________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir AGRICCCCCCACACANCAR सिंभागमुत्तमम् // आदिहामानक्सवितुर्वृणुषेनूचीनाजीविता / मानुषेभ्यः // 54 // [11] प्रवायुम् // प्रवायुमच्छाबृहतीमनी / पाबृहयिविश्ववारदरथप्पाम् // द्युतामानियुतत्पत्यमानल्क / विश्कविमियक्षसिप्प्रयुज्यो॥५५॥ इन्द्रवायूऽइमे / सुताऽउप प्रयोभिरागतम् // इन्द्रवोवामुशन्तिहि // 56 // मित्र हुवे / पूतदक्षंवरुणञ्चरिशादसम्॥ धियकृताचीसाधन्ता॥५७॥ दस्रा / युवाकवहीसुतानासत्याबृक्तबर्हिषः॥आयात रुद्रवर्त्तनी॥तम्प्र SHOSHXHIBISHARA*** For Private And Personal