________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobabirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 118 // संहि. इनीधे ॥सातऽआप्प्यायतान्निष्टायतान्तस्यैतेस्वाहा ॥यातैघर्म / पृथिच्याशुग्ग्याजगत्या सदस्या॥सातऽआप्प्योयतानिष्टया / यतान्तस्यैतेस्वाहा // 18 // [10] क्षुत्रस्यत्वा। परस्पायुब्रह्मण है। स्तन्वम्पाहि // विशस्त्वाधर्मणाबयमनुक्रामामसुवितायनव्य॑से / / // 19 // चतु:स्रक्तिाभिः॥चतु:स्रक्तिर्नाभिर्ऋतस्य॑सप्प्रथाः सनौविश्वायुःसप्प्रथाल्सन:सर्वायु सप्पथा॥ अपद्वेषोऽअपह्व / रोन्न्यवतस्यसश्चिम // 20 // धम्मैतत् // घम्मैतत्तेपुरीपन्तेनुब SAMANESAMAMALAMA // 118 // For Private And Personal