________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandi ******************** लङ्गार्हपत्य // 18 // प्रैपेभि: प्रेपान् ॥षेभिप्रैपानामोत्या / प्रीभिराष्पीर्य्यज्ञस्य॑ ॥प्रयाजेभिरनुयाजान्वषट्कारेभिराहुती / / // 19 // पशुभि पशून् // पशुभिः पशूनाप्नोतिपुरोडाशैर्हवी प्प्या॥ छन्दौभित्सामिधेनीऱ्याज्याभिर्वषट्कारान् ॥२०॥धा नाकरम्भसतवरूपरीवापश्पयोदधि।सोमस्यरूपन्हुविषऽआ है मिक्षावाजिनम्मधु ॥२१॥धानानारूपम् ॥धानानारूपङ / / वलम्परीवापस्य॑गोधूमा॥ सक्तना0रूपम्बदरमुपवाकोल्करम्भ | PostN LOAD For Private And Personal