________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Krishsagarsuri Gyanmandir SRIGANGANAGARGANGANAGAR स्यश्चिब्भ्यान्त्वासरखत्त्यैत्त्वेन्द्रीयत्त्वासुत्राम्म्णे ॥३२॥युवठ-सु रामम्॥ युवसुराममश्चिनानपुंचावासुरेसा // विपिपानाशुभ स्प्पतीऽइन्द्रङ्कर्मखावतम् // 33 // पुत्रमिवपितरौ // पुत्रमिवपि / तरावृश्चिनोभेन्द्रावथुकाध्यैईट्सनाभि // यत्सुरामध्यपिवश है। चीभिसरखतीत्त्वामघवन्नभिष्ष्णक् // 34 // [4] // 8 // इतिश्री है। वाजसनेयसंहितायांदशमोऽध्यायः॥१०॥श्रीवेदपुरुषायनमः॥ अनुवाकसूत्रम् ॥युंजानएकादशप्रतूर्त्तन्पोडशदेवस्यत्वादशापो For Private And Personal