________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 15 // // 17 // संहिनाबाजिनान्द्रानाञ्जयतांय्यन्तुघोषा॥ 42 // अस्म्माकमि पू. अ. इन्द्रः / समृतेषुद्धजेष्ष्वम्माकंजाऽइपवस्ताजयन्तु // अम्माकै बीराऽउत्तरेभवन्त्वस्म्माँ२ऽउंदेवाऽअवताहवेषु ॥४३॥अमीषा ञ्चित्तम् // अमीषाञ्चित्तम्प्रतिलोभयन्तीगृहाणाङ्गान्यप्वेपरेहि // अभिप्रेहि निर्देहहृत्सुशोकैरन्धेनामित्रास्तमसासचन्ताम् / 44 / / / अवसृष्टापरा। पतशरध्येबमस सिते॥गच्छामित्राप्रपद्यस्व है // 154 // मामीषाङ्कञ्चनोछिपः॥४५॥ प्रेत॥प्रेताजयतानरऽइन्द्रौवल्शम ****** ASKALIOROSCARRIGANSAR For Private And Personal