________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shei Kailashsagarsuri Gyanmandit PROGRAMAS ARASAA*9 तरञ्चप्प्रयंत्स्वः॥६॥ अन्तश्चरति ।रोचनास्यप्पाणादपानती है ॥ध्यक्ख्यन्महिषोदिक्म्॥७॥ त्रिशद्धाम // त्रिशद्धामविराज / / तिवापतङ्गायधीयते॥प्रतिवस्तोरहद्युभिः॥८॥[४]अग्निज्यो / तिः // अग्निज्योतिज्योतिरग्निश्वाहासूर्योज्योतिज्योति / सूर्युल्स्वाहा // अग्निवर्होज्योतिर्वर्चुलस्वाहासूर्योबहॊज्योति / / वर्चस्वाहा // ज्योतिसूर्यसूर्योज्योतित्स्वाहा // 9 // सर्दै / न।सवित्रासजूरात्र्येन्द्रवत्या॥ जुपाणोऽअग्निवॆतुस्वाहा।सजू / / For Private And Personal