________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir यखजन्तुभिरस्म्मेरायोऽअमर्त्य // सदर्शतस्यवपुषोविराजसिप णक्षिसानसिङ्घर्तुम् // 109 // इष्कु रमद्धरस्य॑ // इष्क रमद्धर इस्युप्पचैतसङ्क्षय॑न्तराधसोमहः // रातिबामस्यसुभगोम्महीमिष हिन्दधासिसानुसि रयिम् ॥११०॥ऋतावानम्महिषं / विश्वदर्शत मग्निम्सुम्नायदधिरेपुरोजना॥श्रुत्कर्ण सुप्पथस्तमन्त्वागिरा है देव्यम्मानुपायुगा॥१११॥ आप्प्यायस्व / समैतुतेविश्वतःसोम / / वृष्ष्ण्यम् // भवाबाजस्यसङ्गुथे // 112 // सन्तै॥ सन्तुपयोसि RECADAMAUSAMSANSAMMADS For Private And Personal