________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir च्छपृतन्न्यत? ॥योऽअम्माँ 2 ऽअभिदासुत्त्यधरङ्गमयातमः॥ उपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्त्वाविमृधऽएपतेयोनिरिन्द्रीयत्त्वाविम | #धै॥४४॥ [1] वाचस्पतिविश्वकर्माणमूतयैमनोजुवंबाजे है। ऽअद्याहुवेम // सनोविश्वानिहर्वनानिजोपहिश्वशम्भूरवसेसाधु कर्मा // उपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्त्वाविश्वकर्मणऽएपतेयोनि / रिन्द्रायत्त्वाविश्वकर्मणे // 45 // [1] विश्वकर्मन्हविषा // 3 // विश्वकर्मन्हविषावर्द्धनेनत्रातारमिन्द्रमकृणोरवयम् // तस्म्मै / For Private And Personal