________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir अग्निः॥ समिद्धोऽअग्निरश्चिनातप्तोघुम्नॊविरागुतः ॥दुहेधेनु / सरखतीसोम शुक्रमिहेन्द्रियम् // 55 // तनूपाभिषा। सुतेत्रि नोभासरखती // मद्धारजासीन्द्रियमिन्द्रायपथिभिवहान् // // 56 // इन्द्रायेन्दुम् // इन्द्रायेन्दुसरखतीनराश सेननुग्नर्हम्॥ अधातामुश्चिनामधुंभेषजम्भिपासुते॥५७॥ आजुबानासर / स्वती / न्द्रायेन्द्रियाणिवीर्य्यम् // इडाभिरश्चिनाविषठसमूर्ज। सयिन्दधुः ॥५८॥अश्चिनानमुचे / सुतसोम शुक्रम्परि For Private And Personal