________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir OMGAMROSAGARMEROSAGE श्येनस्यैवतोऽअङ्कुसम्परिदधिक्काव्णःसहोर्जातरित्रतऽस्खा हा॥१५॥शनः ॥शन्नोभवन्तुवाजिनोहवैपुदेवातामितव स्वाः // जम्भयन्तोहिंकहरक्षा सिसनम्म्यस्स्मद्युयवन्नमी / वार्ड ॥१६॥तेन ॥तेनोऽअवन्तोहवन श्रुतोहवंविश्वेशृण्ण्वन्तु है वाजिनौमितवड // सहस्रसामेधसातासनिष्ध्यवौमहोयेधनः / / समिथेपुंजभ्रिरे ॥१७॥बाजैवाजेवत / वाजिनोनोधनेषुबिप्पा / / अमृताऽऋतज्ञा // अस्यमर्द्ध पिबतमादयद्धन्तृप्प्तातिपथि / For Private And Personal