसदैव्योमसदमुपयामगृहीतोसीन्द्रा / / यत्त्वाजुष्टुलाम्म्येपतेयोनिरिन्द्रीयत्वाजुष्टतमम् // पृथिवीसद है। न्त्वान्तरिक्षसदन्दिविसदन्देवसदनाकसदमुपयामगृहीतोसीन्द्रा / यत्त्वाजुष्टुलाम्म्येपतेयोनिरिन्द्रायत्त्वाजुष्टुंतमम् // 2 // अपा For Private And Personal Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit संहि . // 65 // R85852RECRRIGACANCIENTICALCREG हरसम्॥ अपारसमुवयसन्सूर्यसन्तसमाहितम् // अपारस / / स्युयोरसस्तंबौगृहाम्म्युत्तममुपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्त्वाजुष्टङ्ग | हाम्म्येपतेयोनिरिन्द्रीयत्त्वाजुष्टुतमम् // 3 // ग्रहोऽऊर्जाहुतयः॥ ग्रहाऽऊर्जाहुतयोध्यन्तोविप्रायमतिम् ॥तेपांविशिष्प्रियाणांबो हमिपमूर्जसमग्यभमुपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्त्वाजुष्टेङ्गुलाम्म्ये | पतेयोनिरिन्द्रीयत्त्वाजुष्टतमम् // सम्पृचौस्त्थत्सम्माभद्रेणपृत है। विपृचौस्थोबिमापाप्मनापृतम्॥४॥[४] इन्द्रस्युवज्र॥इन्द्र For Private And Personal Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir www.kcbatrth.org ACCOCAKACOCKMANDALA स्यबज्ञौसिव्वाजसास्त्वयायंबाजेन्सेत्॥बाजस्यनुप्पसवेमातर है। म्महीमदितिन्नामवर्चसाकरामहे ॥यस्यामिदंविश्वम्भुव॑नमाविवे शतस्यान्नोदेवरसविताधर्मसाविपत्॥५॥अप्प्स्वन्तम् ॥अप्प्स्व न्तरमृतमप्प्सुभेषजमपामुतप्प्रशस्तिष्ष्वश्चाभवतवाजिनः॥दे वीरापोयोऽम्मिश्प्प्रतूर्तिककुन्मान्वाजसास्तेनायंबाजेन्सेत् / ॥६॥वातौवा॥वातौवामनौवागन्धर्वाश्सप्प्तविशतिः॥तेऽअ ग्ग्रेश्चमयुऑस्तेऽअस्म्मिञ्जुवमादधु॥७॥वातरम्हाभववाजिन्न्यु For Private And Personal Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri K ashsagarsuri Gyanmandit संहि. पू. अ. : // 9 // OMGARICRORSE ज्यान इन्द्रस्येवदक्षिणश्रियैधि // युञ्जन्तुत्त्वामरुतोविश्ववै दसऽआतेत्त्वष्टापत्सुजवन्दधातु॥८॥जवोय? // जवोयस्तैवा / / जिन्निहितोगुहायश्श्येनेपरीतोऽअचरच्चबाते // तेननोवाजिन्न लवान्बलैनवाजचिञ्चभवसमैनेचपारयिष्णुः // वाजिनोबाज है। जितोवाजसरिप्प्यन्तोबृहस्प्पतै गमवजिग्घ्रत॥९॥[५]देव / स्याहम् // देवस्याह सवितुसवेसत्त्यसंवसोबृहस्प्पतैरुत्तमन्ना // 66 // करुहेयम् // देवस्याहसवितुसवेसत्यसंवसऽइन्द्रस्योत्तमन्ना - 555 For Private And Personal Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SCRECORROGRAMROSAROSALA करुहेयम् // देवस्याहसवितु सवेसत्त्यप्रसवसोबृहस्प्पतैरुत्त / मनाकमरुहम् // देवस्याह-सवितुश्सवेसत्त्यप्प्रंसवसऽइन्द्रस्यो / त्तमन्नाकमरहम् // 10 // बृहस्प्पतेबाम् // बृहस्पतेबाजञ्जय / बृहस्प्पतयेवाचंबदतवृहस्पतिंबाजञापयत॥इन्द्रबाज येन्द्रा युवाचैवदुतेन्द्रंबाजजापयत // 11 // एपावः॥ एषानुसासत्त्या संबागभूद्ययाबृहस्पतिवाजमजीजपताजीजपतबृहस्पतिवाचं वनस्पतयोविमुच्यद्धम् // एपावसासुत्त्यासंबागंभुद्ययेन्द्रंबाज A G For Private And Personal Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 67 // मजीजपुताजीजपुतेन्द्रंबाजुबनस्पतयोविमुच्यद्धम्॥१२॥देव / स्याहम् // देवस्याहसवितुसवेसत्त्यप्रेसवसोबृहस्पतेर्वाजजि / तोबा जेषम् // वाजिनोवाजजितोद्धनस्कभ्नुवन्तोयोजनामि / मानाकाष्ठा गच्छत // 13 // एपस्य॑ // एपस्यवाजीक्षिपुणिन्तु / रण्ण्यतिग्ग्रीवायोम्बद्धोऽपिकक्षऽआसनि // क्रतुन्दधिकाऽ नुसत्सनिष्प्यदत्त्पुथामङ्कास्यन्वापनीफणुत्वाहा // 14 // उत। स्म्म // तस्म्मास्युवतस्तुरण्युतपुर्णन्नवेरनुवातिप्प्रगर्द्धिनः॥ 5 For Private And Personal Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir OMGAMROSAGARMEROSAGE श्येनस्यैवतोऽअङ्कुसम्परिदधिक्काव्णःसहोर्जातरित्रतऽस्खा हा॥१५॥शनः ॥शन्नोभवन्तुवाजिनोहवैपुदेवातामितव स्वाः // जम्भयन्तोहिंकहरक्षा सिसनम्म्यस्स्मद्युयवन्नमी / वार्ड ॥१६॥तेन ॥तेनोऽअवन्तोहवन श्रुतोहवंविश्वेशृण्ण्वन्तु है वाजिनौमितवड // सहस्रसामेधसातासनिष्ध्यवौमहोयेधनः / / समिथेपुंजभ्रिरे ॥१७॥बाजैवाजेवत / वाजिनोनोधनेषुबिप्पा / / अमृताऽऋतज्ञा // अस्यमर्द्ध पिबतमादयद्धन्तृप्प्तातिपथि / For Private And Personal Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. . // 68 // CARDAMORECASCARROADCASS भिर्देवयानै ॥१८॥आमावाजस्यप्प्रसवोजगम्म्यादेमेद्यावापृथि / वीविश्वरूपे // आमागन्ताम्पितरामातराचामासोमोऽअमृतत्वे / नगम्म्यात्॥वाजिनोबाजजितोवाज ससुवासोबृहस्प्पतेब्भ : गमवजिग्घ्रतनिमृजाना // 19 // [10] आपयेखाहो // स्वापये / खाापिजायखाहातवेखाहाबसवेखाहाहुर्पतयेखाहान्हैमु / ग्धायखाहामुग्धायवैन शिनायुवाहाबिनशिनऽआन्त्याय नायखाहान्त्यायभौवनायखाहाभुवनस्यपतयेखाहाधिपतयेखा For Private And Personal Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAAVUKAASLASHSANS हो॥२०॥आयुर्यज्ञेन। कल्प्पताम्प्राणोयज्ञेनकल्प्पताञ्चक्षुर्यज्ञे / नकल्प्पताश्रोत्रय्यज्ञेनकल्प्पताम्पृष्टय्यज्ञेनकल्प्पतांव्यज्ञो / यज्ञेनकल्प्पताम् // प्रजापतेप्प्रजाऽअभूमस्वर्देवाऽअगन्मामृता / |ऽअभूम॥२१॥अस्म्मेवः॥अस्स्मेवोऽअस्त्विन्द्रियमस्म्मेनृम्म्ण मुतक्रतुरस्म्मेवासिसन्तुवानमौमात्रेपृथिव्यैनमोमात्रेपथि / च्याऽड्यन्तेराड्डयन्तासियमनोडुबोसिधरुणः॥कृष्प्यैत्त्वाक्षेमाय त्त्वारय्यैत्त्वापोषायत्त्वा॥२२॥[३]वाजस्येमम्॥वाजस्येमप्रसव / / For Private And Personal Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandie www.kcbatrth.org संहि. BOSO SA *6* // 69 // सुषुवेग्ग्रेसोमराजानुमोपंधीष्ष्वप्प्सु॥ताऽअस्म्मब्भ्यम्मधुमती : पू. अ. भवन्तुव्यठराष्ट्रजागृयामपुरोहिंताखा॥२३॥वाजस्येमाम्। वाजस्येमाम्प्रसवशिश्श्रियेदिवमिमाचविश्वाभुवनानिसम्म्राटा है। अदित्सन्तन्दापयतिप्प्रजानन्त्सनौरयिम्सवीरन्नियच्छतुखा | हो // 24 // वाजस्युनु / प्रसवऽआबभूवेमाचविश्वाभुवनानिस है। तः॥सनेमिराजापरियातिविद्वान्जाम्पुष्टिवर्द्धयमानोऽअस्म्मे / खाह॥२५॥सोमराजानम्।सोमहराजानमवसेग्निमुन्यारंभाम **ISTESSO %%% For Private And Personal Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir हे॥आदित्त्यान्विष्ष्णुठसूर्यम्ब्रह्माणञ्चबृहस्पतिछंखाह॥२६॥ अर्यमणम्बृहस्प्पतिम्॥ अर्यमणम्बृहस्पतिमिन्द्रन्दानायचो / दय ॥वाचविष्ष्णुसरखतीसवितारञ्चवाजिनढुवाहा // 27 // अग्नेऽअच्छे // अग्नेअच्छाबदेहनप्रतिनसुमनाभव // प्रनो यच्छसहस्रजित्व हिधनुदाऽअसिखाहो ॥२८॥प्रन॥ प्रनौय च्छत्त्वयंमाप्पपूषाप्पबृहस्पतिः॥प्रवाग्ग्देवीददातुन वाह 29 // देवस्य॑त्त्वासवितुप्प्रेसवेश्विनौर्वाहुब्भ्याम्पूष्ष्णोहस्तो For Private And Personal Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kaishsagarsuri Gyanmandie संहि. पू. अ. भ्याम् // सरखत्यैवाचोयन्तुर्य्यन्त्रियदधामिबृहस्प्पतेष्ट्वासा / // 70 // है/म्म्राज्येनाभिषिञ्चाम्म्यसौ॥३०॥[८] अग्निरेकाक्षरेण / प्राणमु देजयुत्तमुजेपमश्विनौयक्षरेणविपदौमनुष्ष्यानुदजयत्तान्ता 13 नुज्जेविष्ष्णुख्यक्षरेणत्रील्लोकानुदजयत्तानुज्जैपुत्सोमश्चतुरक्षरे | णचतुष्पदउँपशूनुदजयत्तानुजैषम्पूषापञ्चाक्षरेण // 31 // पूषाप / ञ्चाक्षरेण / पञ्चदिशऽउदजयत्ताऽउज्जैषसविताषडक्षरेणुषडतू / / नुदजयुत्तानुज्जैपम्मरुतः सुप्ताक्षरेणसुप्तग्याम्म्यान्पशूनुदजय For Private And Personal Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir स्तानुज्जैषम्बृहस्पतिरष्टाक्षरेणगायत्रीमुर्दजयत्तामुजेपम्मित्रो | नवाक्षरेण // 32 // मित्रोनाक्षरेण / त्रिवृत स्तोममुर्दजयुत्तमुजे / / पंवरुणोदशाक्षरेणविराजमुदजयत्तामुज्जेपमिन्द्रऽएकादशाक्षरे / णत्रिष्टुभमुदजयुत्तामुज्जैविश्वेदेवाद्वादशाक्षरेणुजगतीमुदजयँ / स्तामुन्जेषूबसवस्त्रयोदशाक्षरेण॥३३॥वसवस्त्रयोदशाक्षरेण ।त्रयो / दुशस्तोममुदजयस्तमुजेपरुद्राच्चतुर्दशाक्षरेणचतुर्दशस्तो / ममुदजयस्तमुज्जेषमादित्याश्पञ्चदशाक्षरेणपञ्चदुशस्तोमुमुद / For Private And Personal Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kaynagarsuri Gyanmandir // 71 // सहि. जयस्तमुजेषमदितिडपोडशाक्षरेणषोडशस्तोममुदजयुत्तमुजे पम्प्रजापतिऽसप्तदशाक्षरेणसप्तदुशस्तोममुर्दजयत्तमुज्जेषम्॥ // 9 // // 34 // [4] एपते। निर्ऋतेभागस्त पस्वखाहाग्निनेत्रेभ्योदेवे / भ्य:पुरऽसखाहायमनैत्रेभ्योदेवेभ्योदक्षिणासयऽखाहा / / विश्वदेवनेत्रेभ्योदुवेब्भ्यः पञ्चात्सयवाहामित्रावरुणनेत्रे भ्योवामुरुन्नेत्रेभ्योवादेवेभ्य॑ऽउत्तरासयुवाहासोमनेत्रेभ्यो / // 71 // देवेभ्यऽउपरिसञ्योदुवखन्यऽस्वाहा // 35 // येदेवाऽअग्नि CAKACANCY ASTROLORCAMSANGA For Private And Personal Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SACROCOCCALCALCHURCH नेत्रापुर सदुस्तेब्भ्यस्वाहायेदेवायुमनैत्रादक्षिणासदुस्तेब्भ्यु खाहायेदेवाविश्वदेवनेत्रापश्चात्सदुस्तेब्भ्यसाहायेदेवामित्रा / वरुणनेत्रावामरुन्नैत्रावोत्तरासदुस्तेब्भ्यांखाहायेदेवाश्सोमनेत्रा, ऽउपरिसदोदुवैखन्तस्तेब्भ्यऽस्वाहा ॥३६॥अग्नेसहस्व॥ अग्ने / सहस्वपृतनाऽअभिमातीरपास्य॥ दुष्टरस्तरन्नरातीवर्धोधायज्ञवा / / हसि // 37 // देवस्यत्त्वा // सवितुप्प्रेसवेश्चिनोर्बाहुब्भ्याम्पूष्ष्णो / हस्ताब्भ्याम्॥उपाशोबीhणजुहोमिहतराऽस्वाहारक्षेसा / For Private And Personal Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kisaparsuri Gyanmandir // 9 // // 72 // हन्त्वाब्धायावधिष्म्मरक्षोधिष्म्मामुमसौहुतः // 38 // [4] सवि / 5. अ तात्त्वासवानसुवतामग्निर्गृहप॑तीना/सोमोवनस्प्पतीनाम् // बृहस्पतिर्वाचऽइन्द्रोज्यैष्ठ्यायरुद्रपशुब्भ्योमित्रसत्त्योबरु | णोधर्मपतीनाम् // 39 // इमन्देवा // इमन्देवाऽअसपत्नन्सुव धम्महतेक्षत्रायमहुतेज्ज्यैष्ठ्यायमहुतेजानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रि याय॥ इमममुष्प्यपुत्रममुष्यपुत्रमस्यैविशऽएपवोमीराजासोमो / स्म्माकम्ब्राह्मणाना/राजा॥४०॥[२]॥८॥ इतिश्रीवाजसनेयसं // 72 // For Private And Personal Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir हितायानवमोऽध्यायः // 9 // श्रीवेदपुरुषायनमः // अनुवाक्सू / / त्रम् // अपोदेवाश्चतस्रःसोमस्यत्विपिःपंचावेष्टाःसप्तसोमस्यत्वाच / तस्रइंद्रस्यवज्रःपंचस्योनासिचतस्रःसवित्रेकाश्विभ्यांचतस्रोष्टौ | चतुस्त्रिशत्॥ हरिःॐअपोदेवा ॥अपोदेवामधुमतीरगृभ्णन्नू / जैखतीराजखुश्चिाना // यानिम्मित्रावरुणावग्भ्यपिञ्चन्या है। भिरिन्द्रमनयुन्नत्यराती // 1 // वृष्ष्णऽऊर्मि॥ वृष्ष्णऽम्मि / रसिराष्ट्रदाराष्ट्रम्मैदेहिखाहावृष्ष्णऽमिरसिराष्ट्रदाराष्ट्रममुष्म्मै For Private And Personal Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू. अ. // 73 // // 10 // सहि. | देहिवृषसेनोसिराष्ट्रदाराष्ट्रम्मैदेहिस्वाहावृषसेनोसिराष्ट्रदाराष्ट्रम || मुष्म्मैदेह्यत्तस्त्थ // 2 // अर्थेतस्त्थराष्ट्रदाराष्ट्रम्मेदत्तुस्वाहात्थें / तत्स्थराष्ट्रदाराष्ट्रममुष्म्मेदुत्तौजखतीस्त्थराष्ट्रदाराष्ट्रम्मैदत्तखाहौ / जस्वतीस्त्थराष्ट्रदाराष्ट्रममुष्म्मैदत्ताप-परिवाहिणीस्त्थराष्ट्रदारा। ष्ट्रम्मैदत्तस्वाहाप-परिवाहिणीस्त्थराष्ट्रदाराष्ट्रममुष्ष्मैदत्तापाम्प है। तिरसिराष्ट्रदाराष्ट्रम्मैदेहिस्वाहापाम्पतिरसिराष्ट्रदाराष्ट्रममुष्म्मैदे / // 73 // For Private And Personal Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir P ROCEROSAROM ह्यपाङ्ग सिराष्ट्रदाराष्ट्रम्मेदेहिस्वाहापाङ्गीसिराष्टुदाराष्ट्रम | मुष्म्मैदेहिसूर्य्यत्त्वचसस्त्था।सूर्य्यत्त्वचसस्त्थाराष्ट्रदाराष्ट्रम्मेद है। तस्वाहासूर्य्यत्त्वचसस्त्थराष्ट्रदाराष्ट्रममुष्म्मदत्तसूर्युवर्चसस्त्थ | राष्ट्रदाराष्ट्रम्मेदत्तस्वाहासूयंवर्चस्त्थराष्ट्रदाराष्ट्रममुष्म्मैदत्तमा न्दस्त्थिराष्ट्रदाराष्ट्रम्मैदत्तखाहामान्दौस्त्थराष्टुदाराष्ट्रममुष्म्मैद तब्रजक्षितस्त्थराष्ट्रदाराष्ट्रम्मेदत्तखाहाब्रजक्षितस्त्थराष्ट्रदाराष्ट्र ECICICICICICICICICICk For Private And Personal Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पृ.अ. संहि. // 10 // // 74 // ममुष्म्मैदत्तवाशास्त्थराष्टुदाराष्ट्रम्मैदत्तस्वाहाव्वाशास्त्थराष्टुदारा / / ष्ट्रममुष्म्मैदत्तशविष्ठास्त्थराष्ट्रदाराष्ट्रम्मेदत्तुखााशविष्ठास्त्थरा ष्टदाराष्ट्रममुष्म्मैदत्तुशवरीस्त्थराष्ट्रदाराष्ट्रम्मैदत्तस्वाहाशक्करी स्त्थराष्ट्रदाराष्ट्रममुष्म्मैदत्तजनुभृतस्त्थराष्ट्रदाराष्ट्रम्मेदत्तुस्वाहा जनुभृतस्त्थराष्ट्रदाराष्ट्रममुष्म्मैदत्तविश्वुभृतस्त्थराष्टुदाराष्ट्रम्मैद त्तस्वाहाविश्वभृतस्त्थराष्टुदाराष्ट्रममुष्म्मैदुत्तार्पःस्वराजस्त्थरा // 74 // For Private And Personal Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir Eष्टदाराष्ट्रममुष्म्मैदत्त॥ मधुमतीमधुमतीभित्पृच्यन्ताम्महिक्षत्र / क्षत्रियायवन्वानाऽअनावृष्टाल्सीदतसहौजसोमहिक्षत्रङ्क्षत्रियाय दधती॥४॥[४]शतम्॥४०॥सोमस्युत्त्विर्षिः॥सोमस्यत्त्विपि / रसितवैवमेत्त्विपिर्भूयात् // अग्नयेस्वाहासोमायस्वाहासवित्रे / स्वाहासरस्वत्त्यै स्वाहापूष्ष्णेखाहाबृहस्पतयेस्वाहेन्द्रीयस्वाहा | घोपायस्वाहाश्लोकायस्वाहाशीयस्वाहाभगायस्वाहार्य म्म्णेस्वाहा // 5 // पुवित्रैस्त्थ६॥ पवित्रस्त्थोवैष्ष्णध्यौसवितुर्व MUSALORAMARCCC0 For Private And Personal Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू. अ. साह. // 10 // प्रसवऽउत्पुनाम्म्यच्छिद्रेणपवित्रेणुसूर्यस्यरश्मिभिः // अनि / पृष्टमसिव्वाचोबन्धुस्तपोजाश्सोमस्यदात्रमसिस्वाहाराजस्वः // ॥६॥सधमादोधुम्निनी // सधमादौधुम्निनीरापऽएताऽअनधि / ष्टाऽअपस्योबाना // पुस्त्यासुचवेवरुणसुधस्त्थमुपाशिशु र्मातृतमास्वन्तः॥७॥ क्षत्रस्योल्बम् ॥क्षत्रस्योल्वमसिक्षत्रस्य॑ज / राय्य्वसिक्षत्रस्ययोनिरसिक्षुत्रस्यनाभिरसीन्द्रस्यबारृग्ग्नमसि // 75 // मित्रस्यासिवरुणस्यासित्वयायंवृत्रंबधेत्॥द्दबासिरुजासिक्षुमासि। For Private And Personal Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir * ISRASA * पातैनम्पाञ्चम्पातैनम्प्रत्यञ्चम्पातैनन्तियंञ्चन्दुिग्ग्भ्यःपात॥८॥ आविर्मर्या // आविम॑र्थ्याऽआवित्तोऽअग्निर्गृहपतिरावित्त इन्द्रौवृद्धश्रवाऽआवित्तौमित्रावरुणौधृतवतावावित्तत्पूपाविश्व / / वेदाऽआवित्तेद्यावापृथिवीविश्वशम्भुवावावित्तादितिरुरुशर्मा। // 9 // [5] अवैष्टादन्दुशूकोई॥ अवैष्टादन्दुशूकाल्प्पाचीमारोह / गायत्रीत्त्वावतुरथन्तरसामंत्रिवृत्स्तोमौबसन्तऽऋतुर्बद्रवि / णन्दक्षिणामारोह ॥१०॥दक्षिणामारोह। त्रिष्टुप्प्त्वावतुबृहत्साम * * For Private And Personal Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. पञ्चदुशस्तोमोग्ग्रीष्म्मऽऋतुक्षत्रन्द्रविणम्प्रतीचीमारोह // 11 // प्रतीचीमारोह / जगतीत्त्वावतुबैरूपन्सामसप्तदशस्तोमौवर्षात ऋतुविणमुदीचीमारोह // 12 // उदीचीमारोहानुष्टुत्ववितुवै / राजन्सामैकवितशस्तोम शरदृतुफलन्द्रविणमूर्द्धमारोह॥१३॥ है ऊ मारोह / पङ्क्तिस्त्वावतुशाक्कररैवतेसामनीत्रिणवत्रयस्त्रिदशौ / शस्तोमौहेमन्तशिशिरावृत्वक़द्रविणम्प्रत्य॑स्तुन्नमुचेतशिरः।१४|| // 6 // सोम॑स्युत्त्विर्षिः॥सोमस्युत्त्विपिरसितवैवमेत्विषिर्भूयात् For Private And Personal Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir त्योपाहयोजौसिसहौस्यमृतमसि // 15 // हिर॑ण्ण्यरूपाऽउपसो / विरोकऽउभाविन्द्राऽउदिथत्सूर्यच्च॥आरोहतंवरुणमित्रगर्तन्त / तश्चक्षाथामदितिन्दितिञ्चमित्रोसिवरुणोसि ॥१६॥[७]सोमस्य / वायुम्नेनाभिषिञ्चाम्म्यग्नेजिंसासूर्यस्यब्वच॑सेन्द्रस्येन्द्रिये / Bणाक्षत्राणाङ्क्षत्रपतिरेक्ष्यतिदिन्पाहि॥१७॥इमन्दैवालाइमन्दे / वाऽअसपत्नन्सुवद्धम्महुतेक्षत्रायमहुतेज्यैष्ठयायमहुतेजानरा | ज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय।इमममुष्ष्यपुत्रममुष्ष्यैपुत्रमस्यैविशऽएष SEENA For Private And Personal Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. CRECECAUSACRECAUSA योमीराजासोमोसम्माकम्ब्राह्मणाना/राज।१८।प्रपर्वतस्यावृषभ / पू. अ. स्यपुष्टान्नावश्चरन्तिस्वसिचऽइयानाः // ताऽआववृत्रन्नधुरागुद // 10 // काऽअहिंम्बुभ्यमनुरीयमाणा // विष्ष्णोर्बिक्रमणमसिविष्ष्णो / विक्रान्तमसिविष्ष्णोत्क्रान्तमसि ॥१९॥प्रजापतेन / त्त्वदेता है। न्यन्योविश्वारूपाणिपरिताबभूव // यत्कोमास्तेजुहुमस्तन्नोऽ स्वयममुष्ष्यपितासावस्यपिताव्यस्यामपतयोरयीणाखा | 77 // हो॥रुयत्तेक्रिविपरन्नामतस्म्मिन्हुतमस्यमेष्टमंसिखा॥२०॥ MANGRESCACAMANGUAGARLSSS For Private And Personal Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir AAAAAAAAAA [4] इन्द्रस्युवज्रः॥इन्द्रस्युवज्रोसिमित्रावरुणयोस्त्वाप्पशा / / स्त्रोप्प्रशिपायुनज्म्मि॥अध्यथायैत्त्वावधायैत्त्वारिष्टोऽअर्जुनो। मरुताम्प्रसवेनेजयापाममनसासमिन्द्रियेण ॥२१॥माते॥मात ऽइन्द्रतेव्वयन्तुरापाडयुक्तासोऽअबुहमताबिदसाम // तिष्ठारथम धियंवज्रहस्तारश्म्मीन्देवयमसेखश्चान् ॥२२॥अग्नयैगृहप॑त / / ये // अग्नयेगृहपतयेखाहासोमायबनस्प्पतयेखाहामरुतामोजसे खाहेन्द्रस्येन्द्रियायुखाहा // पृथिविमात`माहिल्सीम्र्मोऽअह / AS For Private And Personal Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू. अ.. // 10 // न्त्वाम् // 23 // हुत्साशुचिषत्॥हुसशुचिपद्सुरन्तरिक्षसद्धो विदिषदतिथिईरोणुसत् // नुषवरसदृतसवयोमसदुब्ब्जागोजा / / Esऋतुजाऽअद्विजाऽऋतम्बृहत् // 24 // इयदसि॥इयंदुस्यायुरस्या / / युर्मयिधेहियुङ्गसिबौसिव!मयिधेरार्गस्यूर्जम्मयिधेहि // इन्द्रस्यवांबीयुंकृतोवाहूऽभ्युपावहरामि॥२५॥[५] स्योना / सि / सुषदासिक्षत्रस्युयोनिरसि॥ स्योनामासीदसुषदामासीदक्ष // 7 // त्रस्युयोनिमासीद // 26 // निषसाद।धृतवतोवरुणपुस्त्याखा॥ For Private And Personal Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyarmandie SAAMADASCAMARCASEANSAR / साम्म्राज्यायसुक्रतुः॥२७॥ अभिभूरसि // अभिभूरस्थेतास्तेप ञ्चदिश:कल्प्पन्ताम्ब्रहमँस्त्वम्ब्रह्मासिसवितासिसत्यप्रसवोव्व | / रुणोसिसत्यौजाऽइन्द्रोसिव्विशौजारुद्रोसिसुशेवः॥ बहुकार श्रे यस्करभूयस्करेन्द्रस्युवज्जोसितेनमेरद्धय ॥२८॥अग्निश्पृथुः // अग्निश्पृथुर्द्धर्मणस्पतिर्जुषाणोऽअग्निश्पृथुद्धमणस्प्पंतिरा ज्यस्यबेतुखाहाखाहाकृताई सूर्यस्यरश्म्मिभियंतसजाता नाम्मद्धयमेष्ट्याय // 29 // [4] सवित्राप्रसवित्रा। सरखत्यावा / / 151-495646402964-54-95-964- For Private And Personal Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 79 // ***** चात्वष्ट्रारूपैश्पृष्ष्णापशुभिरिन्द्रेणास्म्मेबृहस्प्पतिनाब्रहमणाव / रुणेनौ साग्निनातेजसासोमैनराज्ञाविष्ष्णुनादशम्म्यादेवतया प्रसूतप्प्रसप्पामि // 30 // [1] अश्विब्भ्याम्पच्यख॥अश्विभ्या है |म्पच्यस्वसरवत्यैपच्यखेन्द्रीयसुत्राम्म्णेपच्यख // वायुश्पूतप / वित्रेणप्प्रत्यङ्सोमोऽअतिस्रुत // इन्द्रस्ययुज्युड्सखा // 31 // कुविदुङ्ग / यवमन्तीयवञ्चिद्यथादान्त्यनुपूर्ववियूय॑ // इहे हैपाङ्क 1 // 79 // णुहिभोजनानियेबर्हिषोनमऽउक्लिंय्यजन्ति // उपयामगृहीतो * 25MMAMALALE+ * ** For Private And Personal Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Krishsagarsuri Gyanmandir SRIGANGANAGARGANGANAGAR स्यश्चिब्भ्यान्त्वासरखत्त्यैत्त्वेन्द्रीयत्त्वासुत्राम्म्णे ॥३२॥युवठ-सु रामम्॥ युवसुराममश्चिनानपुंचावासुरेसा // विपिपानाशुभ स्प्पतीऽइन्द्रङ्कर्मखावतम् // 33 // पुत्रमिवपितरौ // पुत्रमिवपि / तरावृश्चिनोभेन्द्रावथुकाध्यैईट्सनाभि // यत्सुरामध्यपिवश है। चीभिसरखतीत्त्वामघवन्नभिष्ष्णक् // 34 // [4] // 8 // इतिश्री है। वाजसनेयसंहितायांदशमोऽध्यायः॥१०॥श्रीवेदपुरुषायनमः॥ अनुवाकसूत्रम् ॥युंजानएकादशप्रतूर्त्तन्पोडशदेवस्यत्वादशापो For Private And Personal Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. CAMERASACROCESACRICA देवीर्वादशापोह्येकादशादितिष्ट्वापंचाकूतिमष्टादशसप्तत्र्यशीतिः। पू.अ. / हरिःॐयुञानप्पथमम् // युञ्जानप्पथुमम्मनस्तत्त्वार्यसविता | // 11 // धियः॥अग्नेज्योतिर्निचाय्य॑पृथिव्याऽअध्याभरत् ॥१॥युक्त / नमनसा। बयन्देवस्यसवितुसवे // स्वायशक्तयो॥२॥युक्ता / यसविता। देवान्त्वद्रुतोधियादिवम्॥ बृहज्ज्योतिःकरिष्ष्यतः | / सविता प्रसुवातितान् // 3 // युञ्जतेमनः // युञ्जतेमनऽतियुञ्ज / / तेधियोविष्पाविष्प्रस्यबृहतोविपश्चितः // बिहोत्रादधेवयुनावि / For Private And Personal Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir www.kobatrth.org देकऽइन्महीदेवस्यसवितुपरिष्टुति // 4 // युजेाम्॥युजेवाम्ब हमपुर्घ्यन्नम्मोभिर्विलोकेऽएतुपथ्येवसुरे? // शृण्वन्तुविश्वेऽ। मृतस्यपुत्राऽआयेधामानिदिच्यानितस्त्थुः॥५॥यस्यप्प्रयाणम्॥ यस्यप्प्रयाणमन्वन्यऽइद्ययुवादेवस्यमहिमानमोजसा // यः पार्थिवानिविममेसऽएतशोरजासिदेवसवितामहित्वना॥६॥ देवसवित॥ देवसवितहप्प्रसुवयज्ञम्प्रसुवयज्ञपतिम्भगाय // दि व्योगंधर्वश्कैतपूरकेतन्नडपुनातुबाचस्पतिर्वाचनऽखदतु // 7 // For Private And Personal Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 11 // CAREERINGACAAGRAM इमन्न’॥ इमन्नौदेवसवितर्थ्यज्ञम्प्रणयदेवाच्य सखिविर्दसत्रा / पू. अ. जितन्धनजितस्वर्जितम् // ऋचास्तोमसमर्द्धयगायत्रेणरथ / / न्तरंम्बृहदायत्रवर्तनिवाहा॥८॥देवस्यत्त्वा। सवितुप्प्रेसवेश्चि / नोर्बाहुब्भ्याम्पूष्ष्णोहस्ताब्भ्याम् // आददेगायत्रेणच्छन्दसाङ्गि है। रखत्त्पृथिच्या सुधस्त्थादुग्निम्पुरीष्ष्यमङ्गिरसदाभत्रैष्टुभेन | च्छन्दसाङ्गिरखत् // 9 // अभ्रिरसि / नायंसित्त्वाव्यमग्निः // 1 // शकेमुखनितुम्सुधस्त्थऽआ॥जागतेनुच्छन्दसाङ्गिरखत्॥१०॥ For Private And Personal Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir BACKGANGACASARAN हस्तऽआधाय / सविताबिभ्रदब्भ्रिमहिरण्ययीम्॥अग्नेयोति / निचायपृथिच्याऽअद्याभरदानुष्टुभेनच्छन्दसाङ्गिरखत्॥११॥ [11] प्रतूर्त्तवाजिन्॥प्रतूर्त्तवाजिन्नावरिष्ठमानुसंवतम् ॥दि / वितेजन्मपरममन्तरिक्षेतवनाभि:पृथिव्यामधियोनिरित्।१२। युञ्जाथारासंभम् // युञ्जाथारासभंय्युवमस्म्मिन्यामवृषण्ण्व / सू॥ अग्निम्भरन्तमम्मयुम्॥१३॥योगैयोगेतवस्तरम्॥योगेयो गेतवस्तरंबाजेवाजेहवामहे ॥सायऽइन्द्रमतये॥१४॥