________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandir पू. अ. // 150 // तपन्तुहेतयं पावकोऽअस्म्मब्भ्य शिवोभव // 15 // [5] अग्नि स्तिग्ग्मेन / शोचिषायासद्विश्चन्युत्रिणम् ॥अग्निौबनतेरयिम् / ॥१६॥यऽइमा। विश्वाभुवनानिजुह्वदृपिझैतान्यसीदत्पितानः॥ सऽआशिपाद्रविणमिच्छमानहप्प्रथमच्छदव(२आविवेश।१७॥ किखित् // किखिदासीदधिष्ठानमारम्भणङ्कतमत्खित्कथा / सीत् // यतोभूमिओनयन्विश्वकर्माविद्यामौणोन्महिनाविश्व // 150 // चक्षा // 18 // विश्वतश्चक्षुरुत। विश्वतोमुखोविश्वतोवाहुरुतवि For Private And Personal