________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 9CDOEGORMAS5555 वाकर्शयावातुतोदे // चेवताहुविषोऽअद्भुरेपुसर्वातातेबह्मणा सूदयामि॥४०॥ चतुस्त्रिदशहाजिनः॥ चतुत्रिशहाजिनौदे / / वबन्धोडीरश्चस्युखधितित्समैति॥अच्छिद्रागात्राव्युनाकृणो / तुपरुष्ष्परुरनुघुष्ष्याविशस्त // 41 // एकस्त्वष्टुंः॥ एकस्त्वष्टुर / श्वस्याविशस्ताद्वायन्तारीभवतुस्तथऽऋतु? // यातेगात्राणामृतु / थाकृणोमितातापिण्डानाम्प्रजुहोम्म्युग्नौ // 42 // मात्वातपत्मि। यऽआत्मापियन्तुम्माखधितिस्तुन्छ ऽआतिष्टिपत्ते // मातेगृध्नु For Private And Personal