________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir स्रमिन्दुमरुषम्भुरण्युमुग्निमीडेपूर्वचित्तिन्नमोभिः॥सपर्वभित्र है। तुशश्कल्प्पमानोगाम्माहिद-सीरदितिविराजम् ॥४३॥वरूत्रीत्व है ष्ट्र॥ वरूत्रीन्त्वष्टुवरुणस्युनाभिमविञ्जज्ञानारजसत्परस्म्मा / त्॥ महीसाहस्रीमसुरस्यमायामग्नेमाहि सीपरमेच्योमन / // 44 // योऽअग्निः॥योऽअग्निरग्नेरड्यजायतशोकात्पृथिच्याऽ. उतादुिवस्प्परि॥ येनप्प्रजाविश्वकर्माजजानतम॑ग्नेहेडल्परिते / / वृणक्तु // 45 // चित्रन्देवानाम् // चित्रन्देवानामुदंगादीकुञ्चक्षु / / ACCORMACLEONE For Private And Personal