________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir 655 5 +MASTER तमेधशृतपाकम्पचन्तुं // 33 // यत्ते // यत्तेगात्रादुग्निनापुच्य / / मानादुभिशूलन्निहतस्यावुधावति // मातभृम्म्यामाश्रिषन्मात / णेपुदेवेभ्यस्तदुशद्योगतमस्तु॥३४॥ येवाजिनम् // येवाजिन / परिपश्यन्तिपुय्यऽईमाहुश्सुरभिनिर्हरेति // येचावतोमा सभिक्षामुपासतऽउतोतेषामभिर्तिनऽइन्वतु // 35 // यन्नीक्ष णम् // यन्नीक्षणम्मॉस्प्पचन्याऽउखायायापात्राणियुष्ष्ण आसे / / नानि॥ ऊष्म्मण्ण्यापिधानाचरूणामुङ्काश्सुनाश्परिभूषन्त्यश्च / For Private And Personal