________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir श्वतस्प्पात् // सम्बाहुब्भ्यान्धमतिसम्पतत्रैवाभूमीजनयन्दे है। वऽएक // 19 // किखित् // किस्विद्वनङ्कऽउसवृक्षऽआंसुय / / तोद्यावापृथिवीनिष्टतक्षु३॥ मनीषिणोमनसापृच्छतेदुतद्यदुद्ध्यति / ष्ठ वैनानिधारयन् // 20 // याते॥ यातेधामानिपरमाणियाव / / मायामामाविश्वकर्मान्नुतेमा // शिक्षासखिभ्योहविपिखधा / वल्स्वयंय्यजखतन्वंबंधान? // 21 // विश्वकर्मन्हविषा। वावृधा है। नस्वयंय्य॑जखपृथिवीमुतद्याम्॥मुह्यन्त्वन्न्येऽअभितःसुपत्काs For Private And Personal