________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 117 // I // 14 // स्तस्यैवाङ्मात्त्याहेमन्तोबाच्यपतिहमन्तीपतयैनिधनवन्निध नवतऽआग्रयणऽआग्ग्रयुणात्रिणवत्रयस्त्रिदशौत्रिणवत्रयस्त्रि शाब्भ्यशाक्चररैवतेविश्वकर्मऽऋषि प्रजापतिगृहीतयात्त्व / यावाचङ्गृह्णामिप्प्रजाब्भ्योलोकन्ताऽइन्द्रम् // 58 // [5] इति / श्रीवाजसनेयसंहितायांत्रयोदशोऽध्यायः ॥१३॥श्रीवेदपुरुषाय ! नमः॥अनुवाकसूत्रम्॥ध्रुवक्षितिःपट्सजूक्रतुभिर्मूर्द्धावयोर्द्विका 117 // विंद्राग्नीआयुर्मेषट्कावाशुस्त्रिवृदेकाग्नेर्भागोस्येकयाचतुष्कावष्टा | For Private And Personal