तृर्छन्ने है। ****** *** For Private And Personal Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मी हिडीहिस्वस्तिगण पथिध्या सबमिपुरीप्प्यमामध्यद | // 82 // *HAKAA**454 हिं॥प्रतृर्छन्ने वामन्नशस्तीरुद्रस्यगाणपत्त्यम्मयोभूरेहि // उर्छ / न्तरिक्षंबीहिस्वस्तिर्गध्यूतिरभयानिकृण्वन्पुष्ष्णासयुजोसुहा१५॥ पृथिव्याश्सधस्त्थात् // पृथिच्याश्सधस्त्थोदुग्निम्पुरीष्ष्यमङ्गि / रखदाभराग्निम्पुरीष्ष्यमङ्गिरखदच्छेमोग्निम्पुरीष्ष्यमगिरख इरिष्प्यामई ॥१६॥अन्वग्निः ॥अन्व॒ग्निरुपसामग्घुमक्ख्यद वहानिप्प्रथमोजातवैदाउं // अनुसूर्य्यस्यपुरुत्राचश्म्मीननुद्या // 2 // वापृथिवीऽआतंतंथ॥१७॥ आगत्त्यबाजी // आगत्त्यबाज्यद्धान For Private And Personal Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandi सर्वामृधोबिधूनुते॥ अग्नि सुधस्त्थैमहुतिचक्षुपानिचिकीपते / // 18 // आक्रम्म्यवाजिन्॥ आक्रम्म्यवाजिन्पृथिवीमग्निमिच्छरु / चात्त्वम्॥ भूम्म्यावृत्त्वायनोब्रूहियतऽखनैमतंवयम्॥१९॥ द्यौ / दस्तै / पृष्टम्पृथिवीसुधस्त्थमात्मान्तरिक्षन्समुद्रोयोनिः // वि ख्यायचक्षुपात्त्वमभितिष्ठपृतन्यतः॥२०॥ उत्क्राम। महुतेसौ / भगायास्म्मादास्त्थानाद्रविणोदावोजिन् // यस्यामसुमतौ / / थिध्याऽअग्निङ्खनन्तऽउपस्थैअस्याई॥२१॥उदक्रमीत् // उदक RORSCOACROSSACROCACANCE For Private And Personal Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit संहि. // 83 // RECRUR मीद्रविणोदावाज्याकडसुलोक-सुकृतम्पृथिव्याम् // ततःखने पू. अ. मसुप्प्रतीकमग्निस्वोरुहोणाऽअधिनाकमुत्तमम्॥२२॥आत्त्वा।। जिघमिमनसाघृतेन प्रतिक्षियन्तम्भुवनानिविश्वा // पृथुन्तिर चाबयसाबृहन्तध्यचिष्ट्रमन्नैरभसन्दृशानम्॥२३॥आविश्वतः। प्प्रत्त्यञ्चजिघर्ग्यरक्षसामनसात पेत॥मयं श्रीस्पृहयवर्णोऽ। अग्नि भिमृशैतन्याजन् राण // 24 // परिवाजपति // परि // 83 वाजपतिऽकविरग्निर्ह घ्यान्यक्रमीत्॥दधुद्रत्नानिदाशुखे॥२५॥ A LCALCAST For Private And Personal Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir MARACCOLLAGACASSES परित्वा / ग्नेपुरैवयंविष्णसहस्यधीमहि // धृषवर्णन्दुिवेदिवेह / न्तारम्भङ्गुरावताम्॥२६॥ त्वम॑ग्ने। धुभिस्त्वमाशुशुक्षणिस्त्वम / यस्त्वमरम्म॑नस्प्परि॥ त्वंबनभ्यस्त्वमोषधीब्भ्यस्त्वन्नणान्नपते / जायसेशुचिः॥२७॥[१६]देवस्य॑त्त्वा। सवितुप्प्रेसवेश्विनौर्वा | हुब्भ्याम्पुष्णोहस्ताब्भ्याम् // पृथिच्यासुधस्त्वादुग्निपुरीष्ष्य / मङ्गिरखत्खनामि॥ज्योतिष्म्मन्तन्त्वाग्नेसुप्प्रतीकमजस्रणभा / नुनादीर्घतम् // शिवम् जाब्भ्योहि सन्तम्पृथिव्यासुधस्त्याद For Private And Personal Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit पू. अ. : // 84 // ग्निम्पुरीष्ष्यमङ्गिरस्वत्त्वनाम // 28 // अपाम्पृष्ठम्॥ अपाम्पृष्ठ मसियोनिग्नेश्समुद्रमभितुपिन्व॑मानम् // बर्द्धमानोमुहाँ। आचपुष्करेदिवोमात्रयाबरिम्म्णाप्पथख ॥२९॥शर्मच॥ शम्म चस्त्थोवर्मंचस्त्थोछिद्रेबहुलेऽउभे // ध्यचखतीसंवसाथाम्भृत / / मग्निम्पुरीष्ष्यम् ॥३०॥संबैसाथाम् // संव्वसाथास्वर्विदोसुमी चीऽउरसात्क्मनो॥अग्निमन्तब्éरिष्य्यन्तीज्योतिष्म्मन्तमज // 4 // सुमित् // 31 // पुरीष्ष्योसि / विश्वभराऽअर्थर्वात्त्वाप्प्रथमोनिर / For Private And Personal Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandit मन्थदग्ने॥ त्वामैग्नेपुष्करादयनिरमन्थत // मुर्नोविश्वस्य / बाघतः // 32 // तमुत्त्वा। दुयङ्कषि पुत्रऽईधेऽअर्थर्वण // वृत्रह णम्पुरन्दुरम्॥३३॥ तमुत्त्वा / पात्थ्योवृषासमीधेदस्युहन्तमम्॥ धनञ्जय रणैरणे॥३४॥ सीदहोत // सीदहोतस्वऽउलोकेचि / / कित्वान्त्सादायज्ञम्सुकृतस्युयोनौ // देवावी?वान्हविायजा / स्यग्ग्नेबृहद्यज॑मानेबयोधाः // 35 // निहोतो / होतृपदनेविदान / स्त्वेषोदीदिवाँ२ ऽअसदत्सुदक्षः॥ अदबुतप्प्रमतिर्वसिष्ठांसह For Private And Personal Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aragten Kindra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 11 // सम्भरश्शुचिजिह्वोऽअग्निः // 36 // सम्सीदख // सन्सीदखम पू. अ. हाँ२ असिशोचखदेववीतम; // विधूममग्नेऽअरुषम्मियेद्यसृज है। प्रशस्तदर्शतम् // 37 // [10] अपोदेवी३॥ अपोदेवीरुपसृजमधु मतीरयुक्ष्माय जाब्भ्यः॥तासामास्त्थानादुजिहतामोषधयां / सुपिप्पला३ // 38 // सन्तै। वायुर्मांतरिश्चादधातृत्तान्नायाहृदयं व्यद्द्विकस्तम्॥योदेवानाञ्चरसिप्पाणथैनुकस्म्मैदेववर्षडस्तुतुब्भ्य // 5 // म् // 39 // सुजातोज्ज्योतिषा। सुहशर्मवरूथुमासदुत्त्स्वः // वा है। For Private And Personal Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सोऽअग्नेब्विश्वरूपसंध्ययखविभावसो // 40 // उर्दुतिष्ट्र / खद्ध रावानोदेव्याधिया // दृशेचभासाहतासुशुक्वनिराग्ग्नेयाहिसुश स्तिभिः॥४१॥ ऊर्द्धऽऊपुणः // ऊर्द्धऽऊपुणेऽऊतयेतिष्ठादेवोन सविता॥ऊोबार्जस्यसनितायदुञ्जिभियंघद्भिर्बिह्वयामहे॥४२॥ सजात॥सजातोग असिरोदस्योरग्नेचारुर्विभृतऽओषधीषु॥ चित्रशिशुपरितमास्युक्तून्प्रमातृभ्योऽअधिकनिऋदगाई॥ // 43 // स्त्थिरोभव / बीडङ्गऽआशुभववाज्यन् // पृथु वसुप SAGACAKACAKACCICAKAKAM For Private And Personal Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhane Kendra Acharya Shri Kalphagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org संहि. // 86 // दुस्त्वमुग्ने पुरीषवाहण // 44 // शिवोभव / प्रजाब्भ्योमानुपी है। पू.अ. भ्यस्त्वमगिर // माद्यावापृथिवीऽअभिशौचीमान्तरिक्षम्मा / है वनस्पतीन् // 45 // प्रैतु। वाजीकनिऋदुन्नानदुद्दासमुत्पत्वा // भरनग्निम्पुरीष्ष्यम्मापाद्यायुपत्पुरा // वृषाग्निम्वृषणम्भरन्नपाङ्ग भन्समुद्रियम्॥ अग्नऽआयोहिव्वीतये॥४६॥ ऋतसत्त्यमृतक सत्यमग्निम्पुरीष्ष्यमङ्गिरखद्भराम ॥ओषधयप्प्रतिमोदद्धमग्नि है। मेतशिवमायन्तमब्भ्यत्रयुष्ष्माः // व्यस्युन्विश्चाऽअनिराऽअ For Private And Personal Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org SATARIABARKA मीवानिषीदन्नोऽअप॑दुर्मतिञ्जहि // 47 // ओषधयत्प्रतिाओष / धयहप्प्रतिगृभ्णीतुपुष्ष्पवतीत्सुपिप्पला? // अयंबोगर्भऽऋत्त्वि / य:प्प्रत्न सुधस्त्थमासदत् // 48 // विपाजसा। पृथुनाशोशुचा / नोबाधखविपोरक्षसोऽअमीवा // सुशर्मंणोबृहतशम्मणिस्या / मग्नेरहम्सुहवस्यप्प्रणीतौ // 49 // [12] आपोहि / ष्ठामयोभुव / स्तानऽऊर्जेदधातन॥महेरैणायचक्षसे॥५०॥यो।शिवतमोर 3 सस्तस्यभाजयतेहनः॥ उशतीरिवमातरः॥५१॥तस्म्माऽअरम् / / For Private And Personal Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandit संहि. तस्म्माऽअरङ्गमामवोयस्युक्षयायुजिन्वथ // आपोजनयथाचनः | ॥५२॥मित्रसुत्सृज्य। पृथिवीम्भूमिञ्चज्योतिपासह॥सुजातजा है। तवैदसमयक्ष्मायत्त्वाससृजामिप्प्रजाब्भ्यः॥५३॥ रुद्राश्सस ज्य। पृथिवीम्बृहज्योतित्समीधिरे // तेषाम्भानुरजनुऽइच्छुको है। / देवपुरोचते॥५४॥सह-सृष्टांवसुभिः // सन्सृष्टांवसुभीरुद्वैधीरैः / / कर्मण्ण्याम्मृदम् // हस्ताब्भ्याम्मृवीकृत्त्वासिनीवालीकृणोतुता // 8 // म् // 55 // सिनीवालीसुकपर्दा / सुकुरीराखौपशा // सातुब्भ्यमदि For Private And Personal Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तेमह्योखान्दधातुहस्तयोई॥५६॥ उषाकृणोतु।शक्तयाबाहुब्भ्या मदितिर्द्धिया ॥मातापुत्रंय्यथोपस्त्थेसाग्निम्बिभर्तुगर्भआ॥ / मखस्यशिरोसि // 57 // बसवस्त्वा। कृण्ण्वन्तुगायत्रेणुच्छन्दसा गिरखडुवासिपृथिव्यसिधारयामयिप्प्रजारायस्प्पोपङ्गौपुत्त्य सुवीर्यव्सजातान्यजमानायरुद्रास्त्वाकृण्ण्वन्तुत्रैष्टुभेनुच्छ नन्दसाङ्गिरखडुवास्यन्तरिक्षमसिधारयामयिप्प्रजारायस्प्पोष गौपुत्त्यव्सुवीर्य सजातान्न्यजमानायादुित्त्यास्त्वाकृण्ण्वन्तु For Private And Personal Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir प्र. अ. // 88 // ++++S+ACKGRICARAM जागतेनुच्छन्दसाङ्गिरखडुवासिद्यौरसिधारयामयिप्प्रजा राय स्प्पोषङ्गौपुत्त्य सुवीयंन्सजातान्यजमानायविश्वैत्त्वादेवाच / श्वानराश्कृण्ण्वन्त्वानुष्टुभेनच्छन्दसाङ्गिरखडुवासिदिशोसिधार यामयिप्प्रजारायस्प्पोपङ्गौपुत्यम्सुवीय॑सजातान्यजमा / नाय॥५८॥अदित्त्यैरास्ना॥अदित्त्यैरास्नास्यदितिष्ठेविलंङ्गृभ्णातु॥ कृत्त्वायुसामुहीमुखामुन्मयीय्योनिमग्नये॥ पुत्रेभ्य॒हप्पायच्छ // 8 // ददितिश्रपयानिति॥५९॥वसंवस्त्वा।धूपयन्तुगायत्रेणच्छन्दसा / For Private And Personal Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir **%%9-52- SABAICICICRORICALCUCANCH ङ्गिरुखमुद्रास्वाधूपयन्तुत्रैष्टुंभेनुच्छन्दसाङ्गिएखादित्त्यास्त्वा / धूपयन्तुजागतेनुच्छन्दसाङ्गिरखविश्वैत्त्वादेवावैश्वानराळूपय न्त्वानुष्टुभेनुच्छन्दसाङ्गिरखदिन्द्रस्त्वाधूपयतुबरुणस्त्वाधूपयतु विष्ष्णुस्त्वाधूपयतु॥६०॥[११]अदितिष्ट्वा देवीविश्वदेच्यावतीप्ट थिच्याश्सधस्त्थेऽअङ्गिरखत्खनत्ववटदेवानान्त्वापत्कीर्दैवीर्छ | श्वदेच्यावतीत्पृथिच्याश्सुधस्त्थेऽअङ्गिरखधतूखेधिपणास्त्वादे / वीव॑िश्चदेच्यावतीपृथिच्याश्सुधस्त्थेऽअङ्गिरस्वदुभीन्धतामुखेब For Private And Personal Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. अ. // 82 // RICANRAIC-ICICharter रूत्रीष्ट्वादेवीविश्वदेच्यावतीत्पृथिच्या सुधस्त्थेऽअङ्गिरखच्छृपय / पयन्तूखेऽग्नास्त्वादेवीxिश्चदेच्यावतीत्पृथिच्या सुधस्त्थेऽअङ्गि है।" रखत्पचन्तूखेजनयस्त्वाच्छिन्नपत्रादेवीव॑िश्चदेच्यावतीऽपृथि ध्यासुधस्त्थैऽअङ्गिरखत्पचन्तूखे // 61 // मित्रस्यचर्षणीधृतः॥ मित्रस्यचर्पणीधृतोवौदेवस्य॑सानुसि॥धुम्म्नञ्चित्रश्रवस्तमम्।६२। देवस्त्वा / सवितोवपतुसुपाणिश्वगुरिटसुबाहुरुतशक्तया॥अध्यं // 9 // थमानापृथिच्यामाशादिशुऽआण॥६३॥ उत्थायबृहती। भवो e st For Private And Personal Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Klepegarsuri Gyanmandir CricksCCCC दुतिष्ठढुवात्वम्॥मित्रैतान्तऽउखाम्परिददाम्म्यभित्त्याऽएपामा / भैदि॥६४॥वसवस्त्वा।च्छृन्दन्तुगायत्रेणच्छन्दसाङ्गिरस्वमुद्रा है। स्त्वाच्छृन्दन्तुत्रैष्टुभेनच्छन्दसाङ्गिरस्वादुित्त्यास्त्वाच्छ्न्दन्तु / जागतेनुच्छन्दसाङ्गिरखविश्वैत्त्वादेवावैश्वानुराऽआच्छृन्दुन्त्वा / नुष्टुभेनुच्छन्दसाङ्गिरस्वत्॥६५॥[५] आकूतिमग्निम् // आकू तिमुग्निम्प्रयुज स्वाहामनोमेधामग्निम्प्रयुज स्वाहाचित्तंवि ज्ञातमग्निम्प्रयुज स्वाहाबाचोविधृतिमग्निम्प्रयुज स्वाहाप्प For Private And Personal Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू. अ. 55- // 11 // 2SDSEISONGSTOC जापतयेमनवेस्वाहाग्नयैवैश्चानुरायस्वाहा // 66 // विश्वौदेव / स्य। नेतर्मतौबुरीतसक्ख्यम् // विश्श्वौरायऽईपुड्यतिद्युम्नंवृणीत पुष्ष्यसेवाहा // 67 // मासु / भित्त्थामासुरिपोम्बधृष्ष्णुब्बीरय / स्वसु ॥अग्निश्श्चेदङ्करिष्ष्यथ ॥६८॥दृहखदेवि। पृथिविस्व / स्तयऽआसुरीमायास्वधाकृतासि॥जुष्टुन्देवेभ्य॑ऽडुदमस्तुहच्य / मरिष्ठात्वमुर्दिहियज्ञेऽअस्म्मिन्॥६९॥छैन्नत्सपिरासुतिप्प्रत्को / // 10 // होतावरेण्यः॥ सहसस्प्पुत्रोऽअद्भुतः॥७०॥शतम्॥५००॥परस्या For Private And Personal Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir RECORRORS अधि।संवतोवराँ२ऽअब्भ्यातर॥यत्राहमस्म्मुिताँ२ऽअव॥७॥ परमस्या परावतः // परमस्याः परावतौरोहिदश्श्वऽडुहागहि // पुरीष्ष्य पुरुप्पियोग्नेत्वन्तरामृधः // 72 // यद॑ग्ने / यद॑ग्नेका है। निकानिचिदातेदारूणिदुध्ध्मसि // सर्वन्तदस्तुतेघृतन्तजुषस्वय / / विष्ठय॥७३॥ यदति॥यदत्त्युपजिविकायहम्म्रोऽअतिसर्पति॥ सर्वन्तदस्तुतेघृतन्तज्जुषस्वयविष्ठय // 74 // अहरहरप्पयावम् // अहरहरप्प्रयावम्भरन्तोश्चायेतिष्टुंतेघासमंस्म्मै ॥रायस्प्पोपेण REC52550545050515 -SC-SAMRAGG For Private And Personal Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पून अ. // 9 // 60-40CROSS- 54545645945645 समिषामदुन्तोग्नेमातेप्प्रतिवेशारिपाम॥७५॥ नाभापृथिच्या। समिधानेऽअग्नौरायस्प्पोपायबृहुतेहवामहे॥इरम्मदम्बृहदुक्थं / // 11 // व्यजत्रजेतारमग्निम्पृतनासुसासहिम् // 76 // याश्सेना // यार सेनाऽअभीत्वरीराध्याधिनीरुगणाऽउत॥येस्तेनायेचतस्करास्ताँ स्तेऽअग्नेपिदधाम्म्यास्ये॥७॥दष्ट्राभ्याम्मलिम्म्लून् ॥द ष्टाभ्याम्मलिम्म्लूऑभ्यैस्तस्कराँ२ऽउत // हनुब्भ्यास्तेनान्भ है // 91 // गवस्ताँस्त्वलादुसुखादितान् // 78 // येजनेषु / मुलिम्म्लवस्तेना ARRIGANGANAGACASS For Private And Personal Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सस्तस्करावने // येकष्ष्वघायवस्ताँस्तैदधामिजम्भयो // 79 // योऽअस्म्मभ्यम्॥योऽअस्म्मब्भ्यमरातीयाद्यश्वनोद्वेषतेजनः॥ निन्दाद्योऽअस्म्मान्धिप्प्साच्चसव॑न्तम्भस्म्मसाकुरु ॥८॥स शितम्मे॥ सर्शितम्मेब्रह्मसमर्शितंवीर्य्यम्बलम्॥सर्शितङ्घन है ञ्जिष्ष्णुयस्याहमस्म्मिपुरोहित // 81 // उदेषाम् // उदेषाम्बाहु / अतिरमुव!ऽअथोबलम् // क्षिणोमिबह्मणामित्रानुन्नयामि / खाँ२ऽअहम् // 82 // अन्नपुतेन्नस्य / नोदेह्यनमीवस्यशुष्म्मिणः॥ For Private And Personal Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. ५.अ. // 9 // // 12 // CASSOCIALSCRECORREC प्रप्नदातारन्तारिषऽऊर्जनोधेहिद्द्विपदेचतुष्ष्पदे॥ 83 // [18] इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांएकादशोऽध्यायः॥११॥श्रीवेदपुरु पायनमः॥अनुवाकसूत्रम्॥ दृशानःसप्तदशदिवस्परिद्वादशसमि है धाग्निपंचदशापेतसप्तदशासुन्वंतंत्रयोदशयाओषधीसप्तविशति / समाषोडशसप्तसप्तदशशतम् // हरिदृशानोरुक्मः // दृशा नोरुक्कमऽउर्ध्याच्यद्यौहुर्मर्षमायु:श्रियेरुचान // अग्निरमृतोऽ/ अभवद्द्यौभिर्यदैनन्धौरजनयत्त्सुरेताह // 1 // नलोपासासम प. ना // 92 // For Private And Personal Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir www.kobatirth.org नसा। विरूपेधापयतेशिशुमेकन्समीची // द्यावाक्षामारुवमोऽ अन्तर्विभौतिदेवाऽअग्निन्धारयन्द्रविणोदार // 2 // विश्वारूपा / आणि // विश्वारूपाणिप्रतिमुञ्चतेकविश्प्पासावीद्वंद्विपदेचतुष्ष्प / / दे // बिनाकमख्यत्त्सवितावरेण्यो प्रयाणमुखसोविराजति // ॥३॥सुपर्णोसिागरुत्मास्त्रिवृत्तेशिरोगायत्रञ्चक्षुर्वृहद्रथन्तरेपक्षौ। स्तोमऽआत्माच्छन्दा स्यङ्गानियजूपिनाम॥सामतेतुनाम / देच्ययज्ञायज्ञियम्पुच्छन्धिष्ण्यशिफा॥सुपर्णोसिगरुत्मान्दि / ECROCHOREOGRAMES For Private And Personal R Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kishsagarsuri Gyanmandit संहि. // 93 // वङ्गच्छस्व पत॥४॥विष्ष्णोत्क्रमः // विष्ष्णोत्क्रमौसिसपत्न। पू. अ. हागायत्रच्छन्दुऽआरोहपृथिवीमनुविक्रमस्वविष्ष्णोत्क्रमोस्य / // 12 // भिमातिहात्त्रैष्टुभञ्छन्दुऽआरोहान्तरिक्षमनुविक्रमखविष्ष्णो क्रमोस्यरातीयतोहुन्ताजागतच्छन्दुऽआरोहदिवमनुविक्रमस्व विष्ष्णोक्रोसिशत्रूयतोहुन्तानुष्टुभञ्छन्दुऽआरोहुदिशोनुवि मख // 5 // अन्ददुग्निः // अन्ददुग्निस्तुनयन्निवद्यौरक्षा मारेरहवीरुध समुजन् // सुद्यो ज्ञानोबिहीमिद्धोऽअक्ख्यदारो। For Private And Personal Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SALSASSACARALLERS देसीभानुनाभात्यंत ॥६॥अग्ग्नेब्भ्यावर्तिन // अग्नेब्भ्यावत्ति नभिमानिवर्तखायुषावर्चसाप्पजयाधनेन // सन्न्यामेधारय्या / पोषण॥७॥अग्ग्नेऽअङ्गिर / शुतन्तैसत्वावृतः सहस्रन्तऽउपा है वृतः॥अधापोपस्युपोषेणुपुनर्नोनष्टमाधिपुनर्नोरयिमाधि। Enc॥पुनरूर्जा। निवर्तस्वपुनरग्नऽडुपायुषा॥पुनर्न पाह्य हसः / // 9 // सुहय्या।निवर्त्तखाग्ग्नेपिन्व॑स्व॒धारया॥ विश्वप्प्न्यावि श्वतस्प्परि॥१०॥आत्त्वा। हार्षमन्तरभूईवस्तिष्ठाविचाचलिहा। For Private And Personal Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhane Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. 94 // विशस्त्वासावाञ्छन्तुमात्वट्ठाष्ट्रमधिभ्रशत्॥११॥उर्दुत्तमम्॥ उद्दुत्तमम्बरुणपाशमम्मदवाधर्मविमध्यमश्रथाय॥ अवय // 12 // मादित्यवतेतवानागसोऽअदितयेस्याम॥१२॥अग्नेबुहन्॥अग्ने बृहन्नुषामुर्दोऽअस्त्थानिजगन्वान्तमसोज्योतिषागात् // अ निर्भानुनारुशताखाऽआजातोविश्वासान्यप्पाः॥१३॥६ सश्शुचिषत्॥हुत्साशुचिषवसुरन्तरिक्षसद्धोतावेदिषदतिथिईरो // 14 // णसत् ॥नृषद्वैरसदृतसवयोमुसदुब्ब्जागोजाऽऋतुजाऽअद्विजाऽ। For Private And Personal Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir USAMONDOMETROOTOCOCON ऋतंबृहत्॥१४॥सीदुत्वम्॥सीदुत्त्वम्मातुरस्याऽउपस्त्थेविश्वान्य ग्नेव्वयुनानिविद्वान् // मैनान्तप॑सामार्चिषाभिशोचीरन्तरस्या शुक्रज्योतिर्विभाहि॥१५॥अन्तरग्ने।रुचात्त्वमुखायाङसदनेखे॥ तस्यास्त्वव्हरसातपञ्जातवेदशिवोभव॥१६॥शिवोभूत्त्वा।महय मग्नेअथोसीदशिवस्त्वम्॥शिवायकुत्त्वादिशुल्सर्खिय्योनिमि हासद // 17 // [17] दिवस्प्परि। प्रथमञ्जज्ञेऽअग्निरस्म्मविती / यम्परिजातवेदातृतीर्यमुप्प्सुनृमणाऽअजस्रमिन्धान एनजर / R UAAMACACAUSA REC For Private And Personal Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kiashsagarsuri Gyanmandit // 12 // तेस्वाधी? // 18 // विद्माते / अग्नेब्रेधात्रयाणिविद्मातेधामवि / / तापुरुत्रा॥विद्मातेनामपरमगुहायविद्मातमुत्संय्यतऽआजगन्थे / // 19 // समुद्रेत्त्वा / नमोऽअप्प्स्वन्तन्न॒चक्षाईधेदिवोअग्नऊध है। न्॥ तृतीयत्त्वारजसितस्त्थुिवासमुपामुपस्त्थेमहिपाऽअवर्द्धन ॥२०॥अन्ददुग्निः // अन्ददुग्निस्तुनयन्निवद्यौरक्षामारेरिह है वीरुधःसमञ्जन्॥सुद्योजज्ञानोबिहीमिद्धोऽअक्ख्यदारोदसीमा / / नाभात्यन्तः ॥२१॥श्रीणामुदार? // श्रीणामुदारोधरुणौरयो / For Private And Personal Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAMRACCESSMANGALAM णाम्मनीषाणाम्प्रार्पणत्सोमंगोपाः // वसुःसूनुश्सहसोऽअप्प्सु राजाविभात्त्यग्ग्रंऽउपसामिधानः॥२२॥विश्वस्यकेतुः ॥विश्व / स्यकेतुर्भुवनस्युगर्भऽआरोदसीऽअपृणाज्जायमानः // वीडुचि है। दद्रिमभिनत्त्परायञ्जनायग्निमयजन्तपञ्च॥२३॥ उशिवपाव कः॥ उशिवपावकोऽरतिश्सुमेधामतेष्ष्वग्निरमृतोनिधायि // इयतिधूममरुषम्भरिभ्रदुच्छुकेणशोचिषाद्यामिनक्षन् // 24 // दृशानोरुक्मः // दृशानोरुक्मऽाध्यद्यौहुर्मर्षमायुः श्रिये / / CREGARIK554-964-662- For Private And Personal Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ___www.kobatirth.org // 96 // संहिचान? // अग्निरमूतोऽअभवद्वयोभिर्यदेनुन्धौरजनयत्सुरेताः पू. // 25 // यस्तै / अद्यकृणवद्भद्रशोचेपूपन्देवघृतवन्तमग्ने॥ प्रतन्ने / // 12 // यप्प्रतरंबस्योऽअच्छाभिसुम्म्नन्देवभक्तंय्यविष्ठ // 26 // आतम् // आतम्भजसौश्श्रवसेष्वग्नऽउक्थऽउक्थुऽआभजशस्यमाने॥प्ति यसूयप्पियोऽअग्नाभवात्त्युजातेनभिनदुदुजनित्त्वै // 27 // त्त्वामैग्ने॥त्त्वाम॑ग्नेयजमानाऽअनुयून्विश्वावसुदधिरेवाऱ्यांणि तत्त्वांसुहद्रविणमिच्छमानाबृजङ्गोमन्तमुशिजोविर्वच्नुः // 28 // 5-SAMACROSESAMASEX // 96 // For Private And Personal Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ROCESCRCCESCROCONS अस्ताव्यग्निः॥अस्ताच्यग्निर्नरासुशेवैिश्वान्नरऽऋषिभित्सो मगोपा ॥अद्वेषेद्यावापृथिवीहुवेमदेवाधुत्तरयिमस्म्मेसुवीरम् // // 29 // [12] समिधाग्निम् ॥सुमिधाग्निन्दुवस्यतघृतैबोधयता तिथिम्॥ आस्म्मिन्हुच्या होतन // 30 // उर्दुत्त्वा // उदुत्त्वावि श्वेदेवाऽअग्नेभरन्तुचितिभिः // सनोभवशिवस्त्वम्सुम्पतीको / विभावसुः // 31 // प्रेत्॥ प्रेद॑ग्नेज्योतिष्म्मान्न्याहिशिवेभिरचि / भिष्वम् // बृहद्भिर्भानुभि सन्माहिसीस्तुन्वाप्प्रजा॥३२॥ IRRIGANGANAGAR For Private And Personal Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir संहि. // 9 // // 12 // COMCHANA अन्ददुग्ग्निः ॥अन्ददुग्निस्तुनयन्निवद्यौरक्षामारेरहवीरुधः पू. अ. समञ्जन् // सद्योजज्ञानोबिहीमिद्धोऽअक्ख्यदारोद॑सीभानुनाभा त्यन्त॥३३॥ प्रप्रायम्॥प्रप्रायमग्निर्भरतस्यशृण्वेवियत्सूर्यो / नरोचंतेवृहद्भार ॥अभियपूरम्पृतनासुतस्त्थौदीदायदैव्योऽअति / थिक्षशिवोन ॥३४।आपोदेवीलाआपोदेवीप्पतिगृभ्ण्णीतभस्म्मै / तत्स्योनेणुद्धसुरभाऽउलोके // तस्म्मैनमन्ताञ्जनयत्सुपत्नी // 17 // तेवपुत्रम्विभृताप्प्स्वेनत् // 35 // अप्प्स्वग्ने॥अप्प्स्वग्नेसधि / For Private And Personal Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ष्टवसौपधीरनुरुध्यसे॥गर्भसञ्जायसेपुनः ॥३६॥गर्भोऽअसि॥ गब् अस्योपंधीनाङ्ग वनस्पतीनाम्॥गभौविश्वस्यभूतस्या / ग्ग्नेगर्भोऽअपामसि॥३७॥ प्रसाभस्म्मना // प्रसाभस्म्मनायो / निमपश्च्चपृथिवीमग्ने // सत्सृज्यमातृभिष्ट्वज्योतिष्म्मान्पुनरा संदः // 38 // पुनरासद्य / पुनरासधुसदनमपश्च्चपृथिवीमग्ने // शेपैमातुर्य्यथोपस्त्थेन्तरस्याशिवतमः ॥३९॥पुनरूर्जा। निवे तस्वपुनरग्नऽडुपायुपा॥पुनस्पायव्हसा ॥४०॥सुहय्या। For Private And Personal Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 12 // SACROSSANESSOCCC निवर्तुस्वाग्नेपिन्वस्वधारया॥ विश्श्वप्न्याविरश्वतस्प्परि।४१॥ 3 बोधामे।ऽअस्यवचसोयविष्टमहहिष्ठस्यप्प्रभृतस्यवधावः॥पीय / तित्त्वोऽअनुत्त्वोगृणातिव्वन्दारुष्टुतन्वंवन्देऽअग्ने॥४२॥सबौधि। सूरिर्मघवावसुपतेबसुंदावन् ॥युयोयम्मद्वेपासिविश्वकर्मा , खाहा॥४३॥पुनस्त्वा ।दित्त्यारुद्राबसवत्समिन्धताम्पुनर्बमा / णोबसुनीथयज्ञैः॥ घृतेन॒न्त्वन्तन्वंबर्द्धयखसत्त्यासन्तुयजमान / स्यकामा॥४४॥[१५] अपेत॥अपेतबीतविर्चसप्तातोयेथुस्त्थपु // 98 // For Private And Personal Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir MONOCOCCORRESS राणायेचनूतना॥ अौद्यमोवसानम्पृथिव्याऽअऋन्निमम्पितरों लोकमरम्मै॥४५॥सँज्ञानमसि ।कामधरणम्मयितेकामधरणम्भू / यात् // अग्नेर्भस्म्मास्युग्नेश्पुरीषमसिचितस्त्थपरिचितऽऊर्द्ध || चितः श्रयद्धम्॥४६॥अयसअयसोऽअग्निर्यस्म्मिन्त्सोम है। मिन्द्रसुतन्दुधेजठरैवावशान॥सहस्रियम्बाज़मत्त्युन्नसप्तिक ससवान्त्सन्स्तूयसेजातवेदः // 47 // अग्नेयत् ॥अग्नेयत्तेदि / विवर्चः पृथिच्यांय्यदोषधीष्ष्वप्प्स्वायजत्र॥ येनान्तरिक्षमुर्वात For Private And Personal Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि तन्यत्त्वेषश्सभानुरर्णवोनृचक्षा॥४८॥अग्नेदुिवः ॥अग्नेदिवो पू. // 99 // अर्णमच्छाजिगास्यच्छादुवाँरऊचिपेधिष्ष्ण्याये // यारौचने / पुरस्तात्सूर्यस्ययाश्चावस्तादुपुतिष्ठन्तऽआपः॥४९॥