________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAMACHARACANCALCANCE श्वावित्कुरुपिशङ्गिला // शुशऽआस्कन्दमर्पत्यहिपन्थांविसर्प इति // 56 // कत्यस्य / विष्ठाश्कत्यक्षराणिकतिहोमासत्कतिधा / समिद्धः // यज्ञस्य॑त्वाविदथापृच्छमत्रकतिहोतारऽऋतुशोयज है न्ति // 57 // पडस्य / विष्ठाश्शतमक्षराण्ण्यशीति)मल्सिमिधो / है हतिस्रः॥ यज्ञस्यतेविदथाप्रबवीमिसप्तहोतारऽऋतुशोयजन्ति / // ५८॥कोऽअस्य / श्वेभुवनस्युनाभिङ्कोद्यावापृथिवीऽअन्तरि / / क्षम् // कसूर्यस्यत्वेदबृहतोजनित्रकोव्वदचन्द्रमसंय्यतोजा॥ For Private And Personal