________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. पू.अ. रूपऽइन्दुरन्तमहिमानमना धीरः // एकपदीन्द्विपदीन्त्रिप दीञ्चतुष्पदीमष्टापदीम्भुवनानुप्प्रथन्ताखाहा ॥३०॥मरुतोय स्य ॥मरुतोयस्यहिक्षयैपाथादिवोबिमहसह // ससुगोपातमोज | न:॥३१॥ महीद्यौ / पृथिवीचनऽइमंय्यज्ञम्मिमिक्षताम् // पि / पृतान्नोभरीमभित॥३२॥[५]आतिष्ठावृत्रहुन्नर्थय्युक्तातेबह्मणा / / हरी॥अर्वाचीनुसुतेमनोग्यावाकृणोतुबग्ग्गुना // उपयामगृहीतो // 58 // सीन्द्रीयत्त्वापोडशिनऽएषतेयोनिरिन्द्रीयत्त्वापोडशिनै॥३३॥ SANAUGARCA5 For Private And Personal