________________ Shri Mahavir Jain Aragten Kindra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 11 // सम्भरश्शुचिजिह्वोऽअग्निः // 36 // सम्सीदख // सन्सीदखम पू. अ. हाँ२ असिशोचखदेववीतम; // विधूममग्नेऽअरुषम्मियेद्यसृज है। प्रशस्तदर्शतम् // 37 // [10] अपोदेवी३॥ अपोदेवीरुपसृजमधु मतीरयुक्ष्माय जाब्भ्यः॥तासामास्त्थानादुजिहतामोषधयां / सुपिप्पला३ // 38 // सन्तै। वायुर्मांतरिश्चादधातृत्तान्नायाहृदयं व्यद्द्विकस्तम्॥योदेवानाञ्चरसिप्पाणथैनुकस्म्मैदेववर्षडस्तुतुब्भ्य // 5 // म् // 39 // सुजातोज्ज्योतिषा। सुहशर्मवरूथुमासदुत्त्स्वः // वा है। For Private And Personal