________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandit पू. अ. : // 84 // ग्निम्पुरीष्ष्यमङ्गिरस्वत्त्वनाम // 28 // अपाम्पृष्ठम्॥ अपाम्पृष्ठ मसियोनिग्नेश्समुद्रमभितुपिन्व॑मानम् // बर्द्धमानोमुहाँ। आचपुष्करेदिवोमात्रयाबरिम्म्णाप्पथख ॥२९॥शर्मच॥ शम्म चस्त्थोवर्मंचस्त्थोछिद्रेबहुलेऽउभे // ध्यचखतीसंवसाथाम्भृत / / मग्निम्पुरीष्ष्यम् ॥३०॥संबैसाथाम् // संव्वसाथास्वर्विदोसुमी चीऽउरसात्क्मनो॥अग्निमन्तब्éरिष्य्यन्तीज्योतिष्म्मन्तमज // 4 // सुमित् // 31 // पुरीष्ष्योसि / विश्वभराऽअर्थर्वात्त्वाप्प्रथमोनिर / For Private And Personal