________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAMRACCESSMANGALAM णाम्मनीषाणाम्प्रार्पणत्सोमंगोपाः // वसुःसूनुश्सहसोऽअप्प्सु राजाविभात्त्यग्ग्रंऽउपसामिधानः॥२२॥विश्वस्यकेतुः ॥विश्व / स्यकेतुर्भुवनस्युगर्भऽआरोदसीऽअपृणाज्जायमानः // वीडुचि है। दद्रिमभिनत्त्परायञ्जनायग्निमयजन्तपञ्च॥२३॥ उशिवपाव कः॥ उशिवपावकोऽरतिश्सुमेधामतेष्ष्वग्निरमृतोनिधायि // इयतिधूममरुषम्भरिभ्रदुच्छुकेणशोचिषाद्यामिनक्षन् // 24 // दृशानोरुक्मः // दृशानोरुक्मऽाध्यद्यौहुर्मर्षमायुः श्रिये / / CREGARIK554-964-662- For Private And Personal