________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir * ISRASA * पातैनम्पाञ्चम्पातैनम्प्रत्यञ्चम्पातैनन्तियंञ्चन्दुिग्ग्भ्यःपात॥८॥ आविर्मर्या // आविम॑र्थ्याऽआवित्तोऽअग्निर्गृहपतिरावित्त इन्द्रौवृद्धश्रवाऽआवित्तौमित्रावरुणौधृतवतावावित्तत्पूपाविश्व / / वेदाऽआवित्तेद्यावापृथिवीविश्वशम्भुवावावित्तादितिरुरुशर्मा। // 9 // [5] अवैष्टादन्दुशूकोई॥ अवैष्टादन्दुशूकाल्प्पाचीमारोह / गायत्रीत्त्वावतुरथन्तरसामंत्रिवृत्स्तोमौबसन्तऽऋतुर्बद्रवि / णन्दक्षिणामारोह ॥१०॥दक्षिणामारोह। त्रिष्टुप्प्त्वावतुबृहत्साम * * For Private And Personal