________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CROCOMC-19-5 सङ्घातञ्जेष्म्मवर्षवृद्धमसिप्पतित्वावर्षवृद्धव्वेत्तुपरापूतहराउंप रापूताऽअरातयोपहत रक्षौव्वायुविविनक्तुदेवावः सविताहिर / ण्यपाणिप्प्रतिगृभ्णात्वच्छिद्रेणपाणिना // 16 // [3] वृष्टिरसि॥ ष्ट्रिरस्याग्नेऽअग्निमामादजहिनिष्कृच्यादसेधादेवयजेबह॥ ध्रुवमंसिपृथिवीन्द्र हब्रह्मवनित 'जातवन्युपंदधामि / भ्रातृध्यस्यवधाय॥१७॥अग्नेबह ष्ष्वधरुणमस्यन्तरि / / क्षन्हबमवनित्त्वाक्षत्रवनिर मिभ्रातृध्यस्य -04-04-4 For Private And Personal