________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kaishsagarsuri Gyanmandit संहि. उ.अ. // 12 // // 21 // HOAXHOSAISOSTOGOS न्द्रितेसदः // ईशायैमुन्युटराजानम्बर्हिषादधुरिन्द्रियंव्वसुवनैव / / सुधेयस्यध्यन्तुयजे // 57 // देवोऽअग्निखिष्टुकद्देवान्यक्षद्यथा / " यथ होताराविन्द्रमुश्चिनावाचाबाच सरखतीमग्नि सोम खिष्टकृत्खिष्टुऽइन्द्रःसुत्रामासवितावरुणोभिषगिष्टोदेवोवनस्प्प / तिस्विष्टादेवाऽआज्यपाखिष्टोऽअग्निरग्निनाहोताहोत्रेखिष्टक 3 यशोनदधदिन्द्रियमूर्जमपंचितिस्वधांवसुवनेवसुधेयस्यध्यन्तु / यज॥५८॥ अग्निमुद्यहोतारमवृणीतायंय्यजमानुपचन्न्पती / / // 12 // For Private And Personal