________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir सस्तस्करावने // येकष्ष्वघायवस्ताँस्तैदधामिजम्भयो // 79 // योऽअस्म्मभ्यम्॥योऽअस्म्मब्भ्यमरातीयाद्यश्वनोद्वेषतेजनः॥ निन्दाद्योऽअस्म्मान्धिप्प्साच्चसव॑न्तम्भस्म्मसाकुरु ॥८॥स शितम्मे॥ सर्शितम्मेब्रह्मसमर्शितंवीर्य्यम्बलम्॥सर्शितङ्घन है ञ्जिष्ष्णुयस्याहमस्म्मिपुरोहित // 81 // उदेषाम् // उदेषाम्बाहु / अतिरमुव!ऽअथोबलम् // क्षिणोमिबह्मणामित्रानुन्नयामि / खाँ२ऽअहम् // 82 // अन्नपुतेन्नस्य / नोदेह्यनमीवस्यशुष्म्मिणः॥ For Private And Personal