________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir SAGARASAIGALASSAGE है जोहुविषांशृतेन ॥पक्ष्माणिगोधूमैल्कुलैरुतानिपेशोनशुक्रमसि तंबसाते॥८९॥ अविन / मेपोनसिब्बीर्य्यायप्प्राणस्यपन्थाऽअमृ है। तोग्ग्रहांब्भ्याम् // सरखत्युपवाकैानन्नस्यार्निबर्हिर्बदरै जान / // 90 // इन्द्रस्यरूपम्॥ इन्द्रस्यरूपमृषभोवलायुकाभ्याश्रो / ब्रममृताब्भ्याम् // यवानबुर्हि विकेसराणिकर्कन्धूयज्ञेमधु है। सारघम्मुखात्॥९१॥आत्क्मन्नुपस्त्थे // आत्क्मन्नुपस्त्थेनवृकस्य / / लोममुखेश्म्मश्रूणिनच्याग्घ्रलोमाकेशीनशार्पन्यशंसेश्श्रुियैशि For Private And Personal