________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पू. अ. // 108 // संहि.मात्रयाबरिम्म्णाप्पथख // 2 // ब्रह्मयज्ञानम् // ब्रह्मयज्ञानम् / थमम्पुरस्ताद्विसीमत सुरुचौव्वेनऽआव // सबुध्ध्याऽउपमा हूँस्यविष्ठाश्सतच्चयोनिमसतच्चविः॥३॥हिरण्यगर्भसमवर्त्त / / ताग्ग्रेभूतस्यजातश्पतिरेकऽआसीत् ॥सदोधारपृथिवीन्द्यामुतेमा / है स्म्मैदेवायहुविषाविधेम // 4 // द्रुप्प्सच्चस्कन्द / पृथिवीमनुद्या / / मिमञ्चयोनिमनुयच्चपूर्वः // समानंय्योनिम सञ्चरन्तन्द्रप्प्स | // 10 // जुहोम्म्य सप्तहोत्रांस॥५॥नमौस्तु।सर्पेभ्योयेकेचपृथिवीम // K+BOLLAGACASSAGE For Private And Personal