________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kishsagarsuri Gyanmandit उ.अ. // 24 // वाक्सूत्रम् // शादंदद्भिर्नवैकैकाहिरण्यगर्भश्चतस्रआनोदशमा / नोमित्रोयदश्वस्याष्टकौयत्तेषडिमानुकंद्वेपंचदशसप्तचत्वारिश त् // हरिःॐशादेन्दुद्भिः // शादन्दुभिरवकान्दन्तमूलैर्मृदुम्ब / / खैस्तुगान्दछष्ट्राभ्या सरखत्याऽअग्पजिलुजिह्वायाऽउत्साद / मवऋन्देनतालुवाजहनुब्भ्यामुपऽआस्येनवृषणमाण्ण्डाब्भ्यो / मादित्याँश्म्मश्श्रुभिरूपन्थानम्भ्रूभ्यान्द्यावापृथिवीवौभ्यांवि // 37 // दद्युतकनीनकाब्भ्याशुक्लायुवाहाकृष्ष्णायखाहापाऱ्यांणिप For Private And Personal