________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ACACANCAMSACSCR54AR रा // युनक्तुसीरावियुगातनुद्धङ्कृतेयोनौवपतेहबीजम्॥गिराच श्रु ष्टिासभराऽअसैन्नीनेदीयुऽइत्त्सुण्य पक्कमेयात् // 68 // शुनसु।। फालाविकृपन्तुभूमि शुनवीनाशोऽअभियन्तुबाहै? ॥शुनासी / राहविषातोशमानासुपिप्पलाऽओपंधीत्कर्त्तनासम्मे // 69 // घृते / नसीतां ॥घृतेनुसीतामधुनासमज्यतांविश्चैर्देवैरनुमतामरुद्भिः॥ है ऊर्जखतीपयसापिन्वमानास्म्मान्त्सीतेपर्यसाब्भ्याववृत्व।७०॥ लाङ्गलम्पवीरवत् // लाङ्गलम्पवीरवत्त्सुशेवन्सोमपित्सरु // तदु For Private And Personal