________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 124 // संहि. / यसबता॥ येऽअग्नयुल्समनसोन्तराद्यावापृथिवीऽडुमे॥हैमन्ति पू.अ. कावृतूऽअभिकल्प्पमानाऽइन्द्रमिवदेवा ऽअभिसंविशन्तुतादेव // 14 // तयाङ्गिर खडुवेसीदतम् // 27 // [4] एकयास्तुवत / प्रजाऽ/ अधीयन्तप्रजापतिरधिपतिरासीत्तिसृभिरस्तुवतबहमासृज्यतब हमणस्पतिरधिपतिरासीत्पञ्चभिरस्तुवतभूतान्य॑सृज्यन्तभूता नाम्पतिरधिपतिरासीत्सप्तभिरस्तुवतसप्तऽऋषयौसृज्यन्तधाता // 124 // धिपतिरासीन्नुवभिरस्तुवत॥२८॥ नवनिरस्तुवत / पितरौसृज्य है। SCRECOSMOG For Private And Personal