पुरीष्ष्या / / सोऽअग्नयः / प्रावणेभिः सजोषसह // जुषन्ताय्यज्ञमद्रुहौन / मीवाऽइपोमही // 50 // इडामग्ने / पुरुद सब्सनिङ्गोश्श्शश्च / त्तम हव॑मानायसाध // स्यान्न: सूनुस्तनयोविजावाग्ग्नेसातेसुम / / तिर्भूत्त्वस्म्मे // 51 // अयन्तै॥अयन्तेयोनिऋत्त्वियोयतोयातो AMROSAROG // 19 // For Private And Personal Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shi Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ऽअरौचथाः ॥तञ्जानन्नग्न आरोहाानोबर्द्धयारयिम् // 52 // चिदसि ॥चिदसितादेवतयाङ्गिरखडुवासीदपरिचिदसितादे / वतयाङ्गिर खङवासीद // 53 // लोकम्घृण / च्छिद्रम्पृणाथोसीदछ / वात्त्वम् ॥इन्द्राग्नित्त्वाबृहस्पतिरम्मिन्न्योनावसीपदन्॥५४॥ ताऽअस्य / सूददोहसत्सोमश्रीणन्तिपृश्न्नय: // जन्मन्देवानां / विशस्विष्ष्वारीचनेदुिवः // 55 // इन्द्रंविश्वाः // इन्द्रंविश्वाऽअ. वीवृधन्त्समुद्रध्यचसङ्गिरः // रथीतमरथीनांबाजानासत्प For Private And Personal Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 10 // CAMERASACASTESCAMER तिम्पतिम् ॥५६॥समितम्॥समितसङ्कल्प्पेथासम्प्रियौरोचि . पू. अ. ष्ष्णूसुमनुस्यमानौ॥इषमूर्जमभिसंबसानौ ॥५७॥संवाम्॥संवा | // 12 // म्मासिसंबतासमुचित्तान्न्याकरम् // अग्नैपुरीष्ष्याधिपाभव है वन्नऽइपमूर्जय्यजमानायधेहि // 58 // अग्नत्त्वम् ॥अग्नत्त्वम्प / राष्ष्योरयिमान्मुष्टिमाँ२ऽअसि॥शिवात्कृत्त्वादिशुल्सल्विंय्यो / निमिहासदह॥५९॥ भवतन्नः // भवतन्नल्समनसौसचेतसावरेप // 10 // सौ // मायज्ञ हिसिष्टुम्मायुज्ञपतिज्जातवेदसौशिवौभवतमद्य / For Private And Personal Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir न’॥६०॥मातेवपुत्रम् ॥मातेवपुत्रम्पृथिवीपुरीष्ष्यमग्निखे / / योनावभारुषा // तांविश्चैर्देवैर्ऋतुभिःसंविदानप्प्रजापतिर्विश्च / / कर्माविमुञ्चतु॥६१॥[७] असुन्वन्तमयजमानम् ॥असुन्वन्त / / मयजमानमिच्छस्तेनस्येत्यामन्विहितस्करस्य॥अन्यमुस्म्मदि / इच्छसातऽइत्त्यानमौदेविनिर्ऋतेतुब्भ्यमस्तु ॥६२॥नमत्सुतैनिक्र , तेतिग्मतेजोयुस्म्मयंविघृताबन्धमेतम् // यमेनत्त्वंय्यम्म्यासंवि दानोत्तमेनाकेऽअधिरोहयैनम् ॥६३॥यस्यास्ते। घोरऽआस हो / For Private And Personal Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू. अ. // 10 // संहि. इम्म्येषाम्बन्धानामवसर्जनाय ॥यान्त्वाजनोभूमिरितिप्प्रमदन्ते नितिन्त्वाहम्परिवेदव्विश्चतः ॥६४॥यन्तैदेवीनितिराबबन्ध // 19 // पाशवीवाखविवृत्त्यम्॥तन्तेविष्ष्याम्म्यापोनमध्यादथैतम्पितु / मद्धिप्प्रसूतः॥नमोभूत्त्यैयेदञ्चकार॥६५॥निवेशनत्सुङ्गमन // निवेशनल्सङ्गमनोवसूनांविश्वारूपाभिचष्टेशचीभिः॥देवऽईवस / वितासुत्त्यधर्मेन्द्रोनतस्त्यौसमरेपथीनाम् ॥६६॥सीरीयुञ्जन्ति। ten कवयोयुगावितन्वतेपृथक् // धीरादेवेपुसुम्नया॥६७॥ युनक्तुसी For Private And Personal Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ACACANCAMSACSCR54AR रा // युनक्तुसीरावियुगातनुद्धङ्कृतेयोनौवपतेहबीजम्॥गिराच श्रु ष्टिासभराऽअसैन्नीनेदीयुऽइत्त्सुण्य पक्कमेयात् // 68 // शुनसु।। फालाविकृपन्तुभूमि शुनवीनाशोऽअभियन्तुबाहै? ॥शुनासी / राहविषातोशमानासुपिप्पलाऽओपंधीत्कर्त्तनासम्मे // 69 // घृते / नसीतां ॥घृतेनुसीतामधुनासमज्यतांविश्चैर्देवैरनुमतामरुद्भिः॥ है ऊर्जखतीपयसापिन्वमानास्म्मान्त्सीतेपर्यसाब्भ्याववृत्व।७०॥ लाङ्गलम्पवीरवत् // लाङ्गलम्पवीरवत्त्सुशेवन्सोमपित्सरु // तदु For Private And Personal Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir S संहि. पू. अ. // 102 // // 12 // GURUSALAMA पतिगामविम्प्रफर्म्यञ्चपीवरीम्प्रस्त्थावद्र्थवाहणम् ॥७१॥काम है। कामदुघे / धुक्ष्वमित्रायवरुणायच ॥इन्द्रायाश्विब्भ्याम्पूष्ष्णेप्प्र जाब्भ्यऽओषधीब्भ्यः // 72 // विमुच्यद्धम् ॥विमुच्यद्धमग्न्यादे वयानाऽअर्गन्मतमसस्पारमस्याज्योतिरापाम।७३।सजूरब्दः॥ सजूरब्दोऽअयवोभित्सजूरुषाऽअरुणीभिः // सुजोषसावुश्विना है। दसौभित्सजूसूर एतशेनसर्वैश्वानर ऽइडयाघृतेनखाहा // // 10 // 74 // [13] याऽओषधी॥याऽओषधीत्पूर्वाजातादेवेभ्यस्त्रि HARMACOCALCANORCAMERICOREOGA For Private And Personal Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir युगम्पुरा // मनैनुबब्भ्रूणामहशतन्धामानिसप्तच॥७५॥शतं / / ॥शुतंवोऽअम्बधामानिसहस्रमुतवोरुहः // अधाशतक्रत्त्वो है। यूयमिमम्मेऽअगुदङ्कत // 76 // ओषधीहप्प्रति। मोदछम्पुष्ष्पव / / तीप्रसूवरील॥अर्थाऽइवसजित्त्वरी/रुधःपारयिष्ष्ण्वः // 7 // ओषधीरिति / मातरस्तह्रौदेवीरुपब्रुवे // सुनेयमश्चङ्गाबासऽआ त्म्मानन्तवपूरुष ॥७८॥अश्वत्थेवः // अश्वत्थेवौनिषद॑नम्पुर्णे वोत्वसुतिष्कृता॥ गोभाजुइकिलासथयत्सुनवथपूरुपम्॥७९॥ For Private And Personal Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 103 // // 12 // संहि. यत्रौपंधी। समग्रमंतराजानल्समिताविव // विष्प्रत्सऽउच्यतेभि / पक्षोहामीवचातनः // 80 // अश्वावती सोमावतीम् ॥अश्वा वतीसोमावतीमूर्जयन्तीमुदौजसम् // आवित्सिसर्वाऽओषधी रस्म्माऽअरिष्टतातये // 81 // उच्छुष्मा // उच्छुष्म्माऽओषधी नाङ्गावोगोष्टादिवेरते॥ धनन्सनिष्ष्यन्तीनामात्त्मानन्तवपूरुष / // 82 // इष्कृति म / वोमाताथोयूयस्त्थुनिष्कृती // सीरा 103 // पतत्रिणीस्त्थनयदामयतिनिष्कृय // 83 // अतिविश्वौ / परिष्टा / PC-%A5%E5% For Private And Personal Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir स्तेनऽईवजमक्रमुः // ओषधी पाचुच्यवुर्यत्किञ्चतन्योरप / En84 // यदुिमा३॥ यदिमावाजयन्नुहमोषधीर्हस्तंऽआदुधे ॥आ। क्मायक्ष्मस्यनश्यतिपुराजीवगृभौयथा // 85 // यस्यौषधीम।प्प सर्पथाङ्गमम्परुष्ष्परुः॥ ततोयक्ष्मंश्विबोधद्धऽउग्ग्रोमद्यमशी रिव॥८६॥साकंय्यक्ष्म // साकंय्यक्ष्मप्रपतचाणकिकिदीविन साकंवातस्युड्राज्यासाकन्नश्यनिहाया // 87 // अन्न्याव’॥अ न्यावोऽअन्यामवत्त्वन्न्यान्यस्याऽउपावत॥ताश्सा संविदाना 55554545 54545454555 For Private And Personal Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 104 // // 12 // संहि- इदम्मेपावतावचः ॥८८॥याश्फुलिनी // याफुलिनीऱ्या/पू.अ. अफलाऽअपुष्ष्पायाचपुष्ष्पिणी // बृहस्पतिप्प्रसूतास्तानौमु / चन्त्वन्हसमा८९॥मुञ्चन्तुमा / शपुत्थ्यादथौवरुण्यादुत॥अथों है। यमस्युपड्डीशात्सर्वसम्मादेवकिल्बिषात्॥९०॥अवपतन्तीरवदन्॥ अवपतन्तीरवदन्दुिवऽओषधयुस्प्परि॥यञ्जीवमन्नामहैनसरि / ष्ष्यातिपूरुषः // 91 // याऽओषधी॥याऽओषधीत्सोमराज्ञीब है। ह्वीश्शतविचक्षणातासामसित्त्वमुत्तमारङ्कामायुशन्हुद।९२॥ REOSCAMKARANAMA // 10 // For Private And Personal Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org www.kobakit.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir याऽओषधीलायाऽओषधील्सोमराज्ञीर्विष्टितात्पृथिवीम ॥बृह स्प्पतिप्प्रसूताऽअस्यैसन्दत्तवीर्य्यम् // 93 // याश्च ॥याच्चेदमुप है। शृण्वन्तियाचदुरम्परागता ॥सर्वा सङ्गत्यवीरुधोस्यैसन्दत्तबी य॑म्॥९४॥ मावः॥ मावौरिषत्त्खनितायस्म्मैचाहङ्खनामिवता विपाच्चतुष्ष्पादुस्म्माकुत्सर्वंमस्त्वनातुरम् ॥९५॥ओषधयत्सम्॥ ओषधयुत्समवदन्तसोमेनसुहराज्ञा // यस्म्मैकुणोतिबामणस्त / राजन्पारयामसि // 96 // नाशयित्रीबलासस्यासिऽउपुचिताम / / For Private And Personal Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 105 // // 12 // 360-900CROCOC45455G सि // अथौशतस्ययक्ष्माणाम्पाकारोरसिनाशनी॥९७॥त्वाङ्गन्ध / हा? // त्वाङ्गन्धर्वाऽअखनूंस्त्वामिन्द्रस्त्वाम्बृहस्प्पतिः॥त्वामा / / / पधेसोमोराजाविद्वान्न्यक्ष्मादमुच्यत॥९८॥सहखमे॥सहखमेऽ / अरातीत्सहखपृतनायुतः // सहस्वसंवैपाप्मानसहमानास्योषधे / // 99 // दीर्घायुस्ते॥दीर्घायुस्तऽओषधेखनितायस्म्मैचत्त्वाखना / म्यहम्॥अोत्त्वन्दीर्घायुर्भूत्त्वाशुतवल्शाविरोहतात॥१०॥ // 105 // त्वमुत्तुमा / स्योषधेतववृक्षाऽउपस्तयः // उपस्तिरस्तुसोस्म्माकं / For Private And Personal Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir *SAMROSAROKAR+x य्योऽअस्म्माँ २ऽअभिदासति // 101 // [27] मामाहिब्सीज| नितायपृथिच्यायोवादिवसत्यधर्माच्या ट्यच्चापश्चन्द्रा प्रथमोजजानुकस्म्मैदेवार्यहविषाविधम॥१०२॥ अब्भ्यावर्त / ख। पृथिवियुज्ञेनुपय॑सासह ॥बुपान्तेऽअग्निरिषितोऽअरोहत् // 103 // अग्नेयत् // अग्नेयत्तशुक्रंय्यचन्द्रंय्यत्पूतंय्यच्चयुज्ञिय / म् // तद्देवेभ्योभरामसि // 104 // इषमूर्जम् // इषमूर्जमहमितऽ / आदमृतस्युयोनिम्महिपस्यधाराम् ॥आमागोषुविशुत्त्वातुनूपुज For Private And Personal Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 7. संहि. // 106 // // 12 // TAGRAMROSAGARMA हामिसेदिमनिरामीवाम्॥१०५॥ अग्नेत // अग्नेतवश्श्रोत है। योमहिभ्राजन्तेऽअर्चयोविभावसो // बृहभानोशवसावामु / क्थ्यन्दासिदाशुषेकवे॥१०६॥ पावकवर्चाशुक्रवर्चा // पाव कवर्चाशुक्रव, अनूनवर्चाऽउदियर्षिभानुना // पुत्रोमातर्रावि चरन्नुपावसिपृणक्षिरोदसीऽभे॥१०७॥ ऊर्जीनपात्॥ ऊर्जान पाजातवेदसुशस्तिभिर्मन्दखधीतिभिर्हितः॥त्वेऽइपसन्दधु / 106 // भूरिवर्णसश्चित्रोतयोब्बामजाता ॥१०८॥डुरज्यन्नग्ने / प्पथ / / For Private And Personal Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir यखजन्तुभिरस्म्मेरायोऽअमर्त्य // सदर्शतस्यवपुषोविराजसिप णक्षिसानसिङ्घर्तुम् // 109 // इष्कु रमद्धरस्य॑ // इष्क रमद्धर इस्युप्पचैतसङ्क्षय॑न्तराधसोमहः // रातिबामस्यसुभगोम्महीमिष हिन्दधासिसानुसि रयिम् ॥११०॥ऋतावानम्महिषं / विश्वदर्शत मग्निम्सुम्नायदधिरेपुरोजना॥श्रुत्कर्ण सुप्पथस्तमन्त्वागिरा है देव्यम्मानुपायुगा॥१११॥ आप्प्यायस्व / समैतुतेविश्वतःसोम / / वृष्ष्ण्यम् // भवाबाजस्यसङ्गुथे // 112 // सन्तै॥ सन्तुपयोसि RECADAMAUSAMSANSAMMADS For Private And Personal Page #416 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 107 // CONNOCOCCALCAREER समयन्तुबाजाल्संवृष्ष्ण्याच्यभिमातिषाहः // आप्प्यायमानोऽ अमृतायसोमदिविश्वास्युत्तमानिधिष्ष्व ॥११३॥आप्प्याय // 12 // ख॥मदिन्तमसोमविश्वेभिरहशुभिः // भवानसुप्पथस्तमत्सर खोवृधे॥११४॥ आते। त्सोमनोयमत्परमाचित्सधस्त्थात् // अग्नत्त्वाकामयागरा॥११५॥ तुब्भ्युन्ताः // तुब्भ्यन्ताऽङ्गि / रस्तमविश्वासुक्षितयत्पृथक् ॥अग्नेकामाययेमिरे // 116 // अ, ग्निप्रियेषु॥ अग्निप्रियेषुधामसुकामौभुतस्यभच्य॑स्य॥सम्म्रा / ॐ॥१०७॥ For Private And Personal Page #417 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir AKARKICHARREARS डेकोविराजति॥११७॥[१६] इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांद्वाद है। शोऽध्यायः॥१२॥श्रीवेदपुरुषायनमः॥अनुवाकसूत्रम् // मयि / गृह्णामिपंचदशध्रुवासिमधुबाताएकादशकौसम्यक्स्रवंतिनवेमं / मापडपांत्वैकाऽयंपुरःपंचसप्ताष्टापंचाशत्॥मयिगृह्णामि ॥मयि / / गृह्णाम्म्यग्ग्रेऽअग्निब्रायस्प्पोपोयसुप्पजास्त्वायसुवीर्य्यायामा / मुंदेवतात्सचन्ताम् ॥१॥अपाम्पृष्ठम् ॥अपाम्पृष्ठमंसियोनिग्ग्नेश समुद्रमभितलपिन्व॑मानम् // बर्द्धमानोमहाँ२ ऽआचपुष्करेडिवो For Private And Personal Page #418 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू. अ. // 108 // संहि.मात्रयाबरिम्म्णाप्पथख // 2 // ब्रह्मयज्ञानम् // ब्रह्मयज्ञानम् / थमम्पुरस्ताद्विसीमत सुरुचौव्वेनऽआव // सबुध्ध्याऽउपमा हूँस्यविष्ठाश्सतच्चयोनिमसतच्चविः॥३॥हिरण्यगर्भसमवर्त्त / / ताग्ग्रेभूतस्यजातश्पतिरेकऽआसीत् ॥सदोधारपृथिवीन्द्यामुतेमा / है स्म्मैदेवायहुविषाविधेम // 4 // द्रुप्प्सच्चस्कन्द / पृथिवीमनुद्या / / मिमञ्चयोनिमनुयच्चपूर्वः // समानंय्योनिम सञ्चरन्तन्द्रप्प्स | // 10 // जुहोम्म्य सप्तहोत्रांस॥५॥नमौस्तु।सर्पेभ्योयेकेचपृथिवीम // K+BOLLAGACASSAGE For Private And Personal Page #419 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir S ALARSANSCRECORDC येऽअन्तरिक्षेयेदिवितेब्भ्य: सर्पेभ्योनमः // 6 // याऽइपवः // याऽइपवोयातुधानानांय्येवावनस्पती 1 रनु // येवावटेपुरते तेभ्य: सर्पेभ्योनमः // 7 // येवा / मीरोचनेदिवोयेवासूयं / स्यरश्म्मिपुं // येषामुप्प्सुसदस्कृतन्तेब्भ्य: सर्पेभ्योनमः // 8 // / कृणुष्ष्वपाजः // कृणुष्ष्वपाजल्प्प्रसितिन्नपुत्थ्वींय्याहिराजेवाम वाँ 2 ऽइभेन // तृष्ष्वीमनुष्प्रसितिन्द्रूणानोस्तासिविद्यरक्षसस्त / पिष्ठैः // 9 // तवभ्रमास // तवभ्रमासऽआशुयापैतन्त्यनुस्ट SELECRUARERAGAUR For Private And Personal Page #420 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit संहि. पू. अ. // 109 // SCORECAMER शपताशोशुंचानतपूष्यग्नेजुह्वापतङ्गानसन्दितोविजा विष्ष्वगुल्काः // 10 // प्रतिस्प्पशः॥प्रतिस्प्पशोविसृजतूर्णिणत / मोभापायुर्बिशोऽअस्याऽअदब्ध // योनौदूरेऽअघशब्सोयोऽ। अन्त्यग्ग्नेमाकिष्टेयथिरादधीत् // 11 // उदग्ने। तिष्ठप्प्रत्यात है। नुष्ष्वन्य मित्रौ२ऽओपतातिग्ग्महेते // योनोऽअरातिब्समिधा / / शनचक्रेनीचातन्धक्ष्यतसन्नशुष्कम् // 12 // ऊोभव // ऊोभ / // 109 // वप्प्रतिविद्ध्यायुस्म्मदाविष्कृणुष्ष्वदैान्यग्ग्ने // अवस्थुिरातनु / SECRECAREEREMOADCASGADGAOCALK -03-05-29-4 For Private And Personal Page #421 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kasagarsur Gyan ang RECACOCRACRECORRENCY हियातुजूनाजामिमजामिम्प्रमृणीहिशत्रून् // अग्नेष्ट्वातेजसासा दयामि॥१३॥अग्निर्मूर्द्धा / दिवश्ककुत्त्पतिः पृथिध्याअयम् // अपारेतासिजिन्वति // इन्द्रस्युत्त्वौजसासादयामि // 14 // भुवोयज्ञस्य॑ // भुवोयज्ञस्यरजसच्चनेतायत्रीनियुद्भित्सर्चसेशि / वाभिः // दिविमानन्दधिषेस्वर्षाजिह्वाम॑ग्नेचकृपेहव्यवाहम् / // 15 // [15] ध्रुवासि / धुरुणास्तृताविश्वकर्मणा // मात्त्वा है। समुद्रऽउद्वैधीन्मासुपर्णोथमानापृथिवीन्दृन्ह // 16 // पूजा है। For Private And Personal Page #422 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. // 110 // // 13 // पतिष्ट्वा / सादयत्त्वपाम्पृष्ठेसमुद्रस्येमन्॥ व्यचखतीम्प्रथखतीम्प थखपृथिध्यसि // 17 // भूरसि // भूरसिभूमिरस्यदितिरसिविश्व / धायाविश्वस्यभुवनस्यधीं॥ पृथिवींय्यच्छपृथिवीन्दृष्हपृथिवी म्माहिंन्सीह॥१८॥विश्वस्म्मैप्प्राणाय // विश्वस्म्मैप्प्राणायापा, नायच्यानायोदानायप्प्रतिष्ठायैचरित्राय // अग्निष्वाभिपातुमया / स्वस्त्याच्छर्दिषाशन्तमेनतयादेवतयाङ्गिरखडुवासीद // 19 // काण्डोत्काण्डात्मरोहन्ती / परुपल्परुपस्प्परि // एवानौटूर्वेप्प्रतनु / नसावा॥ // 110 // For Private And Personal Page #423 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir -9 AUCRACTICALORAMACHAR सहस्रेणशतेनेच // 20 // याशतेन / प्रतनोषिसहस्रेणविरोहसि // तस्यास्तदेवीष्टकेविधेमहविषाव्यम्॥२१॥ यास्तै।ऽअग्नेसूर्ये / रुचोदिवमातन्वन्तिरश्म्मिभिः ॥ताभिन्नॊऽ अद्यसर्वांभीरुचेज है। नायनस्कृधि॥२२॥ यावः // यावौदेवात्सूर्येरुचोगोष्ष्वश्वेषु यारुचः॥इन्द्राग्नीताभित्सर्वांभीरुचन्नोधत्तबृहस्प्पते // 23 // विराङ्योति: // विराडयोतिरधारयत्स्वराड्योतिरधारयत् // प्रजापतिष्ट्वासादयतुपृष्ठेपृथिव्याज्योतिष्म्मतीम् // विश्वस्म्मैप्पा For Private And Personal Page #424 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandie 1. अ. // 13 // संहिणायौपानायच्यानायुविश्वज्योतिर्य्यच्छ ॥अग्निष्ट्रेधिपतिस्तया / / // 111 // देवतयाङ्गिरखडुवासीद॥२४॥ मधुश्च्च // मधुच्चमाधवच्चबास / न्तिकावृतूऽअग्नेरन्तहलेषोसिकल्प्पैतान्द्यावापृथिवीकल्प्पन्ता / मापुऽओपंधयुत्कल्प्पन्तामग्नयत्पृथुममज्यैष्ठ्ठयायसव्रता // येऽअग्नयत्समैनसोन्तराद्यावापृथिवीऽइमे // वासन्तिकावृतूऽ / भिकल्पमानाऽइन्द्रमिवदेवाऽअभिसंविशन्तुतयादेवतयाङ्गिर 6 // 11 // खडुवेसीदतम् // 25 // अपांढासि ॥अोढासिसहमानासहखारा CREAM-56515 For Private And Personal Page #425 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तीसहखपृतनायुतः // सहस्रवीर्य्यासिसामाजिन्व॥२६॥[११] मधुबाता // मधुबातोऽऋतायतेमधुक्षरन्तिसिन्धवः॥मादीन / सन्त्वोपंधी // 27 // मधुनक्तम् // मधुनक्तमुतोपसोमधुमत्पार्थि / वहरजः ॥मधुधौरस्तुनलपिता ॥२८॥मधुमान // मधुमानोव नस्पतिर्मधुमाँ 2 अस्तुसूयं ॥माध्वीर्गावोभवन्तुनः // 29 // अपाङ्गम्भन् // अपाङ्गम्भन्त्सीदुमात्त्वासूर्योभिताप्प्सीन्माग्नि / / वैश्वानरः॥अच्छिन्नपत्रात्पुजाऽअनुवीक्षखानुत्त्वादिच्यावृष्टिः / / SAMACAREELCACAMAK For Private And Personal Page #426 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू.अ. // 11 // COLOCALGAONISARGICAR सचताम् // 30 // त्रीन्समुद्रान् // त्रीन्समुद्रान्त्समैसृपत्स्वर्गा नपाम्पतिवृषभऽइष्टकानाम् // पुरीषूबसानत्सुकृतस्यलोकेत–ग इच्छयत्रपूर्वेपरेता॥३१॥ महीद्यौपृथिवीचनऽइमंत्र्युज्ञम्मिमि क्षताम् // पिपृतान्नोभरीमभिदं // 32 // विष्ष्णोत्कम्माणि / पश्य , तयतोत्रुतानिपस्पशे // इन्द्रस्ययुज्यत्सखा ॥३३॥ध्रुवासि / धुरु / णेतोजज्ञेप्रथममेभ्योयोनिब्भ्योऽअधिजातवैदा // सगायत्र्या ! // 12 // त्रिष्टुभानुष्टुभाचदेवेभ्योहव्यवहतुप्प्रजानन्॥ 34 // हुपेराये / / For Private And Personal Page #427 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAMACHARCOSMSASA रमस्वसहसेद्युम्नऽऊर्जेऽअपत्त्याय // सम्मासिस्वराडसिसार स्वतौत्वोत्सौप्पावताम् // 35 // अग्नेयुक्ष्व // अग्नेयुक्ष्वाहियेत / वाचासोदेवसाधवः // अरंवहन्तिमन्न्यवे ॥३६॥युक्ष्वाहि / देव / हूतमाँ २ऽअश्वौ २ऽअग्ने रथीरिव // निहोतापुर्घ्यश्सद६॥३७॥ [11] सम्म्यक्स्रवन्ति। सरितोनधेनाऽअन्तर्हृदामनसापूयमा / ना॥घृतस्यधाराअभिचाकशीमिहिरण्ययौवेतसोमद्येऽअग्ने / // 38 // ऋचेत्त्वा / रुचेत्त्वाभासेत्वाज्योतिपेत्वा // अभूदिदंवि / For Private And Personal Page #428 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shrin garsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. // 113 // MACHARCOACAN श्वस्यभुवनस्यवाजिनमग्ने बैश्चानुरस्य॑च॥३९॥अग्निोतिपा॥ अग्निज्योतिषाज्योतिष्म्मानुक्मोवर्चसाव,खान् // सहस्रदाऽ। असिसहस्रायत्त्वा // 40 // आदित्यङ्गर्भम् // आदित्यङ्गर्भम्पर्य है सासमविसहस्रस्यप्प्रतिमांविश्वरूपम् // परिवृतिहरसामाभिम स्त्थात्शतायुपट्टणुहिचीयमानः ॥४१॥वातस्यजूतिं / वरुणस्य नाभिमश्चञ्जज्ञानसरिरस्यमध्ये // शिशुनदीना हरिमद्रिबु | // 113 // नमग्नेमाहिल्सीपरमेच्योमन् // 42 // अजस्रमिन्दुम् // अज HASAOCOCALCULACCUSA For Private And Personal Page #429 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir स्रमिन्दुमरुषम्भुरण्युमुग्निमीडेपूर्वचित्तिन्नमोभिः॥सपर्वभित्र है। तुशश्कल्प्पमानोगाम्माहिद-सीरदितिविराजम् ॥४३॥वरूत्रीत्व है ष्ट्र॥ वरूत्रीन्त्वष्टुवरुणस्युनाभिमविञ्जज्ञानारजसत्परस्म्मा / त्॥ महीसाहस्रीमसुरस्यमायामग्नेमाहि सीपरमेच्योमन / // 44 // योऽअग्निः॥योऽअग्निरग्नेरड्यजायतशोकात्पृथिच्याऽ. उतादुिवस्प्परि॥ येनप्प्रजाविश्वकर्माजजानतम॑ग्नेहेडल्परिते / / वृणक्तु // 45 // चित्रन्देवानाम् // चित्रन्देवानामुदंगादीकुञ्चक्षु / / ACCORMACLEONE For Private And Personal Page #430 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू. अ. // 114 // // 13 // मित्रस्यवरुणस्याग्ने? // आप्पाद्यावापृथिवीऽअन्तरिक्षत्सूर्य / आत्म्माजगतस्तस्त्थुपश्च्च॥४६॥[९] इमम्मा। हिंसीढेिपा 2 दम्पशुसहस्राक्षोमेधायचीयमानह॥मयुम्पशुम्मेधमग्नेजुषस्व तेनचिन्यानस्तन्वोनिषीद // मयुन्तेशुगृच्छतुयन्द्विष्ष्मस्तन्तेशु गृच्छतु // 47 // इमम्मा। हिंसी रेकशफम्पशुङ्कनिऋदंबाजि नवाजिनेषु॥गौरमारण्ण्यमनुतेदिशामितेनचिन्न्वानस्तन्वोनिषी // 11 // द॥ गौरन्तशुर्गृच्छतुयन्द्रुिष्ष्मस्तन्तेशुगृच्छतु॥४८॥ इमसाह है। For Private And Personal Page #431 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairthorg Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ChicketNGAL सम्॥इमसाहस्रशुतधारमुत्संच्युच्यमान सरिरस्युमध्ये घृतन्दुहानामदितिञ्जनायाग्नेमाहिब्सीपरमेच्योमन् // गवय / मारण्ण्यम तेदिशामितेनचिन्वानस्तन्योनिषीद॥गवयन्तेशुग / / च्छतुयन्द्रुिष्म्मस्तन्तेशुगृच्छतु // 49 // इममूर्णायुं / वरुणस्यना / भिन्त्वचम्पशूनांद्विपदाञ्चतुष्प्पदाम् // त्वष्टुं प्रजानाम्प्रथमञ्ज / नित्रमग्नेमाहि सीपरमेच्योमन्॥उष्ट्रमारण्ण्यम तेदिशामिते / नचिन्न्वानस्तन्न्वोनिषीद // उष्ट्रन्तेशुच्छतुयन्द्रुिष्म्मस्तन्तेशुग For Private And Personal Page #432 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit संहि. // 13 // // 115 // रस्सCASROS च्छतु // 50 // अजोहि // अजोयुग्नेरनिष्टशोकात्सोऽअपश्य पू. अ. जनितारमग्ने // तेनदेवादेवतामग्मायुस्तेनुरोहमायन्नुपमेया / / सह॥ शरभमारण्ण्यम तेदिशामितेनचिन्वानस्तन्योनिपीद॥ शुरभन्तेशुगृच्छतुयन्दुिष्म्मस्तन्तेशुगृच्छतु // 51 // त्वंय॑विष्ट / दाशुषो पाहिशृणुधीगिरः॥रक्षातोकमुतत्क्मनी // 52 // [6] 3 अपान्त्वा // अपान्त्वेमन्त्सादयाम्म्यपान्त्वोद्मन्त्सादयाम्म्यपा 2 // 15 // त्वाभस्म्मन्त्सादयाम्युपान्त्वाज्योतिषिसादयाम्म्युपान्त्वायने / For Private And Personal Page #433 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सादयाम्म्यर्णवेत्त्वासदनेसादयामिसमुद्रेत्त्वासदनेसादयामिस रिरेत्त्वासदनेसादयाम्म्यपान्त्वाक्षयसादयाम्म्यपान्त्वासधिषि सादयाम्म्युपान्त्वासदनेसादयाम्म्युपान्त्वासधस्त्थेसादयाम्म्य पान्त्वायोनौसादयाम्म्यपान्त्वापुरीषेसादयाम्म्यपान्त्वापार्थसि | सादयामिगायत्रेणत्त्वाच्छन्दसासादयामित्रैष्टुभेनत्त्वाच्छन्दसा / सादयामिजागतेनत्त्वाच्छन्दसासादयाम्म्यानुष्टुभेनत्त्वाच्छन्द सासादयामिपातनत्त्वाच्छन्दसासादयामि॥५३॥ [1] अयम्पु है। For Private And Personal Page #434 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 13 // // 116 // तर // अयम्पुरोभुवस्तस्यप्राणोभौवायनोसन्तप्पाणायुनोगाय है। पू.