________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. उ. अ. ओषधयत्सन्तुदुम्मित्रियास्तसम्मैसन्तुयोस्म्मान्द्वेष्टियञ्चबयन्द्वि / ॥१०७म्म // 12 // अनड्डाहमुन्न्वारेभामहेसौरभेयस्वस्तये॥ सन। इन्द्रेऽइवदेवेभ्योबहिःसन्तारणोभव // 13 // उवयम्॥उद्द्यन्त / / 2 मंसुस्प्परिख पश्यन्तऽउत्तरम् // देवन्देवत्रासूर्युमगन्मज्यो / तिरुत्तमम् // 14 // इमञ्जीवेभ्यः / परिधिन्दधामिमैषान्नुगाद / परोऽअर्थमेतम् // शुतञ्जीवन्तुशरद-पुरूचीरन्तर्मृत्युन्दधता / / पर्वतेन॥१५॥ अग्नुऽआयूळपि / पवसऽआसुवोर्जमिपञ्चनः॥ 1107 For Private And Personal