________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir उ. अ. // 29 // संहि. अनाविद्धयातन्वाजयत्वसत्वावम॑णोमहिमापिपर्तु॥ 38 // // 7 // धन्वनागा // धन्वनागाधन्वनाजिञ्जयेमधन्वनातीबारसमदौ / *जयेम ॥धनुत्शत्रौरपकामकृणोतिधन्वनासाहप्पदिशौजयेम है। ॥३९॥वक्ष्यन्तीवेत् ॥बुक्ष्यन्तीवेदागनीगन्तिकणम्पियन्सखा / यम्परिषखजाना॥ योवशिङ्केवितताधिधन्वयाऽइयसमैने / पारयन्ती॥४०॥ तेऽआचरन्ती॥ तेऽआचरन्तीसमनवयोषामा 2 // 70 // तेवपुत्रम्बिभृतामुपस्त्यै। अपशत्रून्विद्यतासंविदानेऽआत्नी For Private And Personal