अ. त्रिीवासन्तीगायत्र्यैगायत्रङ्गायुत्रार्दुपाशुरुपाठंशोस्त्रिवृत्रिवृतो रथन्तरंबसिष्टुऽऋषि:प्प्रजापतिगृहीतयात्त्वयाप्पाणहामिप्प | जाब्भ्यः // 54 // अयन्दक्षिणा। विश्वकर्मातस्यमनौवैश्वकर्मा / / हैणवीष्म्मोमानुसस्त्रिष्टुब्रॆष्म्मीत्रिष्टुभ स्वारस्वारादन्ता | मोन्तर्ध्यामात्पञ्चदुशपञ्चदुशाबृहद्भरद्वाज ऋषि प्रजापति | गृहीतयात्त्वयामनौगृह्णामिप्पजाब्भ्यः // 55 // अयम्पश्चात् // // 116 // For Private And Personal Page #435 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir अयम्पश्चाविश्वयंचास्तस्यचक्षुर्वेश्वघ्यचसंवर्षाश्चाक्षुष्प्योज | गतीव्वार्षीजगत्त्याऽऋक्सममृक्ख्समाच्छुक्रश्शुक्रात्सप्तदुश? सप्तदशाद्वैरूपञ्जमदग्निर्ऋषि:प्रजापतिगृहीतयात्त्वयाचक्षु Bहामिप्प्रजाब्भ्यः // 56 // इदमुत्तरात् // इदमुत्तरात्स्वस्तस्य / श्रोत्रम् सौवशरछौत्र्यनुष्टुप्शारधनुष्टुभेऽऐडमैडान्मन्थीम न्थिनऽएकविशऽएकविशाद्वैराजविश्वामित्रऋषिः प्रजापति / / गृहीतयात्त्वया श्रोत्रगृह्णामिप्पजाब्भ्यः ॥५७॥इयमुपरिमति है। For Private And Personal Page #436 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 117 // I // 14 // स्तस्यैवाङ्मात्त्याहेमन्तोबाच्यपतिहमन्तीपतयैनिधनवन्निध नवतऽआग्रयणऽआग्ग्रयुणात्रिणवत्रयस्त्रिदशौत्रिणवत्रयस्त्रि शाब्भ्यशाक्चररैवतेविश्वकर्मऽऋषि प्रजापतिगृहीतयात्त्व / यावाचङ्गृह्णामिप्प्रजाब्भ्योलोकन्ताऽइन्द्रम् // 58 // [5] इति / श्रीवाजसनेयसंहितायांत्रयोदशोऽध्यायः ॥१३॥श्रीवेदपुरुषाय ! नमः॥अनुवाकसूत्रम्॥ध्रुवक्षितिःपट्सजूक्रतुभिर्मूर्द्धावयोर्द्विका 117 // विंद्राग्नीआयुर्मेषट्कावाशुस्त्रिवृदेकाग्नेर्भागोस्येकयाचतुष्कावष्टा | For Private And Personal Page #437 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit वेकत्रिशत् ॥हरिःॐध्रुवक्षितिर्दुवयोनिः ॥ध्रुवक्षितिर्दुवयोनि / आर्द्धवासिझुवंय्योनिमासीदसाधुया॥ उख्य॑स्यकेतुम्थमञ्जुषाणा / श्चिनाद्धर्वृदियतामिहत्वा // 1 // कुलायिनीघृतवती // कुला, यिनीघृतवतीपुरन्धित्स्योनेसीदुसर्दनेपृथिव्याः // अभिवारुद्रा / बसवोरणन्त्विमाबहमपीपिहिसौभगायाश्चिाद्धयूंसादयता मिहत्वा॥२॥ खैईक्षैः // खैईईक्षपितहसीददेवानासुम्ने / हतेराया पितेवैधिसूनवऽआसुशेवाखावेशातच्यासंविशस्वाश्चि SANSARKARSA For Private And Personal Page #438 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ना(यूंसादयतामिहत्वा॥३॥ पृथिच्यारपुरीषम्॥ पृषि हरीषमस्यप्प्सोनामतान्त्वाविश्वेऽअभिणन्तुदेवाय // स्तोम॑पृष्ठा घृतवतीहीदप्पजावदुस्म्मेद्रविणायजस्वाश्चिनाद्धयूंसादयता है मिहत्वा॥४॥अदित्यास्त्वा / पृष्ठेसादयाम्म्युन्तरिक्षस्यीं विष्टम्भनीन्दुिशामधिपत्नीम्भुवनानाम् ॥ऊम्मिट्ठप्प्सोऽअपाम है। सिविश्वकर्मातऽऋषिरश्चिनायूंसदियतामिहत्वा // 5 // शुक्र 11en च // शुक्रञ्चुशुचिञ्चुग्गैष्म्मावतूऽअग्नेरंत लेपोसिकल्प्ता / PCMCHUGARCANADA SALAAMANAGACC05255456 For Private And Personal Page #439 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir न्द्यावापृथिवीकल्प्पन्तामापुऽओषधयत्कल्प्पन्तामग्नयत्पृथुङ् ममज्यैष्ठ्यायसवता // येऽअग्नयल्समैनसोन्तराद्यावापृथिवी / इमे // ग्रैष्म्मावृतूऽअभिकल्प्पमानाऽइन्द्रमिवदेवाऽअभिसंविंश द्वन्तुतयादेवतयाङ्गिरखडुवेसीदतम् // 6 // [6] सजूक्रतुभिः। सजू विधाभि सर्दृवैश्सजू?वैवयोनाधैिरग्नयैत्वावैश्वानुरायाश्चिना | यूंसादयतामिहत्वासजूक्रतुभिः सविधाभिःसजूर्वसुभिः | सर्दुवै_योनाधैरग्नयेत्वाच्चैश्वानरायाश्चिाद्धयूंसादयतामिह है। For Private And Personal Page #440 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 119 // // 14 // संहि त्वासर्ऋतुभि सर्विधाभि सजूरु सजुर्दैवैवयोनाधैरग्नये त्त्विावैश्वानरायाश्चिनाद्धयूंसादयतामिहत्त्वासजूक्रतुभिःसजू विधाभिः सजूरादित्यैश्सजूद्देवैर्वयोनाधैरग्नयेत्त्वावैश्वानराया श्चिनाद्धयूंसादयतामिहत्त्वासजूर्ऋतुभिः सजूर्विधाभिःसजूर्वि / श्चैवैश्सजूद्देवैवयोनाधैरग्नयैत्त्वावैश्वानुरायाश्चिनायूंसादय / तामिहत्त्वा॥ ७॥प्पणम्मे। पाह्यपानम्मैपाहिध्यानम्मैपाहिच / झुमऽउाविभाहिश्श्रोत्रम्मेलोकय // अपश्पिन्वौपंधीजि !" // 119 // For Private And Personal Page #441 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SACARICROCCASNEWS वडिपार्दवचतुष्प्पात्पाहिडिवोवृष्टिमेरेय॥८॥ [2] मुर्दावयः। प्प्प्रजापतिश्छन्दःक्षत्रंवयोमर्यन्दुञ्छन्दोविष्टुम्भोव्वयोधिपति छन्दोविश्वकर्मावयपरमेष्ठीछन्दोवस्तोवयोबिवलञ्छदो ष्ष्णिर्खयोविशालञ्छन्दुत्पुरुषोव्वर्यस्तुन्द्रग्छन्दोच्याग्घ्रोबयोना धृष्टुञ्छन्द सिहोबयछुदिश्छन्द :पष्ठवाडयौबृहतीच्छन्दऽउ क्षावयः ककुप्प्छन्दऽऋषभोवयःसुतोव्हतीच्छन्दोनडान्वयः॥ // ९॥अनड्वान्वयः। पतिश्छन्दोधेनुर्वयोजगतीच्छन्दुख्यविव 01-4-PRASARABASS For Private And Personal Page #442 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 120 // // 14 // संहि... यख्रिष्टुप्प्छन्दोदित्यवाड्यौविराटुन्दुःपञ्चावियोगायत्रीच्छन्द प. अ. स्त्रिवत्सोवयंऽष्ष्णिक्छन्दस्तुर्युवाड्यौनुष्टुप्प्छन्दौलोकन्ताऽइ न्द्रम्॥१०॥ [2] इन्द्राग्नीऽअध्यथमानाम् // इन्द्राग्नीऽअध्य थमानामिष्ट्रकान्हव्हतंय्युवम् // पृष्ठेनुद्यावापृथिवीऽअन्तरिक्षञ्च है विधिसे॥११॥ विश्वकर्मात्वा / सादयत्त्वन्तरिक्षस्यपृष्ठेच्यच खतीम्प्रथखतीमन्तरिक्षय्यच्छान्तरिक्षन्दृष्हान्तरिक्षम्माहि // 20 // सीह // विश्वस्म्मैप्पाणायापानायच्यानायौदानायप्रतिष्ठायैचरि NARSICALCICICRONICTION For Private And Personal Page #443 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kalashsagarsur Gyanmandir HOROSCOMMUNICADREAK त्राय॥वायुष्वाभिपातुमह्यास्वस्त्याच्छर्दिपाशन्तमेनुतादेवतया / गिरखडवासीद // 12 // शतम् // ७००॥राज्यसि ॥राश्यसि / प्पाचीदिग्विराडसिदक्षिणादिक्सम्म्राडसिप्प्रतीचीदिक्स्वराड स्युदीचीदिगधिपत्नयसिबृहतीदिक् // 13 // विश्वकर्मात्त्वा / सादयत्वन्तरिक्षस्यपृष्ठेज्योतिष्म्मतीम् // विश्वस्म्मैप्प्राणायापा / नायथ्यानायुविश्वज्योतिर्य्यच्छ // वायुष्टेधिपतिस्तोदेवतया / ङ्गिरखडवासीद // 14 // नभश्च // नभस्यश्चवार्षिकावृतूऽअ For Private And Personal Page #444 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandit // 121 // संहि. | ग्नेरन्तहालेपोसिकल्प्पैतान्द्यावापृथिवीकल्प्प॑न्तामापुऽओपधपु. अ. युल्कल्प्पन्तामग्नयत्पृथङ्ममज्ज्यैष्ठयायसवताः // येऽअग्नयः / // 14 // समनसोन्तराद्यावापृथिवीऽइमे ॥वार्पिकावृतूऽअभिकल्पमाना। इन्द्रमिवदेवाऽअभिसंविशन्तुतयादेवतयाङ्गिरखङवेसीदतम् // // 15 // इपश्च // इपच्चोजच्चशारदावृतूऽअग्नेरन्तलेपोसि / कल्प्पैतान्द्यावापृथिवीकल्प्पन्तामापुऽओषधयस्कल्प्प॑न्तामग्न // 11 // यस्पृथुङ्ममुज्यैष्ठ्यायुसवता॥ येऽअग्नयुत्समनसोन्तराद्यावा / For Private And Personal Page #445 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पृथिवीऽइमे॥ शारदावृतूऽअभिकल्पमानाऽइन्द्रमिवदेवाऽअभि / संविशन्तुतयादेवतयाङ्गिरखड्डुवेसीदतम् // 16 // [6] आयुम्मे / / पाहिप्प्राणम्मैपाह्यपानम्मैपाहिध्यानम्मैपाहिचक्षुर्मेपाहिश्श्र ब्रम्मेपाहिब्वाचम्मपिन्वमनोमेजिन्वाक्मानम्मेपाहिज्योति म्र्मेयच्छ // 17 // माच्छन्दः / प्रमाच्छन्दः प्रतिमाच्छन्दौs अस्त्रीवयुश्छन्दः पतिश्छन्दऽष्ष्णिक्छन्दोबृहतीच्छन्दौनुष्टुप् छन्दौविराटुन्दोगायत्रीच्छन्दस्त्रिष्टुप्छन्दोजगंतीच्छन्द-पृथि है। For Private And Personal Page #446 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 122 // संहि. वीच्छन्द’ // 18 // पृथिवीच्छन्दोन्तरिक्षुञ्छन्दोद्यौश्छन्दुल्स पू.अ. मा छन्दोनक्षेत्राणिच्छन्दोवाकछन्दोमनश्छन्द कृषिश्छन्दोहि / रण्यञ्छन्दोगौश्छन्दोजाश्छन्दोश्वश्छन्दः॥१९॥ अग्निदेवता॥ अग्निदे॒वतावातौदेवतासूर्योदुवाचन्द्रमादेवतावसवोदेवतार हादेवादित्यादेवामरुतोदेवताविश्वेदेवा देवताबृहस्पतिर्हवते न्द्रौदेवतावरुणोदेवा // 20 // मु‘सि // मुसिराहुवासिंधुरु / / गणाधु_सिधरणी // आयुपेत्त्वावर्चसेत्त्वाकृष्ष्यैत्वाक्षेमायत्त्वा // // 122 // For Private And Personal Page #447 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit SONOCAUSAMROSCOCALCUSEX // 21 // यन्त्रीराट् // यन्त्रीराड्यन्त्र्यसियमनीध्रुवासिधरित्री // इपेत्त्वोर्जेत्त्वारय्यैत्त्वापोायत्त्वालोकन्ताऽइन्द्रम् // 22 // [6] | आशुस्त्रिवृत् ॥आशुस्विवृद्धान्त पञ्चदुशोव्योमासप्तदुशोधरुण एकविशप्प्रतूर्तिरष्टादुशस्तपोनवदुशोभीवर्तसविहशोबच्चोंद्वा | विशम्भरणस्त्रयोविन्शोयोनिश्चतुर्बिशोगभौल्पञ्चविदश | डओजस्त्रिणवक्रतुरेकत्रिशप्प्रतिष्ठात्रयस्त्रिशोब्रुध्नस्यविष्ट पञ्चतुस्खुिशोनाक-पटिशोविवर्तोष्टाचत्वारिशोधुञ्चतुष्टोमः / For Private And Personal Page #448 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 123 // संहिः / // 23 // [1] अग्नेर्भागः // अग्ने गोसिदीक्षायाऽआधिपत्त्य 5. अ. बहमस्पृतन्त्रिवृत्स्तोमऽइन्द्रस्यभागोसिविष्ष्णोराधिपत्यङ्गुत्र // 14 // स्पृतम्पञ्चदुशस्तोमोनुचक्षसाम्भागोसिधातुराधिपत्यजनित्र स्पता-सप्तदुशस्तोमोमित्रस्यभागोसिवरुणस्याधिपत्यन्दुिवो ष्टितिस्पृतऽएकविशस्तोमोबसूनाम्भागः // 24 // वसूनाम्भागो / सिरुद्राणामाधिपत्युञ्चतुष्ष्पात्स्पृतञ्चतुर्विदशस्तोमऽआदित्त्या // 26 // नाम्भागोसिमुरुतामाधिपत्युङ्ग स्पृतापञ्चविशस्तोमोदित्यै / ARCASGAOCACARSONAGARSHA For Private And Personal Page #449 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir भागोसिपुष्ष्णऽआधिपत्त्यमोजस्पुतन्त्रिणवस्तोमोदेवस्यसवितु / र्भागोसिबृहस्प्पतुराधिपत्य समीचीदिशेस्पृताश्चतुष्टोमस्तो / मोयानाम्भाग॥२५॥यानाम्भागोस्ययवानामाधिपत्यम्प्रजा है। स्पृताश्चतुश्चत्वारिशस्तोमऽऋभूणाम्भागोसिविश्वेषान्देवाना है। माधिपत्यम्भूतस्पृतन्त्रयस्त्रिशस्तोमुत्सहश्च // 26 // सहश्च / / सहस्यश्चहैमन्तिकावृतूऽअग्नेरन्तलेपोसिकल्प्पैतान्द्यावापृथि / वीकल्प्पन्तामापुऽओषधयुत्कल्प्प॑न्तामग्नयत्पृथङ्ममुज्यैष्ठया For Private And Personal Page #450 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 124 // संहि. / यसबता॥ येऽअग्नयुल्समनसोन्तराद्यावापृथिवीऽडुमे॥हैमन्ति पू.अ. कावृतूऽअभिकल्प्पमानाऽइन्द्रमिवदेवा ऽअभिसंविशन्तुतादेव // 14 // तयाङ्गिर खडुवेसीदतम् // 27 // [4] एकयास्तुवत / प्रजाऽ/ अधीयन्तप्रजापतिरधिपतिरासीत्तिसृभिरस्तुवतबहमासृज्यतब हमणस्पतिरधिपतिरासीत्पञ्चभिरस्तुवतभूतान्य॑सृज्यन्तभूता नाम्पतिरधिपतिरासीत्सप्तभिरस्तुवतसप्तऽऋषयौसृज्यन्तधाता // 124 // धिपतिरासीन्नुवभिरस्तुवत॥२८॥ नवनिरस्तुवत / पितरौसृज्य है। SCRECOSMOG For Private And Personal Page #451 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir BACRACTICAREERSONAGARIKA न्तादितिरधिपत्न्यासीदेकादुशभिरस्तुवतऽऋतवोसृज्यन्तात वाऽअधिपतयऽआसँस्त्रयोदशभिरस्तुवतमासोऽअसृज्ज्यन्तसंब त्सरोधिपतिरासीत्पञ्चदुशभिरस्तुवतक्षुत्रमसृज्यतेन्द्रोधिपतिरा / सीत्सप्तदशभिरस्तुवतग्राम्म्याश्पशवोसृज्यन्तबृहस्पतिरधिप तिरासीन्नवदुशभिरस्तुवत॥२९॥ नवदुशभिरस्तुवत॥ शूद्राा / वसृज्येतामहोरात्रेऽअधिपत्नीऽआस्तामेकविशत्यास्तुवतैक शफाल्पशवोसृज्यन्तुवरुणोधिपतिरासीत्रयोविशत्यास्तुवतक्षु / For Private And Personal Page #452 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir प्र.अ. // 125 // 14 // संहि. छापशवौसृज्यन्तपूषाधिपतिरासीत्पञ्चविशत्त्यास्तुवतार पण्यापशवोसृज्यन्तवायुरधिपतिरासीत्सप्तविंशत्यास्तुवत द्यावापृथिवीध्यैतांवसवोरुद्राऽआदित्याऽअनुध्यायस्तऽएवाधिप तयऽआसन्नववि शत्त्यास्तुवत॥३०॥ नवविशत्यास्तुवत।बन / स्प्पतयोसृज्यन्तसोमोधिपतिरासीदेकत्रिशतास्तुवतप्प्रजाऽ सृज्यन्तयवाश्च्चायवाश्चाधिपतयऽआसँस्त्रयस्त्रिशतास्तुवतभू तान्यशाम्म्यन्प्रजापतित्परमेष्ट्रयधिपतिरासीोकन्ताऽइन्द्र BAIGANGANANJALICADALA For Private And Personal Page #453 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAMACOCCASILCARSEX // 31 // [4] इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांचतुर्दशोऽध्यायः॥१४॥ श्रीवेदपुरुषायनमः // अनुवाक्सूत्रम् // अग्नेजातान्पंचरश्मिना / सत्यायचतस्रोराज्यस्ययंपुरःपंचकावग्निकोनत्रि शयेनऽऋ है षयोष्टौतपश्चनवसप्तपंचपष्टिः॥ हरिःॐअग्नैजातान् // अग्नेजा। तान्प्रणुदानसपत्नान्प्रत्त्यजातानुदजातवेदः // अधिनोबूहिसु / मनाऽअहैडॅस्तवस्यामशर्मास्त्रिवरूथऽउद्भौ॥१॥सहसाजातान् // 6 // सहसाजातान्प्रणुदानासपत्नान्प्रत्यजाताजातवेदोनुदख // . For Private And Personal Page #454 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. I धिनोब्रूहिसुमनुस्यमानोव्यस्यामप्रणुदानसपत्नान् // 2 // 5. अ. // 126 षोडशीस्तोमः // षोडशीस्तोमऽओजोदविणञ्चतुश्चत्वारिश // 15 // स्तोमोबक़द्रविणम् // अग्नेश्पुरीषमस्यप्सोनामतान्त्वाविश्वेऽ भिणन्तुदेवाय॥स्तोमपृष्ठाघृतवतीहीदप्रजावदुस्म्मेद्रविणाय / जख॥३॥ एक्श्छन्दः॥ एवश्छन्दोवरिवश्छन्दःशम्भूश्छन्दः। परिभूश्छन्दऽआछछन्दोमनश्छन्दोव्यचश्छन्दुरसिन्धुश्छन्दः // 26 // समुद्रश्छन्दः सरिरञ्छन्दः ककुप्प्छन्दस्त्रिककुप्प्छन्दः काव्य MASURESHAMALA For Private And Personal Page #455 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir छन्दोऽअकुपञ्छन्दोक्षरपङ्कुिश्छन्द पुदपडिश्छन्दौविष्वारपा / विश्छन्दः क्षुरोभ्रजुश्छन्दऽआच्छच्छन्द-प्पच्छच्छन्दः॥४॥ आच्छच्छन्दःप्प्रच्छच्छन्दः / संय्यच्छन्दौवियच्छन्दोबृहच्छ इन्दौरथन्तरञ्छन्दोनिकायश्छन्दौविवधश्छन्दोगिरश्छन्दोब्ध्र जश्छन्दः सुरुंस्तुप्प्छन्दौनुष्टुप्छन्दुऽएवश्छन्दोबविश्छन्दोव्वय / / छन्दोव्वयस्कृश्छन्दोविष्व श्छन्दौविशालञ्छन्दश्छदिश्छ। इन्दौदूरोहणश्छन्दस्तुन्द्रश्छन्दोऽअङाङ्कञ्छन्दः // 5 // [5] COMCEBOOKCAMSASEASS-343 For Private And Personal Page #456 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. 45 // 127 // रश्मिनासत्यार्य। सत्त्यजिन्वष्प्रेतिनाधर्मणाधर्मञ्जिन्यान्वि पू. अ. त्यादिवादिवञ्जिन्वसन्धिनान्तरिक्षेणान्तरिक्षजिन्वप्रतिधिना है। पृथिव्यापृथिवीञ्जिन्वबिष्टुम्भेनवृष्टयावृष्टिजिन्न्वप्प्रवुयान्हाहर्जि | न्वानुयारात्र्यारात्रिजिन्योशिजावसुब्भ्योवसुजिन्वप्पकतेनादि / / त्येभ्यऽआदित्त्याजिन्वतन्तुनारायः॥६॥ तन्तुनारायस्प्पोषेण / / रायस्प्पोषञ्जिवसम्सुणश्रुताय श्रुतञ्जिन्वैडेनौषधीभिरोष // 127 // धीर्जिन्वोत्तमे तनूभिस्तनूजिन्वबोधसाधीतुनाधीतजिन्वा / CASEASCAMERCANC55 For Private And Personal Page #457 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org AMAC-AAAACANCACASC भिजितातेजसातेजोजिन्व॥ 7 // प्रतिपदसि / प्रतिपदैत्वानुप दस्यनुपदैत्वासम्पदसिसम्पदैत्वातेजोसितेजसेत्वात्रिवृदसि // 8 // विदसि / त्रिवृतैत्वाप्पवृदसिष्प्रवृतत्वाविवृदसिव्विवृतत्वासवृद / सिसवृतैत्वाक्रमोस्याऋमायत्वासङ्घमोसिसङ्घमायत्वोत्क्रमोस्यु। क्रमायुत्वोत्क्रान्तिरस्युत्क्रन्त्यैित्वाधिपतिनो|जञ्जिन्व // 9 // [4] राश्यसि ॥राश्यसिप्पाचीदिग्ग्वसवस्तेदेवाऽअधिपतयोग्नि / हतीनाम्प्रतिधु त्रिवृत्त्वास्तोम पृथिच्याश्रयत्त्वाज्यमुक्थम For Private And Personal Page #458 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit पू.अ. // 128 // // 15 // संहि. यथायैस्तब्नातुरथन्तर सामप्रतिष्ठित्त्याऽअन्तरिक्षऽऋषय स्त्वाप्पथमजादेवेषुडिवोमात्रयाबरिम्म्णाप्रथन्तुश्विधर्ताचायम धिपतिश्च्चतेत्त्वाससंविदानानाकस्यपृष्ठेस्वर्गलोकेयजमानञ्चसा दयन्तु // 10 // बिराडसि॥ बिराडसिदक्षिणादिग्ग्रुद्रास्तैदेवाऽअ धिपतयऽइन्द्रौहेतीनाम्प्रतिधुर्तापञ्चदुशस्त्वास्तोम पृथिच्या श्रयतुप्पऽउंगमुक्तमध्यथायैस्तब्नातुबृहत्सामुप्रतिष्ठित्याऽअन्त है। रिक्षऽऋषयस्त्वाप्प्रथमजादेवेषुदुिवोमात्रयावरिम्म्णाप्पथन्तुधि / / 644863444 // 128 // For Private And Personal Page #459 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAGARMERAMANG धर्ताचायमधिपतिश्चुतेत्त्वासāसंविदानानाकस्यपृष्ठेस्वर्गलोके / / यजमानञ्चसादयन्तु // 11 // सम्म्राडसि / प्रतीचीदिगोदित्या / / स्तैदेवाऽअधिपतयोबरुणोहेतीनाम्प्रतिधु सप्तदशस्त्वास्तोमर पृथिच्याश्रयतुमरुत्त्वतीयमुक्थमध्यथायैस्तब्नातुबैरूपन्साम प्रतिष्ठित्याऽअन्तरिक्षऽऋषयस्त्वाप्पथमुजादेवेषुदिवोमात्रयाव है। रिम्म्णाप्पथन्तुविध चायमधिपतिश्चतेत्वासवैसंविदानानाकर स्यपृष्टेस्वर्गलोकेयजमानञ्चसादयन्तु // 12 // स्वराडसि // स्व / For Private And Personal Page #460 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir साह पू. अ. // 129 // // 15 // राडस्युदीचीदिङ्मरुतस्तेदुवाऽअधिपतयस्सोमोहेतीनाम्प्रतिध त्तिकविशस्त्वास्तोमः पृथिध्याश्रयतुनिष्क्कैवल्यमुक्थमध्यथा यस्तब्नातुबैराजन्सामप्प्रतिष्ठित्याऽअन्तरिक्षऽऋषयस्त्वाप्पथ मजादेवेषुदुिवोमात्रयाबरिम्म्णाप्पथन्तुविधुर्ताचायमधिपति चितेत्त्वाससंविदानानाकस्यपुष्टेस्वग्र्गेलोकेयजमानञ्चसादय न्तु॥१३॥अधिपत्न्यसि।बृहतीदिग्ग्विश्चैतेदेवाऽअधिपतयोबृह, स्पतिर्हेतीनाम्प्रतिधु त्रिणवत्रयस्त्रिदशौत्त्वास्तोमौथिच्या // 129 // For Private And Personal Page #461 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir श्रयतां वैश्वदेवाग्निमारुतेऽउक्तेऽअध्यथायैस्तनीताशाकररैव तेसामनी प्रतिष्ठित्याऽअन्तरिक्षऋषयस्त्वाप्पथमजादेवेषुडिवो मात्रयाबरिम्म्णाप्रथन्तुविधुर्ताचायमधिपतिश्चतत्त्वाससंवि दानानाकस्यपृष्ठेस्वर्ग लोकेयजमानञ्चसादयन्तु // 14 // [5] अयम्पुर? // अयम्पुरोहरिकेशल्सूर्य्यरश्मिस्तस्यरथगृत्सश्चरौँ / जाचसेनानीग्ग्रामण्ण्यौ // पुञ्जिकस्त्थुलाचऋतुस्त्थलाचाप्प्सर / सौदुङव-पशवोहेतिःपौरुषेयोबुधरप्प्रहेतिस्तेब्भ्योनमोऽ अस्तुते / For Private And Personal Page #462 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain A thendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. 5. अ. // 130 // // 15 // *SSSSMAR नोवतुतेनोमृडयन्तुतेयन्द्रुिष्म्मोयश्चनोद्वेष्टितमेषाञ्जम्भेदध्मः // 15 // अयन्दक्षिणा / विश्वकर्मातस्यरथस्वनच्चरथैचित्रश्च / / सेनानीग्ग्रामण्ण्यौ / मेनकाचसहजन्याचाप्प्सरसौयातुधानाहे तीरक्षासिष्प्रहेतिस्तेब्भ्योनमोऽ अस्तुतेनौवन्तुतेनौमृडयन्तुते यन्गुिष्म्मोयञ्चनोवेष्टितमैपाञ्जम्भैदध्मः॥१६॥अयम्पश्चा त् // अयंपुच्चाविश्वघ्यचास्तस्यरथप्पोतुश्च्चासमरथचसेनानी 130 ग्रामण्ण्यौ // प्रम्म्लोचन्तीचानुम्म्लोचन्तीचाप्प्सरसौम्याग्घ्राहे RANA For Private And Personal Page #463 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Ar e ndra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir Starr तिसर्पाप्प्रहेतिस्तेब्भ्योनमोऽअस्तुतेनौवन्तुतेनौमृडयन्तुतेय न्गुिष्म्मोयच्चनोवेष्टितमैपाञ्जम्भैदध्म॥१७॥अयमुत्तरात्॥ अयमुत्तरात्संयवसुस्तस्यतार्थ्यच्चारिष्टनेमिच्चसेनानीग्राम ण्यौ // विश्वाचीचघृताचीचाप्प्सरसावापोहेतिर्वातहप्प्रहेतिस्ते / भ्योनमोऽअस्तुतेनौवन्तुतेनौमृडयन्तुतेयन्छिष्म्मोयचनोवे | ष्टितमेपाञ्जम्भैदध्ध्मः ॥१८॥अयमुपरि // अयमुपव॑र्वाग्ग्वसु / / स्तस्य॑सेनजिच्चसुपेणच्चसेनानीग्रामण्ण्यौ // उर्वशीचपूर्वचित्ति है। For Private And Personal Page #464 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shrewsparsuri Gyanmandir संहि. 6 // 13 // // 15 // चाप्प्सरसाववस्फूर्जन्हेतिवि॒िद्युत्प्रहैतिस्तेब्भ्योनमोऽअस्तुतेनो वन्तुतेनौमृडयन्तुतेयन्डिष्म्मोयच्चनोद्वेष्टितमेपाञ्जम्भैदध्मह // 19 // [5] अग्निर्मुर्दा / दिवश्ककुत्पतिः पृथिच्याऽअयम् // है अपारेता सिजिन्न्वति // 20 // अयमुग्निः // संहस्रिणोबा है। जस्यशतिनस्पतिः॥ मु कुवीरयीणाम् // 21 // त्वामग्ने॥त्वा / मग्ने पुष्करादयथर्वानिर्रमन्थत // मोविश्वस्यवाघतः // 22 // भुवोयज्ञस्य ॥भुवौयुज्ञस्य॒रजसञ्च्चनेतायोनियुद्धिससेशि " For Private And Personal Page #465 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri garsuri Gyanmandit वाभिः॥दिविमुर्द्धानन्दधिषेस्वर्षाञ्जिह्वाम॑ग्नेचकृपेहव्यवाहम्॥ 3 // // 23 // अबौद्युग्निः। समिधाजनानाम्प्रतिधेनुमिवायुतीमुपास / म् // युह्वाऽव॒ष्प्रवृयामुजिहानाहप्पभानवः सिस्रतेनाकुमच्छ / // 24 // अवौचामकुवये // अवौचामकवयुमेध्यायुबचौवन्दारुबूप भायवृष्ष्णे ॥गविष्ठिरोनमसास्तोममग्नौदिवीवरुक्ममुरुध्यञ्चम / / श्रेत् // 25 // अयमिह / प्रथमोधायिधातृभिर्होतायजिष्ठोऽअ. हरेष्ष्वीड्डयः // यमभवानोभृगवोविरुरुचुर्वनेषुचित्रंविश्वविशे For Private And Personal Page #466 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir पू. अ. // 132 // // // 132 // विशे // 26 // जनस्यगोपा॥जनस्यगोपाऽअजनिष्टुजाविर / निश्सुदक्षःसुवितायनव्य॑से ॥घृतप्प्रतीकोबृहतादिविस्पृशाधुम विभातिभरतेब्भ्यत्शुचिः // 27 // त्वाम॑ग्ने॥ त्वामैग्नेऽअङ्गिर सोगुहाहितमन्यविन्दञ्छिश्श्रियाणंबनवने॥ सजायसेमत्थ्यमा नत्सहोमहत्वामाहुत्सहसस्प्पुत्रमैङ्गिरः // २८॥सखायुत्सम् // सायल्सब सम्म्यञ्चमिष/स्तोम॑ञ्चाग्नयै // वर्षिष्ठायक्षितीनाम् / |नप्प्त्रेसहखते॥२९॥सन्समित्॥सन्समिद्युवसेवृषनग्नेवि / ORIGAMKRECRUGAMANASALUKALEGACC // 132 // For Private And Personal Page #467 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CAMERICANKARA विश्चान्न्युर्य्यऽआ॥ इडस्प्पदेसमिद्यसेसनोवसन्याभर // 30 // त्वाञ्चित्रश्रवस्तम् / हवन्तेव्विक्षुजन्तवः ॥शोचिष्क्कैशम्पुरुप्पि याग्नेहध्यायबोढवे॥३१॥एनावः // एनावोऽअग्निन्नमसोजोंन / पातमाहुवे // प्रियञ्चेतिष्ठमरतिवद्धरंविश्वस्यदूतममृतम्॥३२॥ विश्वस्यदूतम् // विश्वस्यदूतममृतविश्वस्यदूतममृतम् // सयौजतेऽ अरुषाविश्वभौजसासदुद्रवत्स्वाहुत: ॥३३॥सदुद्रवत् // सदुद्रव / त्स्वाहुतल्सदुद्रवत्स्वाहुत // सुब्रहायज्ञासुशमीवसूनान्देव / / CK For Private And Personal Page #468 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पृ.अ. // 133 // PLACESS5534 राधोजनानाम् // 34 // अग्नेवाजस्य // अग्नेवाजस्यगोमतऽई 3 शनिस्सहसोयहो // अस्मेधेहिजातवेदोमहिश्श्रवः // 35 // सऽई धान? // सऽईधानोवसुष्कविरग्निरीडेन्यौगिरा // रेवदुस्म्मब्भ्य म्पुर्वणीकदीदिहि ॥३६॥क्षपोरीजन्॥क्षपोराजन्नुतत्क्मनाग्ने / वस्तौरुतोषसः॥