________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir संहि. // 15 // 3 // / हेवेनसवित्रासजूरुषसेन्द्रवत्या॥जुषाणमूर्योवेत्तुस्वाहा // 10 // पू.अ. EI[२]उपप्प्रयन्तोऽअङ्करम्॥ उपप्प्रयन्तोऽअद्धरम्मन्बोचेमागये। आरेऽअस्म्मेचशृण्वते॥११॥ अग्निर्मुर्दा / दिवश्ककुत्पतिः पृथि / घ्याऽअयम्॥अपारेतासिजिन्वति॥१२॥उभावाम्॥उभावा / मिन्द्राग्नीऽआवद्धयोऽउभाराधसत्सहमादयधै // उभादातारा / विषारयीणामुभावाजस्यसातयेहुवेवाम्॥१३॥अयन्तै॥अयन्ते / / योनिर्ऋत्वियोयतोजातोऽअरोचथा॥तञ्जानन्नग्न आरोहाथानो // 15 // For Private And Personal