________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SANGACARRICANSAR च्यचसङ्गिरः॥ीतमरथीनांबाजोनासत्प॑तिम्पतिम्॥६१॥ देवहूर्यज्ञः // देवहूर्यज्ञऽआचवक्षत्सुम्नहूर्य्यज्ञऽआचवक्षत् // यक्षदग्निर्दवोदेवाँरआचव्वक्षत् // 62 // वाजस्यमा। प्रसवऽउहा है। भेणोदग्ग्रभीत् // अधासुपत्कानिन्द्रोमेनिग्ग्राभेणाधराँ२ऽअकः / // 63 // उद्दाभञ्च / निग्याभञ्चबहह्मदेवाऽअवीवृधन् // अधासप / कानिन्द्राग्नीमेविषूचीनाव्यस्यताम् // 64 // [15] क्रमद्धमग्नि / ना // क्रमद्धमग्निनानाकमुक्ख्यव्हस्तैबिभ्रत // दुिवस्पृष्ठ For Private And Personal