________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit प्र.अ. // 15 // // 17 // संहि. इहास्म्माकम्मघासूरिरस्तु ॥२२॥वाचस्पतिम् // वाचस्पति / / विश्वकर्माणमूतयेमनोजुवंबाजेऽअद्याहुवेम // सनोविश्वानिह / / वनानिजोषद्विश्वशम्भुरवसेसाधुका // 23 // विश्वकर्मन्हुवि / पा। बर्द्धनेनत्रातारमिन्द्रमकृणोवुद्ध्यम् // तस्म्मविशल्समैनम न्तिपूर्वीर यमुग्योबिहध्योयथासत्॥२४॥ [9] चक्षुपक्षपिता। मन साहिधीरोघृतमैनेऽअजनन्नम्नमाने // यदेदन्ताऽअददृहन्तपूर्व आदिद्यावापृथिवीऽअप्प्रथेताम् ॥२५॥विश्वकर्माविमनाव ESS******AHISISHA // 151 // For Private And Personal