________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir // 22 // संहि. म् // हुच्यादेवेनोदधत्॥१५॥ सहव्यवाट् // सहच्युवाडमर्त्य उ. अ. // 16 // उशिग्दूतश्चनौहित॥ अग्निर्दियासमृण्वति॥१६॥ अग्निन्दा तम्पुरोदधेहव्यवाहमुप॑ब्रुवे // देवाँरआसादयादुिह॥१७॥अजी जनोहिपर्वमानसूर्यविधारेशमनापर्यः॥गोजीरयारन्हमाणः / पुरन्ध्या // 18 // [9] विभूमांत्रा। प्प्प्रभूपत्राश्चौसिहयोस्य त्यौसिमयोस्यासिसप्तिरसिव्वाज्यसिबृपासिनमणोऽअसि॥ययु / / हर्नामासिशिशु मास्यादित्यानाम्पत्वान्विहिदेवोऽआशापाला AAGREGAGAGANGANAGAR For Private And Personal