________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 145 // संहि. अन्धसः ॥द्रापेऽअन्धसस्पतेदरिद्रनीललोहित॥आसाम्प्रजाना है। 6 मेषाम्पशूनाम्माभेर्मारोङ्मोचनकिञ्चनाममत् // 47 // इमा है। // 16 // है रुद्राय / तवसेकपर्दिनेक्षयद्वीरायुप्पभरामहेमती // यथाशमसे विपदेचतुष्ष्पदेविश्वम्पुष्टङ्ग्रामेऽअस्म्मिन्ननातुरम् ॥४८॥याते। रुद्रशिवातनूशिवाविश्वाहाभेषजी॥ शिवारुतस्यभेषजीतयानो है। मृडजीवसे // 49 // परिनः॥परिनोरुद्रस्यहेतिर्दृणक्नुपरित्वेपस्य // 145 // दुर्मतिरघायोः // अवस्थुिरामघवन्यस्तनुष्ष्वमीडस्तोकायुतन NAGAGAIGANGA For Private And Personal