________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir MOCH 435***OHISHAHAHA आशुशिशान // आशुशिशानोवृषभोनभीमोघनाघनश्क्षोभ णश्चर्षणीनाम् // सुन्दनोनिमिषऽएकवीरश्शत सेनाऽअजय / / त्साकमिन्द्रः // 33 // सङ्क्रन्दनेनानिमिषेण। जिष्ष्णुनायुक्त्कारे / / णदुश्च्यवनेनधृष्ष्णुना // तदिन्द्रेणजयततत्संहईच्युधोनरऽइषु / हस्तेनवृष्ष्णा ॥३४॥सऽइपुंहस्तैः // सऽइपुंहस्तै सनिपङ्गिभिर्छ / शीसस्रष्वासयुधऽइन्द्रोगणेन // सदसृष्टुजित्सोमपाबाहुशर्युग्य धन्वाप्पतिहिताभिरस्ता // ३५॥बृहस्प्पतेपरि / दीयारथेनरक्षो For Private And Personal