________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit संहि . // 65 // R85852RECRRIGACANCIENTICALCREG हरसम्॥ अपारसमुवयसन्सूर्यसन्तसमाहितम् // अपारस / / स्युयोरसस्तंबौगृहाम्म्युत्तममुपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्त्वाजुष्टङ्ग | हाम्म्येपतेयोनिरिन्द्रीयत्त्वाजुष्टुतमम् // 3 // ग्रहोऽऊर्जाहुतयः॥ ग्रहाऽऊर्जाहुतयोध्यन्तोविप्रायमतिम् ॥तेपांविशिष्प्रियाणांबो हमिपमूर्जसमग्यभमुपयामगृहीतोसीन्द्रीयत्त्वाजुष्टेङ्गुलाम्म्ये | पतेयोनिरिन्द्रीयत्त्वाजुष्टतमम् // सम्पृचौस्त्थत्सम्माभद्रेणपृत है। विपृचौस्थोबिमापाप्मनापृतम्॥४॥[४] इन्द्रस्युवज्र॥इन्द्र For Private And Personal