________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit संहि. // 83 // RECRUR मीद्रविणोदावाज्याकडसुलोक-सुकृतम्पृथिव्याम् // ततःखने पू. अ. मसुप्प्रतीकमग्निस्वोरुहोणाऽअधिनाकमुत्तमम्॥२२॥आत्त्वा।। जिघमिमनसाघृतेन प्रतिक्षियन्तम्भुवनानिविश्वा // पृथुन्तिर चाबयसाबृहन्तध्यचिष्ट्रमन्नैरभसन्दृशानम्॥२३॥आविश्वतः। प्प्रत्त्यञ्चजिघर्ग्यरक्षसामनसात पेत॥मयं श्रीस्पृहयवर्णोऽ। अग्नि भिमृशैतन्याजन् राण // 24 // परिवाजपति // परि // 83 वाजपतिऽकविरग्निर्ह घ्यान्यक्रमीत्॥दधुद्रत्नानिदाशुखे॥२५॥ A LCALCAST For Private And Personal