सतिग्ग्मजम्भरक्षसौदहप्प्रति // 37 // भद्रो / नः॥भड्रोनोऽअग्निराहुतोभद्रारातिरसुभगभद्रोऽअहर३॥भ // 13 // द्राऽउतप्प्रशस्तयह // 38 // भद्राऽउत / प्रशस्तयोभद्रम्मनःक For Private And Personal Page #469 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aadhara Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir णुष्वत्रतूय्यै // येनासमत्सुसासह // 39 // येनासुमत्सु / सास / होस्त्थुिरातनुहिभूरिशद्धताम् // बनेमातेऽअभिष्टिभिः // 40 // 3 अग्निन्तम्॥अग्निन्तम्मन्येयोवसुरस्तुय्यंग्यन्तिधेनवः॥अस्तु / मन्तऽआशवोस्तुन्नित्यासोबाजिनऽइपस्तोतृभ्युऽआभर // ॥४१॥सोऽअग्निः // सोऽअग्निोबसुर्गुणेसंख्यमायन्तिधेन / // समवन्तोरघुद्रुवत्सन्सुजातास:सूरय इषस्तोतृब्भ्यः आभैर॥४२॥ उभेसुश्चन्द्र / सर्पिषोदवीश्रीणीषऽआसनि / / For Private And Personal Page #470 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kateshsagarsuri Gyanmandir पू.अ. // 1 // 15 // **OSTOMISARISASIRAM उतोनुऽउत्पुपूर्याऽउक्थेपुशवसस्प्पतऽइपस्तोतृभ्यऽआभैर॥ // 43 // अग्नेतम् // अग्नेतमुद्याश्चुन्नस्तोमैल्क्रतुन्नभद्रष्टैदि।" स्पृशम् // ऋद्यामातऽओहै। // 44 // अधाहि // अधाहयग्ग्ने / ऋतौ द्रस्यदक्षस्यसाधो // रथीऽब्रुतस्यबृहतोबभूथे॥४५॥ एभिन्नः // एभिन्नौऽअर्कैर्भवानोऽअर्वाङ्कस्वर्णज्योतिः // अग्नेविश्वेभिन्सुमनाऽअनीकैः // 46 // अग्निहोतारम् // ग्निहोतोरम्मन्न्येदाखन्तंबसुन्सूनुसहसोजातवेदसंबिप्पन्न For Private And Personal Page #471 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Si Kailashsagarsur Gyanmandit SUSALCHOLAUCMCGMCC जातवेदसम्॥ यऽऊर्द्धोखहरोदेवोदेवाच्या॑कृपा॥घृतस्युविभ्रा / ष्टुिमनुवष्टिशोचिषाजुह्वानस्यसम्रिपः॥४७॥अग्नेत्वम् ॥अग्ने है। त्वन्नोऽअन्तमऽउतत्राताशिवोभवावरूत्थ्यः ॥वसुरग्निर्वसुश्र वाऽअच्छानविद्युमत्तम रयिन्दा // तन्त्वांशोचिष्ठदीदिवासु म्नायनूनमीमहेसखिभ्यः // 48 // [29] येनुऽऋषयः // येनुऽ / ऋपयस्तपसासत्रमायुन्निन्धानाऽअग्निखराभरन्त // तस्मि / नहन्निदधेनाकैऽअग्निय्यमाहुर्मानवस्तीर्णबर्हिषम्॥४९॥ तम्प For Private And Personal Page #472 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalastagarsuri Gyanmandir प्र.अ. // 135 // क्रीभिः // तम्पत्नीभिरनुगच्छेमदेवात्पुत्रैर्धातृभिरुतवाहिर पण्यैः ॥नाकङ्गृभ्णानासुकृतस्यलोकेतृतीयपृष्ठेऽअधिरोचनेदिवः | // 15 // // 50 // आवाचः॥ आवाचोममरुहगुरण्युरयमग्निसत्पति चेकितानः // पुष्टेथिच्यानिहितोदविद्युतदधस्पदङ्घणुतांय्येत न्यवः // 51 // अयमग्निः // अयमग्निर्झरतमोब्बयोधासहुनि योद्योततामप्प्युच्छन् / बिभ्राजमानस्सरिरस्यमाऽउपुष्प्रया / // 135 // हिदिच्यानिधाम // 52 // सम्पच्यवद्धमुप / सम्प्रयाताग्नेपथोदे / / For Private And Personal Page #473 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kasagarsur Gyanmandir वयानान्कृणुद्धम् // पुनः कृण्ण्वानापितरायुवानान्न्यातसीत्व यितन्तुमेतम् // 53 // उद्दाख // उहृद्यखाग्ने प्रतिजागृहित्वमि / / शिष्टापूर्तेससृजेथामयञ्च // अस्मिन्त्सुधस्त्थेऽअड्युत्तरस्मिन्वि श्वेदेवायजमानश्च्चसीदत // 54 // येनबहसि। सहस्रंय्येनाग्नेसर्व वेदुसम् ॥तेनेमंय्यज्ञन्नौनयस्वदे॒वेषुगन्तवे // 55 // अयन्तै॥ अय / / दन्तेयोनिऽत्वियोयतोजातोऽअरौचथा॥तञ्जानन्नग्ग्न आरोहा / थांनोबर्द्धयारयिम्॥५६॥[८] तपञ्च॥ तपश्च्चतपस्य॒ञ्चशैशिरा NATASHARK For Private And Personal Page #474 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir पन्तामुग्नयाडमे // शैशिरावरखडवेसी पू. अ. // 15 // // 136 // ASSAGAROO वृतूऽ अग्नेरन्त लेपोसिकल्प्पैतान्द्यावापृथिवीकल्प्पन्तामाप ओषधयुत्कल्प्पन्तामग्नयुत्पृथङ्ममज्यैष्ठ्यायसवता // येऽअई ग्नयत्समनसोन्तराद्यावापृथिवीऽहमे // शैशिरावृतूऽअभिकल्प्प 3 मानाऽइन्द्रमिवदेवाऽ अभिसंविशन्तुतयाँदेवतयाङ्गिरखडुवेसी है दतम् // 57 // परमेष्ठीत्त्वा / सादयतुदुिवस्पृष्टेज्योतिष्म्मतीम् // 3 // विश्वस्म्मैप्पाणार्यापानायच्यानायविश्वज्योतिर्यच्छ॥सूर्य्यस्ते // 16 // धिपतिस्तयाँदेवतयाङ्गिरखड्डुवासींद // 58 // लोकम्घृण / च्छिद्र / For Private And Personal Page #475 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shih ansur Gyanmandir SORDCALENDARMEDNAGROCESS Pम्पृणाथौसीदङ्वात्वम् // इन्द्राग्नीत्वाबृहस्पतिरम्मिन्योना / / वसीपदन्॥५९॥ताऽस्य।सूददोहसत्सोमश्रीणन्तिपृश्न्नयः॥ जन्मन्देवानांविशस्विष्ष्वारोचनेदिवः ॥६०॥इन्द्रंविश्वासाइन्द्रं है। विश्वाऽअवीवृधन्त्समुद्रध्यचसङ्गिरः॥रथीतमरथीनांवाजानां / सत्पतिम्पतिम् // 61 // प्रोथुदवः // प्रोथुदश्वोनयर्वसेविष्ष्य है। न्यदामहसंबरणाट्यस्त्थात् ॥आदस्युबातोऽअनुवातिशोचिरध है। स्म्मतेबजनकृष्ष्णमस्ति ॥६२॥आयोष्ट्वा ॥आयोष्ट्वासदनेसाद For Private And Personal Page #476 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Arena Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 137 // SROGROGRAMOROSCROCOM याम्म्यवतश्छायायासमुद्रस्यहृदये // रश्म्मीवतीम्भाखतीमा ५.अ. याद्याम्भास्यापृथिवीमोर्चन्तरिक्षम्॥६३॥ परमेष्टीत्वा / सादयतु॥१५॥ इदिवस्पृष्ठेच्यचखतीम्प्रथखतीन्दिवैय्यच्छदिवन्दृहुदिवम्माहि / सीह // विश्वस्म्मैप्प्राणायापानायध्यानायौदानायप्रतिष्ठायैच में #रित्राय॥सूर्यस्त्वाभिपातुमहयास्वस्त्याच्छर्दिषाशन्तमेनुतया / देवतयाङ्गिर खडुवेसीदतम् ॥६४॥सहस्रस्याप्रमा। सिसहस्रस्य है। प्रतिमासिसहस्रस्योन्मासिसाहस्रोसिसहस्रायत्त्वा॥६५॥ [9] | 937 // For Private And Personal Page #477 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ROSA ARA***** इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांपंचदशोऽध्यायः॥१५॥श्रीवेदपुरुषा यनमः॥अनुवाकसूत्रम्॥ नमस्तेषोडशहिरण्ण्यवाहवऽउष्णीपि / / णेतक्षभ्योज्येष्ठायपंचकाःस्रुत्यायचतस्रःशंभवायैकापार्यायपंच / द्रापेअंधसोविशतिर्नवषट्पष्टिः // हरिःॐनमस्ते // नमस्तेरुद्र / मन्न्यवऽउतोतऽइपवेनमः॥बाहुब्भ्यामुततेनमः॥१॥याते। रुद्वशिवातनूरघोरापापकाशिनी // तयानस्तन्न्याशन्तमयागिरि / शन्ताभिचाकशीहि॥२॥ यामिषुम्॥ यामिपुङ्गिरिशन्तहस्तैबि / ***** te For Private And Personal Page #478 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू. अ. // 138 // // 16 // भय॑स्तवे // शिवाङ्गिरित्रताङ्कुरुमाहिंन्सीत्पुरुषजगत् // 3 // शिवेनवचसा। त्त्वागिरिशाच्छाबदामसि // यथानुल्सर्वमिजगद।। यक्ष्मन्सुमनाऽअसत्॥४॥ अद्यवोचत्॥ अद्यवोचदधिवक्ताप्पं थमोदैयौभिषक् // अहाँच्चसाञ्जम्भयन्त्साञ्चयातुधान्यो / धराचीपरासुव ॥५॥असौयः // असौयस्ताम्म्रोऽअरुणऽउतब भ्रुश्सुमङ्गले॥येचैन रुद्राऽअभितोदिक्षुश्रितासहस्रशोवैषा / हेडऽईमहे // 6 // असोय ॥असौयौवसप॑तिनीलग्ग्रीवोबिलो // 138 // For Private And Personal Page #479 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir हितमाउतैनङ्गोपाऽअदृश्शून्नदृश्श्रन्नुदहार्म्युल्सदृष्टोपॅडयातिनः / / En7 // नमोस्तु // नमोस्तुनीलग्ग्रीवायसहस्राक्षायमीढुषे ॥अथो / येऽअस्युसत्वानोहन्तेब्भ्योकरन्नमः॥८॥प्रमुञ्च // प्रमुञ्चधन्य है। नस्त्वमुभयोरात्नयोाम् // याचतेहस्तऽइपवरूपराताभगवो / वप // 9 // विज्यन्ध / कपर्दिनोविशल्योबाणवाँरउत ॥अने / शन्नस्ययाऽइषवऽआभुरस्यनिपधिः // 10 // याते / हेतिमी, दुष्टमहस्तेवभूवतेधर्नु // तयारम्मान्विश्वतस्त्वमयुक्ष्म्मयापरि / / MARALAMAUSAMROK For Private And Personal Page #480 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 139 // भुज // 11 // परिते॥परितेधन्वनोहेतिरस्म्मान्वणक्तुविश्वतः॥पू.अ. अथोयऽइषुधिस्तवारेऽअस्म्मन्निधेहितम् // 12 // अवतत्यधनुः॥ // 16 // अवतत्यधनुष्वसहस्राक्षशतेषुधे // नशीलँशल्यानाम्मुखाशि : वोन: सुमनाभव // 13 // नमस्ते॥नमस्तऽआयुधायानांततायधु / ष्णवै॥उभाब्भ्यामुततेनमौबाहुब्भ्यान्तवुधन्वने॥१४॥मानः॥ मानौमहान्तमुतमानोऽअद्भुकम्मानुऽउक्षन्तमुतमानऽउक्षित || // 39 // म्॥ मानौवधीपितरम्मोतमातरम्मान प्पियास्तन्वोरुद्ररीरिप For Private And Personal Page #481 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 15 // मानस्तोके / तनयेमानऽआयुषिमानोगोषुमानोऽअश्चैषु / रीरिषः॥ मानौव्वीरान्द्रभामिनोवधीह॒विष्म॑न्तत्सदुमित्त्वाह / / हवामहे // 16 // [16] शतम् // 800 // नमोहिरण्ण्यवाहवे / सेना न्येदिशाञ्चपतयेनमोनमौवृक्षेब्भ्योहरिकेशेभ्य: पशूनाम्पतयेन / मोनम शष्प्पिजेरायत्त्विपीमतेपीनाम्पतयेनमोनमोहरिके शायोपवीतिनेपुष्टानाम्पतयेनमोनमौबभ्लुशाय // १७॥नमोब / लुशायें। व्याधिनेन्नानाम्पतयेनमोनमोभुवस्यहेत्त्यैजगताम्पत / / CRORECAUGARCANCHAR For Private And Personal Page #482 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. ५.अ. // 14 // SINESCORECAMERCAMMAL येनमोनमोरुद्रायोततायिनेक्षेत्राणाम्पतयेनमोनमःसूतायाह न्त्यैवनानाम्पतयेनमोनमोरोहिताय॥१८॥ नमोरोहिताय।स्त्य / पतयेवृक्षाणाम्पतयेनमोनमोभुवन्तयैवारिवस्कृतायौषधीनाम्प / तयेनमोनमोमन्त्रिणेवाणिजायकक्षाणाम्पतयेनमोनमऽउच्चैग्घौ / पायाक्रन्दयतेपत्तीनाम्पतयेनमोनमः कृन्त्स्नायुतया // 19 // नमः कृत्स्नायतया।धावतेसत्त्वनाम्पतयेनमोनमल्सहमानायनि / / व्याधिन ऽआध्याधिनीनाम्पतयेनमोनमोनिपङ्गिणेककुभायस्ते // 14 // For Private And Personal Page #483 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir नानाम्पतयेनमोनमोनिचेरवैपरिचरायारेण्ण्यानाम्पतयेनमोन मोवञ्चते // 20 // नमोबञ्चते। परिवञ्चतेस्तायूनाम्पतयेनमोनमो | निषङ्गिणऽइषुधिमतेतस्कराणाम्पतयेनमोनमःसृकायिभ्योजि है घसयोमुष्ष्णताम्पतयेनमोनमौसिमन्योनञ्चरयोविकृन्ता है। नाम्पतयेनम।२१।[५]नमऽउष्ष्णीपिणे ।गिरिचरायकुलुञ्चाना है। म्पतयेनमोनमऽ इषुमन्योधन्यायिन्भ्यश्चवोनमोनमऽआतन्वा नेब्भ्य: प्रतिदनिब्भ्यश्चवोनमोनमऽ आयच्छन्योस्ययञ्चयो / For Private And Personal Page #484 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit संहि 059340 पू. अ. // 16 // नमोनमौविसृजय // 22 // नमोविसृजयोविय॑यच्चोनमो / // 141 // नमःस्वपयोजाग्यश्च्चवोनमोनम शयानेब्भ्य आसीनेब्भ्य / चवोनमोनमस्तिष्टयोधावयच्चवोनमोनम सभाब्भ्य।२३।। नमसभाब्भ्यः / सभापतिब्भ्यश्च्चवोनमोनमोश्चेभ्योश्चपति / भ्यच्चवोनमोनमऽआध्याधिनीब्भ्योविवियन्तीब्भ्यश्चवोनमो | नमऽउगणाब्भ्यस्तृतीभ्यश्चवोनमोनमोगुणेब्भ्यः॥२४॥३/ नमोगुणेभ्यो / गुणपतिब्भ्यश्च्चवोनमोनमोबातेभ्योबातपति ************ // 14 // For Private And Personal Page #485 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir *ORISHISH36BOSOMAS उभ्यश्चवोनमोनमोगृत्सैब्भ्योगृत्संपतिब्भ्यश्चवोनमोनमोबिरू पेभ्योविश्वरूपेभ्यच्चवोनमोनमल्सेनाभ्यः॥२५॥ नमल्सेना / भ्य। सेनानिभ्यश्चवोनमोनमौरथिब्भ्योऽअरथेभ्यश्च्चवोन / मोनमःक्षतृभ्य-सङ्ग्रहीतृभ्यच्चोनमोनमौमहन्योऽअर्भके / ब्भ्यश्चवोनमः॥२६॥[५]नमस्तक्षेभ्यानमस्तक्षेभ्योरथकारे / ब्भ्यश्च्चवोनमोनम कुलोलेब्भ्य कारेभ्यश्चवोनमोनमोनि / पादेब्भ्य:पुञ्जिष्टेभ्यश्चवोनमोनमःचुनिभ्योमृगयुब्भ्यश्चवो / For Private And Personal Page #486 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir संहि. पू. अ. // 16 // // 142 // +KASAIRAGAIREGAONKAN नमोनमश्वब्भ्यः।२७ नमश्वब्भ्यश्वपतिब्भ्यश्च्चवोनमोनमा / भवायचरुद्रायचनम’ शुर्वायचपशुपतयेचनमोनीलग्ग्रीवायच शितिकण्ठायचनम कपर्दिने ॥२८॥नम कपर्दिने / चड्युप्तके शायनमःसहस्राक्षायचशतधन्वनेचनमौगिरिशयायचशिपि विष्टायचनमोमीढुष्टमायुचेपुमतेचनमौन्हुवाय॥२९॥नमोन्ह खाय।चवामुनायचनमौबृहतेचवर्षीयसेचनमोवृद्धायचसधैच // 142 // नमोग्र्यायचप्पथुमार्यचनमऽआशवे॥३०॥नमऽआशवे / चाजि MALAMACIS-5456 For Private And Personal Page #487 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kil p arsuri Gyanmandie PARASAKARASASACROSSES रायपुनम शीग्घ्यायचशीब्भ्यायचनमऽ ऊर्त्यांयचावस्वन्न्या | यचनमोनादेयायंचवीप्प्यायच॥३१॥[५]नमोज्येष्ठाय। चकनि / छायचुनम पूर्वजायचापरजायचुनौमधुमायचापगल्ब्भायच / नमौजघन्यायचबुध्न्यायचनमस्सोभ्याय ॥३२॥नमल्सोभ्या है। य / चप्रतिव्यचनमोयाम्म्यायचुक्षेम्म्यायचुनमुल्लोक्या यचावसान्यायचनमऽउर्वव्यचखल्यायचनमोबन्न्याय॥३३॥ नमोवन्याय / चकक्ष्यायचनमः श्रुवायचप्प्रति श्रुवायचनमs HORISOSISUSHISHISHIGASUG For Private And Personal Page #488 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kishsagarsuri Gyanmandit पू. अ. // 16 // साह. आशुणायचाशुरथायचनमहशूरायचावभेदिनैचनमोबिल्म्मि | // 43 // न॥३४॥नमौबिल्म्मिनैचकवचिनचनमोवमिणेचवरूथिनेच | नमः श्रुतायच श्रुतसेनार्यचनोदुन्दुभ्यायचाहनन्यायचुन / मोधृष्णवे // 35 // नमोधृष्ष्णवे।चप्पमुशायंचनमोनिषङ्गिणेचेषु / धिमतेचनमस्तीक्ष्णेफ्वेचायुधिनेचनमः स्वायुधायचसुधन्वनेच | ॥३६॥[५]नमस्रुत्याय। चुपत्थ्या॑यचनमस्काट्यायचनीप्प्या यचनमस्कूल्यायचसरस्यायचनमौनादेयायचश्वशन्तायचुनमः MAGASMOSHASHASHASHISHAHAHAH // 143 // For Private And Personal Page #489 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SASARALAMMAR कूप्प्याय ॥३७॥नमस्कूप्प्याय। चावुयायचनमोबीद्रयायचा / तप्प्यायचनमोमेग्घ्यायचविद्युत्यायचनमोबष्यायचावाय चनमोबात्याया३८ानमोबात्यायाचरेष्म्म्यायचनमोबास्तध्याय चबास्तुपायचनमल्सोमायचरुद्रायचनमस्ताम्म्रायंचारुणायच नमःशङ्गवे।३९।नमः शङ्गवे। चपशुपतयेचनमऽउग्यायचभीमा / यचनमौग्ग्रेवधायचदूरेवधायचनमोहुन्चहनीयसेचनमोवृक्षे | ब्भ्योहरिकेशेभ्योनमस्ताराय॥४०॥[४] नमः शम्भवाय / / HSASRHASARASWARA For Private And Personal Page #490 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 144 // संहि. चमयोभवायचनम शङ्करायचमयस्कुरायचनमः शिवायचशि पू. अ. वतरायच॥४१॥[१] नमुहपाऱ्यांयचावायचनमः प्रतर // 16 // णायचोत्तरणायचनमस्तीर्थ्यांयचकूल्ल्यायचनमहशष्ष्प्यायच है फेन्यायचनम:सिकत्त्याय // 42 // नम:सिकत्यायचप्रवाया है। यचनम’ कि शिलार्यचक्षयणायचुनम कपर्दिनेचपुलस्तयेच / / नमऽइरिण्यायचष्प्रपत्थ्यायचनमोबज्याय॥४३॥ नमोबज्याय // 14 // चुगोष्टुयायचनमस्तल्प्प्यायचुगेयायचुनौहृदुहय्यायचनि / / SHRSHASANSAR For Private And Personal Page #491 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir *OSASAUSOSA वेष्प्यायचुनमुकाट्टयायचगह्वरेष्ठायचुनमुहशुष्क्याय ॥४४॥नाई। महशुष्काय। चहरित्यायचनमः पार्थसच्यायचरजस्यायचुन / मोलोप्प्यायचोलप्प्यायचनमऽऊायचसूायचनमपर्णा | है ये ॥४५॥नम:पर्णाय / चपर्णशुदाय॑चनमऽउद्गुराणायचा है। भिन्नतेचनमऽआखिदुतेचप्पखिदुतेचनमऽइषुकृयोधनुष्कृयश्च / वोनमोनमौवकिरि केब्भ्योदेवाना हृदयेब्भ्योनमौविचिन्वत्के / भ्योनमौविक्षिणुत्केब्भ्योनमऽआनिर्हतेब्भ्यं ॥४६॥[५]द्रापेऽ For Private And Personal Page #492 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 145 // संहि. अन्धसः ॥द्रापेऽअन्धसस्पतेदरिद्रनीललोहित॥आसाम्प्रजाना है। 6 मेषाम्पशूनाम्माभेर्मारोङ्मोचनकिञ्चनाममत् // 47 // इमा है। // 16 // है रुद्राय / तवसेकपर्दिनेक्षयद्वीरायुप्पभरामहेमती // यथाशमसे विपदेचतुष्ष्पदेविश्वम्पुष्टङ्ग्रामेऽअस्म्मिन्ननातुरम् ॥४८॥याते। रुद्रशिवातनूशिवाविश्वाहाभेषजी॥ शिवारुतस्यभेषजीतयानो है। मृडजीवसे // 49 // परिनः॥परिनोरुद्रस्यहेतिर्दृणक्नुपरित्वेपस्य // 145 // दुर्मतिरघायोः // अवस्थुिरामघवन्यस्तनुष्ष्वमीडस्तोकायुतन NAGAGAIGANGA For Private And Personal Page #493 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir KAMACHALCOMCOCCUSA यायमृड // 50 // मीढुष्टमशिव॑तम / शिवोन:सुमनाभव // पर मेवृक्षऽआयुधन्निधायुकृत्तिवसानुऽआचरपिनाकम्बिभ्रदागहि॥ // 51 // विकिरिद्रुविलौहित। नमस्तेऽअस्तुभगवः ॥यास्तैसहस्र हेतयोन्यमस्म्मनिवपन्तुता ॥५२॥सहस्राणिसहस्रशः॥ सह / / स्राणिसहस्रशोबाह्वोस्तवहेतयः॥ तासामीशानोभगवत्पराची / नामुखाकृधि // ५३॥असङ्ख्यातासहस्राणि / येरुद्वाऽअधिभूई म्याम् ॥तेषांसहस्रयोजनेवधन्वानितन्मसि // 54 // अस्म्मि / For Private And Personal Page #494 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kasagarsur Gyanmandir संहिन्महुति॥अस्म्मिन्महत्यर्णवेन्तरिक्षेभवाऽअधि // तेपोसह पू. अ. // 14 // सयोजनेवधन्वानितन्मसि // 55 // नीलग्नीवाशितिकण्ठो॥ है नीलग्ग्रीवालशितिकण्ठादिवरुवाऽउपश्थिता // तेपोसहस्र / / योजनेवधन्वानितन्मसि॥५६॥नीलग्ग्रीवाशितिकण्ठौ ।शर्वाऽ अधक्षमाचरा? // तेषासहस्रयोजनेवधन्वानितन्मसि॥५॥ येवृक्षेषु / शष्प्पिञ्जरानीलग्ग्रीवाबिलौहिताः // तेपोसहस्रयो / जनवधन्यानितन्मसि // 58 // येभूतानाम्॥येभूतानामधिपतयो / **USAHARASHARIPOSA 645625845454552 14 // 146 // For Private And Personal Page #495 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir विशिखास कपर्दिन // तेषासहस्रयोजनेवधानितन्मसि / // 59 // ये थाम् // ये थाम्पथिरक्षया लंबृदाऽआयुयुधः // तेषांसहस्रयोजनेवधन्वानितन्मसि / / 60 // येतीर्थानि / प्रच है। रन्तिसृकाहस्तानिषङ्गिणः॥तेषांसहस्रयोजनेवधवानितन्म। सि॥६१॥येन्नेषु / विविय॑न्तिपात्रेषुपिबतोजनान्॥ तेषासह / स्रयोजनेवधन्वानितन्नमसि॥६२॥ य एतावन्तः ॥यऽएतावन्त / चभूयासश्चदिशोरुद्रावितस्त्थिरे // तेपोसहस्रयोजनेवध For Private And Personal Page #496 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सा 5. अ. // 147 // // 16 // संहि.न्यानितन्मसि // 6 // नमोस्तु।रुद्रेभ्योयेदिवियेषांवर्पमिपंवला है तेब्भ्योदशप्पाचीईशदक्षिणादर्शप्पतीचीर्दशोदीचीईशो ? // तेभ्योनमोऽ अस्तुतेनौवन्तुतेनौमृडयन्तुतेयन्दुिष्म्मोयचनोवे / ष्टितमेषाञ्जम्भैदध्म॥६४॥ नमोस्तु। रुद्रेभ्योयेन्तरिक्षेयेपांवा तऽइपवह // तेब्भ्योदशप्पाचीर्दशदक्षिणादशप्पतीचीर्दशोदीची | ईशो शतेब्भ्योनमोऽअस्तुतेनौवन्तुतेनामृडयन्तुतेयन्द्विष्म्मो // 147 // यश्चनोद्वेष्टितमैपाञ्जम्भैदध्म॥६५॥नमोस्तु / रुद्रेभ्योयेथि / / MAUCAMGARSESSMS For Private And Personal Page #497 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kayleshsagarsuri Gyanmandir SACARALLAMA च्यांय्येषामन्नमिषवनातेब्भ्योदशुप्पाचीईशदक्षिणादशप्पतीची है। ईशोदीचीईशो र // तेब्भ्योनमोऽअस्तुतेनोवन्तुतेनोमृडयन्तु है तेयन्द्रुिष्म्मोयच्चनोद्वेष्टितमेषाञ्जम्भैदध्मः // 66 // [20] इति / श्रीवाजसनेयसंहितायांषोडशोऽध्यायः॥१६॥श्रीवेद्पुरुषायनमः अनुवाक्सूत्रम् // अश्मन्नूर्जदशनमस्तेपंचाग्निस्तिग्मेननवचक्षुषः / पिताष्टावाशुःशिशानःसप्तदशोदेनंक्रमध्वमग्निनापंचदशकौशुक्र / ज्योतिःसप्तेमस्तनंत्रयोदशनवैकोनशतं // हरिःॐअम्मनूज है। For Private And Personal Page #498 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 17 // म्॥अश्म्मन्नू म्पव॑तेशिश्रियाणामयऽओषधीब्भ्योवनस्पति पू.अ. // 148 // भ्योअधिसम्भृतम्पयः॥तान्नऽइषमूर्जन्धत्तमरुतत्सबरराणाs अश्म्मस्तेक्षुन्मर्यितऽऊ>न्द्विष्म्मस्तन्तेशुगृच्छतु॥१॥इमामे।। अग्नऽइष्टकाधेनवः सन्त्वेकाचदर्शचदर्शचशुतञ्चशतञ्चसहस्रञ्च सहस्रञ्चायुतंञ्चायुतंञ्चनियुतञ्चनियुञ्चिप्रयुतञ्चार्बुदञ्चन्यर्बुदञ्चस / मुद्रश्चमाञ्चान्तच्चपरार्द्धश्चैतामैऽ अगाऽइष्टकाधेनवःसन्त्व। मुत्रामुष्मिँल्लोके // 2 // ऋतवस्त्थ / ऽवृधऽऋतुष्टास्त्थान RCHAKRAHASSANA // 148 // For Private And Personal Page #499 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 1 www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit सि॥ पायको %25ARASHTRA ऋतावृधः॥घृतश्चुतौमधुश्चुतौब्बिराजोनामकामदुघाऽअक्षीय माणाः // 3 // समुद्रस्य॑त्वा // समुद्रस्यत्वावकयाग्नुपरच्ययाम / सि॥ पावकोऽअस्म्मब्भ्य शिवोभव // 4 // हिमस्यत्त्वा / जरा / युणाग्नेपरिच्ययामसि ॥पावकोऽअस्म्मब्भ्य:शिवोभव // 5 // / उपज्मन् // उपज्मन्नुपवेतसेवतरनदीष्ष्वा // अग्नेपित्तमपामसि मपण्डूकिताभिरागहिसेमन्नोयज्ञम्पावकवर्ण शिवधि॥६ अपामिदम् // अपामिदन्न्ययन समुद्रस्यनिवेशनम् // अन्याँ पावकोऽरमा अग्नेपित्तमुपामा For Private And Personal Page #500 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू.अ. संहि. स्तेऽअस्म्मत्तपन्तुहेतयः पावकोऽअस्म्मब्भ्य शिवोभव // 7 // // 149 // अग्नेपावक / रोचिषामुन्द्रयादेवजिह्वया ॥आदेवान्वक्षियक्षिच // 8 // सन पावकदीदिवोग्नेदेवाँऽइहावह // उपयज्ञ-हुविश्च / / नई॥९॥ पावुकयायः॥पावकयायश्चितयन्त्याकृपाक्षामन्त्रुरु / चऽउषसोनभानुना // तूर्बनयामुन्नेतशस्यनूरणुऽआयोघृणेनतत / / पाणोऽअजर’ // 10 // [10] नमस्ते // नमस्तेहरसेशोचिपेनम | इस्तेऽअस्त्वर्चिपै॥अन्न्याँस्तैऽअस्म्मत्तपन्तुहेतयः पावकोऽअस्म्म / REISIGIOSASSARISHA // 149 // For Private And Personal Page #501 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAMACHAR भ्यं शिवोभव॥११॥ नृपदेवेट् // नृषदेवेर्डप्प्सुपदेवेड्डर्हिषदेवेड नसदेवेविदेवेट् ॥१२॥येदेवाः॥येदेवादेवानांव्यज्ञियायज्ञियो / नासंवत्सरीणमुप॑भागमासते // अहुतादोहविपौयज्ञेऽअस्म्मि है न्त्स्वयम्पिबन्तुमधुनोघृतस्य॑ ॥१३॥येदेवाः॥ येदेवादेवेष्ष्वधि : देवत्त्वमायन्येबह्मणत्पुरऽएतारोऽअस्य // येभ्योनऽऋतेपर्वतेधा / मकिञ्चननतेदिवोनथिच्याऽअधिस्नुषु।१४।प्राणदापानुदा॥ प्राणदाऽअपानुदाच्यानुदाबर्बोदावरिवोदाय // अन्न्याँस्तैऽअस्म्म For Private And Personal Page #502 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandir पू. अ. // 150 // तपन्तुहेतयं पावकोऽअस्म्मब्भ्य शिवोभव // 15 // [5] अग्नि स्तिग्ग्मेन / शोचिषायासद्विश्चन्युत्रिणम् ॥अग्निौबनतेरयिम् / ॥१६॥यऽइमा। विश्वाभुवनानिजुह्वदृपिझैतान्यसीदत्पितानः॥ सऽआशिपाद्रविणमिच्छमानहप्प्रथमच्छदव(२आविवेश।१७॥ किखित् // किखिदासीदधिष्ठानमारम्भणङ्कतमत्खित्कथा / सीत् // यतोभूमिओनयन्विश्वकर्माविद्यामौणोन्महिनाविश्व // 150 // चक्षा // 18 // विश्वतश्चक्षुरुत। विश्वतोमुखोविश्वतोवाहुरुतवि For Private And Personal Page #503 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir श्वतस्प्पात् // सम्बाहुब्भ्यान्धमतिसम्पतत्रैवाभूमीजनयन्दे है। वऽएक // 19 // किखित् // किस्विद्वनङ्कऽउसवृक्षऽआंसुय / / तोद्यावापृथिवीनिष्टतक्षु३॥ मनीषिणोमनसापृच्छतेदुतद्यदुद्ध्यति / ष्ठ वैनानिधारयन् // 20 // याते॥ यातेधामानिपरमाणियाव / / मायामामाविश्वकर्मान्नुतेमा // शिक्षासखिभ्योहविपिखधा / वल्स्वयंय्यजखतन्वंबंधान? // 21 // विश्वकर्मन्हविषा। वावृधा है। नस्वयंय्य॑जखपृथिवीमुतद्याम्॥मुह्यन्त्वन्न्येऽअभितःसुपत्काs For Private And Personal Page #504 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit प्र.अ. // 15 // // 17 // संहि. इहास्म्माकम्मघासूरिरस्तु ॥२२॥वाचस्पतिम् // वाचस्पति / / विश्वकर्माणमूतयेमनोजुवंबाजेऽअद्याहुवेम // सनोविश्वानिह / / वनानिजोषद्विश्वशम्भुरवसेसाधुका // 23 // विश्वकर्मन्हुवि / पा। बर्द्धनेनत्रातारमिन्द्रमकृणोवुद्ध्यम् // तस्म्मविशल्समैनम न्तिपूर्वीर यमुग्योबिहध्योयथासत्॥२४॥ [9] चक्षुपक्षपिता। मन साहिधीरोघृतमैनेऽअजनन्नम्नमाने // यदेदन्ताऽअददृहन्तपूर्व आदिद्यावापृथिवीऽअप्प्रथेताम् ॥२५॥विश्वकर्माविमनाव ESS******AHISISHA // 151 // For Private And Personal Page #505 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ISISCARRACKGROICE श्वकर्माविमनाऽआद्विहायाधाताविधातापरमोतसन्दृक् // तेषा मिष्टानसमिषामदन्तियत्रांसप्तऽऋषीन्पुरऽएकमाहुः // 26 // योन’ / पिताजनितायोविधाताधामानिव्वेभुव॑नानिविश्वा // योदेवानान्नामधाऽएकऽएवतसम्प्रश्नम्भुव॑नायन्त्युन्न्या।२७।। तऽआयजन्तद्रविणसमस्म्माऽपयत्पूर्वजरितारोनभूना॥असू सूर्तेर सिनिषत्तेयेभूतानिसमकृण्ण्वन्नुिमानि॥२८॥पुरोदिवा।।। परऽएनाथच्यापुरोदेवेभिरसुरैर्य्यदस्ति // कस्विद्गमम्प्रथुम For Private And Personal Page #506 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kissagersuri Gyanmandit प्र.अ. // 152 // 5 // 17 // संहिन्दऽआपोयत्रदेवासमपश्यन्तपूर्वे // 29 // तमित् ॥तमिद्गर्भ म्प्रथमन्दडआपोयत्रदेवासुमर्गच्छन्तुविश्च // अजस्युनाभा / है वोकपितय्यस्म्मिविश्वानिभुवनानितस्त्थुः॥३०॥नतम् // / नतंविदाथयऽडुमाजुजानान्न्ययुष्म्माकुमन्तरम्बभूव // नीहारेण / प्रावृताजल्याचासुतृपऽउक्थशासश्चरन्ति॥३१॥ विश्वकर्मा / हि // विश्वकर्माहयजनिष्टदेवऽआदिद्गन्धोऽअभवद्द्वितीयः॥ // 152 // तृतीय पिताजनितौषधीनामुपाङ्गर्भव्यदधात्पुरुत्रा // 32 // [8] HAHAHAHAHAHAHAHA MCASGANGACANCECAMGANGACADA For Private And Personal Page #507 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir MOCH 435***OHISHAHAHA आशुशिशान // आशुशिशानोवृषभोनभीमोघनाघनश्क्षोभ णश्चर्षणीनाम् // सुन्दनोनिमिषऽएकवीरश्शत सेनाऽअजय / / त्साकमिन्द्रः // 33 // सङ्क्रन्दनेनानिमिषेण। जिष्ष्णुनायुक्त्कारे / / णदुश्च्यवनेनधृष्ष्णुना // तदिन्द्रेणजयततत्संहईच्युधोनरऽइषु / हस्तेनवृष्ष्णा ॥३४॥सऽइपुंहस्तैः // सऽइपुंहस्तै सनिपङ्गिभिर्छ / शीसस्रष्वासयुधऽइन्द्रोगणेन // सदसृष्टुजित्सोमपाबाहुशर्युग्य धन्वाप्पतिहिताभिरस्ता // ३५॥बृहस्प्पतेपरि / दीयारथेनरक्षो For Private And Personal Page #508 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू.अ. // 153 // संहि. हामित्रो२ऽअपुबाधमानः // प्रभञ्जन्त्सेनाप्रमृणोयुधाजयन्न / सम्माकमेयवितारानाम् // 36 // बलुविज्ञायस्त्थविर // बलवि, // 17 // ज्ञायस्थविर हप्प्रवीर सहखान्याजीसहमानऽग्निः // अभिवी | रोऽअभिसत्वासहोजाजैत्रमिन्द्ररथमातिष्ठगोवित् // 37 // गोत्र भिदङ्गोविदम् // गोत्रभिदङ्गोविदं वज्रबाहुञ्जयन्तमज्मप्प्रमृण / न्तमोजसा।इम-सजाताऽअनुवीरयद्धमिन्द्रसखायोऽअनुस. 153 रभद्धम् ॥३८॥अभिगोत्राणि ॥अभिगोत्राणिसहसागाहमानो COCOCCAMERASACARSA For Private And Personal Page #509 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandir SMSALAMSALMERO योवीरश्शुतमैन्युरिन्द्रः ॥दुश्च्यवनश्पृतनापाडयुयोरम्माकुरु / सेनाऽअवतुप्पयुत्सु // 39 // इन्द्रऽआसाम् // इन्द्रऽआसान्नेताबृहु / स्पतिर्दक्षिणायज्ञापुरऽएतुसोमः॥ देवसेनानामभिभञ्जतीनाञ्ज / यन्तीनाम्मरुतौयुन्त्वग्यम्।४।इन्द्रस्यवृष्ष्ण। इन्द्रस्यवृष्ष्णो / वरुणस्य॒राज्ञऽआदित्यानाम्मरुताशर्द्धऽउग्यम् // महामनसा / / म्भुवनच्च्यवानाङ्घोषौदेवानाञ्जयतामुदस्त्थात् // 41 // उद्धर्षय / मघवन्नायुधान्युत्सत्वनाम्मामुकानाम्मनसि॥उद्धृत्रहन्न्याजि For Private And Personal Page #510 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 15 // // 17 // संहिनाबाजिनान्द्रानाञ्जयतांय्यन्तुघोषा॥ 42 // अस्म्माकमि पू. अ. इन्द्रः / समृतेषुद्धजेष्ष्वम्माकंजाऽइपवस्ताजयन्तु // अम्माकै बीराऽउत्तरेभवन्त्वस्म्माँ२ऽउंदेवाऽअवताहवेषु ॥४३॥अमीषा ञ्चित्तम् // अमीषाञ्चित्तम्प्रतिलोभयन्तीगृहाणाङ्गान्यप्वेपरेहि // अभिप्रेहि निर्देहहृत्सुशोकैरन्धेनामित्रास्तमसासचन्ताम् / 44 / / / अवसृष्टापरा। पतशरध्येबमस सिते॥गच्छामित्राप्रपद्यस्व है // 154 // मामीषाङ्कञ्चनोछिपः॥४५॥ प्रेत॥प्रेताजयतानरऽइन्द्रौवल्शम ****** ASKALIOROSCARRIGANSAR For Private And Personal Page #511 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir / यच्छतु॥उग्यावःसन्तुबाहवौनाधृष्ष्यायथासंथ॥४६॥असौया। सेनामरुतस्परेषामब्भ्यैतिनओजसास्प्पर्द्धमाना॥ताङ्गेहततमुसा है। पत्रतेनुयथामीऽअन्योऽअन्यन्नजानन् // 47 // यत्रबाणा / सम्प तन्तिकुमाराविशिखाऽइव // तन्नऽइन्द्रोबृहस्प्पतिरदितिशम्म॑ / / यच्छतुविश्वाहाशमयच्छतु॥४८॥ मम्माणिते ॥माणितेव / मणाच्छादयामिसोम॑स्त्वाराजामृतेनानुवस्ताम् // उरोबरीयोब है रुणस्तकृणोतुजयन्तन्त्वानुदेवामदन्तु॥४९॥[१७] उदैनम् // For Private And Personal Page #512 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 155 // CAS-CIRCLICADAINIK उदैनमुत्तरानयाग्नेघृतेनाहुत // रायस्प्पोषेणुसह-सृजप्प्रजयाच बहूधि // 50 // शतम्॥९००॥ इन्द्रेमम् // इन्द्रेमम्प्रतुरान्नयस जातानामसवशी॥समैनबर्चसासृजदेवानाम्भागदाऽअसत्।५१॥ यस्यकुर्मः॥ यस्यकुम्भॊगृहेहुविस्तमग्नेबर्द्धात्वम्॥तस्म्मैदेवाऽ / अधिबवन्नुयञ्चब्रह्मणस्पतिः॥५२॥ उर्दुत्वा।।उदुत्वाविश्वेदेवाऽ अग्नेभरन्तुचितिभिः ॥सनोभवशिवस्त्व सुम्पतीकोविभावसु // 53 // पञ्चदिशः॥पञ्चदिशोदैवीर्य्यज्ञम॑वन्तुदेवीरपामतिन्दुम / / // 155 // For Private And Personal Page #513 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir KASAMACASSECORGANA तिम्बाधमाना॥रायस्प्पोषयज्ञपतिमाभजन्तीरायस्प्पोषेऽअधि यज्ञोऽअस्त्थात्॥५४॥समिद्धेऽअग्नौ॥ समिद्धेऽअग्नावधिमामहा / नऽउक्थपत्रऽईड्डयोग्रभीतः॥तप्प्तङ्घर्मम्परिगृह्यायजन्तोर्जाय / द्यज्ञमयजन्तदेवा // 55 // दैव्यायध।जो देवश्री श्रीमना शतपया॥ परिगृह्यदुवायुज्ञायन्दुवादेवेभ्योऽअद्ययंन्तोऽ स्त्थुः // 56 // बीतन्हुवि ।शमित शमितायुजचैतुरीयोयज्ञो / यत्रहध्यमेति ॥ततौबाकाऽआशिषौनोजुषन्ताम्॥५७॥ सूर्य्यर For Private And Personal Page #514 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि रिमर्हरिकेशहपुरस्तात्सविताज्योतिर्हृदयाँ२अज॑स्रम्॥ तस्यपूषा पू. अ. // 15 // प्रसवेयातिविद्वान्त्सुम्पश्यन्विश्चाभुवनानिगोपाः॥५८॥ विमा // 17 // नाएषः // विमान एषदिवोमधऽआस्तऽआपप्प्रिवानोदसीऽ न्तरिक्षम् ॥सविश्वाचीरभिचष्टेघृताचीरन्तरापूर्वमपरञ्चकेतुम् // // 59 // उक्षासमुद्रः॥ उक्षासमुद्रोऽअरुणसुपर्णपूर्वस्ययोनि / म्पितुराविवेश // मद्यैदिवोनिहितत्पृश्निरश्म्माविचक्रमेरजस है। स्प्पात्यन्तौ ॥६०॥इन्द्रंविश्वा // इन्द्रंविश्वाऽअवीवृधन्त्समुद्र | // 156 // For Private And Personal Page #515 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SANGACARRICANSAR च्यचसङ्गिरः॥ीतमरथीनांबाजोनासत्प॑तिम्पतिम्॥६१॥ देवहूर्यज्ञः // देवहूर्यज्ञऽआचवक्षत्सुम्नहूर्य्यज्ञऽआचवक्षत् // यक्षदग्निर्दवोदेवाँरआचव्वक्षत् // 62 // वाजस्यमा। प्रसवऽउहा है। भेणोदग्ग्रभीत् // अधासुपत्कानिन्द्रोमेनिग्ग्राभेणाधराँ२ऽअकः / // 63 // उद्दाभञ्च / निग्याभञ्चबहह्मदेवाऽअवीवृधन् // अधासप / कानिन्द्राग्नीमेविषूचीनाव्यस्यताम् // 64 // [15] क्रमद्धमग्नि / ना // क्रमद्धमग्निनानाकमुक्ख्यव्हस्तैबिभ्रत // दुिवस्पृष्ठ For Private And Personal Page #516 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 157 // // 17 // संहि. खर्गत्वामिश्रादेवेभिराद्धम्॥६५॥प्राचीमनु।प्रदिशम्प्रेहिविद्वा .अ. नग्नेरेग्नेपुरोऽअग्नि वेह // विश्वाऽआशादीद्यानोविभाहयूजन्नो / धेहिद्विपदेचतुष्प्पदे // 66 // पृथिध्याऽअहम्॥पृथिच्याऽअहमुद / न्तरिक्षमारुहमन्तरिक्षा दिवमारुहम्॥ दिवोनाकस्यपृष्ठात्स्वज्यो / तिरगामुहम् // 67 // स्वय॑न्तः॥स्वर्यन्तोनापेक्षन्तऽआद्या रोहन्तिरोदसी।यज्ञंय्येविश्वतोधारसुविद्वासोवितेनिरे॥६॥ अग्नेप्र॥ अग्नेप्प्रेहिप्प्रथमोदेवयुताञ्चक्षुर्दैवानामुतमर्त्यांनाम्॥इय | // 157 // For Private And Personal Page #517 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ROGRAMMERCOMCUDG क्षमाणाभृगुभिसजोषा स्वय॑न्तुयज॑मानास्वस्ति॥६९॥नको / पास ॥नक्तोपासासमनसाविरूपेधापयतेशिशुमेकन्समीची // द्यावाक्षामारुक्मोऽअन्तर्विभातिदेवाऽ अग्निन्धारयन्द्रविणोदार // 70 // अग्नेसहस्राक्ष / शतमूर्द्धञ्छतन्तप्पाणाश्सहस्रध्याना॥ त्वम्साहुस्रस्य॑रायऽईशितसम्मैतेविधेमबाजायखाहा // 71 // सुपर्णोसिगुरुक्मान्पृष्ठेपृथिच्याश्सीद॥भासांतरिक्षमाणज्यो तिपादिवमुत्तभानुते सादिशऽउदृष्ह ॥७२॥आजुबानत्सुष्प BARASHARA For Private And Personal Page #518 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir संहि-तीकपुरस्तादग्ग्नेखंय्योनिमासीदसाधुया॥अस्म्मिन्त्सधस्थेऽ/ पू.अ. // 15 // अड्युत्तरस्मिन्विश्वेदेवायजमानश्चसीदत // 73 // तासवितु // तासवितुर्वरेण्यस्यचित्रामाहंणेसुमतीविश्वजन्याम् // याम स्यकण्ण्वोऽअदुहृत्पपीनासहस्रधाराम्पयसामहीङ्गाम् // 74 // विधेमते / पर मेजन्मन्नग्ग्नेविधेमस्तोमैरवरेसुधस्थै // यस्म्माद्यो / 1 नेरुदारिथायजेतम्प्रत्त्वेहवीपिंजुहुरेसमिद्धे॥७५॥प्रेद्धोऽअग्ने॥ 3 // 15 // प्रेद्धोऽअग्नेदीदिहिपुरोनोस्रयासूायविष्ट // त्वाशचन्ता MASALAMACHARACK For Private And Personal Page #519 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir RAHA*****USASUS उपयन्तिवाजा // 76 // अग्ग्नेतम् // अग्नेतमद्याश्चन्नस्तोमैऋतु नभद्रष्टेदुिस्पृशम् // ऋयामातऽओहैना७७॥चितिञ्जुहोमि॥ चित्ति होमिमनसाघृतेनयर्थादेवाऽ इहागमन्वीतिहौत्राऽऋता है। वृधः // पत्त्येविश्वस्यभूमनोजुहोमिविश्वकर्मणेविश्वाहादा भ्य हविः // 78 // सुप्तते / ऽअग्नेसमिधःसुप्तजिह्वाश्सप्तऽक पियत्सप्तधामप्पियाणि ॥सप्तहोत्रांसप्तधात्वायजन्तिसप्तयो / नीरार्पणवघुतेनुस्वाहा॥७९॥[१५] शुक्रज्योतिश्च / चित्रज्यो / For Private And Personal Page #520 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandi संहित तिच्चसुत्यज्योतिश्च्चज्योतिष्म्माँश्च ॥शुक्रच्चऽऋतुपाश्चात्य // 15 // हा॥८०॥ईदृ॥ ईदृन्न्यिादृङसदृचप्पतिसदृ॥ मितश्च // 17 // सम्मितचुसभराला८१॥ऋतच्चसत्यच्चद्दुवश्चधुरुणच॥धर्ता / चविधरौचविधारयः॥८२॥ ऋतजिच्च / सत्त्युजिच्चसेनजिच्चसु / पेणच॥अन्तिमित्रच्चदूरेऽअमित्रच्चगुणः ॥८॥ईदृक्षासऽए / / तादृक्षासनाईदृक्षासऽएतादृक्षासऽऊपुणः सदृक्षासहप्रतिसदृक्षा। सऽएतन // मितासंचसम्मितासोनोऽअद्यसभैरसोमरुतोयज्ञेऽ MORECARDAMACHAR // 159 // For Private And Personal Page #521 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SACROSOCISCLAMGARL अस्म्मिन् // 84 // स्वतवाँच्च // प्रघासीचसान्तपनच्चगृहमेधी / / च ॥ीडीचशाकीचौजेपी॥८५॥ इन्द्रन्दैवी // इन्द्रंन्दैवीवि, शोमरुतोनुवर्मानोभवन्यथेन्द्रन्दैवीर्विशोमरुतोनुवांनो भवन्॥एवमिमंयजमानन्दैवीश्चविशोमानुपीश्चानुवर्मानो। भवन्तु // 86 // [7] इमस्तनम् ॥इमस्तनमूर्जस्वन्तन्धया / पाम्प्रपीनमग्नेसरिरस्यमद्ये // उत्सञ्जुषस्वमधुमन्तमन्त्समुद्रि / यसदनमाविशस्व ॥८॥घृतम्मिमिले। घृतमस्यूयोनिघृतेश्र For Private And Personal Page #522 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि पू. अ. // 160 // // 17 // SEARCOACCRHASHARACTS तोघृतम्म्वस्यधाम // अनुष्ष्वधमावहमादयस्वस्वाहाकृतंवृषभव है। क्षिहच्यम् ॥८॥समुद्रादूमि॥ समुद्रादुमिर्मधुमाँउदारद है। पाशुनासममृतत्वमनिट् // घृतस्यनामगुहयुय्यदस्तिजिह्वादे वानाममृतस्यनाभिः // 89 // यन्नाम // यन्नामप्रबवामाघृत , स्याम्मिन्यज्ञेधारयामानमोभिः // उपब्रहमाणवच्छस्यमान है। चतु:शृङ्गोवमीगौरऽएतत् // 90 // चत्त्वारिशृङ्गा // चत्वारिशृङ्गा // 10 // त्रयोऽअस्यपादाद्वेशीर्षेसप्तहस्तासोऽअस्य // त्रिधाबद्धोवृषभोरौ For Private And Personal Page #523 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAHARAS रवीतिमहोदेवोमरिऽआविवेश॥९१॥त्रिधाहितम्॥ त्रिधाहि / तम्पणिभिर्गुहृयमानङ्गर्विदेवासोघृतमन्न्व॑विन्दन् // इन्द्रऽएका / सूर्यु एकजजानवेनादेस्वधयानिष्ठतक्षुः // 92 // एताऽ पन्ति // एताअर्पन्तिहृद्यात्समुद्राच्छतबेजारिपुणानावचक्षे // घृतस्यधाराऽअभिचाकशीमिहिरण्ययोवेतसोमध्यऽआसाम् // // 93 // सम्म्यक्स्रवन्ति। सुरितोनधेनोऽअन्तर्हृदामनसापूयमा नालाएतेऽअर्पन्त्यर्मयोघृतस्य॑मुगाऽईवक्षिपणोरीपमाणा।९४ाई JAIGAGRICORIGI For Private And Personal Page #524 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. S // 161 // OSTOSAS सिन्धौरिव प्राद्धने // सिन्धौरिवप्प्राद्धनेशूघनासोवातप्प्रमियल्प पू. तयन्तियुबाशाघृतस्यधाराऽअरुषोनवाजीकाष्ठाभिन्दन्नूमिभिः // 17 // पिवमानः॥ 95 // अभिप्रवन्त // अभिप्रवन्तसमनेवयोपोस्क है ल्याण्ण्यत्स्म्मय॑मानासोऽअग्निम्॥घृतस्यधारात्समिधौनसन्त है ताजुषाणोहर्य्यतिजातवेदा॥९६॥कन्याऽइवबहुतुम् // कन्याऽ इवबहुतुमेतवाऽऽअज्यञ्जानाऽअभिचाकशीमि // यत्रुसोमः / सूयतेय–यज्ञोघृतस्यधाराऽअभितत्त्ववन्ते॥१७॥अभ्य // 16 // 4 For Private And Personal Page #525 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir MAMAKADCAMACARLAR तिच्यमाजिमस्म्मासुभद्राबविणानिधत्त॥ इमंयज्ञन्नयतदेवता / नोघृतस्यधारामधुमत्पवन्ते॥९८॥धामन्ते॥धामन्तेविश्वम्भु : वनमधिश्श्रुितमन्त?समुद्रेहृद्यन्तरायुषि॥अपामनीकेसमिथेयक, आतुस्तमैश्यामुमधुमन्तन्तऽम्मिम् // 99 // [13] इतिश्री / / वाजसनेयसंहितायांसप्तदशोऽध्यायः॥१७॥श्रीवेदपुरुपायनमः / अनुवाक्सूत्रम् // वाजःसत्यमूर्कचतुष्काअश्माग्निस्त्रिकावन्शुः / / पंचैकाचतस्रोवाजायद्वेवाजस्यन्न्वष्टावृतापाट्त्रयोदशानिंयुन For Private And Personal Page #526 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsparsuri Gyanmandir पू.अ. संहि.ज्मिसप्तयदाकूताद्वार्त्रहत्यायदशकौत्रयोदशसप्तसप्ततिः॥ हरिः // 12 // ॐबाच्च। मेप्रसुवश्चमेप्रय॑तिश्चमेप्रसितिश्चमेधीतिश्चमेक है। तुश्चमेखरेच्चमेश्श्लोकच्चमेश्रवचमेश्श्रुतिश्चमेज्योतिश्च | मेस्वश्चमेयशेनकल्प्पन्ताम् ॥१॥प्राणश्च / मेपानच्चमेध्यान है। चमेसुश्चमेचित्तञ्चमऽआधीतञ्चमेवाक्चमेमनच्चमेचक्षुश्च्चमे है। श्रोत्रञ्चमेदश्चमेबलञ्चमेयुज्ञेनकल्प्पन्ताम् // 2 // ओजच्च।। 162 // मेसहश्चमऽ आत्क्माचमेतनूश्चमेशर्मचमेवर्मंचमेङ्गानिचुमे COLLECR5555A4 For Private And Personal Page #527 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir स्थीनिचमेपरूपिचमेशरीराणिचम आयुश्चमेजराचमेयज्ञे / नेकल्प्पन्ताम्॥३॥ज्ज्यैष्ठयञ्च / मुऽआधिपत्त्यञ्चमेमन्युश्चमेभा है। मश्चमेमश्चमेम्भच्चमेजेमाचमेमहिमाचमेवरिमाचमेप्रथि। मार्चमेवर्षिमाचमेद्राधिमाचमेबृद्धञ्चमेवृद्धिश्चमेयुज्ञेनकल्प्प १न्ताम् // 4 // सुत्त्यञ्च। मेश्रद्धाचमेजगच्चमेधनञ्चमेविश्वञ्चमेमह / चमेक्रीडाचमेमोर्दश्चमेजातञ्चमेजनिष्यमाणञ्चमेसूक्तञ्चमेसु / कृतञ्चमेयुज्ञेनकल्प्पन्ताम् ॥५॥ऋतञ्च / मेमृतञ्चमेयुक्ष्मञ्चमेना / For Private And Personal Page #528 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir साहि // 163 // // 18 // STORRENOMORROR मयच्चमेजीवातुश्च्चमेदीर्घायुत्वञ्चमेनमित्रञ्चमेभयञ्चमेसुखञ्चमे शयनञ्चमेसूखाच्चमेसुदिनञ्चमेयुज्ञेनकल्प्पन्ताम्॥६॥यन्ताच।। मेधुर्ताचमेक्षेमच्चमेधतिच्चमेविश्वञ्चमेमहेश्चमेसंविच्चमेज्ञान ञ्चिमेसूश्चमेप्रसूच्चमेसीरेञ्चमेलयश्चमेयज्ञेनकल्प्पन्ताम् // 7 // शञ्च / मेमयश्चमेप्प्रियञ्चमेनुकामश्चमेकामश्चमेसौमनसश्च / मेभगच्चमेद्रविणञ्चमेमुञ्चमेश्रेयश्चमेवसीयश्चमेयशश्चमेय // 13 // शेनकल्प्पन्ताम् // 8 // [7] ऊक्कं / मेसूनृतोचमेपर्यश्चमेरसच्चमे For Private And Personal Page #529 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir AKASGA घृतञ्चमेमधुचमेसग्ग्धिश्चमेसपीतिश्चमेकृषिश्चमेबृष्टिच्चमेजै ञ्चमऽऔद्भिद्यञ्चमेयज्ञेनकल्प्पन्ताम्॥९॥रयिच्च / मेरायश्चमे | पुष्टञ्चमेपुष्टिच्चमेविभुचमेप्रभुचमेपूर्णञ्चमेपूर्णतरञ्चमेकुर्यवञ्चमे / क्षितञ्चमेन्नञ्चमेक्षुच्चमेयज्ञेनकल्प्पन्ताम् // 10 // वित्तञ्च / मेवेद्य / चमेभूतञ्चमेभविष्ष्यर्चमेसुगञ्चमेसुपुत्थ्यञ्चम ऽऋद्धञ्चम ऽऋद्धि / चमेतृप्तञ्चमेक्तृप्तिच्चमेमतिश्चमेसुमतिश्चमेयुज्ञेनेकल्प्पन्ता म्॥११॥ ब्राहयच्च। मेयाश्चमेमापाच्चमेतिलाञ्चमेमुगाच्च / NISAIGALASAAG For Private And Personal Page #530 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सहि. // 164 // मेखल्वोच्चमेमियङ्गवच्चमेणवच्चमेश्यामाकोश्चमेनीवारोच्च मेगोधूमाश्चमेमसूरीश्चमेयशेनकल्प्पन्ताम्॥१२॥[४]अश्म्मा // 18 // च / मेमृत्तिकाचमेगिरयश्चमेपर्वताच्चमेसिकताश्च्चमेवनस्प्पत / यश्चमेहिरण्ण्यञ्चमेयच्चमेश्यामञ्चमेलोहञ्चमेसीसञ्चमेत्रपुचमे | / यज्ञेनेकल्प्पन्ताम् // 13 // अग्निश्च / म आफैश्चमेवीरुधश्च / / माओषधयश्चमेकृष्टपुच्याश्चमेकृष्टपुच्च्याच्चमेग्याम्म्याचमे // 16 // पशवऽआरण्ण्याचमेवित्तञ्चमेवित्तिच्चमेभूतञ्चमेभूतिश्चमेय SAIGOROSASHASHIMOTO SHOX For Private And Personal Page #531 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir शेनकल्प्पन्ताम्॥१४॥वसुचामेबसुतिश्चमेकर्मचमेशक्तिच्चमे / र्थश्चमऽएमच्चमऽइत्याचमेगतिश्चमेयुज्ञेनकल्प्पन्ताम् // 15 // [३]अग्निच्च / म इन्द्रेश्चमेसोमच्चमऽइन्द्रश्चमेसविताचमऽ है। इन्द्रेश्चमेसरस्वतीचमुऽइन्द्रेश्चमेपूषाचमुऽइन्द्रेश्चमेबृहस्प | तिच्चमऽइन्द्रश्चमेयुज्ञेनैकल्प्पन्ताम् // 16 // मित्रश्च / म इन्द्र चमेवरुणश्चम ऽइन्द्रेश्चमेधाताचमऽइन्द्रश्च्चमेत्त्वष्टाचम इ) ईन्द्रेश्चमेमुरुतश्चम ऽइन्द्रेश्चमेविश्वैचमेदेवा ऽइन्द्रेश्चमेयज्ञेने For Private And Personal Page #532 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 165 // // 18 // CAMSALMANKHABAR कल्प्पन्ताम्॥१७॥ पृथिवीच। मऽइन्द्रेश्चमेन्तरिक्षञ्चमऽइन्द्र चमेद्यौच्चमइन्द्रच्चमेसाच्चमऽइन्द्रच्चमेनक्षत्राणिचम ऽइ। न्द्रश्च्चमेदिशश्चमऽइन्द्रश्चमेयुज्ञेनंकल्प्पन्ताम्॥१८॥[३] अक्ष शुश्च / मेरश्म्मिञ्चमेदाब्भ्यश्चमेधिपतिश्चमउपाशुश्चमे / न्तर्यामश्चमऽऐन्द्रवायुवश्चमेमैत्रावरुणश्चम आश्विनश्चमे / प्रतिप्प्रस्थानश्चमेशुच्चमेमन्थीचमेयुज्ञेनकल्प्पन्ताम् // 19 // 3 // आग्रयणश्च / मेवैश्वदेवश्चमेडुवश्चमेवैश्वानरच्चमऽऐन्द्राग्न / 5 // For Private And Personal Page #533 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir चमेमहावैश्वदेवश्चमेमरुत्वतीयोच्चमेनिष्क्कैवल्यच्चमेसावित्र / चमेसारस्वत चमेपात्नीवतश्चमेहारियोजनश्चमेयुज्ञेनकल्प्प / इन्ताम् // 20 // सुचच्च / मेचमसाच्चमेवायच्यानिचमेद्रोणकला। शिश्चमेग्ग्रावाणश्चमेधिषवणेचमेपूतभृच्चमऽआधवनीयच्चमेवे / दिश्चमेबर्हिश्चमे वभृथश्चमेखगाकारश्चमेयुज्ञेनकल्प्पन्ताम् / / // 21 // अग्निश्च / मेघर्मचमेकच्चमेसूर्याच्चमेप्प्राणश्चमे / / श्वमेधचमेपृथिवीचमेदितिश्च्चमेदितिश्चमेद्यौच्चमेङ्गुलयल्श | For Private And Personal Page #534 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सहि. वरयोदिशश्चमेयुज्ञेनकल्प्पन्ताम् // 22 // वृतञ्च / मऽऋतच्च // 166 मतपश्च्चमेसंवत्सरच्चमेहोरात्रेऽऊर्वष्ठीवेबृहद्रथन्तरेचमेयुज्ञेनक है। ल्प्पन्ताम् // 23 // [5] एकाच / मेतिनश्चमेतिस्रच्चमेपञ्चचमे / / पञ्चचमेसुप्तचमेसप्तचमेनवचमेनवचमऽएकादशचमऽ एकाद शचमेत्रयोदशचमेत्रयोदशचमेपञ्चदशचमेपञ्चदशचमेसप्तदश / / चमेसप्तदशचमेनवदशचमेनवदशचमऽ एकवि शतिश्चम एकविशतिश्चमेत्रयोविशतिश्चमेत्रयौविशतिश्चमेपञ्च HOUSD84555 166 // For Private And Personal Page #535 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 554MAR विशतिश्चमेपञ्चविशतिश्चमेसुप्तविशतिश्चमेसप्तविन्श तिश्चमेनवविशतिच्चमेनवविशतिश्चमऽ एकत्रिशचमऽ एकत्रिशच्चमेत्रयस्त्रिशच्चमेयज्ञेनकल्प्पन्ताम् // 24 // चतस्र है च / मेष्टौचमेष्टौचमेद्वादशचमेद्वादशचमेषोडशचमेषोडशचमे विशतिश्चमविशतिश्चमेचतुर्विशतिश्चमेचतुर्विशति चमेष्टाविंशतिश्चमेष्टाविंशतिश्चमेद्वात्रिशच्चमेद्वात्रि शञ्चमेषदि शचमेषदिशचमेचत्वारिशच्चमेचत्वारिशचमे RECICIAASANGACASSROORG For Private And Personal Page #536 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 167 // संहि. चतुश्चत्वारिशच्चमेचतुश्चत्वारिशचमेष्टाचत्वारिशच्चमेय पू. अ. शेनकल्प्पन्ताम्॥२५॥त्र्यविच्च।मेत्र्यवीचमेदित्यवाईमेदित्यौ / // 18 // हिचमेपञ्चाविश्चमेपञ्चावीचमेत्रिवृत्त्सच्चमेत्रिवत्साचमेतुर्यु | वाईमेतुय्यौंहीचमेयज्ञेनकल्प्पन्ताम् ॥२६॥पृष्ठवाच / मेपष्टौही / चमऽउक्षाचमेवशाचमऽऋषभश्चमेवेहश्चमेनड्डाँचमेधेनुश्चमे / / यज्ञेनकल्प्पन्ताम् // 27 // [4] वाजायस्वाहा / प्रसवायुवाहा / / पिजायखाहाकतवेखाहाब्वसवेखाहाहुर्पतयेखाहान्हेग्मुग्धाय / // 167 // For Private And Personal Page #537 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir MCGMCALAMAUSAMACHAR स्वाहामुग्ग्धायवैन शिनायुवाहाबिनशिनऽआन्त्यायनायुखा हान्यायभौवनायुखाहाभुवनस्युपतयेखाहाधिपतयेखाहाण जापतयेखाहो // इयन्तेराणिम्मत्राय॑यन्तासियमनऽऊर्जेत्वाव। ष्टयैत्वाप्प्रजानान्त्वाधिपत्याय॥२८॥