________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 7. संहि. // 106 // // 12 // TAGRAMROSAGARMA हामिसेदिमनिरामीवाम्॥१०५॥ अग्नेत // अग्नेतवश्श्रोत है। योमहिभ्राजन्तेऽअर्चयोविभावसो // बृहभानोशवसावामु / क्थ्यन्दासिदाशुषेकवे॥१०६॥ पावकवर्चाशुक्रवर्चा // पाव कवर्चाशुक्रव, अनूनवर्चाऽउदियर्षिभानुना // पुत्रोमातर्रावि चरन्नुपावसिपृणक्षिरोदसीऽभे॥१०७॥ ऊर्जीनपात्॥ ऊर्जान पाजातवेदसुशस्तिभिर्मन्दखधीतिभिर्हितः॥त्वेऽइपसन्दधु / 106 // भूरिवर्णसश्चित्रोतयोब्बामजाता ॥१०८॥डुरज्यन्नग्ने / प्पथ / / For Private And Personal