________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir हे॥आदित्त्यान्विष्ष्णुठसूर्यम्ब्रह्माणञ्चबृहस्पतिछंखाह॥२६॥ अर्यमणम्बृहस्प्पतिम्॥ अर्यमणम्बृहस्पतिमिन्द्रन्दानायचो / दय ॥वाचविष्ष्णुसरखतीसवितारञ्चवाजिनढुवाहा // 27 // अग्नेऽअच्छे // अग्नेअच्छाबदेहनप्रतिनसुमनाभव // प्रनो यच्छसहस्रजित्व हिधनुदाऽअसिखाहो ॥२८॥प्रन॥ प्रनौय च्छत्त्वयंमाप्पपूषाप्पबृहस्पतिः॥प्रवाग्ग्देवीददातुन वाह 29 // देवस्य॑त्त्वासवितुप्प्रेसवेश्विनौर्वाहुब्भ्याम्पूष्ष्णोहस्तो For Private And Personal