________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir SAMACHARCOSMSASA रमस्वसहसेद्युम्नऽऊर्जेऽअपत्त्याय // सम्मासिस्वराडसिसार स्वतौत्वोत्सौप्पावताम् // 35 // अग्नेयुक्ष्व // अग्नेयुक्ष्वाहियेत / वाचासोदेवसाधवः // अरंवहन्तिमन्न्यवे ॥३६॥युक्ष्वाहि / देव / हूतमाँ २ऽअश्वौ २ऽअग्ने रथीरिव // निहोतापुर्घ्यश्सद६॥३७॥ [11] सम्म्यक्स्रवन्ति। सरितोनधेनाऽअन्तर्हृदामनसापूयमा / ना॥घृतस्यधाराअभिचाकशीमिहिरण्ययौवेतसोमद्येऽअग्ने / // 38 // ऋचेत्त्वा / रुचेत्त्वाभासेत्वाज्योतिपेत्वा // अभूदिदंवि / For Private And Personal