________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ.अ. // 32 // SAHARANASAGAR कृष्ष्णाभौमाधूम्म्राआन्तरिक्षाबृहन्तौदिघ्या? शुबलावैधुतासि / ध्मास्तारकाः // 10 // [10] धुम्म्रान्वसन्तायै // धूम्म्रान्त्वंस न्तायालभतेश्वेतान्ग्रीष्ष्मायकृष्ष्णान्वर्षाग्भ्योरुणाञ्छरदुपृष | तोहेमन्तायपिशङ्गाञ्छिशिराय॥११॥त्र्यवयोगायत्र्यै / पञ्चा है। वयस्त्रिष्टुभदित्युवाहोजगत्यैत्रिवत्साऽअनुष्टुभेतुर्य्यवाहऽष्ष्णि हे // 12 // पृष्ठुवाहोविराजे॥ पुष्टुवाहोविराजऽउक्षाणोबृहत्याऽ // 2 // प्रभाश्ककुभैनड्डाह-पतयैधेनवोतिच्छन्दसे // 13 // कृष्ष्णग्ग्री For Private And Personal