आयुर्यज्ञेनकल्प्पताम्प्रा णोयज्ञेनैकल्प्पताञ्चक्षुर्य्यज्ञेनंकल्प्पता/श्रोत्रंयज्ञेनकल्प्पतांबा ग्यज्ञेनकल्प्पताम्मनोयज्ञे कल्प्पतामात्क्मायुज्ञेनकल्प्पतास्त्र हमायुज्ञेनंकल्प्पताज्ज्योतिर्युज्ञेनंकल्प्पन्तास्वयंशेनकल्प्पता For Private And Personal Page #538 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. हम्पृष्ठय्युज्ञेनंकल्प्पतांयज्ञोयुज्ञेनकल्प्पताम्॥ स्तोमञ्चयर्जुश्चक्र पू.अ. क्चसामचबृहच्चरथन्तरञ्च॥खवाऽअगन्मामृतोऽअभूमप्प्रजाप है। तेहप्रजाऽअमूमवेडाहो // 29 // [2] वाजस्यनु / प्रसवेमातरम्म ? हीमदितिन्नामवचेसाकरामहे // यस्यामिदंविश्वम्भुवनमाविवेश, तस्यानोदेवासविताधर्मसाविषत् // 30 // विश्चैअद्य। मुरुतोवि / श्वऽऊतीविश्वैभवन्त्व॒ग्नयत्समिद्धाः // विश्वनोदेवाऽअवसागम // 18 // न्तुविश्वमस्तुद्रविणंबाजोऽअस्म्मे ॥३१॥वाजोन / सुप्तपदिश BICHISHESHIGUAISARAISIAIS For Private And Personal Page #539 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAMACARAICCRACHAROKAR श्चतस्रोवापरावतः // वाजौनोविश्चद्देवैर्द्धनसाताविहावतु॥३२॥३॥ वाजोन॥वाजोनोऽअद्यप्रसुवातिदानबाजौदेवाँ२ऽऋतुर्भिक ल्प्पयाति // बाजोहिमासर्ववीर जानविश्वाऽआशावाजपतिर्ज है। येयम् // 33 // वाज:पुरस्तात् // वाज:पुरस्तादुतर्मयतोनोबाजी / / देवान्हुविवर्द्धयाति ॥वाजोहिमासर्ववीरञ्चकारसर्वाऽआशावा / जपतिर्भवेयम् // 34 // सम्मा। सृजामिपयसापृथिच्याश्सास है जाम्म्यद्भिरोषधीभिः // सोहव्वाजसनेयमग्ने ॥३५॥पयःपृथि **** For Private And Personal Page #540 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 169 // // 18 // ॐHRISTIANISAGAR च्याम्॥पर्यः पृथिव्याम्पयऽओषधीषुपयौदिघ्यन्तरिक्षेपयोधाता पू.अ. पर्यखतीहप्प्रदिशःसन्तुमहयम् // 36 // देवस्य॑त्वा।सवितुप्पस / / वेश्चिनोर्बाहुब्भ्याम्पूष्ष्णोहस्ताब्भ्याम् ॥सरखत्त्यैव्वाचोयन्तुर्य / न्त्रेणाग्नेश्साम्म्राज्येनाभिषिञ्चामि॥३७॥ [8] ऋतापाइतधा / मा॥ऋतापाडतधामाग्निर्गन्धर्वस्तस्यौपधयोप्प्सरसोमुदोनाम // सनऽइदम्बमक्षत्रम्पतुितस्म्मैखाहाबाटाब्भ्यत्वाहा ॥३८॥सन | // 169 // हितोविश्वसामा / सूर्योगन्धर्वस्तस्युमरीचयोप्प्सुरसंऽआयुयो / For Private And Personal Page #541 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 3GROGRAMSAMASSACROSCAMS नामसनऽइदम्बमात्रम्पौतुतस्म्मैखाहाबाटाब्भ्यस्खा।३९। सुषुम्म्णसूर्य्यरश्म्मि // सुषुम्म्णसूर्यरश्म्मिचन्द्रमागन्धर्व स्तस्यनक्षेत्राण्यप्प्सरसोभेकुरयोनामासनऽइदम्बमक्षत्रम्पातुत स्म्मैखाहाबाट्टाभ्यत्वाहा // 40 // इपिरोविश्वव्यंचा // इपिरो / विश्चध्यचावातौगन्धर्वस्तस्यापोऽअप्प्सरसऽऊोनाम.॥ सनऽइ दम्बमात्रम्पातुतस्म्मैखाहाबाटाब्भ्यस्खा // 41 // भुज्युसु पुर्णाभुज्युश्सुपर्णोयज्ञोगन्धर्वस्तस्युदक्षिणाऽअप्प्सुरसस्तावा For Private And Personal Page #542 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kaspagarsuri Gyanmandir संहि. नाम // सनऽइदम्बमक्षत्रम्पातुतस्म्मखाहावाट्टाब्भ्यस्वाहा // 2 पू.अ. // 17 // // 42 // प्रजापतिर्बिश्वकर्मा / मनौगन्धर्वस्तस्य॑ऽऋक्सामान्य है // 18 // प्प्सुरसुऽएष्टयोनाम // सनऽइदम्बमात्रम्पातुतस्म्मैखाहाब्वाड्या भ्यल्स्वाहा // 43 // सन॥ सनोभुवनस्यपतेप्प्रजापतेयस्य॑तऽउ / परिगृहायस्य॑वेह // अस्म्मैबहमणेस्म्मैक्षुत्रायुमहिशर्मयच्छखा है। हो॥४४॥समुद्रोसि॥समुद्रोसिन खानादानुल्शम्भूर्मयोभू / // 17 // रभिावाहिखाहामारुतोसिमरुताङ्गण? शम्भूर्मयोभरभिमा AGRICAIGANISAKSARKAR For Private And Personal Page #543 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir बाहिखाविस्यूरसिदुर्वखाञ्छम्भूर्मयोभूरभिावाहिखाहा // 3 // 45 // यास्तै। ऽअग्नेसूर्येरुचोदिवमातुन्वन्तिरश्म्मिभिः॥ता। भिन्नॊऽअद्यसाभिरुचेजायनस्कृधि॥४६॥यावः॥यावौदेवाः सूर्येरुचोगोष्ष्वश्चैपुयारुचः // इन्द्राग्नीताभिसर्वांभीरुचन्नो / धत्तबृहस्प्पते॥४७॥ रुचन्न // रुचन्नोधेहिबाह्मणेषुरुचटराज है। सुनस्कृधि // रुचविश्यैपुशूद्वेषुमयिधेहिरुचारुचम्॥४८॥तत्त्वा।। यामिब्रहमणाबन्दमानुस्तदाशास्तृयजमानोहुविभिः॥अहैड For Private And Personal Page #544 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 18 // संहि. मानोवरुणेहबोध्युरुशन्समानुऽआयुत्प्रमोषी ॥४९॥स्वर्ण॥ पू. अ. // 17 // स्वर्णधर्मःखाहाखाकर वाहावर्णशुक्रः स्वाहाखणज्यो / / तिल्खाहावर्णसूर्य्यवाहा // 50 // [13] अग्निय्युनज्मि॥अ 3 ग्निय्युनज्मिशवशाघृतेनदिध्यन्सुपर्णवयसाबृहन्तम्॥ तेनव्या / ङ्गमेमध्नस्य॑विष्टपएंस्वोरुहाणाअधिनाकमुत्तमम् // 51 // शतम् / / ॥१०००॥इमौते। पक्षावुजरौपतत्रिणौयाब्भ्यारक्षास्यपहार / स्यग्ग्ने // ताब्भ्याम्पतेमसुकृतामुलोकंय्यऽऋषयोजग्ग्मुश्प्रथम SAACADEMALEKADAM // 171 // For Private And Personal Page #545 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir -- CAMERAMACHALADA जापुराणाः // 52 // इन्दुर्दक्षः। श्येनऽऋतावाहिरण्ण्यपक्षशकु / नोभुरण्युः॥ महान्त्सुधस्थैडुवऽआनिपत्तोऽनमस्तेऽअस्तुमामा / हिसी॥५३॥ दिवोमूर्द्धा / सिपृथिच्यानाभिर्गपामोषधीना / / म् // विश्वायुत्शर्मंसप्पथानमस्प्पथे // 54 // विश्वस्यमूर्द्धन्॥वि श्वस्यमूर्द्धन्नधितिष्ठसिश्श्रुितसमुद्रेतेहृदयमप्प्स्वायुरपोदत्तोदुधि / म्भिन्तादिवस्पर्जन्यादुन्तरिक्षात्पृथिव्यास्ततौनोवृष्टयाव।५५|| इष्टोयज्ञः // इष्टोयज्ञोभृगुराशीविसुभि // तस्यनऽइष्टस्यैप्पीत / For Private And Personal Page #546 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सहि. // 172 // // 18 // स्यद्रविणेहागमे // 56 // इष्टोऽअग्निः // इष्टोऽअग्निराहुतलपिप घुनऽइष्टव्हविः // स्वगेदन्दुवेब्भ्योनमः // 57 // [7] यदाकू तात् // यदाकूतात्सुमसुस्रोढदोवामनसोवासम्भृतञ्चक्षुषोवा॥तद / / है नुप्तंसुकृतामुलोकंयत्रऽऋपयोजग्मुश्प्रथमजापुराणा३।५८३ एतसंधस्थुपरितेददामियमावहाच्छेबुधिञ्जातवैदा // अन्न्वाग है। न्तायज्ञपतिर्बोऽअत्रतस्म्म॑जानीतपरमेच्योमन् // 59 // एतञ्जा / नाथ / परमेथ्योमुन्देवात्सधस्त्थाव्विदरूपम॑स्य // यदागच्छोत्प | // 172 // For Private And Personal Page #547 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir शथिभिर्देवयानैरिष्टापूर्तेकृणवाथाविरस्म्मै॥६०॥ उद्दुयख // उद्दे यस्खाग्नेपतिजागृहित्वमिष्टापूर्तेससृजेथामयञ्च॥अस्म्मिन्त्स है। धस्थेऽअद्युत्तरसिम्मन्विश्चैदेवायजमानश्च्चसीदत // 61 // येनुव / हसि / सहस्रयेनाग्नेसर्ववेदुसम् ॥तेनेमंय्यज्ञन्नौनयस्वदे॒वेषुगन्त / वे // 62 // प्रस्तुरेणपरिधिना। स्रुचावेद्याचबुर्हिपा // ऋचेमंय्यज्ञ नौनयस्वर्टेवेषुगन्तवे॥६३॥ यहत्तम् // यद्दत्तंय्यत्परादानय्यत्पू है तैय्याश्चदक्षिणा // तदुग्निवैश्वकर्मणखट्टेवेषुनोदधत्॥६४॥ IRCRORECASEASONAGACASSAKALA For Private And Personal Page #548 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू.अ. // 18 // // 17 // संहि. यत्रधारा // यत्रधाराऽअनपेतामधौग्घुतस्य॑चया ॥तदुग्निर्वैश्च है। कर्मणसवेधूनोदधत् ॥६५॥अग्निरसिम्म ॥अग्निरसिम्मजन्म नाजातवेदाघृतम्मेचक्षुरमृतम्मऽआसन् ॥अर्कस्त्रिधातूरजसोवि। मानोजस्रोघर्मोहविरस्म्मिनाम // 66 // ऋचोनाम॥ ऋचोना / मास्म्मियजूपिनामास्म्मिसामानिनामास्म्मि // येऽअग्नयः / पाञ्चजन्न्याऽअस्याम्पृथिव्यामधि // तेषामसित्वमुत्तमप्प्रनौजी / // 173 // वातवेसुव॥६७॥[१०] वार्त्रहत्यायशवसेपृतनापाह्यायच॥ इन्द्र / / CREAMNAGALANDALA For Private And Personal Page #549 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CAMERCULARAMMAR त्त्वावर्त्तयामसि // 68 // सहदानुम्पुरुहूत। क्षियन्तमहस्तमिन सम्पिणक्कुणारुम् // अभिवृनंबर्द्धमानम्पियोरुमपादमिन्द्रतवसा, जघन्थ॥६९॥बिनः // विनऽइन्द्रमृधौजहिनीचार्यच्छपृतन्य / त॥योऽअस्म्माँ२ऽअभिदासत्यधरङ्गमयातमः ॥७॥मृगोन। भीमश्कुचरोगिरिष्ठापरावतऽआर्जगन्थापरस्याह॥ सुकन्सत्शा / यपविमिन्द्रतिग्ग्मविशत्रून्ताड्डिविमृधोनुदख // 71 // वैश्वानरो / न // वैश्वानरोनऽऊतय आप्पातुपरावतः // अग्निनः सुष्टुती हैं For Private And Personal Page #550 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 17 // रूप // 72 // पृष्ठोदिवि // पृष्ठोऽअग्निश्पृथिव्यांपुष्टोविश्वाऽओष पू.अ. धीराविवेश // वैश्वानरसहसापृष्ठोऽअग्निश्सनोदिवासरिपप्पातु | // 18 // नक्तम्॥७३॥अश्यामतम् // अश्यामतङ्काममग्नेतवोतीऽअश्या / मरयिरयिवस्सुवीरम् // अश्यामवाजमभिवाजयन्तोश्यामंधु / म्नमंजराजरन्ते॥७४॥ बुयन्तै। ऽअद्यररिमाहिकाममुत्तानह / / स्तानमसोपसर्च // यजिष्ठेनमनसायक्षिदेवानखैधतामन्मनावि // 17 // प्पोऽअग्ने // 75 // धामच्छदुग्निः ॥धामच्छदुग्निरिन्द्रौढहमादे NA-SCRECANSACARBONE For Private And Personal Page #551 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ROGRAM MACRETRIES वोबृहस्पतिः॥सचेतसोविश्वेदेवायज्ञम्पावन्तुनहशुभे॥७६ // त्वंयविष्ठ / दाशुषो पाहिशृणुधीगिरः // रक्षातोकमुतत्क्म ना // 77 // [10] इतिश्रीवाजसनेयसंहितायांअष्टादशोऽध्यायः / // 18 // श्रीवेदपुरुषायनमः // अनुवाकसूत्रम् ॥स्वाद्वीत्वैकादश देवायज्ञविन्शतिःसुरावंत सप्तदशोदीरतांत्रयोदशाच्याजानुर्द शसोमोराजाष्टौसीसेनतंत्र पोडशसप्तपंचनवतिः॥ हरिःॐस्वा / द्वीन्त्वा / स्वादुनातीब्रान्तीनेणामृाममृतेन // मधुमतीम्मधुम | For Private And Personal Page #552 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू.अ. // 175 // संहि. तासृजामिसम्सोमेन ॥सोमौस्यश्चिब्भ्याम्पच्यस्वसरस्वत्यैपच्य स्वेन्द्रीयसुत्राम्णेपच्यस्व ॥१॥परीतः // परीतोपिञ्चतासुतसो / / मोयऽउत्तमहुविः // दुधन्वायोनोऽअप्प्स्वन्तरासुषावसोम है। मद्रिभिः॥२॥ बायोपूतः। पवित्रेणप्प्रत्यक्सोमोऽअतिद्रुतः॥ इन्द्रस्युयुज्यत्सखवायोश्पुतश्पवित्रेणपाङ्सोमोऽअतिद्रुतता। इन्द्रस्ययुज्यत्सखा // 3 // पुनातिते / परिस्रुतसोमसूर्यस्यदु / // 175 // हिता // बारेणुशवतातना // 4 // ब्रह्मक्षत्रम् // ब्रह्मक्षत्रम्पवते PRECASSGRACTICSCRISION For Private And Personal Page #553 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairthorg www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तेज इन्द्रिय सुरयासोम सुतऽआसुतोमदाय // शुक्रेणदेवदेव / / तापिपरिग्धरसेनान्नय्यजमानायधेहि॥५॥ कुविदुङ्ग। यवमन्तो / यवञ्चिद्यथान्दान्त्यनुपूर्ववियूय॑ // इहेहैपाकृणुहिभोजनानियेव / / हिपोनमऽउक्तिय्यजन्ति // उपयामगृहीतोस्यश्चिब्भ्यान्त्वासर / स्वत्यैन्त्वेन्द्रीयत्त्वासुत्राम्म्ण एषतेयोनिस्तेजसेत्त्वावीायत्त्वा / बलायत्त्वा॥६॥ नानाहि।वान्देवहितत्सदस्कृतम्मास सृक्षाथा / हैम्परमेच्योमन् // सुरात्वमसिशुष्म्मिणीसोमऽएषमामाहिसील ACACAMASSACREAMSANGAMG For Private And Personal Page #554 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 19 // OSHO संहि.स्वांय्योनिमाविशन्ती // 7 // उपयामगृहीतोसि // उपयामगृही // 17 // तोस्याश्चिनन्तेजःसारस्वतंबीर्यमैन्द्रम्बलम् // एषतेयोनिम्नॊ / है दायत्त्वानन्दायत्त्वामहंसेत्त्वा॥८॥तेजोसि // तेजोसितेजोमयि / धेहिवीर्य्यमसिबीर्युम्मयिधेहिबलमसिबलुम्मयिधेहयोजोस्यो / जोमर्यिधेहिमन्युरसिमुन्न्युम्मयिधेहिसहोसिसहोमयिधेहि॥९॥ याध्याग्घ्रम् ॥याच्याग्धंविषूचिकोभौवृकञ्चरक्षति॥श्येनम्पतत्रि / / सिहसेमम्पात्वहसः // 10 // यदापिपेप / मातरम्पुत्र HICHOSHIRISHISHIA // 176 // For Private And Personal Page #555 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir प्रमुदितोधयन् // एतत्तदग्नेऽअनुणोभवाम्म्यहतौपितरौमयो॥ सम्पृचस्त्थुसम्माभुद्रेणपृतविपृचस्त्थुबिमापाप्मनात // 11 // [11] देवायज्ञम् // देवायज्ञमतन्वतभेषजम्भिषजाश्चिना // वा. चासरस्वतीभिषगिन्द्रायेन्द्रियाणिदधता॥१२॥ दीक्षायैरूपम्॥ दीक्षायैरूपशष्ष्पाणिप्रायणीयस्यतोक्मानि॥कयस्यरूपन्सो मस्यलाजाश्सोमा/शवोमधु॥१३॥ आतित्थ्यरूपम्मासरम्॥आ है तित्थ्यरूपम्मासरम्महावीरस्यनग्नहुँः // रूपमुपसामेतत्तिस्रो / RRRRRRRR For Private And Personal Page #556 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. रात्रीसुरासुता॥१४॥ सोमस्यरूपम् ॥सोमस्यरूपङ्कीतस्यपरि // 177 // उत्त्परिषिच्यते॥ अश्विब्भ्योन्दुग्ग्धम्भैषजमिन्द्रायैन्द्रसरख / त्या॥१५॥आसन्दीरूपम् // आसन्दीरूपराजासन्चैबेचैकुम्भी है सुराधानी // अन्तरऽउत्तरवेद्यारुपङ्कारोत्तरोभिषक् // 16 // वेद्या है। वेदिः॥द्यावेदुिल्समाप्प्यतेबर्हिषाबर्हिरिन्द्रियम् // यूपेनयूपऽ / आप्प्यतेप्प्रणीतोऽअग्निरग्निना॥१७॥ हवि नय्यत्॥हुवि॰ है // 177 // नय्यदुश्चिनाग्नौटुंय्यत्सरस्वती॥इन्द्रायेन्द्र सदस्कृतम्पत्नीशा / SCAMERRORMERMARG For Private And Personal Page #557 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandi ******************** लङ्गार्हपत्य // 18 // प्रैपेभि: प्रेपान् ॥षेभिप्रैपानामोत्या / प्रीभिराष्पीर्य्यज्ञस्य॑ ॥प्रयाजेभिरनुयाजान्वषट्कारेभिराहुती / / // 19 // पशुभि पशून् // पशुभिः पशूनाप्नोतिपुरोडाशैर्हवी प्प्या॥ छन्दौभित्सामिधेनीऱ्याज्याभिर्वषट्कारान् ॥२०॥धा नाकरम्भसतवरूपरीवापश्पयोदधि।सोमस्यरूपन्हुविषऽआ है मिक्षावाजिनम्मधु ॥२१॥धानानारूपम् ॥धानानारूपङ / / वलम्परीवापस्य॑गोधूमा॥ सक्तना0रूपम्बदरमुपवाकोल्करम्भ | PostN LOAD For Private And Personal Page #558 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. // 19 // // 17 // म्य॥२२॥पयसोरूपम् // पयसोरूपय्यद्यादुद्भोरूपङ्कुर्कन्धूनि॥ सोमस्यरूपंवाजिनम् सौम्म्यस्यरूपमामिक्षा॥२३॥आश्रावय॥ आश्रावयेतिस्तोत्रियोहप्प्रत्या श्रावोऽअनुरूपत॥ यजेतिधाय्या / रूपम्प्रेगाथायेयजामहाः॥२४॥ अर्द्धऽऋचैरुक्थानाम् // अर्द्ध। ऋचैरुक्थानरूपम्पदैराप्नोतिनिविदः॥प्रणवैशिस्त्राणरू पम्पयसासोमऽआप्प्यते॥२५॥अश्विब्भ्याम्प्रातल्सवनम्॥ अश्वि* // 17 // भ्याम्पातसवनमिन्द्रेणैन्द्रम्माध्यन्दिनम् ॥बैश्चदेवसरखत्या For Private And Personal Page #559 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तृतीयमाप्त सवनम्॥२६॥वायध्यैर्वायच्यानि॥वायच्यैर्वायच्या च्याप्नोतिसतैनद्रोणकलशम्॥कुम्भीभ्यामम्भृणौसुतेस्थालीभि स्थालीप्निोति॥२७॥ यजुभिराप्यन्ते॥ यजुभिराप्यन्तेग्ग्रहा / ग्ग्रहस्तोमाञ्चविष्टृती // छन्दोभिरुक्थाशस्त्राणिसाम्नविभृथs आप्प्यते॥२८॥ इडाभिर्भक्षान् // इडाभिर्भक्षानाप्नोतिसूक्त वाकेनाशिषः॥शंयुनापत्नीसंय्याजान्त्समिष्ट्रयजुषास/स्थाम् / // 29 // ते दीक्षाम् // ते दीक्षामाप्नोतिदीक्षाप्मोतिदक्षि For Private And Personal Page #560 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. णाम्॥ दक्षिणाश्श्रद्धामामोति श्रद्धासुत्त्यमाप्प्यते॥३०॥एता /पू.अ. // 179 // वद्रूपम् // एतावद्रूपंथ्यज्ञस्ययद्देवैर्बहमणाकृतम् // तदेतत्सर्वमा / / प्नोतियज्ञेसौत्रामणीसुते ॥३१॥[२०]सुरावन्तम्बर्हिपदम् ॥सुरी वन्तम्बर्हिषदेम्सुवीरेय्य हिन्वन्तिमहिपानमोभि: // दी है। नात्सोमन्दुिविदेवासुमदुमेन्द्रंय्यज॑मानास्वा ॥३२॥यस्ते॥ / यस्तेरसत्सम्भृतऽओषधीषुसोमस्यशुष्ष्मन्सुरयासुतस्य // तेन है। जिन्वयजमानुम्मदैनुसरखतीमुश्चिनाविन्द्रमग्निम् ॥३३॥यम ASCCESSONEBCAMGARMAX For Private And Personal Page #561 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir कम्मधुमन्तामन सुतस्युयदिभक्षयामि ॥३१॥-स्वधा **AERATAS श्चिना / नमुचेरासुरादधिसरस्वत्यसुनोदिन्द्रियाय // इमन्तशु क्रम्मधुमन्तमिन्दुत्सोमराजानमिहभक्षयामि ॥३४॥यद // यदत्ररिप्तसिन सुतस्युयदिन्द्रोऽअपिबच्छचीभिः॥अहन्त / / दस्युमनेसाशिवेनसोमराजानमिहर्भक्षयामि // 35 // पितृभ्यः खधायिब्भ्यः / स्वधानम-पितामहेभ्य:खधायिभ्य स्वधा / नमप्रपितामहेब्भ्यस्खधायिभ्य:खधानमः॥अक्षन्पितरोमी / मदन्तपितरोतीतृपन्तपितरपितरत्शुन्धद्धम् // 36 // पुनन्तुमा / For Private And Personal Page #562 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 19 // संहि. पितरः सोम्म्यास पुनन्तुमापितामहाश्पुतन्तुष्प्रपितामहा // पा ॥१८॥वित्रेणशतायुषा // पुनन्तुमापितामहापुनन्तुष्प्रपितामहा // पवित्रेणशुतायुषाविश्वमायुर्घ्यश्नवै // 37 // अग्नऽआयूपि / पवसऽआसुवोर्जमिपञ्चनः // आरेबाधखदुच्छुनाम् // 38 // पुन न्तुमा / देवजनापुनन्तुमनसाधियः॥ पुनन्तुविश्चाभूतानिजा / तवेदत्पुनीहिमा // 39 // पवित्रेणपुनीहि।माशुऋणदेवदीद्यत् // अग्नेऋत्वाकर्तुं१ऽरनु॥४०॥यत्तैपवित्रमुर्चिष्ष्यग्नेविर्ततमन्तरा॥ // 18 // For Private And Personal Page #563 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir UCACADGANGACANCERESENSAR ब्रह्मतेनेपुनातुमा // 41 // पर्वमानल्सः // पर्वमानस्सोऽअद्यन: पवित्रेणुविचर्षणिः // यश्पोतासपुनातुमा॥४२॥ उभाभ्यान्देव।।। सवितत्पवित्रेणसवेनच॥ माम्पुनीहिविश्वतः // 43 // वैश्वदेवी , पुनती। दुव्यागाद्यस्यामिमाबुब्यस्तन्योबीतपृष्ठालातयामदन्तः सधमादेपुवयस्यामपतयोरयीणाम्॥४४॥येसमानासमनसः / / पितरोयमराज्यातेपौल्लोकस्वधानमोयज्ञोदेवेपुकल्प्पताम् 45/2 येसमाना३ // येसमानासमनसोजीवाजीवे मामकाः॥तेपाल For Private And Personal Page #564 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 18 // संहि. श्रीमयिकल्प्पतामस्म्मॅिल्लोकेशतसमाह // 46 // द्वेसृती। शृणवम्पितॄणामहन्देवानामुतमर्त्यांनाम् // ताब्भ्यामिदंविश्चमे है जत्समेतियदन्तरापितरम्मातरञ्च // 47 // इदन्हुविः // इदम्हु विश्प्रजननम्मेऽअस्तुदर्शवीर सर्व्वगणस्वस्तये // आत्मसनि / प्रजासनिपशुसनिलोकसन्न्यभयुसन // अग्निप्रजाम्बहुलाम्म / करोत्वन्नम्पयोरेतोऽअस्म्मासुधत्त॥४८॥[१७] उदीरताम् // उदी है। रतामवरऽउत्परासुऽउन्मयमार्शपितरःसोम्म्यासः // असुय्यऽ ALIGAIRECASSAGAIGANGANAGAR For Private And Personal Page #565 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit ईयुरबुकाऽऋतुज्ञास्तेनौवन्तुपितरोहवेषु // 49 // अङ्गिरसोनः / / / पितरोनवग्ग्वाऽअथर्वाणोभृगवत्सोम्म्यास’॥ तेषांवयम्-सुमतौ / / यज्ञियानामपिभद्रेसौमनसेस्याम॥५०॥ येन ॥येनत्पूर्वेपित सोम्म्यासोनूहिरेसौमपीथंवसिष्ठाः // तेभिर्युमसराणो है। हवीप्युशन्नुशद्भिः प्रतिकाममत्तु॥५१॥ त्वम् सोम // त्वम् सौ मप्पचिकितोमनीषात्वरजिष्ठमनुनेषिपन्थाम्॥तवृष्प्रणीतीपि तरौनऽइन्द्रोदेवेपुरत्क्रमभजन्तुधीरा // 52 // त्वयाहि // त्वया For Private And Personal Page #566 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 19 // संहि. हिनः पितर सोमपूर्वेकम्मा॑णिचकुपव॑मानुधीरा // बुन्न्वन्नवा // 128 // तत्परिधी 1 ऽरपोर्गुबीरेभिरश्वैर्मघाभवान॥५३॥ त्वम् सौ / म / पितृभिःसंविदानोनुद्यावापृथिवीऽआतंतन्थ॥ तस्म्मैतऽइ / इन्द्रोहविषाविधेमव्यस्योमपतयोरयीणाम् // 54 // बर्हिषदः। पितरः॥बर्हिपदापितरऽऊत्युभंगिमावौहुच्याचकृमाजुपर्द्धम् // तऽआगतासाशन्तमेनाथानल्शय्योररपोदधात॥५५॥आहम्॥ म्पितन्त्सुविदा२ऽअवित्सिनपातञ्चबिक्रमणञ्चविष्ष्णौला / **OSAAAAAAAAAAA // 182 // For Private And Personal Page #567 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAGARLIANCE बर्हिषदोयेस्वधासुतस्युभजन्तपित्वस्तऽइहार्गमिष्ठा // 56 // उपहूतापितर' / सोम्म्यासोबर्हिष्ष्येपुनिधिऍप्रियेषु // तऽआ | गमन्तुतऽइह श्रुवन्त्वधिब्रुवन्तुतेवन्त्वस्म्मान्॥५७॥आयन्तु।। नलपितरः सोम्म्यासौग्निष्ष्वात्ताश्पथिभिर्देवयानै // अस्म्मिन्य ज्ञेस्व॒धयामदुन्तोधिब्रुवन्तुतेवन्त्वस्म्मान् // 58 // अग्निष्ष्वात्ता, पितरः ॥अग्निष्ष्वात्तापितरऽएहगच्छतुसद-सदत्सदतसुप्पणी / तयः // अत्तावीपिप्पयतानिबर्हिष्ष्यारयिसवीरन्दधा है ************* For Private And Personal Page #568 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalahsparsuri Gyanmandir संहि। तन // 59 // येऽअग्निष्ष्वात्ताः // येअग्निष्ष्वात्तायेऽअनग्निष्ष्वा / 5. अ. // 18 // त्तामद्यैदिवास्वधामादयन्ते // तेभ्य: स्वराडसुनीतिमेतांय्य | // 19 // थावशन्तुन्वङ्कल्प्पयाति॥६०॥ अग्निष्ष्वात्तातुमतः॥ अग्नि है। प्वात्तानृतुमतौहवामहेनाराशष्ठसेसोमपीथंय्यऽआशु? // तेनो / विप्पासत्सुहाभवन्तुव्यस्यामपतयोरयीणाम् // 61 // [13] 3 आच्याजानु। दक्षिणतोनिषद्येमंय्यज्ञमभिगृणीतविश्वैमाहि // 13 // सिष्टपितरस्केनचिन्नोयद्वऽआर्ग:पुरुषताकराम॥६२॥ आसीना CONSKRITISGASAREERS* For Private And Personal Page #569 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सोऽअरुणीनाम् // आसीनासोऽअरुणीनामुपस्थैरयिन्धत्तदाशुषे माय // पुत्रेभ्य:पितरस्तस्युवस्वल्प्प्रयच्छततऽइहोर्जेन्दधा / त॥६॥यमग्ने / कव्यवाहनत्वंचिन्मन्यसेरयिम् // तन्नौगीभिः / श्रुवाय॑न्देवत्राफ्नयायुजम् // 64 // योऽअग्निः / कव्यवाहन पितृन्न्यक्षदृतावृधः // प्रेवुहध्यानिबोचतिदेवेभ्यश्चपितृभ्यः / / आ॥६५॥ त्वम॑ग्ने // त्वम॑ग्नाऽईडितकव्यवाहनावाढव्यानिसुर हरभीणिकृत्वी // प्रादापितृभ्य स्वधातेऽअक्षन्नुद्धित्वन्दैवष्य है। CAMERICADAMS For Private And Personal Page #570 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 184 // // 19 // संहि. | यताहवीपि॥६६॥ येच ॥येचेहपितरोयेचनेहयाँश्चविद्मयाँ 3 २ऽउंचनप्पविद्म // त्वंवेत्थयतितेजातवेदस्वधाभिर्य्यज्ञ सुव / त पख // 67 // इदम्पितृभ्योनमौऽअस्त्वद्ययेपूर्वांसोयऽउपरा। सऽईयु? // येपार्थिवेरजस्यानिपत्तायेानूनसुवृजनासुविक्षु॥ // 68 // अधायथा / नपितरस्परांसहप्प्रत्नासोऽअग्नऽऋतमाशु पाणा॥ शुचीदयन्दीधितिमुक्थशासक्षामाभिन्दन्तोऽअरुणी // 18 // रपनन् // 69 // उशन्तस्त्वा // उशन्तस्त्वानिधीमयुशन्तुल्समि SANGALORESCR545 5 For Private And Personal Page #571 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir RAMCALCLOCACANCLOG धीमहि // उशनुशतऽआवहपितृन्हविषेऽअत्तवे॥७०॥अपाम्फे नेन // अपाम्फेनेनुनमुचेतशिरइन्द्रोदवर्त्तय: // विश्वायदजय / / स्पृधः // 71 // [10] सोमोराजा॥सोमोराजामृत सुतऽऋजी / पेणोजहान्मृत्युम् // ऋतेनसत्त्यमिन्द्रियम्बिपान शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु // 72 // अन्धक्षीरम् // अन्य। क्षीरंध्यपिबत्कुडाङ्गिरसोधिया // ऋते सत्यमिन्द्रियंबिपानन्शु 3 क्रमन्धसऽइन्द्रस्येन्द्रियमिदम्पयोमृतुम्मधु ॥७३॥