________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri K ashsagarsuri Gyanmandit संहि. पू. अ. : // 9 // OMGARICRORSE ज्यान इन्द्रस्येवदक्षिणश्रियैधि // युञ्जन्तुत्त्वामरुतोविश्ववै दसऽआतेत्त्वष्टापत्सुजवन्दधातु॥८॥जवोय? // जवोयस्तैवा / / जिन्निहितोगुहायश्श्येनेपरीतोऽअचरच्चबाते // तेननोवाजिन्न लवान्बलैनवाजचिञ्चभवसमैनेचपारयिष्णुः // वाजिनोबाज है। जितोवाजसरिप्प्यन्तोबृहस्प्पतै गमवजिग्घ्रत॥९॥[५]देव / स्याहम् // देवस्याह सवितुसवेसत्त्यसंवसोबृहस्प्पतैरुत्तमन्ना // 66 // करुहेयम् // देवस्याहसवितुसवेसत्यसंवसऽइन्द्रस्योत्तमन्ना - 555 For Private And Personal