________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 105 // // 12 // 360-900CROCOC45455G सि // अथौशतस्ययक्ष्माणाम्पाकारोरसिनाशनी॥९७॥त्वाङ्गन्ध / हा? // त्वाङ्गन्धर्वाऽअखनूंस्त्वामिन्द्रस्त्वाम्बृहस्प्पतिः॥त्वामा / / / पधेसोमोराजाविद्वान्न्यक्ष्मादमुच्यत॥९८॥सहखमे॥सहखमेऽ / अरातीत्सहखपृतनायुतः // सहस्वसंवैपाप्मानसहमानास्योषधे / // 99 // दीर्घायुस्ते॥दीर्घायुस्तऽओषधेखनितायस्म्मैचत्त्वाखना / म्यहम्॥अोत्त्वन्दीर्घायुर्भूत्त्वाशुतवल्शाविरोहतात॥१०॥ // 105 // त्वमुत्तुमा / स्योषधेतववृक्षाऽउपस्तयः // उपस्तिरस्तुसोस्म्माकं / For Private And Personal