सोममद्भय? SHAHARASHTRASAD CAES G For Private And Personal A Page #572 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सोममुग्याध्यपिबुच्छन्दसाहुत्साशुचिषत् // ऋते सत्यमिन्द्रि // 185 // यंबिपानशुक्रमन्धसइन्द्रस्येन्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु // 74 // ११००शतम् ॥अन्नात्परिस्रुतः॥ अन्नात्परिस्रुतोरसम्ब्रह्मणा घ्यपिवत्क्षुत्रम्पयस्सोम॑म्प्रजापति // ऋते सत्यमिन्द्रियविपा / / नन्शुक्रमन्धसऽइन्द्रस्येन्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु॥७५॥ रेतोमू में ब्रम् // रेतोमूत्रविजेहातियोनिम्प्रविशदिन्द्रियम् // गर्भोजरायु 185 // मातऽउल्बञ्जहातिजन्मना // ऋते सत्यमिन्द्रियंबिपान शु KARNEARCASEKACACADAISANGA HALGADGAGALCALAMSALAMMAC+ For Private And Personal Page #573 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir SANGACANGALAMAUSAMACHAR मन्धसऽइन्द्रस्येन्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु // 76 // दृष्ट्वारूपे / च्याकरोत्सत्यानुतेप्प्रजापतिः ॥अश्रद्धामनृतेदधाच्छुद्धासत्ये / प्रजापति // ऋते सत्यमिन्द्रियविपान शुक्रमन्धसऽइन्द्रस्ये न्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु // 77 // वेदेनरूपे। व्यपिबत्सुतासुतौ प्रजापतिः // ऋतेनसत्यमिन्द्रियंबिपान शुक्रमन्धसऽइन्द्रस्ये न्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु॥७८॥ दृष्ट्वापरिनुतः // दृष्ट्वापरिस्रुतो है। रसन्शुक्रेणशुक्रंध्यपिबत्पयत्सोम॑म्प्रजापतिः // ऋतेनसत्यमि CANCIENCCA550454543 For Private And Personal Page #574 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सति न्द्रियंबिपान शुक्रमन्धसऽइन्द्रस्येन्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु // // 186 // ॥७९॥[८]सीसेनतन्त्रम् ॥सीसैनतन्त्रुम्मनेसामनीपिणऽऊर्णा : सूत्रेणकवयोव्वयन्ति // अश्चिनायज्ञसवितासरस्वतीन्द्रस्यरूपं / वरुणोभिषज्यन् // 8 // तदस्य / रूपममृतदशचीभिस्तिस्रोद। धुर्देवतात्सरराणा॥ लोमानिशष्प्पैर्बहुधानतोक्मभिस्त्वर्गस्य मासमभवन्नलाजा // 81 // तदुश्चिना / भिपजारुद्रवर्त्तनीसर / // 18 // खतीबयतिपेशोऽअन्तरम् // अस्थिमज्जानम्मास रैस्कारोतरेण RAHASKAR For Private And Personal Page #575 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir धीमहि // उशन्नुशतऽआवहपितृन्हविषेऽअत्तवे॥७०॥अपाम्फे नेन // अपाम्फेनेनुनमुचेतशिरऽइन्द्रोदवर्तयः // विश्वायदर्जय प्पृधः // 71 // [10] सोमोराजा॥सोमोराजामृत सुतऽऋजी : पेणीजहान्मृत्युम् // ऋतेनसत्त्यमिन्द्रियम्बिपान शुक्रमन्धसऽ इन्द्रस्येन्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु // 72 // अद्यक्षीरम् // अद्य क्षीरंच्यपिबत्कुडाङ्गिरसोधिया // ऋते सत्यमिन्द्रियंबिपानशु क्रमन्धसुऽइन्द्रस्येन्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु // 73 // सोममुद्भयः / / For Private And Personal Page #576 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. सोममन्याच्यपिबुच्छन्दसाहुसश्शुचिषत् // ऋतेनसत्यमिन्द्रि / पू. // 185 // यविपान शुक्रमन्धसइन्द्रस्येन्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु // 74 // ११००शतम् ॥अन्नात्परिनुतः // अन्नात्परिस्रुतोरसम्ब्रह्मणा है। घ्यपिबत्क्षुत्रम्पयत्सोमम्प्रजापति // ऋते सत्यमिन्द्रियविपा इन शुक्रमन्धसऽइन्द्रस्येन्द्रियमिदम्पयोमृतम्मधु॥७५॥ रेतोमू / ब्रम्॥ रेतोमूत्रंधिजहातियोनिम्प्रविशदिन्द्रियम् // गर्भोजरायु // 15 // मातऽउल्वञ्जहातिजन्मना // ऋते सत्यमिन्द्रियविपानशु है HASIERASHUSHAUS For Private And Personal Page #577 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 22 धतोगान्त्वचि ॥८२॥सरखतीमनसा / पेशलंबसुनासत्याग्भ्यां हैं। बयतिदर्शतंव्वपुः // रसम्परिस्रुतानरोहितन्ननहुर्डीरस्तसरनवेम / / // 83 // पयसाशुक्रम् // पयसाशुक्रममृतञ्जनित्रसुरैयामूोजन / यन्तरेतः॥अपामतिन्दुर्मतिम्बाधमानाऽऊबड्यंबात सचन्त / दारात् // 84 // इन्द्रःसुत्रामाहृदयेनसत्यम्पुरोडाशैनसविताज जान // यकृत्लोमानंबरुणोभिपज्यन्मतस्नेवायध्यैनमिनाति है। पित्तम् // 85 // आन्त्राणिस्त्थाली॥ आन्त्राणिस्त्थालीमधुपि For Private And Personal Page #578 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandie संहि. प्र. अ. // 187 // // 19 // HABCSAS5HASANGACADAR वमानागुदाल्पात्राणिसुदुघानधेनु? // श्येनस्युपत्रन्नप्लीहाशची भिरासन्दीनाभिरुदरन्नमाता // 86 // कुम्भोवनिष्ठु // कुम्भोच है। निष्ठ निताशचीभिर्यस्म्मिन्नग्ग्नेयोन्याङ्गर्भोऽअन्तः॥प्लाशि / यतशतधारऽउत्सौदुहेनकुम्भीस्वधाम्पितृभ्यः॥८॥मुखु० / सत् // मुखम् सदस्यशिरऽइत्सतैनजिह्वापुवित्रमुश्चिनासन्त्सर / खती॥चप्पन्नपायुभिषगस्यबालोबुस्तिनशेपोहर॑सातरखी।८८ // 187 // अश्विब्भ्याञ्चक्षुः // अश्चिब्भ्याञ्चक्षुर मृतङ्क्राब्भ्याञ्छागैनुते RAHASANGRALIANAGANSAR For Private And Personal Page #579 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir SAGARASAIGALASSAGE है जोहुविषांशृतेन ॥पक्ष्माणिगोधूमैल्कुलैरुतानिपेशोनशुक्रमसि तंबसाते॥८९॥ अविन / मेपोनसिब्बीर्य्यायप्प्राणस्यपन्थाऽअमृ है। तोग्ग्रहांब्भ्याम् // सरखत्युपवाकैानन्नस्यार्निबर्हिर्बदरै जान / // 90 // इन्द्रस्यरूपम्॥ इन्द्रस्यरूपमृषभोवलायुकाभ्याश्रो / ब्रममृताब्भ्याम् // यवानबुर्हि विकेसराणिकर्कन्धूयज्ञेमधु है। सारघम्मुखात्॥९१॥आत्क्मन्नुपस्त्थे // आत्क्मन्नुपस्त्थेनवृकस्य / / लोममुखेश्म्मश्रूणिनच्याग्घ्रलोमाकेशीनशार्पन्यशंसेश्श्रुियैशि For Private And Personal Page #580 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 18 // // 19 // संहिः खासिव्हस्युलोमुत्विपिरिन्ट्ठियाणि // 92 // अङ्गान्यात्क्मन् // अङ्गान्यात्क्मभिपजातदुश्चिनात्क्मानमङ्गैल्समधात्सरखती॥ है इन्द्रस्यरूप शतमानमायुश्चन्द्रेणज्योतिरमृतुन्दधाना॥९॥ सरस्वतीयोन्याम् // सरखतीयोन्याङ्गर्भमन्तरश्चिब्भ्याम्पत्नीसु। कृतम्बिभर्ति।अपारसेनवरुणोनसाम्नेन्द्रश्श्रुियैजनयन्नप्प्सु / राजा // 94 // तेज:पशूनाम् // तेज:पशूनाहविरिन्द्रियावत्प। रिस्रुतापर्यसासारघम्मधु // अश्चिब्भ्या॑न्दुग्ग्धम्भिपजासरखत्या | Cr-CRACTICICIAGAR // 18 // For Private And Personal Page #581 -------------------------------------------------------------------------- ________________ S Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandir सुतासुताब्भ्याममृतत्सोमऽइन्दुः॥९५॥ [16] इतिश्रीवाजस नेयसंहितायांएकोनविंशतितमोऽध्यायः // 19 // श्रीवेदपुरुषाय नमः॥ अनुवाकसूत्रम् // क्षत्रस्ययोनिस्त्रयोदशयदेवादशाभ्यादा धाम्यष्टौयोभूतानांचतस्रःसमिद्धइंद्रएकादशायात्वष्टौसमिद्धो | अग्निदशाश्विनाहविस्त्रयोदशाश्विनातेजसैकादशनवनवतिः॥ हरिःॐक्षुत्रस्ययोनिः // सुत्रस्ययोनिरसिक्षत्रस्यनाभिरसि // 3 मात्त्वाहिसीन्मामाहिसील॥१॥निपंसाद ।धृतवतोबरुण A CROCOLAN For Private And Personal Page #582 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 189 // पस्त्याखा॥साम्म्राज्यायसुऋतु // मृत्योपाहिविद्योत्पाहि // // 2 // देवस्य॑त्वा / सवितुप्प्रेसवेश्चिनौर्बाहुभ्याम्पूष्ण्णोहस्ता / // 20 // भ्याम् // अश्विनोब्éपंज्येनतेजसेबहमवर्चसायाभिपिञ्चामिस / रखत्यैभैषज्येनब्बीर्य्यायान्नाायाभिपिञ्चामीन्द्रस्येन्द्रियेणब लायश्रियैयर्शसेभिपिञ्चामि ॥३॥कोसि। कतमोसिकस्म्मैत्वा / / कार्यत्वा॥सुश्लोकसुमङ्गलुसत्यराजन् // 4 // शिरोमे // शिरोमे // 189 // श्रीर्य्यशोमुखन्त्विषिल्केशाचश्म्मश्रूणि // राजामप्पाणोऽ/ For Private And Personal Page #583 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir AMAMALARISMALS अमृत सम्माद विराटश्रोत्रम् // 5 // जिह्वामै / भद्रंवाङ्महो / / मनोमन्युश्स्वराडामः॥मोदरप्रमोदाऽअङ्गुलीरङ्गानिमित्रम्मे ई सह // 6 // बाहूमै // बाहूमेवलमिन्द्रिय हस्तौमेकर्मवीर्य्यम्॥ आत्माक्षत्रमुरोमम // 7 // पृष्टीम्मै / राष्ट्रमुदरमसौग्ग्रीवाश्च्च श्रोणी // ऊरूऽअरत्नीजानुनीविशोमेगानिसर्वतः॥८॥ना / भिर्मे / चित्तंविज्ञानम्पायुम्र्मेपचितिर्भसत् // आनन्दनन्दावा ण्डौमेभगल्सौभाग्यम्पसः॥जवाभ्याम्पद्यान्धर्मोस्मिविशि For Private And Personal Page #584 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Si Kalashsagarsur Gyanmandie पृ. अ. // 190 // // 20 // संहि. राजाप्प्रतिष्ठित // 9 // प्रतिक्षत्रे। प्रतितिष्ठामिराष्ट्रेप्प्रत्यश्चैषु प्रतितिष्ठामिगोप्॥प्रत्यङ्गेपुष्प्रतितिष्ठाम्म्यात्क्मन्प्रतिप्राणेषुप्पा / तितिष्ठामिपुष्टेप्प्रतिद्यावापृथिच्योरप्प्रतितिष्ठामियज्ञे॥१०॥त्रया / देवा // यादेवाऽएकादशत्रयस्त्रिशासुराधसः // बृहस्पति / / * पुरोहितादेवस्यसवितुसवे // देवादेवैर्रवन्तुमा॥११॥प्रथमावि / / तीयैः // प्रथमाद्वितीयैर्द्वितीयोस्तृतीयैस्तृतीयात्सत्येनसत्यंय्य / ज्ञे यज्ञोयजुर्भिर्यजूपिसामभिह सामान्यग्भिधंच:पुरोनु AACACACANCHARAC // 19 // For Private And Personal Page #585 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Arabapp Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir वाक्याभित्पुरोनुवाक्यायाज्याभियुंज्यावपट्कारैर्वपट्काराऽआहे / तिभिराहृतयोमेकामान्समर्द्धयन्तुभूस्वाहा॥१२॥लोमानिप्प / यति // लोमानिष्प्रयतिर्ममत्वामऽआनंतिरागति // मास / मऽउपनतिर्वस्वस्त्थिमज्जामऽआनति // 13 // [13] यदेवा // यदेवादेवहेडनुन्देवासच्चकृमाबयम्॥अग्निर्मातस्म्मादेनसोधि / वोन्मुञ्चत्वहस ॥१४॥यदिदिवा॥यदिदिवायदिनक्कमेन / सिचकुमाव्यम् // वायुतिस्म्मादेनसोविश्चान्मुञ्चत्वम् हसह // 25AHARASHARE* For Private And Personal Page #586 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 185 // ARRASKURSUSHIONS BLOG // 15 // यदिजाग्ग्रत् // यदिजाग्यद्यदिखामऽएनासिचकुमा / पू.अ. व्यम्॥ सूर्योमातस्म्मादे सोविश्ान्मुञ्चत्व हसह॥१६॥ यद्रा, मे // यद्ामेयदरण्ण्येयत्सभायांव्यदिन्द्रिये // यच्छू।यदये देनेच्चकृमावयंय्यदेकस्याधिधर्मणितस्यावयजनमसि॥१७॥ यदापः // यदापोऽअग्न्याऽइतिवरुणेतिशपामहेततोवरुणनोमु / ञ्च॥अवभृथनिचुम्पुणनिचेहरसिनिचुम्पुण // अवदेवैर्देवकृतमे है। नोयुक्ष्यवमत्यमत्यकृतम्पुरुराव्णोदेवरिषस्प्पाहि // 18 // समुद्रे / // 19 // For Private And Personal Page #587 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तेहृदयमप्प्स्वन्तसन्त्वाविशन्त्वौषधीरुतापः॥ सुमित्रियानऽ आपऽओषधयह सन्तुदुमित्रियास्तस्म्मैसन्तुयोस्म्मान्द्वेष्टियञ्च / वयन्द्रुिष्म्म॥१९॥द्रुपदादिवमुमुचानस्विन्न स्नातोमलादिव।। पूतम्पवित्रेणेवाज्यमाप शुन्धन्तुमैनसः ॥२०॥उवयम् // उद्दु / यन्तमसरप्परिख पश्यन्तुऽउत्तरम् // देवन्देवत्रासूर्यमगन्म / ज्योतिरुत्तमम्॥२१॥अपोऽअद्य ॥अपोऽअद्यान्वचारिपुटरसे है। नुसमैसूक्ष्महि // पयखानग्नुऽआगमन्तम्मासम्सृजबर्चसाप्पज / For Private And Personal Page #588 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandi प्र.अ. // 20 // संहि. याचधनेनच॥२२॥ एधौसि // एधौस्येधिपीमहिंसमिदसितेजो // 19 // सितेजोमयिधेहि // समाववर्तिपृथिवीसमुपाश्समुसूयं समुवि / श्वमिदञ्जगत् // वैश्वानरज्योतिर्भूयासंविभूनकामान्व्यसन्नवै / / भूश्खा // 23 // [10] अब्भ्यादधामि / समिधुमग्नैबतपतृत्व / यि ॥तञ्चश्श्रद्धाञ्चो पैमीन्धेत्वादीक्षितोऽअहम् // 24 // यत्रब / हम / चक्षुत्रञ्चसम्म्यञ्जौचरतत्सुह // तल्लोकम्पुण्ण्यम्प्रज्ञेपंय्यत्र // 19 // देवाश्सुहाग्निना // 25 // यत्रेन्द्रः // यत्रेन्द्रच्चवायुच्चसम्म्य 9436HSAAAA************* For Private And Personal Page #589 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir चौचरतत्सह॥ तल्लोकम्पुण्ण्यम्प्रज्ञेषुय्यत्रसेदिनविद्यते // 26 अशुनौते / ऽअशुपच्यताम्परुपापरुः ॥गन्धस्तेसोममवतुम / दायरसोऽअच्युतः // 27 // सिञ्चन्तिपरि। षिञ्चत्युसिञ्चन्तिपु / नन्तिच॥सुरायैबुब्भमदेकिन्त्वोव्वदतिकिन्त्वः ॥२८॥धाना है। वन्तङ्करम्भिणम् // धानावन्तङ्कम्भिणमपुपव॑न्तमुक्थिनम् // इन्द्रप्पात पखन // 29 // बृहदिन्द्राय / गायतमरुतोवृत्रह / न्तमम्॥ येनज्योतिरजनयनृतावृधोदेवन्दुवायुजावि॥३०॥ 3 For Private And Personal Page #590 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandit संहि. TRAC- अ. 5. // 20 // // 193 // A-CACAMACRORESS अर्द्धोऽअद्रिभिः / सुतसोमम्पवित्रऽआनय // पुनाहीन्द्राय पातवे // 31 // [8] योभूतानाम् // योभूतानामधिपतिर्यस्स्मिँ लोकाऽअधिश्रिता॥यऽईशेमतोमहाँस्तेनगृह्णामित्वामहम्म यिगृह्णामित्वामहम् // 32 // उपयागृहीतोस्यश्चिब्भ्यान्त्वासर / स्वत्यैत्वेन्द्रीयत्वासुत्राम्म्णऽ एपतेयोनिरश्चिभ्यान्त्वासरखत्यै / / त्वेन्द्रीयत्वासुत्राम्म्णे॥३३॥प्राणपामे / ऽअपानुपाच्चक्षुष्प्पा श्रोत्रपाश्चमे // बाचोमविश्वभैषजोमनसोसिविलायक॥३४॥ ****044040404040404063 // 193 // For Private And Personal Page #591 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir अश्चिनेकृतस्यत॥ अश्चिनकृतस्यतेसरखतिकृतस्येन्द्रेणसुत्राम्म्णां है। कृतस्य॑ // उपहूतुऽउपहूतस्यभक्षयामि // 35 // [4] समिद्धऽइ / इन्द्रः // समिद्धऽइन्द्रेऽउपसामनीकेपुरोरुापूर्वकृवावृधान? // // त्रिभिद्देवैस्विशताबज्रबाहुर्जघानवृत्रंविदुरौबवार // 36 // नरा। शसहप्रतिनिराशसहप्रतिशूरोमिमानस्तनूनपात्प्रतियज्ञस्य / / धाम // गोभिर्वपावान्मधुनासमजन्हिरेण्ण्यैश्च्चन्द्रीयजतिष्प्रचे / ताई // 37 // ईडितोदुवै // ईडितोदेवैर्हरिवॉ२ऽअभिष्टिराजुह्वा / ASCANC4X4MANOCRACOC - For Private And Personal Page #592 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandit संहि. 3 नोहविषाशर्द्धमान // पुरन्दरोगोत्रभिट्ठज्ज्रबाहुरायातुयज्ञमुप / नोजुषाण // 38 // जुषाणोबर्हिः॥ जुषाणोबर्हिर्हरिवाँरन्नऽइ द्रप्राचीन सीदत्प्रदिशापृथिव्या॥ऊरुप्रथाप्पथमानस्यो / नमादित्यैरवसुभित्सजोपा // 39 // इन्द्वन्दुर / कवष्ष्यो / धावमानावृषाणंय्यन्तुजनयत्सुपत्नी॥ द्वारौदेवीरभितोविश् / यन्तासुवीराबीरम्प्रथमानामहोभिः॥ 40 // उपासानता / / बृहतीबृहन्तम्पयखतीसुदुघेशूरमिन्द्रम् // तन्तुन्ततम्पेशसासुंबई // 194 // For Private And Personal Page #593 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ARRIA यन्तीदेवानान्देवंय्यजतत्सुरुक्मे॥४१॥ दैच्यामिमाना। मनु | परपुरुत्राहोताराविन्द्रम्प्रथमासुवाा // मुर्द्धन्यज्ञस्यमधुनादौ / नाप्पाचीनज्योतिर्ह विपांबूधातः॥४२॥तिस्रोदेवी॥तिस्रोदेवी / / हविषाबर्द्धमानाऽइन्द्रञ्जुषाणाजनयोनपत्नी // अच्छिन्नन्तन्तुं पर्यसासरस्वतीडादेवीभारतीविश्चतूर्ति॥४३॥त्वष्वादधत् ॥त्व ष्वादधुच्छुष्ममिन्द्रायवृष्ष्णेपाकोचिष्टुर्य्यशसैपुरूणि॥वृषायज वृर्पणम्भूरिरेतामुर्द्धन्यज्ञस्युसमनतुदेवान् // 44 // G RICAIGAGAR For Private And Personal Page #594 -------------------------------------------------------------------------- ________________ A Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 195 // // 20 // AGRICULARSA रवसृष्टः // वनस्पतिरवसृष्टोनपाशैस्त्मन्यांसमञ्जञ्छमितानदे वाइन्द्रस्यहच्यैर्जुठरम्पृणानस्वातियज्ञम्मधुनाघृतेन // 45 // स्तोकानामिन्दुम्॥स्तोकानामिन्दुम्प्रतिशूरऽइन्द्रौपायमाणो वृषभस्तुरापाट् // घृतप्पुषामनसामोदमानास्वाहादेवाऽअमृता / मादयन्ताम् // 46 // [11] आयातु॥आयात्विन्दोवसऽउपनऽ / / इहस्तुतःसधुमादस्तुशूरः // वावृधानस्तविषीर्यस्यपूर्वीयौनक्ष त्रमुभिभूतिपुष्ष्यात्॥ 47 // आनः॥ आनऽइन्द्रौदुरादान MACRECACCALCCACA5 %25. // 195 // For Private And Personal Page #595 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir आसादभिष्टिकृदवसेयासदुग्नः // ओजिष्ठेभिन्नूपतिर्बज्रबाहुः सङ्गेसमत्सुतुर्वणि पृतन्न्यून्॥४८॥आनः॥आनऽइन्द्रोहरिभि / / Uत्वच्छौर्वाचीनोबसेराधसेच ॥तिष्टातिव्वज्जीमघवाविरप्प्शी / मय्यज्ञमनुनोवाजसातौ ॥४९॥तारमिन्द्रम् // त्रातारमिन्द्र है। मवितारमिन्द्रदहवेहवेसुहवशूरमिन्द्रम् // ह्वामिशक्क्रम्पुरुहुत / मिन्द्रस्वस्तिनोमघवाधाविन्द्र’ // 50 // इन्द्रसुत्रामा // इन्द्रसुत्रामाखवाँ२ऽअवोभिल्सुमृडीकोभवतुविश्ववेदाहाबाध For Private And Personal Page #596 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandie पू.अ. // 20 // संहि. तान्द्वेषोऽअभयङ्कणोतुसुवीय॑स्युपतयत्स्याम॥५१॥ तस्यव्य है। // 196 // ३म् // तस्यव्यम्सुमतौयुज्ञियस्यापिभुद्रेसौमनसेस्याम // ससुत्रा। माखवाँरऽइन्द्रोऽअस्म्मेऽआराचिद्वेषः सनुऽतर्म्युयोतु // 52 // आमन्द्रे॥आमन्द्रैरिन्द्रहरिभिUहिमयूररोमभिः॥मात्वाके / चिनियमन्न्विन्नपाशिनोतिधन्वैवताँ२ऽइहि // 53 // एवेत्॥ एवे / दिन्द्रंबृपणंबज्रबाहुंवसिष्ठासोऽअब्भ्यर्चन्त्यः // सनस्तुतोबी हरवद्धातुगोम॑धूयम्पतिस्वस्तिभित्सदानः // 54 // [8] समिद्धोऽ ABORESCU45645454 For Private And Personal Page #597 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir अग्निः॥ समिद्धोऽअग्निरश्चिनातप्तोघुम्नॊविरागुतः ॥दुहेधेनु / सरखतीसोम शुक्रमिहेन्द्रियम् // 55 // तनूपाभिषा। सुतेत्रि नोभासरखती // मद्धारजासीन्द्रियमिन्द्रायपथिभिवहान् // // 56 // इन्द्रायेन्दुम् // इन्द्रायेन्दुसरखतीनराश सेननुग्नर्हम्॥ अधातामुश्चिनामधुंभेषजम्भिपासुते॥५७॥ आजुबानासर / स्वती / न्द्रायेन्द्रियाणिवीर्य्यम् // इडाभिरश्चिनाविषठसमूर्ज। सयिन्दधुः ॥५८॥अश्चिनानमुचे / सुतसोम शुक्रम्परि For Private And Personal Page #598 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. // 20 // स्रुतासरखतीतमाभरड्वर्हिपेन्द्रायपातवे // 59 // कवष्ष्योन / / // 197 // व्यचखतीरश्चिब्भ्यान्नदुरोदिशः // इन्द्रोनरोदसीऽउभेदुहेकामा / इन्त्सरखती॥६०॥उपासानक्तम् // उपासानक्तमश्विनादिवेन्द्र सायमिन्द्रियैः // सञ्जानानेसुपेशंसासमजातेसरखत्या // 61 // / पातन्नः॥पातन्नोऽअश्चिनादिवोपाहिन सरस्वती॥ दैयाहो ताराभिपजापातमिन्द्रप्सचासुते // 62 // तिस्रस्त्रेधा ।सरखत्य // 197 // श्विनाभारतीडा।तीब्रम्परिस्रुतासोममिन्द्रायसुपुवुर्मदम्॥६३॥ For Private And Personal Page #599 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir MSRAMMARC09 अश्चिनाभेषजम् // अश्चिाभेषजम्मधुभेषजन्नत्सरखती॥इन्द्रे | त्वष्टायशुश्रियरूपब्रूपमधुत्सुते // 64 // ऋतुथेन्द्रः // ऋतु | थेन्द्रोवनस्प्पति शशमानश्परिनुता // कीलालमश्विब्भ्याम्मधु है। दुहेधेनु सरस्वती // 65 // गोभिन्न / सोममश्विनामासरेणपरिम् / ता॥ समंधात सरखत्याखाहेन्द्रसुतम्मधु // 66 // [12] अश्चि / / नाहविः // अश्चिाहविरिन्द्रियन्नमुचेर्दियासरस्वती // आशुका / मासुरावसुमघमिन्द्रायजन्भ्रिरे॥६७॥ यमुश्चिना // यमुश्चिना For Private And Personal Page #600 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit पू. अ. // 198 // // 20 // संहि. सरखतीहविषेन्द्रमवर्द्धयन् ॥सबिभेदवलम्मघन्नमुचावासुरेसा / m68 // तमिन्द्रम् // तमिन्द्रम्पशवल्सचाश्चिनोभासरखती // दधानाऽअब्भ्यनूपतहुविायज्ञऽइन्द्रियैः // 69 // यऽइन्द्रे // यऽइन्द्रऽइन्द्रियन्दुधुश्सवितावरुणोभगः // ससुत्रामाहविष्प्प / / तिर्यजमानायसच्चत // 70 // सवितावरुणः ॥सवितावरुणो / दधद्यजमानायदाशुषे // आदत्तुनमुचेर्वसुसुत्रामावलमिन्द्रियम् // // 71 // वरुणझुत्रम् // वरुणझुत्रमिन्द्रियम्भगैनसविताश्रि SCANCLOCACANCERT-57560 // 198 // For Private And Personal Page #601 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir FESCRIGANGANGANAGAUSAUCRA यम् // सुत्रामायशंसाबलन्दधानायज्ञमाशत // 72 // अश्चि नागोभिः // अश्चिनागोभिरिन्द्रियमश्वेभिर्वीर्य्यम्बलम्॥हुवि / पेन्द्रसरस्वतीयजमानमवर्द्धयन् // 73 // तानासत्या / सुपेश साहिरण्यवर्तनीनरी // सरखतीहुविष्म्मतीन्द्रुकमसुनोवत॥ // 74 // ताभिषो / सुकर्मणासासुदुघासरखती॥ सुवत्रहाश, तऋतुरिन्द्रायदधुरिन्द्रियम् // 75 // युवन्सुरामम् // युवसु राममश्चिनानमुचावासुरेसा // विपिपानाश्सरस्वतीन्द्रुङ्कम cck For Private And Personal Page #602 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 20 // // 199 // खावतम् // 76 // पुत्रमिवपितरौ // पुत्रमिवपितरावृश्चिनोभे -अ. न्द्रावथुत्काध्यैईट्सनाभिः // यत्सुरामध्यपिवल्शचीभित्सरख तीत्वामघवन्नभिष्ष्णक् // 77 // यस्म्मिन्नश्चासह // यस्म्मिन्न / श्वासऽऋषभासऽउक्षणोव्बुशावेषाऽअवसृष्टासऽआहुताई॥कीला / / लपेसोमपृष्ठायवेधसैहृदामतिञ्जनयुचारुमग्नये // 78 // अहो | ध्यग्ने। हविरास्यतेस्रुचीवघुतञ्चम्म्बीवसोमः॥वाजसनि यि // 199 // मम्मेसुवीरंम्प्रशस्वन्धैहियशसम्बृहन्तम्॥ 79 // [13] शतम् / RCH575515-%A5% For Private And Personal Page #603 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir CRECAREEREOGREHRECRCHERE 1200 // अश्चिातेजसा / चक्षुःपाणेनुसरखतीवीर्य्यम् // बाचेन्द्रोबलेनेंद्रायदधुरिन्द्रियम् // 80 // गोमदूषणासत्या॥ गोमंदूपुसत्याश्चविद्यातमश्विना॥बुर्तीरुद्रानृपाय्य॑म् // 81 // नयत्॥ नयत्परोनान्तरऽआदुधद्रूपण्वसू // दुस्शन्सोमोरि पु? // 82 // तान: // तानऽआवौढमश्चिनारयिम्पिशङ्गसन्ह शम् // धिष्ष्यावरिवोविदम् // 83 // पावकानः // पावकानुः सरखतीबाजेभिर्वाजिनीवति // यज्ञंबष्टुधियावसुः॥८४॥ चोद। For Private And Personal Page #604 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kalashsagarsuri Gyanmandie सहि. यित्रीसूनृानाम्॥चोदुयित्रीसूनृानाञ्चेन्तिीसुमतीनाम्॥यज्ञ ॥२०॥न्दधेसरखती // 85 // महोऽअणः // महोऽअर्णल्सरखतीप्प चैतयतिकेतुनो // धियोविश्वाविराजति // 86 // इन्द्रायाहि / चित्रभानोसुताऽइमेत्वायवः॥अण्ण्वीभिस्तनापूतासः॥८७॥ इन्द्रायाहि / धियेपितोबिप्प्रजूतत्सुतावत: // उपबहाणिवाघ तः // 88 // इन्द्रायाहि // इन्द्रायोहितूतुजानऽउपबहाणि हरिवः ॥सुतेद॑धिष्ष्वनुच्चनः // 89 // अश्चिापिबताम् // 3 // // 20 // For Private And Personal Page #605 -------------------------------------------------------------------------- ________________ costitas Acharya S arana