________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir CAMERCULARAMMAR त्त्वावर्त्तयामसि // 68 // सहदानुम्पुरुहूत। क्षियन्तमहस्तमिन सम्पिणक्कुणारुम् // अभिवृनंबर्द्धमानम्पियोरुमपादमिन्द्रतवसा, जघन्थ॥६९॥बिनः // विनऽइन्द्रमृधौजहिनीचार्यच्छपृतन्य / त॥योऽअस्म्माँ२ऽअभिदासत्यधरङ्गमयातमः ॥७॥मृगोन। भीमश्कुचरोगिरिष्ठापरावतऽआर्जगन्थापरस्याह॥ सुकन्सत्शा / यपविमिन्द्रतिग्ग्मविशत्रून्ताड्डिविमृधोनुदख // 71 // वैश्वानरो / न // वैश्वानरोनऽऊतय आप्पातुपरावतः // अग्निनः सुष्टुती हैं For Private And Personal