________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उपयामगृहीतोसीन्द्राग्निब्भ्यान्त्वैषतेयोनिरिन्द्राग्निब्भ्यान्त्वा // 31 // [1] आघ ॥आघायेऽअग्निमिन्धतेस्तृणन्तिबर्हिरानुष / क्॥येपामिन्द्रोयुवासखा // उपयामगृहीतोस्यग्नीन्द्राब्भ्यान्त्वै पतेयोनिरग्नीन्द्राभ्यान्त्वा॥३२॥[१]ओमासश्चर्पणीधृतः॥ ओमासश्चर्षणीधृतोविश्वेदेवासुऽआर्गत // दाश्चासौदाशु पः सुतम् // उपयामगृहीतोसिव्विश्वेभ्यस्त्वादेब्भ्यऽएपढ्यो निर्विश्वेभ्यस्त्वादेवेभ्यः॥३३॥ [1] विश्वेदेवासः // विश्वे For Private And Personal