________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir महाँ२ऽअभिष्ट्रिरोजसा // 25 // इन्द्रोवृत्रम् // इन्द्रौवृत्रमवृणो / छर्द्धनीतिहप्पमायिनाममिनावर्पणीति // अहन्व्यसमुशध | ग्वनैष्ष्वाविद्धेनाऽअकृणोद्वाम्म्याणाम् // 26 // कुतस्त्वम्॥ कुत / स्त्वमिन्द्रमाहिंनुसन्नेकोयासिसत्पतेकिन्तऽइत्था // सम्पृच्छसे / समराणशूभानैर्बोचेस्तन्नौहरिवोयत्तेऽअस्म्मे // महाँ२ऽइन्द्रो / यऽओज॑साकदाचुनस्तुरीरैसिकदाचनप्प्रयुच्छसि॥२७॥ आत तऽइन्द्रायवः / पनन्ताभियऽऊर्ध्वङ्गोमन्तन्तितृत्सान् // सक For Private And Personal